अधोमुख श्वानासन

अधोमुख श्वानासन को भारतीय योग में बड़ा ही अहम स्थान हासिल है। अधोमुख श्वानासन को अष्टांग योग का बेहद महत्वपूर्ण आसन माना जाता है। ये आसन सूर्य नमस्कार के 7 आसनों में से एक है। 

योग की सबसे बड़ी खूबी यही है कि इसके आसन प्रकृति में पाई जाने वाली मुद्राओं और आकृतियों से प्रभावित होते हैं। योग विज्ञान ने अधोमुख श्वानासन को कुत्ते या श्वान से सीखा है। कुत्ते अक्सर इसी मुद्रा में शरीर की थकान मिटाने के लिए स्ट्रेचिंग करते हैं। यकीन जानिए, शरीर में स्ट्रेचिंग के लिए बताए गए सर्वश्रेष्ठ आसनों में से एक है।

अधोमुख श्वान आसन करने की प्रक्रिया 

  1. अपने हाथों और पैरों के बल आ जाएँ। शरीर को एक मेज़ की स्थिति में ले आयें। आपकी पीठ मेज़ की ऊपरी हिस्से की तरह हो और दोनों हाथ और पैर मेज़ के पैर की तरह।
  2. साँस छोड़ते हुए कमर को ऊपर उठाएं। अपने घुटने और कोहनी को मजबूती देते हुए सीधे करते हुए) अपने शरीर से उल्टा v-आकार बनाएं।
  3. हाथ कंधो के जितने दूरी पर हों। पैर कमर के दूरी के बराबर और एक दुसरे के समानांतर हों। पैर की उंगलिया बिल्कुल सामने की तरफ हों।
  4. अपनी हथेलियों को जमीन पर दबाएँ, कंधो के सहारे इसे मजबूती प्रदान करें। गले को तना हुआ रखते हुए कानों को बाहों से स्पर्श कराएं।
  5. लम्बी गहरी श्वास लें,अधोमुख स्वान की अवस्था में बने रहें। अपनी नज़रें नाभि पर बनाये रखें।
  6. श्वास छोड़ते हुए घुटने को मोड़े और वापस मेज़ वालीस्थिति में आ जाएँ। विश्राम करें।

अधोमुख श्वान आसन को आसानी से करने के कुछ नुस्खे 

  1. यह आसन करने से पहले अपने पैर की मांसपेसियो और हाथों को अच्छी तरह से तैयार कर लें।
  2. अधोमुख स्वान आसन करने से पहले धनुरासन या दण्डासन करें।
  3. यह आसन सूर्य नमस्कार के एक अंश के रूप में भी किया जा सकता है।

 

अधोमुख श्वान आसन के लाभ 

  1. यह आसन यह आसन शरीर को ऊर्जा देता है और आपको तारो-ताज़ा करता है।
  2. यह आसन रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है । छाती की मांसपेसियो को मजबूती प्रदान करता है और फेफड़े की क्षमता को बढ़ाता है।
  3. यह पूरे शरीर को शक्ति प्रदान करता है। विशेषकर हाँथ, कंधे और पैरों को।
  4. मांसपेसियो को सुद्रिढ करता है और मस्तिष्क में रक्त संचार बढ़ाता है।
  5. को शांति प्रदान करता है एवं सरदर्द, अनिंद्रा, थकान आदि में भी अत्यंत लाभदायक है।

 

Aasan

  • अधोमुख श्वानासन

    Downward Facing Dog

    अधोमुख श्वान आसन की योग विधि और लाभ

    छोटी उम्र में ही जब बाल टूटने और झड़ने शुरु हो जायें तो सही उपचार से बालों का टूटना, झड़ना रोक चेहरे की रौनक को बरकरार रखा जा सकता है।

    बाल झड़ने के कई कारण हो सकते हैं। जैसे-तनाव, पूर्ण-दिनचर्या, असंतुलित आहार, किसी बिमारी के चलते दवाईयों का प्रभाव, वंशानुगत या फिर अधिक गुस्सा करना भी बाल झड़ने का कारण हो सकता है।

    नियमित योगाभ्यास व संतुलित आहार, गाजर, ऑवला, सेब, मौसमी इत्यादि के सेवन से काफी हद तक बालों का झड़ना रोका जा सकता है।

    अधोमुख श्वानासन बालों को झड़ने से रोकने में सहायक है। आईए, जानते है इसे ठीक ढंग से करने की विधि, सावधानियाँ व अधिक लाभों के बारे में।

    विधि:

