सर्वांगासन

सर्वांगासन करने की विधि-

  • सर्वप्रथम सीधे पीठ के बल लेट जायें । 
  • दोनो हाथों को शरीर के बराबर,हथेलियाँ ज़मीन पर ,
  • अब दोनो पैरो को 30 डिग्री पर उठाइए, हाथों को कमर पर रख कर सहारा दीजिए और दोनो पैरो को 90 डिग्री के कोण बनाते हुए सीधा कर लीजिए । 
  • कोहनियाँ फर्श पर लगी रहेंगी ।  
  • ठुड्डी को सीने से सटा लीजिए।
  • कुछ देर इसी स्थिति में (5-10 सेकेंड ) रुकिये। 
  • बहुत धीरे से वापिस आइए ।

 अब आराम के लिए सीधे शवासन मे  आ जाइए।
 

सर्वांगासन करने की सावधानियाँ- 

  • कमर दर्द, गर्दन दर्द ,हृदय रोगी, हाई बीपी  व स्लिप डिस्क के रोगी न करें।

सर्वांगासन करने की लाभ-

  • जैसा की इस आसन का नाम है सर्वांगसन -यह पूरे शरीर अर्थात सभी अंगों को स्वस्थ रखता हैं ।
  • पाचन तंत्र को मजबूत करता है। पैरो की मासपेशयों  में रक्त संचार तेज करता है ।
  • मस्तिष्क व  बालों में भी रक्त संचार तेज करता है ।
  • महिलाओं की मासिक गड़बड़ी को ठीक करता है।

Comments

सर्वांगासन का अर्थ होता है सर्व अंग और आसन जो पूरा मिलकर बनता है सर्वांगासन| यह संस्कृत का शब्द है जिसमें सर्व = पूरा अंग अथार्त सरीर क्र अंग और आसन = बैठने की मुद्रा होता है | इस आसन को करने से सभी अंगों को व्यायाम मिलता है इसीलिए इसे सर्वांगासन कहते हैं। तथा पूरे सरीर को मजबूत करता है | अंग्रेजी भाषा में इस आसन को Shoulder Stand Pose के नाम से जाना जाता है। इसको करने से हमारी कई बीमारियाँ ठीक हो जाती है जैसे मोटापा, सुगर, घुटनों. की बीमारी इत्यादि |

सर्वांगासन की विधि :-
पहली स्थिति – सबसे पहले पीठ के बल सीधा लेट जाएँ। पैर मिले हुए, हाथों को दोनों ओर बगल में सटाकर हथेलियाँ जमीन की ओर करके रखें |

दूसरी स्थिति – अब अपने दोनों पैरों को सांस लेते हुए आराम-आराम से बिना मोड़े उपर की तरफ उठाएं। और साथ ही कमर को भी उपर की तरफ उठाएं।


 
तीसरी स्थिति :- अब अपने दोनों पैरों को 90 डिग्री तक उठायें ये फिर ऊपर लें जाएँ|


 
चौथी स्थिति :- 90 डिग्री तक पैरों को न उठा पाएँ तो 120 डिग्री पर पैर ले जाकर व हाथों को उठाकर कमर के पीछे लगाएँ।

पांचवी स्थिति :- यह योग करते समय मुख उपर आकाश की तरफ होना चाहिए। और कुहनियां जमीन से टिकी हुई हों।

छटवी स्थिति :- 30-40 सेकंड या उससे अधिक के लिए मुद्रा को बनाए रखने के लिए प्रयास करें।

सातवी स्थिति:- वापस पहले जैसे अवस्था मैं आते समय पैरों को सीधा रखते हुए पीछे की ओर थोड़ा झुकाएँ। दोनों हाथों को कमर से हटाकर भूमि पर सीधा कर दें। अब हथेलियों से भूमि को दबाते हुए जिस क्रम से उठे थे उसी क्रम से धीरे-धीरे पहले पीठ और फिर पैरों को भूमि पर सीधा करें। इस तरह से आप 5-7 चक्र करें।

सर्वांगासन करने का समय :-
इसका अभ्यास हर रोज़ करेंगे तो आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। सुबह के समय और शाम के समय खाली पेट इस आसन का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं।सर्वांगासन कम से कम 5 मं तक करना चाहिए| और सुबह-सुबह खाली पेट करें|एक से पांच मिनट तक का एक सेट और कुल ऐसे दो से तीन सेट करें

सर्वांगासन के लाभ ( sarvangasana benefits ):-
1. थायरोइड समस्या से पीड़ित व्यक्ति के लिए :– थायरोइड समस्या से पीड़ित व्यक्ति को लाभ मिलता है और साथ ही आसन थाइरोइड ग्रंथि को गतिशील बनाता है। हाइपोथायराइडिज्म (Hypothyroidism) ऐसी मेडिकल कंडीशन है जिसमें थायराइड ग्रंथि में थायराइड हार्मोन कम मात्रा में बनने लगता है। भारत में करोडों लोग हाइपोथायराइडिज्म से ग्रस्त हैं।

2. पाचन क्रिया में फायदेमंद :- यह आसन पाचन क्रिया को ठीक रखने मैं मदद करता है ।अगर हमारी पाचन क्रिया ठीक है तो पेट संबंधी सभी रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है क्यूंकि हमारी ज्यादातर बीमारियाँ पेट से ही उत्पन्न होती हैं |और हम बीमारियों से बच सकते हैं|

3. शरीर मजबूत बनता है:- इस आसन के अभ्यास से शरीर मजबूत बनता है| हमारे शरीर को विटामिन, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट ही नहीं, थोड़ी मात्रा में ही सही, खनिज तत्वों की भी जरूरत पड़ती है। आयरन यानी लोहा ऐसा ही खनिज है, जिसके बिना शरीर का काम नहीं चलता। और ये सभी चींजें इस आसन में उपलब्ध होती हैं।

4. कब्ज व् एसिडिटी में फायदेमंद :- इस आसन के नियमित अभ्यास से कब्ज व् एसिडिटी से मुक्ति पायी जा सकती है। कब्ज, पाचन तंत्र की उस स्थिति को कहते हैं जिसमें कोई व्यक्ति (या जानवर) का मल बहुत कड़ा हो जाता है तथा मलत्याग में कठिनाई होती है। कब्ज अमाशय की स्वाभाविक परिवर्तन की वह अवस्था है, जिसमें मल निष्कासन की मात्रा कम हो जाती है।

5. उच्च रक्तचाप में फायदेमंद :- उच्च रक्तचाप को के रोगियों के लिए सर्वांगासन बहुत ही उपयोगी हैं।हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप, जिसे कभी कभी धमनी उच्च रक्तचाप भी कहते हैं, एक पुरानी चिकित्सीय स्थिति है जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है।-

