सेतुबंधासन

भूमि पर सीधे लेट जाइए। दोनों घुटनों को मोड़कर रखिए। कटिप्रदेश को ऊपर उठा कर दोनों हाथो को कोहनी के बल खड़े करके कमर के नीचे लगाइये। अब कटि को ऊपर स्थिति रखते हुए पैरों को सीधा किजिए। कंधे व सिर भूमि पर टिके रहें। इस स्थिति में 6-8 सेंकण्ड रहें। वापस आते समय नितम्ब एवं पैरों को धीरे-धीरे जमीन पर टेकिए। हाथो को एकदम कमर से नहीं हटाना चाहिये। शवासन में कुछ देर विश्राम करके पुनः अभ्यास को 4-6 बार दोहराएं।

शलभासन

शलभासन करने की विधि :

  1. सर्वप्रथम पेट के बल लेट जाएँगे । 
  2. पैरो को पास रखेंगे और हाथों की मुत्ठियाँ बनाकर जांघों के नीचे रखेंगे। 
  3. अब दोनो पैरो को साँस लेते हुए उपर उठाइए ।
  4. धीरे से वापिस लाइए ।
  5. 5 बार इसी  तरह दोहरायें ।
  6. ध्यान रखिएगा पैरो को उपर ले जाते समय घुटने से सीधा रखेंगे।

शलभासन करने की साबधानियाँ :

हर्निया ,आँतों की गंभीर समस्या व हृदय रोगी इस अभ्यास को न करें।

भुजंग आसन

भुजंगासन को कोबरा पोज़ भी कहा जाता है क्योंकि इसमें शरीर के अगले भाग को कोबरा के फन के तरह उठाया जाता है। भुजंगासन की जितनी भी फायदे गिनाए जाएं कम है। भुजंगासन का महत्व कुछ ज्यादा ही है क्योंकि यह सिर से लेकर पैर की अंगुलियों तक फायदा पहुंचाता है। अगर आप इसके विधि को जान जाएं तो आप सोच भी नही सकते यह शरीर को कितना फायदा पहुँचा सकता है।  

पद्मासन

 पद्मासन का अर्थ इस प्रकार द्मासन करने का अर्थ होता है कमल यानी कमल का आसन। यह योग का एक एैसा आसन है जिसमें शरीर को कमल के आसन में बैठने का आकार दिया जाता है। यह आसन केवल ध्यान में बैठने का तरीका है। लेकिन इस आसन से शरीर को काफी लाभ मिल सकते हैं। वैदिकवाटिका आपको पद्मासन के तरीकों और इसके फायदों को आप को बताएगा। ताकि आप निरोगी रह सकें।

मकरासन

सबसे पहले चादर बिछाकर जमीन पर पेट के बल लेट जाइए। उसके बाद दोनों हाथों की कोहनियों को मिलाते हुए गाल के नीचे रख लीजिए। दोनों पैरों को मिलाकर सांस को अंदर कीजिए, उसके बाद सांस को बाहर करते हुए दोनों कोहनियों को अंदर की तरफ खींचिए। इस क्रिया को कम से कम 5 बार दोहराइए। उसके बाद पेट पर दोनों हथेली दोनों गाल के नीचे और कोहनियां मिला कर रखिए। सांस को आराम से लेते हुए पैरों को बारी-बारी घुटने से मोडिए। कोशिश कीजिए कि आपके पैरों की एडी नितंबों को छुए। इस क्रिया को 20 बार दोहराइए।

वीरभद्रासन

वीरभद्रासन जिसको वॉरईयर पोज़ (Warrior Pose) के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन का नाम भगवान शिव के अवतार, वीरभद्र, एक अभय योद्धा के नाम पर रखा गया। योद्धा वीरभद्र की कहानी, उपनिषद की अन्य कहानियों की तरह, जीवन में प्रेरणा प्रदान करती है। यह आसन हाथों, कंधो ,जांघो एवं कमर की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है।

 

कटिचक्रासन

कटिचक्रासन क्या है इसके लिए आपको इस शब्द को तोड़कर देखना होगा।  कटिचक्रासन दो शब्द मिलकर बना है -कटि जिसका अर्थ होता है कमर और चक्र जिसका अर्थ होता है पहिया। इस आसन में कमर को दाईं और बाईं ओर मरोड़ना अर्थात् घुमाना होता है। ऐसा करते समय कमर पहिये की तरह घूमती है, इसलिए इसका नाम कटिचक्र रखा गया है।

कटिचक्रासन की विधि

अब बात आती है कि कटिचक्रासन को कैसे किया जाए ? इस आसन से आप अधिक लाभ तभी ले सकते हैं जब इसको टेक्निकली सही तरीके से करते हैं।

तरीका

शवासन

मृत शरीर जैसे निष्क्रिय होता है उसी प्रकार इस आसन में शरीर निष्क्रिय मुद्रा में होता है अत: इसे शवासन कहा जाता है. इस आसन का अभ्यास कोई भी कर सकता है. यह शरीर को रिलैक्स प्रदान करने वाला योग है.

वसिष्ठासन

- का शाब्दिक अर्थ है “सबसे उत्कृष्ट, सर्वश्रेष्ठ, सबसे धनी” वशिष्ठ योग परंपरा में कई प्रसिद्ध संतों का नाम है। को भारतवर्ष के सबसे सम्मानीय संतो में से माना जाता है। ऋषि वशिष्ठ सप्तऋषि मंडल के एक ऋषि है। वे ऋग्वेद मंडल के सबसे प्रधान व मुख्य लेखक भी है। ऋषि वशिष्ठ के पास एक गाय थी जिसका नाम कामधेनु था। उस गाय का एक बछड़ा था जिसका नाम नन्दिनी था। उस गाय के पास दैविक शक्तियां थी और उसने ऋषि वशिष्ठ को बहुत धनवान बना दिया था। इसलिए वशिष्ठ का वास्तवित अर्थ धनवान है।

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