    • साफ, समतल ज़मीन पर आसन बिछा वज्रासन में बैठें।

    • श्वास भरते हुए घुटनों के बल सीधे खड़े हो जायें और घुटनों व पैरों को थोड़ा खोल लें।

    • श्वास छोड़ते हुये कमर से आगे की तरफ झुकें व हाथों का ज़मीन पर इस तरह से टिकायें कि शरीर का सारा भार घुटनों व हाथों पर आ जायें।

    • अंगुलियों को खोल हथेली व अंगुलियों को ज़मीन पर अच्छी तरह से जमा लें।

    • पैरों के पंजों को अन्दर की तरफ करें।

    • श्वास छोड़ते हुए घुटनों को ज़मीन से ऊपर उठाते हुए शरीर को मध्य से ऊपर आकाश की तरफ लायें।

    • मेरुदण्ड के अन्तिम छोर को थोड़ा और ऊपर की तरफ करने का प्रयास करें।

    • एड़ियों को पीछे नीचे की तरफ करते हुए ज़मीन पर टिका दें।

    • श्वास सामान्य रखते हुए तीस सैकेण्ड तक रुकें व श्वास भरते हुए वापिस आ जायें।

    • यथा शक्ति क्षमतानुसार 5-6 बार दोहरायें।

    लाभ:

    • फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है।

    • मेरुदण्ड लचीला होता है व नाड़ी संस्थान ठीक से काम करता है।

    • तनाव व अवसाद दूर होता है।

    • मस्तिष्क में रक्त की पूर्ति होती है।

    • थायराइट ग्रन्थी को सक्रिय करता है।

    • बाज़ुओं, टांगो, पैरो समेत पूरे शरीर को ताकतवर बनाता है।

    सावधानियाँ :-

    • आँखों के रोगी, कन्धों से चोटिल व्यक्ति, उच्चरक्तचाप से ग्रसित लोग ये आसन न करें।

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अधोमुख श्वानासन संस्कृत का शब्द है जहां अधो का अर्थ आगे (forward), मुख का अर्थ चेहरा (Face) श्वान का अर्थ कुत्ता (Dog) और आसन का अर्थ मुद्रा(posture) है। इस आसन को अधोमुख श्वानासन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस आसन को करते समय ठीक वैसे ही आकृति (pose) बनायी जाती है जैसे श्वान आगे की ओर झुककर अपने शरीर को खींचते समय बनाता है। अधोमुख श्वानासन सूर्य नमस्कार का एक आवश्यक हिस्सा है और यह पूरे शरीर को मजबूत बनाने के साथ ही मांसपेशियों को लचीला बनाने में मदद करता है। अधोमुख श्वानासन कंधों में अकड़न से छुटकारा दिलाने और रीढ़ की हड्डी (spine) को बढ़ाने और पैरों को सीधा रखने में मदद करता है। यह आसन योग मुद्रा के कई आसनों में एक महत्वपूर्ण आसन माना जाता है इसलिए ज्यादातर लोग इस योग मुद्रा का अभ्यास करते हैं।

अधोमुखश्वानासन योगासन को करने की प्रक्रिया बहुत आसान है और कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसने योगाभ्यास करना शुरू ही किया है, यह आसानी से कर सकता है। यह योगासन अत्यंत लाभदायक है और इसे प्रतिदिन के योगाभ्यास में अवश्य जोड़ना चाहिए।

अधोमुखश्वानासन योग करने का तरीका या विधि

  • अधोमुखश्वानासन योग में सबसे पहले सीधे खड़े हों और दोनों पैरों के बिच छोड़ा दूरी रखें।
  • उसके बाद धीरे से नीचे की ओर मुड़ें जिससे की V जैसे Shape बनेगा।
  • जैसे की ऊपर दिए हुए फोटो में आप देख रहे हैं दोनों हाथों और पैरों के बीच में थोडा सा दूसरी बनायें।
  • साँस लेते समय अपने पैरों की उँगलियों की मदद से अपने कमर को पीछे की ओर खींचें। अपने पैरों और हांथों को ना मोड़ें।
  • ऐसा करने से आपके शरीर के पीछे, हांथों और पैरों को अच्छा खिंचाव मिलेगे।
  • एक लम्बी से साँस लें और कुछ देरी के लिए इस योग पोज़ में रुकें।