6. बौद्धिक क्षमता बढती है:- जिन बच्चों की बुध्धि में विकास नही होता ही उन्हें यह आसन नियमित रूप से करना चाहिए। क्यूंकि ये बौद्धिक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। इंसान की बौद्धिक क्षमता के स्तर पर जीनों का प्रभाव पड़ता है।
7. स्वास्थ्य फिट रहता है:- इस आसन के अभ्यास से पूरा शरीर फिट और active रहता है और व्यक्ति काम से थकता भी नही है। स्वास्थ्य का अर्थ विभिन्न लोगों के लिए अलग-अलग होता है। लेकिन अगर हम एक सार्वभौमिक दृष्टिकोण की बात करें तो अपने आपको स्वस्थ कहने का यह अर्थ होता है कि हम अपने जीवन में आनेवाली सभी सामाजिक, शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियों का प्रबंधन करने में सफलतापूर्वक सक्षम हों।

8. मनोविकार दूर होतें हैं:- इस आसन के अभ्यास से सभी प्रकार के मनोविकार दूर होते हैं। इसलिए इस आसन का अभ्यस प्रतिदिन करना चाहिए। मनोविकार (Mental disorder) किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य की वह स्थिति है जिसे किसी स्वस्थ व्यक्ति से तुलना करने पर ‘सामान्य’ नहीं कहा जाता। स्वस्थ व्यक्तियों की तुलना में मनोरोगों से ग्रस्त व्यक्तियों का व्यवहार असामान्‍य अथवा दुरनुकूली (मैल एडेप्टिव) निर्धारित किया जाता है और जिसमें महत्‍वपूर्ण व्‍यथा अथवा असमर्थता अन्‍तर्ग्रस्‍त होती है। इन्हें मनोरोग, मानसिक रोग, मानसिक बीमारी अथवा मानसिक विकार भी कहते हैं।

9. चेहरे की झुर्रियां में फायदेमंद:- इस आसन के अभ्यास से चेहरे की झुर्रियां खत्म होकर चेहरा तरो ताजा दिखने लगता है झुर्रियां आना मतलब बुढ़ापे की दस्तक। हालांकि झुर्रियां आना बायोलॉजिकल प्रोसेस है लेकिन आजकल त्वचा की सही देखभाल न होने पर समय से पहले ही झुर्रियां नज़र आने लगती हैं। या फिर प्रदूषण, तनाव, गलत खानपान और जीवनशैली की समस्याओं का भी नतीजा हो सकती हैं।

Yogasan for page

సర్వాంగాసనము

सर्वांगासन

సర్వాంగాసనము (సంస్కృతం: सर्वाङ्गसन) యోగాలో ఒక విధమైన ఆసనము. శరీరంలోని అన్ని అంగాలకు ఉపయోగపడే ఆసనం కాబట్టి దీనికి సర్వాంగాసనమని పేరు వచ్చింది.

పద్ధతి

  • మొదట శవాసనం వేయాలి.
  • తరువాత హలాసనంలో వలె కాళ్ళను మెల్లమెల్లగా తలవైపు వంచాలి.
  • నడుమును చక్కగా చేసి రెండు చేతులతో పట్టుకోవాలి.
  • ఆ తరువాత కాళ్ళను మెల్లగా పైకి ఎత్తి నిటారుగా ఉంచాలి. పాదాలు, పిక్కలు, తొడలు, నడుము అన్నీ చక్కగా నిటారుగా ఉండేటట్లు జాగ్రత్త వహించాలి.
  • కళ్ళు మూసుకొని కొద్ది క్షణాలు శ్వాసను మెల్లగా పీల్చి, మెల్లగా వదులుతూ ఉండాలి.
  • మెల్లమెల్లగా కాళ్ళు తలవైపు ఉంచి, నడుమును ముందుగా నేలపై ఆనించిన తర్వాత కాళ్ళు ఆనించాలి.
  • కొద్దిసేపు శవాసనంలో విశ్రాంతి తీసుకోవాలి.

ప్రయోజనం

  • సర్వాంగాసనం మెడలోని అవటు గ్రంధిని ఉత్తేజపరచి రక్తప్రసారం పెంచుతుంది.
  • ఈ ఆసనం మూలవ్యాధి, వరిబీజము వంటి వ్యాధులను నివారిస్తుంది.
  • ఇది జననేంద్రియాల స్వస్థతను పెంచుతుమ్ది. స్త్రీలలో ఋతుచక్రంలోని దోషాలను తొలగిస్తుంది. పురుషులలో నపుంసకత్వాన్ని తొలగిస్తుంది.
  • ఇది ఊపిరితిత్తులకు రక్తప్రసారం సక్రమంగా జరగడం వలన వాటి సామర్థ్యం పెరుగుతుంది.

హెచ్చరిక

అధిక రక్తపోటు, వెన్నెముక సంబంధిత వ్యాధులతో బాధపడేవారు, గుండె జబ్బులు కలవారు సర్వాంగాసనం వేయరాదు.



सर्वांगासन करने की विधि-

  • सर्वप्रथम सीधे पीठ के बल लेट जायें । 
  • दोनो हाथों को शरीर के बराबर,हथेलियाँ ज़मीन पर ,
  • अब दोनो पैरो को 30 डिग्री पर उठाइए, हाथों को कमर पर रख कर सहारा दीजिए और दोनो पैरो को 90 डिग्री के कोण बनाते हुए सीधा कर लीजिए । 
  • कोहनियाँ फर्श पर लगी रहेंगी ।  
  • ठुड्डी को सीने से सटा लीजिए।
  • कुछ देर इसी स्थिति में (5-10 सेकेंड ) रुकिये। 
  • बहुत धीरे से वापिस आइए ।

 अब आराम के लिए सीधे शवासन मे  आ जाइए।
 

सर्वांगासन करने की सावधानियाँ- 

  • कमर दर्द, गर्दन दर्द ,हृदय रोगी, हाई बीपी  व स्लिप डिस्क के रोगी न करें।

सर्वांगासन करने की लाभ-

  • जैसा की इस आसन का नाम है सर्वांगसन -यह पूरे शरीर अर्थात सभी अंगों को स्वस्थ रखता हैं ।
  • पाचन तंत्र को मजबूत करता है। पैरो की मासपेशयों  में रक्त संचार तेज करता है ।
  • मस्तिष्क व  बालों में भी रक्त संचार तेज करता है ।
  • महिलाओं की मासिक गड़बड़ी को ठीक करता है।

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सर्वांगासन का अर्थ होता है सर्व अंग और आसन जो पूरा मिलकर बनता है सर्वांगासन| यह संस्कृत का शब्द है जिसमें सर्व = पूरा अंग अथार्त सरीर क्र अंग और आसन = बैठने की मुद्रा होता है | इस आसन को करने से सभी अंगों को व्यायाम मिलता है इसीलिए इसे सर्वांगासन कहते हैं। तथा पूरे सरीर को मजबूत करता है | अंग्रेजी भाषा में इस आसन को Shoulder Stand Pose के नाम से जाना जाता है। इसको करने से हमारी कई बीमारियाँ ठीक हो जाती है जैसे मोटापा, सुगर, घुटनों. की बीमारी इत्यादि |

सर्वांगासन की विधि :-
पहली स्थिति – सबसे पहले पीठ के बल सीधा लेट जाएँ। पैर मिले हुए, हाथों को दोनों ओर बगल में सटाकर हथेलियाँ जमीन की ओर करके रखें |

