mandukasan

मंडूकासन शब्द संस्कृत के दो शब्दों मंडूक और आसन से मिलकर बना है। मांडुक का अर्थ मेंढक है और आसन का अर्थ योग मुद्रा से है । इसके अभ्यास के अंतिम चरण में शरीर मेंढक की तरह दिखने लगता है, इसलिए कारण इसका नाम मंडूकासन है। इस के अभ्यास से पेट के अंगों की मालिश और पेट पर अतिरिक्त वसा को करने में मदद मिलती है।

मंडूकासन कैसे करें 

मंडूकासन की विधि बहुत आसान है लेकिन इसके ज़्यादे फायदे लेने के लिए अगर आप नीचे दिए गए तरीके को अपनाते है तो इसका कहना ही क्या ? आपको इसकी विधि बहुत सरल तरीके से बताई जा रही है जिसका अनुसरण करते हुए आप इसको अपने घर में भी आसानी से कर सकते हैं।

मंडूकासन विधि

  • सबसे पहले आप वज्रासन में बैठ जाएं।
  • अब आप मुठ्ठी बांधएं और इसे आपने नाभि के पास लेकर आएं।
  • मुट्ठी को नाभि एवं जांघ के पास ऐसे रखें कि मुट्ठी खड़ी हो और ऊँगलियाँ आपके उदर के तरफ हो।
  • सांस छोड़ते हुए आगे झुकें, छाती को इस प्रकार नीचे लाएं कि वह जांघों पर टिकी रहे।
  • आप इस तरह से आगे झुकें कि नाभि पर ज़्यदा से ज़्यदा दबाब आए।
  • सिर और गर्दन उठाए रखें, दृष्टि सामने रखें।
  • धीरे धीरे सांस लें और धीरे धीरे सांस छोड़े और यथासंभव इस स्थिति को बनाये रखें।
  • फिर सांस लेते हुए अपनी सामान्य अवस्था में आएं और आराम करें।
  • यह एक चक्र हुआ।
  • आप शुरुवाती दौड़ में इसे 3-5 बार कर सकते हैं।

 

मंडूकासन के लाभ

मंडूकासन के बहुत सारे फायदे हैं बस शर्त यह है की आप इसको सही विधि के साथ करें।

  1. मंडूकासन तोंद के लिए: अगर आपको अपना तोंद कम करना हो तो मंडूकासन करनी चाहिए। यह पेट में अच्छा खास दबाब डालता है और इस आसन को ज़्यदा समय तक बनाये रखने से पेट की चर्बी गलने में मदद मिलती है।
  2. मंडूकासन उदर के रोगों के लिए: पेट से संबंधित रोगों के लिए यह अति उत्तम योगाभयास है।
  3. मंडूकासन डायबिटीज रोकने के लिए: इस आसन का सही अभ्यास करने से पैंक्रियास से इन्सुलिन का स्राव में मदद मिलती है जिससे डायबिटीज या मधुमेह को बहुत हद तक रोक जा सकता है।
  4. मंडूकासन कब्ज के लिए: अगर आप कब्ज एवं अपच से छुटकारा चाहते हैं तो मंडूकासन का अभ्यास जरूर करें। इस योगाभ्यास से एंजाइम एवं हॉर्मोन का ठीक तरह से स्राव होने लगता है जो भोजन को पचाने में मदद करता है और कब्ज एवं अपच जैसी परेशानियों से आपको निजात दिलाता है।
  5. मंडूकासन गैस को निकालने के लिए: हमारे पेट में तरह तरह के टॉक्सिन्स एवं जहरीली गैसें होते हैं। इस आसन के अभ्यास से आप अपने उदर से जहरीले गैस को आसानी से निकाल सकते हैं।

 

मंडूकासन की सावधानी

  • मंडूकासन करते समय आपको कुछ चीजों की ख्याल रखनी चाहिए जो निम्नलिखित है।
  • अगर आपको पीठ में दर्द हो तो इस आसन के करने से परहेज करनी चाहिए।
  • हैपेरिसिडिटी वालों को यह आसन नहीं करनी चाहिए।
  • पेट में अगर कोई विकार या ऑपरेशन हुआ हो तो इस आसन को न करें।
  • नाभि की समस्या होने पर भी इस को न करें।

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মণ্ডূকাসন

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মণ্ডূকাসন

যোগশাস্ত্রে বর্ণিত আসন বিশেষ। মণ্ডূক-এর সমার্থ হলো-ব্যাঙ ব্যাঙের মতো উপবেশন ভঙ্গি অনুসারে এই আসনের নামকরণ করা হয়েছে মণ্ডূকাসন (মণ্ডূক + আসন)।