अधोमुख श्वान आसन के लाभ

  • यह आसन यह आसन शरीर को ऊर्जा देता है और आपको तारो-ताज़ा करता है।
  • यह आसन रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है । छाती की मांसपेसियो को मजबूती प्रदान करता है और फेफड़े की क्षमता को बढ़ाता है।
  • यह पूरे शरीर को शक्ति प्रदान करता है। विशेषकर हाँथ, कंधे और पैरों को।
  • मांसपेसियो को सुद्रिढ करता है और मस्तिष्क में रक्त संचार बढ़ाता है।
  • को शांति प्रदान करता है एवं सरदर्द, अनिंद्रा, थकान आदि में भी अत्यंत लाभदायक है।

अधोमुखश्वानासन योग के फायदे

  • मांसपेशियों में मजबूती आती है।
  • साइनस की समस्या दूर होती है।
  • शरीर को अच्छा खिचाव मिलता है।
  • रक्त परिसंचरण में सुधार आता है।

अधोमुख श्वान आसन की सावधानियाँ

  • अगर आप उच्च रक्तचाप
  • आँखों की केशिकाएँ कमजोर है कंधे की चोट या दस्त से पीड़ित हैं तो यह आसन न करें

अधोमुख श्वान आसन से पहले किये जाने वाले आसन

  • धनुरासन
  • दण्डासन

अधोमुख श्वान आसन के बाद किये जाने वाले आसन

  • अर्धपिंचा मयुरासन
  • चतुरंग दण्डासन
  • ऊर्ध्व मुख श्वानासन

अधोमुख श्वानासन करने से आपको बैक पेन से राहत मिलेगी। ये आपके शरीर के निचले हिस्से पर जमे फैट के तेजी से बर्न करेगा। एक-दो दिन या एक-दो हफ्ते में परिणाम न मिलने पर निराश न हों। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए इसे आसन को अपने रूटीन में फॉलो करें।

#DownwardDogPose #AdhoMukhaSvanasana #NBT
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आज के योगा में गुडवेज़ फ़िट्नेस की शक्ति से जानें एकपद अधोमुख श्वानासन करने या सही तरीक़ा और फ़ायदे | इस आसन को नियमित रूप से करने से कई फ़ायदे होते हैं , खासकर ये डिप्रेशन से लड़ने में आपकी मदद करेगा क्यूंकि ये आसन दिमाग को शांत रखता है | देखें एकपद अधोमुख श्वानासन करने का तरीक़ा, सावधानियाँ और फ़ायदे ।
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FAQ

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যষ্টি আসন
যোগশাস্ত্রে বর্ণিত একটি আসন বিশেষ। এই আসনে দেহভঙ্গিমা লাঠির মতো হয় বলে এর এরূপ নামকরণ করা হয়েছে।

পদ্ধতি
১. কোন সমতল স্থানে চিত হয়ে শুয়ে পড়েন এই সময় দুই পায়ের পাতা জোড়া থাকবে।
২. এবার দুই হাত দুটো মাথার দুই পাশে নিয়ে যান এবার হাতের তালু চিৎ করে রাখুন এবার দুই হাতের বুড়ো আঙুল দিয়ে পরস্পরকে জড়িয়ে ধরুন।
৩. এবার মেরুদণ্ডকে সোজা করে, পুরো শরীর মাটির সাথে লাগিয়ে রাখুন।
৪. পুরো শরীরকে একটি লম্বা লাঠির মতো কক্পনা করুন এবং পুরো শরীরকে লম্বা করার চেষ্টা করুন।
৫. এবার ৩০ সেকেণ্ড সময় শরীরকে স্থির করে রাখুন এরপর হাত গুঁটিয়ে শরীরের পাশে রাখুন।
৬. এবার শবাসনে বিশ্রাম নিন এইভাবে আরও দুইবার আসনটি করুন।

উপকারিতা
১. শরীরের আলসেমি দূর হয় শরীর ও মন সতেজ করে।
২. অত্যধিক পরিশ্রমের পর শরীরের ক্লান্তি দূর করে।
৩. পেশীর বাত, কোমরের ব্যথা, স্নায়বিক দুর্বলতা দূর হয়।

অধমুখ বীরাসন

অধমুখ বীরাসন
যোগশাস্ত্রে বর্ণিত একটি আসন বিশেষ। মাটির দিকে মুখ রেখে বা মাটির সাথে মুখ রেখে এই আসন করা হয়। তবে এই সময় বীরাসনে অবস্থানকে ধরে রাখা হয় না। এই আসনের সাথে অনেকাংশে মিল রয়েছে অর্ধকূর্মাসনের। এই আসনটিকে অনেকে মুধাসনও বলে থাকেন।