दूसरी स्थिति – अब अपने दोनों पैरों को सांस लेते हुए आराम-आराम से बिना मोड़े उपर की तरफ उठाएं। और साथ ही कमर को भी उपर की तरफ उठाएं।


 
तीसरी स्थिति :- अब अपने दोनों पैरों को 90 डिग्री तक उठायें ये फिर ऊपर लें जाएँ|


 
चौथी स्थिति :- 90 डिग्री तक पैरों को न उठा पाएँ तो 120 डिग्री पर पैर ले जाकर व हाथों को उठाकर कमर के पीछे लगाएँ।

पांचवी स्थिति :- यह योग करते समय मुख उपर आकाश की तरफ होना चाहिए। और कुहनियां जमीन से टिकी हुई हों।

छटवी स्थिति :- 30-40 सेकंड या उससे अधिक के लिए मुद्रा को बनाए रखने के लिए प्रयास करें।

सातवी स्थिति:- वापस पहले जैसे अवस्था मैं आते समय पैरों को सीधा रखते हुए पीछे की ओर थोड़ा झुकाएँ। दोनों हाथों को कमर से हटाकर भूमि पर सीधा कर दें। अब हथेलियों से भूमि को दबाते हुए जिस क्रम से उठे थे उसी क्रम से धीरे-धीरे पहले पीठ और फिर पैरों को भूमि पर सीधा करें। इस तरह से आप 5-7 चक्र करें।

सर्वांगासन करने का समय :-
इसका अभ्यास हर रोज़ करेंगे तो आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। सुबह के समय और शाम के समय खाली पेट इस आसन का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं।सर्वांगासन कम से कम 5 मं तक करना चाहिए| और सुबह-सुबह खाली पेट करें|एक से पांच मिनट तक का एक सेट और कुल ऐसे दो से तीन सेट करें

सर्वांगासन के लाभ ( sarvangasana benefits ):-
1. थायरोइड समस्या से पीड़ित व्यक्ति के लिए :– थायरोइड समस्या से पीड़ित व्यक्ति को लाभ मिलता है और साथ ही आसन थाइरोइड ग्रंथि को गतिशील बनाता है। हाइपोथायराइडिज्म (Hypothyroidism) ऐसी मेडिकल कंडीशन है जिसमें थायराइड ग्रंथि में थायराइड हार्मोन कम मात्रा में बनने लगता है। भारत में करोडों लोग हाइपोथायराइडिज्म से ग्रस्त हैं।

2. पाचन क्रिया में फायदेमंद :- यह आसन पाचन क्रिया को ठीक रखने मैं मदद करता है ।अगर हमारी पाचन क्रिया ठीक है तो पेट संबंधी सभी रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है क्यूंकि हमारी ज्यादातर बीमारियाँ पेट से ही उत्पन्न होती हैं |और हम बीमारियों से बच सकते हैं|

3. शरीर मजबूत बनता है:- इस आसन के अभ्यास से शरीर मजबूत बनता है| हमारे शरीर को विटामिन, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट ही नहीं, थोड़ी मात्रा में ही सही, खनिज तत्वों की भी जरूरत पड़ती है। आयरन यानी लोहा ऐसा ही खनिज है, जिसके बिना शरीर का काम नहीं चलता। और ये सभी चींजें इस आसन में उपलब्ध होती हैं।

4. कब्ज व् एसिडिटी में फायदेमंद :- इस आसन के नियमित अभ्यास से कब्ज व् एसिडिटी से मुक्ति पायी जा सकती है। कब्ज, पाचन तंत्र की उस स्थिति को कहते हैं जिसमें कोई व्यक्ति (या जानवर) का मल बहुत कड़ा हो जाता है तथा मलत्याग में कठिनाई होती है। कब्ज अमाशय की स्वाभाविक परिवर्तन की वह अवस्था है, जिसमें मल निष्कासन की मात्रा कम हो जाती है।

5. उच्च रक्तचाप में फायदेमंद :- उच्च रक्तचाप को के रोगियों के लिए सर्वांगासन बहुत ही उपयोगी हैं।हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप, जिसे कभी कभी धमनी उच्च रक्तचाप भी कहते हैं, एक पुरानी चिकित्सीय स्थिति है जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है।-

6. बौद्धिक क्षमता बढती है:- जिन बच्चों की बुध्धि में विकास नही होता ही उन्हें यह आसन नियमित रूप से करना चाहिए। क्यूंकि ये बौद्धिक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। इंसान की बौद्धिक क्षमता के स्तर पर जीनों का प्रभाव पड़ता है।
7. स्वास्थ्य फिट रहता है:- इस आसन के अभ्यास से पूरा शरीर फिट और active रहता है और व्यक्ति काम से थकता भी नही है। स्वास्थ्य का अर्थ विभिन्न लोगों के लिए अलग-अलग होता है। लेकिन अगर हम एक सार्वभौमिक दृष्टिकोण की बात करें तो अपने आपको स्वस्थ कहने का यह अर्थ होता है कि हम अपने जीवन में आनेवाली सभी सामाजिक, शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियों का प्रबंधन करने में सफलतापूर्वक सक्षम हों।

8. मनोविकार दूर होतें हैं:- इस आसन के अभ्यास से सभी प्रकार के मनोविकार दूर होते हैं। इसलिए इस आसन का अभ्यस प्रतिदिन करना चाहिए। मनोविकार (Mental disorder) किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य की वह स्थिति है जिसे किसी स्वस्थ व्यक्ति से तुलना करने पर ‘सामान्य’ नहीं कहा जाता। स्वस्थ व्यक्तियों की तुलना में मनोरोगों से ग्रस्त व्यक्तियों का व्यवहार असामान्‍य अथवा दुरनुकूली (मैल एडेप्टिव) निर्धारित किया जाता है और जिसमें महत्‍वपूर्ण व्‍यथा अथवा असमर्थता अन्‍तर्ग्रस्‍त होती है। इन्हें मनोरोग, मानसिक रोग, मानसिक बीमारी अथवा मानसिक विकार भी कहते हैं।

9. चेहरे की झुर्रियां में फायदेमंद:- इस आसन के अभ्यास से चेहरे की झुर्रियां खत्म होकर चेहरा तरो ताजा दिखने लगता है झुर्रियां आना मतलब बुढ़ापे की दस्तक। हालांकि झुर्रियां आना बायोलॉजिकल प्रोसेस है लेकिन आजकल त्वचा की सही देखभाल न होने पर समय से पहले ही झुर्रियां नज़र आने लगती हैं। या फिर प्रदूषण, तनाव, गलत खानपान और जीवनशैली की समस्याओं का भी नतीजा हो सकती हैं।

सर्वांगासन

सर्वांगासन

सर्वांगासन या आसनात मानेला व शरीराच्या सर्व अंगांना ताण मिळतो.या आसनात पाय वरती करून हाताने कमरेला आधार द्यावा लागतो.