পদ্ধতি
১. প্রথমে হাঁটু মুড়ে বসুন এক্ষেত্রে প্রাথমিকভাবে হাঁটু দুটো জোড়া থাকবে পায়ের পাতা দুটো পিছনের দিকে ফেরানো থাকবে পায়ের পাতা থেকে হাঁটু পর্যন্ত মাটির সাথে লেগে থাকবে নিতম্ব থাকবে পায়ের গোড়ালির উপর।
২. এবার পায়ের পাতা প্রসারিত করে, পুরো নিতম্ব মাটির সাথে যুক্ত করুন এই সময় পায়ের বুড়ো আঙুল যুক্ত থাকবে।
৩. এবার দুই হাঁটুর উপর হাত রেখে মেরুদণ্ড সোজা করে বসুন এবার শ্বাস নিতে নিতে, দুই হাঁটু যতটা পারেন প্রসারিত করুন এই সময় হাতের কনুই দুটো সোজা থাকবে।
৪. এই অবস্থায় ৩০ সেকেণ্ড স্থির হয়ে অবস্থান করতে হবে এই সময় শ্বাস-প্রশ্বাস স্বাভাবিকভাবে চালু থাকবে এই অবস্থায় থাকার পর আসন ত্যাগ করুন।
৫. এবার ৩০ সেকেণ্ড শবাসনে বিশ্রাম করুন এরপর আসনটি আবার আরও দুইবার করতে হবে।

উপকারিতা
১. এই আসনে পায়ের ও হাঁটুর বাতের উপশম হয়।
২. পেটের পেশী সবল হয়।
৩. জরায়ু, মলনালী ও মুত্রস্থলী স্থানচু্যত হলে, তার উপশম হয়।
৪. ঋতুস্রাবের ব্যথা, অতি বা বেশি স্রাব থেকে রক্ষা পাওয়া যায় অনিয়মিত স্রাবের  হাত থেকে রক্ষা পাওয়া যায়।


मंडूकासन शब्द संस्कृत के दो शब्दों मंडूक और आसन से मिलकर बना है। मांडुक का अर्थ मेंढक है और आसन का अर्थ योग मुद्रा से है । इसके अभ्यास के अंतिम चरण में शरीर मेंढक की तरह दिखने लगता है, इसलिए कारण इसका नाम मंडूकासन है। इस के अभ्यास से पेट के अंगों की मालिश और पेट पर अतिरिक्त वसा को करने में मदद मिलती है।

मंडूकासन कैसे करें 

मंडूकासन की विधि बहुत आसान है लेकिन इसके ज़्यादे फायदे लेने के लिए अगर आप नीचे दिए गए तरीके को अपनाते है तो इसका कहना ही क्या ? आपको इसकी विधि बहुत सरल तरीके से बताई जा रही है जिसका अनुसरण करते हुए आप इसको अपने घर में भी आसानी से कर सकते हैं।

मंडूकासन विधि

  • सबसे पहले आप वज्रासन में बैठ जाएं।
  • अब आप मुठ्ठी बांधएं और इसे आपने नाभि के पास लेकर आएं।
  • मुट्ठी को नाभि एवं जांघ के पास ऐसे रखें कि मुट्ठी खड़ी हो और ऊँगलियाँ आपके उदर के तरफ हो।
  • सांस छोड़ते हुए आगे झुकें, छाती को इस प्रकार नीचे लाएं कि वह जांघों पर टिकी रहे।
  • आप इस तरह से आगे झुकें कि नाभि पर ज़्यदा से ज़्यदा दबाब आए।
  • सिर और गर्दन उठाए रखें, दृष्टि सामने रखें।
  • धीरे धीरे सांस लें और धीरे धीरे सांस छोड़े और यथासंभव इस स्थिति को बनाये रखें।
  • फिर सांस लेते हुए अपनी सामान्य अवस्था में आएं और आराम करें।
  • यह एक चक्र हुआ।
  • आप शुरुवाती दौड़ में इसे 3-5 बार कर सकते हैं।

 

मंडूकासन के लाभ

मंडूकासन के बहुत सारे फायदे हैं बस शर्त यह है की आप इसको सही विधि के साथ करें।

  1. मंडूकासन तोंद के लिए: अगर आपको अपना तोंद कम करना हो तो मंडूकासन करनी चाहिए। यह पेट में अच्छा खास दबाब डालता है और इस आसन को ज़्यदा समय तक बनाये रखने से पेट की चर्बी गलने में मदद मिलती है।
  2. मंडूकासन उदर के रोगों के लिए: पेट से संबंधित रोगों के लिए यह अति उत्तम योगाभयास है।
  3. मंडूकासन डायबिटीज रोकने के लिए: इस आसन का सही अभ्यास करने से पैंक्रियास से इन्सुलिन का स्राव में मदद मिलती है जिससे डायबिटीज या मधुमेह को बहुत हद तक रोक जा सकता है।
  4. मंडूकासन कब्ज के लिए: अगर आप कब्ज एवं अपच से छुटकारा चाहते हैं तो मंडूकासन का अभ्यास जरूर करें। इस योगाभ्यास से एंजाइम एवं हॉर्मोन का ठीक तरह से स्राव होने लगता है जो भोजन को पचाने में मदद करता है और कब्ज एवं अपच जैसी परेशानियों से आपको निजात दिलाता है।
  5. मंडूकासन गैस को निकालने के लिए: हमारे पेट में तरह तरह के टॉक्सिन्स एवं जहरीली गैसें होते हैं। इस आसन के अभ्यास से आप अपने उदर से जहरीले गैस को आसानी से निकाल सकते हैं।