পদ্ধতি
১. প্রথমে হাঁটু মুড়ে সমতল স্থানে বসুন। এবার দুই হাঁটু ও দুই পায়ের পাতা একত্রিত করে নিন। এই অবস্থায় নিতম্ব থাকবে দুই গোড়ালির উপর। এবার দুই হাঁটুর উপর দুই হাত আলতো করে রাখুন।
২. এবার দুই হাত সোজা করে কানের পাশ দিয়ে মাথার উপরের দিকে টেনে তুলুন। দুই হাত মাথার উপর সোজা অবস্থানে আনুন।
৩. এবার একটি লম্বা করে বুকের ভিতর ধীরে ধীরে বাতাস টেনে নিতে থাকুন এবং হাত দুটোকে যতটা সম্ভব উপরের দিকে তুলে ধরার চেষ্টা করুন। এই অবস্থায় কোনক্রমেই যেন হাঁটু ভূমি ছেড়ে উপরের দিকে না উঠে। বুক ভরে পুরো বাতাস নেবার পর, শরীরকে সামনের দিকে বাঁকিয়ে মাটি স্পর্শ করার চেষ্টা করুন। এই অবস্থায় হাতকে ভাঁজ করা যাবে না এবং নিতম্ব পায়ের গোড়ালির উপরে থাকবে। আপনার হাত লম্বালম্বিভাবে মাটিতে স্পর্শ করার সময়, আপনার কপাল ভূমি স্পর্শ করবে। হাতের তালু দুটি মাটির সাথে যুক্ত হবে এবং আঙুলগুলো প্রসারিত অবস্থায় থাকবে।
৪. এরপর চিবুককে ধীরে ধীরে হাঁটুর কাছে টেনে আনতে হবে এবং চিবুক ও হাঁটু পরস্পর যুক্ত অবস্থানে আনতে হবে।
৫. শ্বাস-প্রশ্বাস স্বাভাবিক রেখে এই অবস্থায় ৩০ সেকেণ্ড স্থির থাকুন।
৬. এরপর আসন ত্যাগ করে ৩০ সেকেণ্ড শবাসনে বিশ্রাম নিন। পরে আরও দুইবার আসনটি করুন।

সতর্কতা
উচ্চ রক্তচাপের রোগীদের জন্য এই আসন নিষিদ্ধ।

উপকারিতা
১. মনে প্রশান্তি আনে। এই কারণে হিন্দু যোগীরা এই আসনকে পবিত্র মনে করতেন। ভয়, উৎকণ্ঠা, ক্রোধ উপশমে এই আসন বিশেষ সহায়তা প্রদান করে থাকে।
২. মেরুদণ্ড সবল হয়। পায়ের পেশী ও হাড়ের বাতের উপশম হয়। কাঁধের পেশীর
ব্যাথা দূর হয়।
৩. পরিপাক তন্ত্র সবল হয়। ফলে অজীর্ণ, অম্বল ও পেটের বায়ু দূর হয়। হজম শক্তি
বৃদ্ধির কারণে ক্ষুধা বৃদ্ধি পায়। কোষ্ঠকাঠিন্য, আমাশয় জাতীয় পেটের রোগ থেকে
আরোগ্য লাভ করা যায়।
৪. বহুমুত্র ও হাঁপানি রোগে উপকার পাওয়া যায়।
৫. পেটের ও পাছার চর্বি কমে। একই সাথে উরু সবল হয়।

মাৎস্যেন্দ্রাসন

মাৎস্যেন্দ্রাসন

যোগশাস্ত্রে বর্ণিত আসন বিশেষ।

 

যোগশাস্ত্রে বর্ণিত আসন বিশেষ। এই আসনটি অনেকটা মৎস্যকুমারীর মতো দেখায়। এই আসনটি বেশ কষ্টসাধ্য। তাই ধীরে ধীরে এর চর্চা করে অভ্যস্থ হতে হয়। নিচের তিনটি চিত্রে এর অনুশীলনের রূপ দেখানো হলো। এর অর্ধৃরূপের নাম অর্ধমাৎস্যেন্দ্রাসন, এবং পূর্ণরূপের নাম পূর্ণ-মাৎস্যেন্দ্রাসন।