सर्वांगासन पद्धत-

  • सर्वत्र पीठावर जोरदार शोध घ्या.
  • दोनो हात बॉडी के बाराबर, हॅथलिटिस जमीन वर,
  • आता दोनो पॅरोचा 30 डिग्री सेल्सियस वाढ, हातांनी कमी ठेवणे सहारा दिशानिर्देश आणि दोनो पॅरोचा 90 डिग्री तापमान आहे ज्यायोगे त्याने सीधा केले आहे.
  • कोहने फर्श वर आराम राहेंगी.
  • थुड्डी को सेने सटा लीजिये.
  • काही शांत परिस्थितीत (5-10 सेकंद) रुक्.
  • खूप हळूहळू परत येणे आयए.
  • आता आराम करणे शवासन मे आ जाइए.


सर्वांगीणकडे जाणे-

  • कमी वेदना, गर्दन वेदना, ह्रदयरोग, हाय बीपी आणि स्लिप डिस्कचा रोगी करा.

सर्वांगासनचा लाभ-

  • जसे की या आसनचे नाव आहे सॅंगनसन -यह सर्व शारिरीक सर्व अंगांचे स्वस्थ रखरखाव आहेत.
  • पाचन तंत्र मजबूत पॅरोच्या मासपेशर्समध्ये रक्त संचार वेगवान आहे.
  • मस्तिष्क आणि बाल्समध्ये रक्त संचार वेगवान आहे.
  • मत मास्क गार्डबरी ठीक आहे.


सर्वांगासन करने की विधि-

  • सर्वप्रथम सीधे पीठ के बल लेट जायें । 
  • दोनो हाथों को शरीर के बराबर,हथेलियाँ ज़मीन पर ,
  • अब दोनो पैरो को 30 डिग्री पर उठाइए, हाथों को कमर पर रख कर सहारा दीजिए और दोनो पैरो को 90 डिग्री के कोण बनाते हुए सीधा कर लीजिए । 
  • कोहनियाँ फर्श पर लगी रहेंगी ।  
  • ठुड्डी को सीने से सटा लीजिए।
  • कुछ देर इसी स्थिति में (5-10 सेकेंड ) रुकिये। 
  • बहुत धीरे से वापिस आइए ।

 अब आराम के लिए सीधे शवासन मे  आ जाइए।
 

सर्वांगासन करने की सावधानियाँ- 

  • कमर दर्द, गर्दन दर्द ,हृदय रोगी, हाई बीपी  व स्लिप डिस्क के रोगी न करें।

सर्वांगासन करने की लाभ-

  • जैसा की इस आसन का नाम है सर्वांगसन -यह पूरे शरीर अर्थात सभी अंगों को स्वस्थ रखता हैं ।
  • पाचन तंत्र को मजबूत करता है। पैरो की मासपेशयों  में रक्त संचार तेज करता है ।
  • मस्तिष्क व  बालों में भी रक्त संचार तेज करता है ।
  • महिलाओं की मासिक गड़बड़ी को ठीक करता है।

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सर्वांगासन का अर्थ होता है सर्व अंग और आसन जो पूरा मिलकर बनता है सर्वांगासन| यह संस्कृत का शब्द है जिसमें सर्व = पूरा अंग अथार्त सरीर क्र अंग और आसन = बैठने की मुद्रा होता है | इस आसन को करने से सभी अंगों को व्यायाम मिलता है इसीलिए इसे सर्वांगासन कहते हैं। तथा पूरे सरीर को मजबूत करता है | अंग्रेजी भाषा में इस आसन को Shoulder Stand Pose के नाम से जाना जाता है। इसको करने से हमारी कई बीमारियाँ ठीक हो जाती है जैसे मोटापा, सुगर, घुटनों. की बीमारी इत्यादि |

सर्वांगासन की विधि :-
पहली स्थिति – सबसे पहले पीठ के बल सीधा लेट जाएँ। पैर मिले हुए, हाथों को दोनों ओर बगल में सटाकर हथेलियाँ जमीन की ओर करके रखें |

दूसरी स्थिति – अब अपने दोनों पैरों को सांस लेते हुए आराम-आराम से बिना मोड़े उपर की तरफ उठाएं। और साथ ही कमर को भी उपर की तरफ उठाएं।


 
तीसरी स्थिति :- अब अपने दोनों पैरों को 90 डिग्री तक उठायें ये फिर ऊपर लें जाएँ|


 
चौथी स्थिति :- 90 डिग्री तक पैरों को न उठा पाएँ तो 120 डिग्री पर पैर ले जाकर व हाथों को उठाकर कमर के पीछे लगाएँ।

पांचवी स्थिति :- यह योग करते समय मुख उपर आकाश की तरफ होना चाहिए। और कुहनियां जमीन से टिकी हुई हों।

छटवी स्थिति :- 30-40 सेकंड या उससे अधिक के लिए मुद्रा को बनाए रखने के लिए प्रयास करें।

सातवी स्थिति:- वापस पहले जैसे अवस्था मैं आते समय पैरों को सीधा रखते हुए पीछे की ओर थोड़ा झुकाएँ। दोनों हाथों को कमर से हटाकर भूमि पर सीधा कर दें। अब हथेलियों से भूमि को दबाते हुए जिस क्रम से उठे थे उसी क्रम से धीरे-धीरे पहले पीठ और फिर पैरों को भूमि पर सीधा करें। इस तरह से आप 5-7 चक्र करें।

सर्वांगासन करने का समय :-
इसका अभ्यास हर रोज़ करेंगे तो आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। सुबह के समय और शाम के समय खाली पेट इस आसन का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं।सर्वांगासन कम से कम 5 मं तक करना चाहिए| और सुबह-सुबह खाली पेट करें|एक से पांच मिनट तक का एक सेट और कुल ऐसे दो से तीन सेट करें

सर्वांगासन के लाभ ( sarvangasana benefits ):-
1. थायरोइड समस्या से पीड़ित व्यक्ति के लिए :– थायरोइड समस्या से पीड़ित व्यक्ति को लाभ मिलता है और साथ ही आसन थाइरोइड ग्रंथि को गतिशील बनाता है। हाइपोथायराइडिज्म (Hypothyroidism) ऐसी मेडिकल कंडीशन है जिसमें थायराइड ग्रंथि में थायराइड हार्मोन कम मात्रा में बनने लगता है। भारत में करोडों लोग हाइपोथायराइडिज्म से ग्रस्त हैं।

2. पाचन क्रिया में फायदेमंद :- यह आसन पाचन क्रिया को ठीक रखने मैं मदद करता है ।अगर हमारी पाचन क्रिया ठीक है तो पेट संबंधी सभी रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है क्यूंकि हमारी ज्यादातर बीमारियाँ पेट से ही उत्पन्न होती हैं |और हम बीमारियों से बच सकते हैं|

3. शरीर मजबूत बनता है:- इस आसन के अभ्यास से शरीर मजबूत बनता है| हमारे शरीर को विटामिन, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट ही नहीं, थोड़ी मात्रा में ही सही, खनिज तत्वों की भी जरूरत पड़ती है। आयरन यानी लोहा ऐसा ही खनिज है, जिसके बिना शरीर का काम नहीं चलता। और ये सभी चींजें इस आसन में उपलब्ध होती हैं।