 

मंडूकासन की सावधानी

  • मंडूकासन करते समय आपको कुछ चीजों की ख्याल रखनी चाहिए जो निम्नलिखित है।
  • अगर आपको पीठ में दर्द हो तो इस आसन के करने से परहेज करनी चाहिए।
  • हैपेरिसिडिटी वालों को यह आसन नहीं करनी चाहिए।
  • पेट में अगर कोई विकार या ऑपरेशन हुआ हो तो इस आसन को न करें।
  • नाभि की समस्या होने पर भी इस को न करें।

मंडूकासन

mandukasan

मंडूकासन शब्द संस्कृत के दो शब्दों मंडूक और आसन से मिलकर बना है। मांडुक का अर्थ मेंढक है और आसन का अर्थ योग मुद्रा से है । इसके अभ्यास के अंतिम चरण में शरीर मेंढक की तरह दिखने लगता है, इसलिए कारण इसका नाम मंडूकासन है। इस के अभ्यास से पेट के अंगों की मालिश और पेट पर अतिरिक्त वसा को करने में मदद मिलती है।

मंडूकासन कैसे करें 

मंडूकासन की विधि बहुत आसान है लेकिन इसके ज़्यादे फायदे लेने के लिए अगर आप नीचे दिए गए तरीके को अपनाते है तो इसका कहना ही क्या ? आपको इसकी विधि बहुत सरल तरीके से बताई जा रही है जिसका अनुसरण करते हुए आप इसको अपने घर में भी आसानी से कर सकते हैं।

मंडूकासन विधि

  • सबसे पहले आप वज्रासन में बैठ जाएं।
  • अब आप मुठ्ठी बांधएं और इसे आपने नाभि के पास लेकर आएं।
  • मुट्ठी को नाभि एवं जांघ के पास ऐसे रखें कि मुट्ठी खड़ी हो और ऊँगलियाँ आपके उदर के तरफ हो।
  • सांस छोड़ते हुए आगे झुकें, छाती को इस प्रकार नीचे लाएं कि वह जांघों पर टिकी रहे।
  • आप इस तरह से आगे झुकें कि नाभि पर ज़्यदा से ज़्यदा दबाब आए।
  • सिर और गर्दन उठाए रखें, दृष्टि सामने रखें।
  • धीरे धीरे सांस लें और धीरे धीरे सांस छोड़े और यथासंभव इस स्थिति को बनाये रखें।
  • फिर सांस लेते हुए अपनी सामान्य अवस्था में आएं और आराम करें।
  • यह एक चक्र हुआ।
  • आप शुरुवाती दौड़ में इसे 3-5 बार कर सकते हैं।

 

मंडूकासन के लाभ

मंडूकासन के बहुत सारे फायदे हैं बस शर्त यह है की आप इसको सही विधि के साथ करें।

  1. मंडूकासन तोंद के लिए: अगर आपको अपना तोंद कम करना हो तो मंडूकासन करनी चाहिए। यह पेट में अच्छा खास दबाब डालता है और इस आसन को ज़्यदा समय तक बनाये रखने से पेट की चर्बी गलने में मदद मिलती है।
  2. मंडूकासन उदर के रोगों के लिए: पेट से संबंधित रोगों के लिए यह अति उत्तम योगाभयास है।
  3. मंडूकासन डायबिटीज रोकने के लिए: इस आसन का सही अभ्यास करने से पैंक्रियास से इन्सुलिन का स्राव में मदद मिलती है जिससे डायबिटीज या मधुमेह को बहुत हद तक रोक जा सकता है।
  4. मंडूकासन कब्ज के लिए: अगर आप कब्ज एवं अपच से छुटकारा चाहते हैं तो मंडूकासन का अभ्यास जरूर करें। इस योगाभ्यास से एंजाइम एवं हॉर्मोन का ठीक तरह से स्राव होने लगता है जो भोजन को पचाने में मदद करता है और कब्ज एवं अपच जैसी परेशानियों से आपको निजात दिलाता है।
  5. मंडूकासन गैस को निकालने के लिए: हमारे पेट में तरह तरह के टॉक्सिन्स एवं जहरीली गैसें होते हैं। इस आसन के अभ्यास से आप अपने उदर से जहरीले गैस को आसानी से निकाल सकते हैं।

 

मंडूकासन की सावधानी

  • मंडूकासन करते समय आपको कुछ चीजों की ख्याल रखनी चाहिए जो निम्नलिखित है।
  • अगर आपको पीठ में दर्द हो तो इस आसन के करने से परहेज करनी चाहिए।
  • हैपेरिसिडिटी वालों को यह आसन नहीं करनी चाहिए।
  • पेट में अगर कोई विकार या ऑपरेशन हुआ हो तो इस आसन को न करें।
  • नाभि की समस्या होने पर भी इस को न करें।