পদ্ধতি

১. প্রথমে দণ্ডাসনে বসুন।
২. এবার পাশের দুই হাতের উপর ভর করে শরীর সোজা রেখে একটি পা তীর্যকভাবে শরীরের একপাশে শরীরে পাশে সরিয়ে আনুন।
৩. এবার অপর পা ছড়িয়ে দেওয়া পায়ের দিয়ে সাপের মতো করে আঁকড়ে ধরুন।
৪. মাথা এবং বক্ষদেশকে সোজা রেখে কোমর বরাবর যতটা সম্ভব মোচর দিন এবং এইভাবে ৩০ সেকেন্ড থাকুন।
৫. পা দল করে একই আসনটি করুন।

৬. উভয় পায়ের আসন সম্পন্ন হওয়ার পর, আসন ত্যাগ করে, ১ মিনিট শবাসনে বিশ্রাম নিন।
৭. এরপর আরও দুইবার পুরো আসনটি করুন।
  
উপকারিতা
১. মেরুদণ্ডের নমনীয়তা বৃদ্ধি পায়, মেরুদণ্ডের বাত দূর হয়।
২. পা, কোমরের বাত ও ব্যথার উপশম হয়।
৩. পা, পিঠ, কোমরের পেশি মজবুত হয়।
৪. মেয়েদের ঋতুস্রাবের ব্যাথা ও অনিয়ম দূর হয়।
৫. যকৃত, প্লীহার কর্মক্ষমতা বৃদ্ধি পায়।
৬. অজীর্ণ, কোষ্ঠকাঠিন্যের উপশম হয়।

বদ্ধ ভটনাশন

বদ্ধ ভটনাশন

যোগশাস্ত্রে বর্ণিত আসন বিশেষ। এটি ভটনাসন-এর বদ্ধ ও ঘূর্ণন রূপ।  ভটনাসনের বদ্ধরূপ হিসাবে চিহ্নিত হলেও, এই আসন ভটনাসনের ভঙ্গির সাথে বেশ পার্থক্য লক্ষ্য করা যায়। এর মূল পার্থক্য হলো― এই আসনে মাথা পায়ের কাছাকাছি রাখা হয়।

পদ্ধতি
১. প্রথমে দুই হাঁটুর উপর ভর করে সোজা মাটির উপরে দাঁড়ান।
২. এবার ডান পা প্রসারিত করে হাঁটুঁর ভাঁজ খুলে, পাটির উপর পায়ের পদতল রাখুন।
৩. এবার বাম পায়ের পদতলকে ডান উরুর কুচকি বরাবর স্থাপন করুন।
৪. এবার মাথা মাটির দিকে এনে, বাম হাতকে ডান উরুর তল দিয়ে প্রবেশ করিয়ে  উধ্বমূখী করুন। তারপর ডান হাত উপরে দিকে তুলুন। এই সময় বাম হাত দ্বারা ডান হাতের কব্জি চেপে ধরুন।
৫. এবার মাথাকে ডান পায়ের তল বরাবর এনে মাটিতে, মাথার উপরিভাগকে স্থাপন করুন। শ্বাস-প্রশ্বাস স্বাভাবিক রেখে ১০ সেকেণ্ড স্থির হয়ে থাকুন।
১১. এরপর পা ও হাত বদল করে আসনটি আরও ১০ সেকেণ্ড করুন।
১২. এরপর ২০ সেকেণ্ড শবাসনে বিশ্রাম নিন। এইভাবে মোট তিনবার আসনটি করুন। 

সতর্কতা
উচ্চ-রক্তচাপের রোগী ও দুর্বল হৃদপিণ্ডের অধিকারীরা এই আসন করবেন না।

উপকারিতা
১. বুক, পিঠ, কাঁধের ব্যায়াম হয়।
২. হাঁটু ও গোড়ালির বাতজনিত ব্যাথা দূর হয়।
৩. মস্তিষ্কের অবসাদ দূর হয়, মনের একাগ্রতা বৃদ্ধি পায় এবং চিন্তাশক্তি বৃদ্ধি পায়।

સુપ્ત पादांगुष्ठासन

સુપ્ત पादांगुष्ठासन

 

सुप्त पादांगुष्ठासन (સુપ્ત પાદંગુસ્થાસન), संस्कृत भाषा का शब्द है. આ ચાર શબ્દોથી મળીકર બનાવો. પહેલો शब्द सुप्त का अर्थ है लेटा हुआ या Reclined. બીજો શબ્દ છે પાદ, શબ્દોનો અર્થ છે પગ અથવા પગ.

तृतीय शब्द अंगुष्ठ का अर्थ है अंगूठा या बिग टो. આસન, કોઈ વિશેષ સ્થિતિ ઊભી થઈ, લેટને અથવા બેસીને કહ્યું. અંગ્રેજી ભાષામાં તે પોજ અથવા પોઝ કહે છે.