4. कब्ज व् एसिडिटी में फायदेमंद :- इस आसन के नियमित अभ्यास से कब्ज व् एसिडिटी से मुक्ति पायी जा सकती है। कब्ज, पाचन तंत्र की उस स्थिति को कहते हैं जिसमें कोई व्यक्ति (या जानवर) का मल बहुत कड़ा हो जाता है तथा मलत्याग में कठिनाई होती है। कब्ज अमाशय की स्वाभाविक परिवर्तन की वह अवस्था है, जिसमें मल निष्कासन की मात्रा कम हो जाती है।

5. उच्च रक्तचाप में फायदेमंद :- उच्च रक्तचाप को के रोगियों के लिए सर्वांगासन बहुत ही उपयोगी हैं।हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप, जिसे कभी कभी धमनी उच्च रक्तचाप भी कहते हैं, एक पुरानी चिकित्सीय स्थिति है जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है।-

6. बौद्धिक क्षमता बढती है:- जिन बच्चों की बुध्धि में विकास नही होता ही उन्हें यह आसन नियमित रूप से करना चाहिए। क्यूंकि ये बौद्धिक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। इंसान की बौद्धिक क्षमता के स्तर पर जीनों का प्रभाव पड़ता है।
7. स्वास्थ्य फिट रहता है:- इस आसन के अभ्यास से पूरा शरीर फिट और active रहता है और व्यक्ति काम से थकता भी नही है। स्वास्थ्य का अर्थ विभिन्न लोगों के लिए अलग-अलग होता है। लेकिन अगर हम एक सार्वभौमिक दृष्टिकोण की बात करें तो अपने आपको स्वस्थ कहने का यह अर्थ होता है कि हम अपने जीवन में आनेवाली सभी सामाजिक, शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियों का प्रबंधन करने में सफलतापूर्वक सक्षम हों।

8. मनोविकार दूर होतें हैं:- इस आसन के अभ्यास से सभी प्रकार के मनोविकार दूर होते हैं। इसलिए इस आसन का अभ्यस प्रतिदिन करना चाहिए। मनोविकार (Mental disorder) किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य की वह स्थिति है जिसे किसी स्वस्थ व्यक्ति से तुलना करने पर ‘सामान्य’ नहीं कहा जाता। स्वस्थ व्यक्तियों की तुलना में मनोरोगों से ग्रस्त व्यक्तियों का व्यवहार असामान्‍य अथवा दुरनुकूली (मैल एडेप्टिव) निर्धारित किया जाता है और जिसमें महत्‍वपूर्ण व्‍यथा अथवा असमर्थता अन्‍तर्ग्रस्‍त होती है। इन्हें मनोरोग, मानसिक रोग, मानसिक बीमारी अथवा मानसिक विकार भी कहते हैं।

9. चेहरे की झुर्रियां में फायदेमंद:- इस आसन के अभ्यास से चेहरे की झुर्रियां खत्म होकर चेहरा तरो ताजा दिखने लगता है झुर्रियां आना मतलब बुढ़ापे की दस्तक। हालांकि झुर्रियां आना बायोलॉजिकल प्रोसेस है लेकिन आजकल त्वचा की सही देखभाल न होने पर समय से पहले ही झुर्रियां नज़र आने लगती हैं। या फिर प्रदूषण, तनाव, गलत खानपान और जीवनशैली की समस्याओं का भी नतीजा हो सकती हैं।

Vela (posición de yoga)

सर्वांगासन

Sarvangasana (en sánscrito, सर्वाङ्गासन, AITS: sarvāṅgāsana) o postura de la vela es una asana invertida del hatha yoga. Es una postura de nivel intermedio por lo que se requieren haber practicado previamente otras asanas de nivel básico.

Existen numerosas posturas de hatha yoga. No todas tienen la misma importancia. Las posturas meditativas sentadas y las inversas (cabeza abajo) son con mucho las más conocidas y eficientes. Los practicantes del hatha yoga recomiendan que si una persona no tiene tiempo para dedicarle, es mejor concentrarse todos los días en el mismo āsana.

 

La vela

Según los que enseñan yoga, la postura llamada “la vela” recoge el 80% de los beneficios de las otras.

Su nombre sánscrito es sarvāngāsana: ‘la postura de todos los miembros’ (sarva: todo, anga: ‘miembro’, āsana: ‘postura’).​

Principales posturas inversas: Sarvangasana, Sirshasana, Kapalasana

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Cómo practicarla

Se trata de una pose vertical, con la cabeza y los codos en el suelo, las manos tomando la espalda a la altura de los riñones y las piernas rectas. Para practicarla, se puede utilizar un tapete flexible pero no demasiado blando.

  • Se parte de una posición acostada sobre la espalda con los brazos extendidos a lo largo del cuerpo y con las palmas hacia abajo
  • De manera suave se flexionan las piernas hasta acercar las rodillas lo más cercano al pecho.
  • Apoyado con los brazos y con las palmas hacia abajo, se levanta también la cadera hasta lograr una posición en la que el cuerpo está apoyado solamente en la cabeza, el cuello, los brazos y hombros.
  • De esta posición se llevan las manos hacia la espalda sin despegar los codos del piso.
  • En este momento son los codos, los hombros, el cuello y cabeza las únicas partes del cuerpo que tienen contacto con el piso, teniendo flexionado el cuello de tal manera que la barbilla está tocando el pecho.
  • A partir de esta posición se empiezan a extender las piernas hasta tenerlas totalmente estiradas hacia arriba. en este momento se tendrá una postura parecida al primer dibujo de la gráfica.
  • Aunque parezca sencillo se requiere de una gran tensión muscular y fortaleza hacer el cuerpo asuma una posición totalmente vertical, de manera que siguiendo la disciplina yoga, para llegar a esta última posición vertical se debe de ejercitar mucho el ejercicio pero sin forzar nunca nuestras capacidades. y avanzar tan lentamente como nuestra capacidad lo permita hasta dominar la posición.

Según los practicantes de la meditación sentada (en posición de loto u otra), la concentración mejora si antes se practica la Vela.

También el consumo de maca peruana, de ginseng rojo o de zumo de noni (tres potentes panaceas vegetales), aumentarán la fuerza del sarva-anga-āsana, conocida por los antiguos como el rey de los āsanas.

Tiempo recomendado de práctica

Es conveniente practicar esta postura de manera progresiva, aumentando la duración cinco minutos cada día. Al terminar, inclinar las piernas hasta el suelo y acostarse en el piso en decúbito dorsal (acostado sobre la espalda). Esperar dos minutos en esta posición con el fin de equilibrar de nuevo la masa sanguínea. A veces se experimenta un hormigueo en los pies, debido al retorno de la circulación normal. Los sadhus (ascetas) que acuden al kumbha mela —reunión de yoguis, en Prayag (India)— pueden mantener esta misma posición durante tres horas o más.

Algunos individuos familiarizados con el sarvāngāsana y en buenas condiciones de salud, la pueden practicar de una sola vez sin problemas durante una hora o una hora y media.

Contraindicaciones

Las contraindicaciones son: personas con la columna vertebral deformada, con hipertensión severa, con envenenamiento de la sangre y con el estómago lleno. Tampoco deben practicarlo las mujeres que estén menstruando.

Efectos

Según sus promotores, practicar al menos media hora cada madrugada produce:

  • una buena circulación de la sangre y la linfa
  • mejor oxigenación de todo el cuerpo
  • mejor digestión y tránsito intestinal
  • un equilibrio hormonal óptimo (debido al ejercicio de la glándula tiroides
  • mejor coordinación del sistema nervioso
  • más flexibilidad vertebral
  • mejor memoria y creatividad (debido al aumento de la circulación en el cerebro)
  • una sensación de alegría
  • longevidad

Algunas personas que sufren de várices, asma o problemas dentales dicen haber encontrado en esta postura alguna mejoría.

Por la mañana, la Vela aumenta la voluntad (śakti, o energía) y por la tarde calma los nervios.



सर्वांगासन करने की विधि-

  • सर्वप्रथम सीधे पीठ के बल लेट जायें । 
  • दोनो हाथों को शरीर के बराबर,हथेलियाँ ज़मीन पर ,
  • अब दोनो पैरो को 30 डिग्री पर उठाइए, हाथों को कमर पर रख कर सहारा दीजिए और दोनो पैरो को 90 डिग्री के कोण बनाते हुए सीधा कर लीजिए । 
  • कोहनियाँ फर्श पर लगी रहेंगी ।  
  • ठुड्डी को सीने से सटा लीजिए।
  • कुछ देर इसी स्थिति में (5-10 सेकेंड ) रुकिये। 
  • बहुत धीरे से वापिस आइए ।

 अब आराम के लिए सीधे शवासन मे  आ जाइए।
 

सर्वांगासन करने की सावधानियाँ- 

  • कमर दर्द, गर्दन दर्द ,हृदय रोगी, हाई बीपी  व स्लिप डिस्क के रोगी न करें।

सर्वांगासन करने की लाभ-

  • जैसा की इस आसन का नाम है सर्वांगसन -यह पूरे शरीर अर्थात सभी अंगों को स्वस्थ रखता हैं ।
  • पाचन तंत्र को मजबूत करता है। पैरो की मासपेशयों  में रक्त संचार तेज करता है ।
  • मस्तिष्क व  बालों में भी रक्त संचार तेज करता है ।
  • महिलाओं की मासिक गड़बड़ी को ठीक करता है।

Comments

सर्वांगासन का अर्थ होता है सर्व अंग और आसन जो पूरा मिलकर बनता है सर्वांगासन| यह संस्कृत का शब्द है जिसमें सर्व = पूरा अंग अथार्त सरीर क्र अंग और आसन = बैठने की मुद्रा होता है | इस आसन को करने से सभी अंगों को व्यायाम मिलता है इसीलिए इसे सर्वांगासन कहते हैं। तथा पूरे सरीर को मजबूत करता है | अंग्रेजी भाषा में इस आसन को Shoulder Stand Pose के नाम से जाना जाता है। इसको करने से हमारी कई बीमारियाँ ठीक हो जाती है जैसे मोटापा, सुगर, घुटनों. की बीमारी इत्यादि |

सर्वांगासन की विधि :-
पहली स्थिति – सबसे पहले पीठ के बल सीधा लेट जाएँ। पैर मिले हुए, हाथों को दोनों ओर बगल में सटाकर हथेलियाँ जमीन की ओर करके रखें |

दूसरी स्थिति – अब अपने दोनों पैरों को सांस लेते हुए आराम-आराम से बिना मोड़े उपर की तरफ उठाएं। और साथ ही कमर को भी उपर की तरफ उठाएं।


 
तीसरी स्थिति :- अब अपने दोनों पैरों को 90 डिग्री तक उठायें ये फिर ऊपर लें जाएँ|


 
चौथी स्थिति :- 90 डिग्री तक पैरों को न उठा पाएँ तो 120 डिग्री पर पैर ले जाकर व हाथों को उठाकर कमर के पीछे लगाएँ।

पांचवी स्थिति :- यह योग करते समय मुख उपर आकाश की तरफ होना चाहिए। और कुहनियां जमीन से टिकी हुई हों।

छटवी स्थिति :- 30-40 सेकंड या उससे अधिक के लिए मुद्रा को बनाए रखने के लिए प्रयास करें।

सातवी स्थिति:- वापस पहले जैसे अवस्था मैं आते समय पैरों को सीधा रखते हुए पीछे की ओर थोड़ा झुकाएँ। दोनों हाथों को कमर से हटाकर भूमि पर सीधा कर दें। अब हथेलियों से भूमि को दबाते हुए जिस क्रम से उठे थे उसी क्रम से धीरे-धीरे पहले पीठ और फिर पैरों को भूमि पर सीधा करें। इस तरह से आप 5-7 चक्र करें।

सर्वांगासन करने का समय :-
इसका अभ्यास हर रोज़ करेंगे तो आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। सुबह के समय और शाम के समय खाली पेट इस आसन का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं।सर्वांगासन कम से कम 5 मं तक करना चाहिए| और सुबह-सुबह खाली पेट करें|एक से पांच मिनट तक का एक सेट और कुल ऐसे दो से तीन सेट करें

सर्वांगासन के लाभ ( sarvangasana benefits ):-
1. थायरोइड समस्या से पीड़ित व्यक्ति के लिए :– थायरोइड समस्या से पीड़ित व्यक्ति को लाभ मिलता है और साथ ही आसन थाइरोइड ग्रंथि को गतिशील बनाता है। हाइपोथायराइडिज्म (Hypothyroidism) ऐसी मेडिकल कंडीशन है जिसमें थायराइड ग्रंथि में थायराइड हार्मोन कम मात्रा में बनने लगता है। भारत में करोडों लोग हाइपोथायराइडिज्म से ग्रस्त हैं।

2. पाचन क्रिया में फायदेमंद :- यह आसन पाचन क्रिया को ठीक रखने मैं मदद करता है ।अगर हमारी पाचन क्रिया ठीक है तो पेट संबंधी सभी रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है क्यूंकि हमारी ज्यादातर बीमारियाँ पेट से ही उत्पन्न होती हैं |और हम बीमारियों से बच सकते हैं|

3. शरीर मजबूत बनता है:- इस आसन के अभ्यास से शरीर मजबूत बनता है| हमारे शरीर को विटामिन, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट ही नहीं, थोड़ी मात्रा में ही सही, खनिज तत्वों की भी जरूरत पड़ती है। आयरन यानी लोहा ऐसा ही खनिज है, जिसके बिना शरीर का काम नहीं चलता। और ये सभी चींजें इस आसन में उपलब्ध होती हैं।

4. कब्ज व् एसिडिटी में फायदेमंद :- इस आसन के नियमित अभ्यास से कब्ज व् एसिडिटी से मुक्ति पायी जा सकती है। कब्ज, पाचन तंत्र की उस स्थिति को कहते हैं जिसमें कोई व्यक्ति (या जानवर) का मल बहुत कड़ा हो जाता है तथा मलत्याग में कठिनाई होती है। कब्ज अमाशय की स्वाभाविक परिवर्तन की वह अवस्था है, जिसमें मल निष्कासन की मात्रा कम हो जाती है।