सुप्त पादांगुष्ठासन को अंग्रेजी में Reclined Hand to Big Toe Pose भी कहा जाता है। इस योगासन की रचना का श्रेय महान योग गुरु आचार्य बीकेएस आयंगर (B. K. S. આયંગર) को जाता है।

आचार्य आयंगर ने साल 1966 માં લાઇટ ऑन योग (લાઇટ ઓન યોગ) નામની પ્રખ્યાત પુસ્તક લખી હતી. સુપ્ત પાદગુષ્ઠાસનનું વર્ણન નીચે પ્રમાણે પુસ્તકમાં મેળવે છે.

सुप्त पादांगुष्ठासन, आयंगर योग (આયંગર યોગ) અને હઠ યોગ (હઠ યોગ) ની મિશ્રિત શૈલી वाला, साधारण कठिनाई या बेसिक लेवल का आसन है. इस आसन को एक बार में एक टांग से 30 सेकेंड तक की सलाह दी जाती है. સતતવ તે કરવા માટે બીજી ટૅંગ થી કરવું જોઈએ.

सुप्त पादांगुष्ठासन के अभ्यास से,

લોઅર બેક
પગ અને એંડીઓ
હેમસ્ટ્રિંગ
પેલ્વિક
ક્વોડ્રિસેપ્સ
વગેરે માંસપેશીઓ મજબુત હતા અને હવે ખિંચાવ છે.

 

સુપ્ત पादांगुष्ठासन करने के फायदे

બધા યોગાસનોને શરીર અને મનના કેટલાક ફાયદા મળે છે. ખાસતૌર પર, જો તેઓ સંતોની ગતિ અને શરીર માટે યોગ્ય તાલમેલ સાથે જોડાયા. સુત પાદાંગુષ્ઠાસન સાથે પણ તે જ છે, આ શરીર અને મનને હીલ કરવાથી તેઓ મજબૂત બને છે.

પ્રજનન સિસ્ટમ અથવા રીપ્રોડક્ટિવ​ સિસ્ટમને મજબૂત બનાવે છે. બાળકાશય કો ફિટ અને સાફ-સુથારા છે. અંડવૃદ્ધિ યાહાઈડ્રસીલની સમસ્યા નથી મળતી. ક્વોડ્રિસેપ્સની મસલ્સને મજબૂત બનાવે છે. હેમસ્ટિંગની મસલ્સની ક્ષમતામાં વધારો થાય છે.ટાંગોને ટોન કરવામાં મદદ કરે છે. એથલીટ્સ અને રૅનર્સ સ્ટ્રેચિંગમાં મદદ કરે છે. દોડને કારણે થાકી જવાનું ઓછું થાય છે.સાઇટિકા અને વેરિકોસ વેણને દૂર કરે છે.બ્લડ પ્રેશર, નપુંસકતા અને કબ્જની સમસ્યા દૂર કરે છે.સિક્સ પૅક એબ્સ મદદરૂપ બને છે. છે.हाथों और कंधों को कुओं को स्ट्रेचिंग देता है।कठिन योगासन के लिए टांगों को ही संपादित करते हैं।सुप्तांगुष्ठासन का अध्ययन सुबह के वक्त जाना चाहिए।अगर शाम को आसन कर रहे तो, भोजन 4 થી 6 કલાક પહેલા કરવું जरूरी है।आसन से पहले आपको शौच कर लो और पेट खाली हो। ડાયરિયાની ફરિયાદ પર कभी भी ये आसन नहीं करना चाहिए। જો ગર્દનમાં દર્દની સમસ્યા થાય છે તો આસન તે સમયે ગર્દન ન મોડશે. शुरुआती में सुप्त पादांगुष्ठासन को योग ट्रेनर की देखरेख में भी देखें।સંતુલન બનવા પર તમે પોતે પણ આસન કરી શકો છો।
 

સુત पादांगुष्ठासन में ध्यान देना उचित बात

સુપ્ત पादांगुष्ठासन करने के लिए धीरे-धीरे अध्ययन बढ़ाएं। कभी भी कंधे या घुटनों पर दबाव न दें. આસન થી પહેલા વોર્મઅપ કરો અને કોર મસલ્સ એકટીવ હો.કીસી પણ અસુવિધા અથવા પીડા અનુભવતી વખતે આસનનો અભ્યાસ બંધ કરો.
 