5. उच्च रक्तचाप में फायदेमंद :- उच्च रक्तचाप को के रोगियों के लिए सर्वांगासन बहुत ही उपयोगी हैं।हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप, जिसे कभी कभी धमनी उच्च रक्तचाप भी कहते हैं, एक पुरानी चिकित्सीय स्थिति है जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है।-

6. बौद्धिक क्षमता बढती है:- जिन बच्चों की बुध्धि में विकास नही होता ही उन्हें यह आसन नियमित रूप से करना चाहिए। क्यूंकि ये बौद्धिक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। इंसान की बौद्धिक क्षमता के स्तर पर जीनों का प्रभाव पड़ता है।
7. स्वास्थ्य फिट रहता है:- इस आसन के अभ्यास से पूरा शरीर फिट और active रहता है और व्यक्ति काम से थकता भी नही है। स्वास्थ्य का अर्थ विभिन्न लोगों के लिए अलग-अलग होता है। लेकिन अगर हम एक सार्वभौमिक दृष्टिकोण की बात करें तो अपने आपको स्वस्थ कहने का यह अर्थ होता है कि हम अपने जीवन में आनेवाली सभी सामाजिक, शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियों का प्रबंधन करने में सफलतापूर्वक सक्षम हों।

8. मनोविकार दूर होतें हैं:- इस आसन के अभ्यास से सभी प्रकार के मनोविकार दूर होते हैं। इसलिए इस आसन का अभ्यस प्रतिदिन करना चाहिए। मनोविकार (Mental disorder) किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य की वह स्थिति है जिसे किसी स्वस्थ व्यक्ति से तुलना करने पर ‘सामान्य’ नहीं कहा जाता। स्वस्थ व्यक्तियों की तुलना में मनोरोगों से ग्रस्त व्यक्तियों का व्यवहार असामान्‍य अथवा दुरनुकूली (मैल एडेप्टिव) निर्धारित किया जाता है और जिसमें महत्‍वपूर्ण व्‍यथा अथवा असमर्थता अन्‍तर्ग्रस्‍त होती है। इन्हें मनोरोग, मानसिक रोग, मानसिक बीमारी अथवा मानसिक विकार भी कहते हैं।

9. चेहरे की झुर्रियां में फायदेमंद:- इस आसन के अभ्यास से चेहरे की झुर्रियां खत्म होकर चेहरा तरो ताजा दिखने लगता है झुर्रियां आना मतलब बुढ़ापे की दस्तक। हालांकि झुर्रियां आना बायोलॉजिकल प्रोसेस है लेकिन आजकल त्वचा की सही देखभाल न होने पर समय से पहले ही झुर्रियां नज़र आने लगती हैं। या फिर प्रदूषण, तनाव, गलत खानपान और जीवनशैली की समस्याओं का भी नतीजा हो सकती हैं।

सर्वाङ्गासनम्

सर्वांगासन

अस्य आसनस्य रोगनिवारणशक्तिः प्रसिद्धा एव । हृदयस्य ऊर्ध्वभागस्थाः रक्तनाडयः अस्य आसनस्य परिशीलनवेलायां अधोमुखस्थाः भवन्ति इत्यतः मस्तिष्के रक्तस्य शेखरणं जायते । हृदयं प्रति रक्तप्रसारणं कुर्वतां रक्तसञ्चयिनीनां विश्रान्तिः लभ्यते इत्यतः पादयोः दृश्यमान रक्तधमनीस्थूलता नश्यति । गले वर्तमानानां स्नायूनां बलं लभ्यते । सजलांशकाङ्गारकस्य परिणामनियन्त्रणद्वारा दुर्मेदसः नाशः भवति । एवं शरीरस्य घनत्वमपि लघुः भवति ।

 



सर्वांगासन करने की विधि-

  • सर्वप्रथम सीधे पीठ के बल लेट जायें । 
  • दोनो हाथों को शरीर के बराबर,हथेलियाँ ज़मीन पर ,
  • अब दोनो पैरो को 30 डिग्री पर उठाइए, हाथों को कमर पर रख कर सहारा दीजिए और दोनो पैरो को 90 डिग्री के कोण बनाते हुए सीधा कर लीजिए । 
  • कोहनियाँ फर्श पर लगी रहेंगी ।  
  • ठुड्डी को सीने से सटा लीजिए।
  • कुछ देर इसी स्थिति में (5-10 सेकेंड ) रुकिये। 
  • बहुत धीरे से वापिस आइए ।

 अब आराम के लिए सीधे शवासन मे  आ जाइए।
 

सर्वांगासन करने की सावधानियाँ- 

  • कमर दर्द, गर्दन दर्द ,हृदय रोगी, हाई बीपी  व स्लिप डिस्क के रोगी न करें।

सर्वांगासन करने की लाभ-

  • जैसा की इस आसन का नाम है सर्वांगसन -यह पूरे शरीर अर्थात सभी अंगों को स्वस्थ रखता हैं ।
  • पाचन तंत्र को मजबूत करता है। पैरो की मासपेशयों  में रक्त संचार तेज करता है ।
  • मस्तिष्क व  बालों में भी रक्त संचार तेज करता है ।
  • महिलाओं की मासिक गड़बड़ी को ठीक करता है।

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सर्वांगासन का अर्थ होता है सर्व अंग और आसन जो पूरा मिलकर बनता है सर्वांगासन| यह संस्कृत का शब्द है जिसमें सर्व = पूरा अंग अथार्त सरीर क्र अंग और आसन = बैठने की मुद्रा होता है | इस आसन को करने से सभी अंगों को व्यायाम मिलता है इसीलिए इसे सर्वांगासन कहते हैं। तथा पूरे सरीर को मजबूत करता है | अंग्रेजी भाषा में इस आसन को Shoulder Stand Pose के नाम से जाना जाता है। इसको करने से हमारी कई बीमारियाँ ठीक हो जाती है जैसे मोटापा, सुगर, घुटनों. की बीमारी इत्यादि |

सर्वांगासन की विधि :-
पहली स्थिति – सबसे पहले पीठ के बल सीधा लेट जाएँ। पैर मिले हुए, हाथों को दोनों ओर बगल में सटाकर हथेलियाँ जमीन की ओर करके रखें |

दूसरी स्थिति – अब अपने दोनों पैरों को सांस लेते हुए आराम-आराम से बिना मोड़े उपर की तरफ उठाएं। और साथ ही कमर को भी उपर की तरफ उठाएं।


 
तीसरी स्थिति :- अब अपने दोनों पैरों को 90 डिग्री तक उठायें ये फिर ऊपर लें जाएँ|


 
चौथी स्थिति :- 90 डिग्री तक पैरों को न उठा पाएँ तो 120 डिग्री पर पैर ले जाकर व हाथों को उठाकर कमर के पीछे लगाएँ।

पांचवी स्थिति :- यह योग करते समय मुख उपर आकाश की तरफ होना चाहिए। और कुहनियां जमीन से टिकी हुई हों।