सुप्त पादांगुष्ठासन की विधि

योग मैट पर शवासन (શવાસન) માં લેટ પર જાઓ।धीरे-धीरे टांगों और पंजों को स्ट्रेच करें. ઍડિયન્સ જોરિયે પગોને દબાવો. સાંસ કો છોડીને, દાંડે ઘુટને સીને સુધી પહોંચે છે. દાંતર તળવેની નીચે સ્થાન પર એક સ્ટ્રેપ ફંસા નોંધ. જો શક્ય હોય તો, પગના અંગૂઠાને બે અંગુલીઓથી પકડો. अब दाएं पैर को छत की तरफ सीधा करने की कोशिश करें. હાથ સેટિંગ અને કાંઠે ફર્શ પર દબાણ હું. બાંય પગ માટે દબાણ આપો આગળ કેતરફ ફેલાવો. જાંઘને ઉપરની બાજુએ આવે છે અને હાથ દબાવી શકે છે. દાંડો ટૉંગ કે ખિંચાવ થી ટૉંગ છેલ્લા ઘણા બધા પર વધુ ભારપૂર્વક જણાવો. આસનને મુશ્કેલ બનાવવા માટે ટાંગ કો દાઈં તોફ ઝુકા અથવા મોડ પણ કરી શકો છો. टांग को मोड़ने पर बाएं पैर से 90 डिग्री का कोई बनेगा। બાય નિતંબ આ દરમિયાન સંપૂર્ણ રીતે જમીનના સંપર્કમાં રહેવાની જરૂર છે. 30 સેકંડ પછી સ્ટ્રેપને આગળ કરો અને પગની જમીન પર લે आएं.

 


सुप्त पादांगुष्ठासन (Supta Padangusthasana), संस्कृत भाषा का शब्द है। ये चार शब्दों से मिलकर बना है। पहले शब्द सुप्त का अर्थ है लेटा हुआ या Reclined। दूसरा शब्द है पाद, इसका अर्थ है पैर यानी Legs या Feet। 

तीसरे शब्द अंगुष्ठ का अर्थ है अंगूठा या Big Toe। आसन, किसी विशेष स्थिति में खड़े होने, लेटने या बैठने को कहा जाता है। अंग्रेजी भाषा में इसे पोज या Pose कहा जाता है। 

सुप्त पादांगुष्ठासन को अंग्रेजी में Reclined Hand to Big Toe Pose भी कहा जाता है। इस योगासन की रचना का श्रेय महान योग गुरु आचार्य बीकेएस आयंगर (B. K. S. Iyengar) को जाता है। 

आचार्य आयंगर ने साल 1966 में लाइट ऑन योग (Light on Yoga) नाम की प्रसिद्ध पुस्तक लिखी थी। सुप्त पादांगुष्ठासन का वर्णन सर्वप्रथम इसी पुस्तक में मिलता है। 

सुप्त पादांगुष्ठासन, आयंगर योग (Iyengar Yoga) और हठ योग (Hath Yoga) की मिश्रित शैली वाला, साधारण कठिनाई या बेसिक लेवल का आसन है। इस आसन को एक बार में एक टांग से 30 सेकेंड तक करने की सलाह दी जाती है। दोहराव करते हुए इसे दूसरी टांग से करना चाहिए।

सुप्त पादांगुष्ठासन के अभ्यास से, 

लोअर बैक 
पैर और एड़ियां
हैमस्ट्रिंग
पेल्विक
क्वाड्रिसेप्स 
आदि मांसपेशियां मजबूत होती हैं और उनमें खिंचाव आता है।

 

सुप्त पादांगुष्ठासन करने के फायदे

सभी योगासनों को करने से शरीर और मन को कुछ फायदे मिलते हैं। खासतौर पर, अगर उन्हें सांसों की गति और शरीर के सही तालमेल के साथ किया जाए। सुप्त पादांगुष्ठासन के साथ भी ऐसा ही है, ये शरीर और मन को हील करके उन्हें मजबूत बनाता है।

  • प्रजनन प्रणाली या रीप्रोडक्टिव​ सिस्टम को मजबूत बनाता है।
  • पैरों में रक्त का प्रवाह तेज करता है।
  • शरीर में हार्मोन बैलेंस को बेहतर करता है।
  • मलाशय को हेल्दी बनाए रखने में मदद करता है।
  • बवासीर की समस्या में बहुत राहत देता है। 
  • मूत्राशय को फिट और साफ-सुथरा रखता है। 
  • अंडवृद्धि या हाइड्रोसील की समस्या नहीं होने देता है।
  • शरीर में चेतना का विकास करता है। 
  • क्वाड्रिसेप्स की मसल्स को मजबूत बनाता है। 
  • हैमस्टिंग की मसल्स की क्षमता को बढ़ाता है।
  • टांगों को टोन करने में मदद करता है। 
  • एथलीट्स और रनर्स को स्ट्रेचिंग में मदद करता है। 
  • दौड़ने के बाद होने वाली थकान को कम करता है।
  • साइटिका और वेरिकोस वेन की समस्या को दूर करता है।
  • ब्लड प्रेशर, नपुंसकता और कब्ज की समस्या को दूर करता है।
  • सिक्स पैक एब्स बनाने में मदद करता है।
  • कोर मसल्स को सख्त बनाकर मजबूत करता है।
  • हाथों और कंधों को अच्छी स्ट्रेचिंग देता है।
  • कठिन योगासनों के लिए टांगों को लचीला बनाता है।
  • सुप्त पादांगुष्ठासन का अभ्यास सुबह के वक्त ही किया जाना चाहिए।
  • अगर शाम को आसन कर रहे हैं तो, भोजन 4 से 6 घंटे पहले करना जरूरी है।
  • आसन से पहले आपने शौच कर लिया हो और पेट एकदम खाली हो।
  • हाई ब्लड प्रेशर के मरीज सुप्त पादांगुष्ठासन का अभ्यास न करें। 
  • डायरिया की शिकायत होने पर कभी भी ये आसन नहीं करना चाहिए।
  • घुटनों में समस्या या आर्थराइटिस होने पर सुप्त पादांगुष्ठासन नहीं करना चाहिए। 
  • अगर गर्दन में दर्द की समस्या है तो आसन करते समय गर्दन न मोड़ें। 
  • शुरुआत में सुप्त पादांगुष्ठासन को योग ट्रेनर की देखरेख में ही करें।
  • संतुलन बनने पर आप खुद भी ये आसन कर सकते हैं।
  • सुप्त पादांगुष्ठासन का अभ्यास शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
     

सुप्त पादांगुष्ठासन करने मे ध्यान देने योग्य बात 

  • सुप्त पादांगुष्ठासन करने के लिए धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं।
  • असुविधा होने पर इस आसन का अभ्यास न करें। 
  • कभी भी कंधे या घुटनों पर दबाव न डालें। 
  • आसन से पहले वॉर्मअप करें ताकि कोर मसल्स एक्टिव हो जाएं।
  • किसी भी असुविधा या दर्द महसूस होने पर आसन का अभ्यास बंद कर दें।
  • पहली बार ये आसन कर रहे हैं तो किसी योग गुरु की देखरेख में करें।
     

सुप्त पादांगुष्ठासन करने की विधि

  • योग मैट पर शवासन (Shavasana) में लेट जाएं।
  • धीरे-धीरे टांगों और पंजों को स्ट्रेच करें। 
  • एड़ियों के जरिए पैरों को दबाएं।  
  • सांस को छोड़ते हुए, दाएं घुटने को सीने तक लेकर आएं। 
  • दाएं तलवे की खाली जगह पर एक स्ट्रैप फंसा दें। 
  • यदि संभव हो तो, पैर के अंगूठे को दो अंगुलियों से पकड़ लें। 
  • अब दाएं पैर को छत की तरफ सीधा करने की कोशिश करें। 
  • हाथ सीधे रहेंगे और कंधे फर्श पर दबाव देंगे। 
  • बाएं पैर को दबाव देकर आगे की तरफ फैलाएं। 
  • बाईं जांघ के ऊपरी हिस्से को बाएं हाथ से दबा सकते हैं। 
  • दाएं टांग के खिंचाव से टांग के पिछले हिस्से पर ज्यादा दबाव न डालें। 
  • आसन को कठिन बनाने के लिए टांग को दाईं तरफ झुका या मोड़ भी सकते हैं। 
  • टांग को मोड़ने पर बाएं पैर से 90 डिग्री का कोण बनेगा। 
  • बायां नितंब इस दौरान पूरी तरह से जमीन के संपर्क में रहना चाहिए। 
  • 30 सेकेंड बाद स्ट्रेप को ढीला करें और पैर को जमीन पर ले आएं। 

Aasan

  • সুপ্তপদাঙ্গুষ্ঠাসন

    সুপ্তপদাঙ্গুষ্ঠাসন : যোগশাস্ত্রে বর্ণিত আসন বিশেষ। শায়িত অবস্থায় পদাঙ্গুষ্ঠান করা হয় বলে এর এরূপ নামকরণ করা হয়েছে।

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