छटवी स्थिति :- 30-40 सेकंड या उससे अधिक के लिए मुद्रा को बनाए रखने के लिए प्रयास करें।

सातवी स्थिति:- वापस पहले जैसे अवस्था मैं आते समय पैरों को सीधा रखते हुए पीछे की ओर थोड़ा झुकाएँ। दोनों हाथों को कमर से हटाकर भूमि पर सीधा कर दें। अब हथेलियों से भूमि को दबाते हुए जिस क्रम से उठे थे उसी क्रम से धीरे-धीरे पहले पीठ और फिर पैरों को भूमि पर सीधा करें। इस तरह से आप 5-7 चक्र करें।

सर्वांगासन करने का समय :-
इसका अभ्यास हर रोज़ करेंगे तो आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। सुबह के समय और शाम के समय खाली पेट इस आसन का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं।सर्वांगासन कम से कम 5 मं तक करना चाहिए| और सुबह-सुबह खाली पेट करें|एक से पांच मिनट तक का एक सेट और कुल ऐसे दो से तीन सेट करें

सर्वांगासन के लाभ ( sarvangasana benefits ):-
1. थायरोइड समस्या से पीड़ित व्यक्ति के लिए :– थायरोइड समस्या से पीड़ित व्यक्ति को लाभ मिलता है और साथ ही आसन थाइरोइड ग्रंथि को गतिशील बनाता है। हाइपोथायराइडिज्म (Hypothyroidism) ऐसी मेडिकल कंडीशन है जिसमें थायराइड ग्रंथि में थायराइड हार्मोन कम मात्रा में बनने लगता है। भारत में करोडों लोग हाइपोथायराइडिज्म से ग्रस्त हैं।

2. पाचन क्रिया में फायदेमंद :- यह आसन पाचन क्रिया को ठीक रखने मैं मदद करता है ।अगर हमारी पाचन क्रिया ठीक है तो पेट संबंधी सभी रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है क्यूंकि हमारी ज्यादातर बीमारियाँ पेट से ही उत्पन्न होती हैं |और हम बीमारियों से बच सकते हैं|

3. शरीर मजबूत बनता है:- इस आसन के अभ्यास से शरीर मजबूत बनता है| हमारे शरीर को विटामिन, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट ही नहीं, थोड़ी मात्रा में ही सही, खनिज तत्वों की भी जरूरत पड़ती है। आयरन यानी लोहा ऐसा ही खनिज है, जिसके बिना शरीर का काम नहीं चलता। और ये सभी चींजें इस आसन में उपलब्ध होती हैं।

4. कब्ज व् एसिडिटी में फायदेमंद :- इस आसन के नियमित अभ्यास से कब्ज व् एसिडिटी से मुक्ति पायी जा सकती है। कब्ज, पाचन तंत्र की उस स्थिति को कहते हैं जिसमें कोई व्यक्ति (या जानवर) का मल बहुत कड़ा हो जाता है तथा मलत्याग में कठिनाई होती है। कब्ज अमाशय की स्वाभाविक परिवर्तन की वह अवस्था है, जिसमें मल निष्कासन की मात्रा कम हो जाती है।

5. उच्च रक्तचाप में फायदेमंद :- उच्च रक्तचाप को के रोगियों के लिए सर्वांगासन बहुत ही उपयोगी हैं।हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप, जिसे कभी कभी धमनी उच्च रक्तचाप भी कहते हैं, एक पुरानी चिकित्सीय स्थिति है जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है।-

6. बौद्धिक क्षमता बढती है:- जिन बच्चों की बुध्धि में विकास नही होता ही उन्हें यह आसन नियमित रूप से करना चाहिए। क्यूंकि ये बौद्धिक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। इंसान की बौद्धिक क्षमता के स्तर पर जीनों का प्रभाव पड़ता है।
7. स्वास्थ्य फिट रहता है:- इस आसन के अभ्यास से पूरा शरीर फिट और active रहता है और व्यक्ति काम से थकता भी नही है। स्वास्थ्य का अर्थ विभिन्न लोगों के लिए अलग-अलग होता है। लेकिन अगर हम एक सार्वभौमिक दृष्टिकोण की बात करें तो अपने आपको स्वस्थ कहने का यह अर्थ होता है कि हम अपने जीवन में आनेवाली सभी सामाजिक, शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियों का प्रबंधन करने में सफलतापूर्वक सक्षम हों।

8. मनोविकार दूर होतें हैं:- इस आसन के अभ्यास से सभी प्रकार के मनोविकार दूर होते हैं। इसलिए इस आसन का अभ्यस प्रतिदिन करना चाहिए। मनोविकार (Mental disorder) किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य की वह स्थिति है जिसे किसी स्वस्थ व्यक्ति से तुलना करने पर ‘सामान्य’ नहीं कहा जाता। स्वस्थ व्यक्तियों की तुलना में मनोरोगों से ग्रस्त व्यक्तियों का व्यवहार असामान्‍य अथवा दुरनुकूली (मैल एडेप्टिव) निर्धारित किया जाता है और जिसमें महत्‍वपूर्ण व्‍यथा अथवा असमर्थता अन्‍तर्ग्रस्‍त होती है। इन्हें मनोरोग, मानसिक रोग, मानसिक बीमारी अथवा मानसिक विकार भी कहते हैं।

9. चेहरे की झुर्रियां में फायदेमंद:- इस आसन के अभ्यास से चेहरे की झुर्रियां खत्म होकर चेहरा तरो ताजा दिखने लगता है झुर्रियां आना मतलब बुढ़ापे की दस्तक। हालांकि झुर्रियां आना बायोलॉजिकल प्रोसेस है लेकिन आजकल त्वचा की सही देखभाल न होने पर समय से पहले ही झुर्रियां नज़र आने लगती हैं। या फिर प्रदूषण, तनाव, गलत खानपान और जीवनशैली की समस्याओं का भी नतीजा हो सकती हैं।

സർവാംഗാസനം

सर्वांगासन

വിക്കിപീഡിയ, ഒരു സ്വതന്ത്ര വിജ്ഞാനകോശം.

ഇംഗ്ലീഷിൽ Shoulder Stand Pose എന്നു പറയുന്നു.

  • മലർന്നു കിടക്കുക. കാലുകൾ ചേത്തുവയ്ക്കുക. കൈകൾ രണ്ടും ശരീരത്തിന്റെ ഇരുവശങ്ങളിലായി നിലത്ത് പതിച്ചു വയ്ക്കുക.
  • ശ്വാസം എടുത്തുകൊണ്ട് കാലുകളും അരക്കെട്ടും മുകളിലേക്ക് ഉയർത്തുക.
  • കൈകൾകൊണ്ട് അരക്കെട്ടിനു താങ്ങുകൊടുക്കുക.
  • കാലുകൾ കൂടുതൽ ഉയർത്തുക. കൈകൾ കുറേശ്ശെ ഇറക്കികൊണ്ടുവന്ന് നെഞ്ചിനു പുറകിലായി താങ്ങു കൊടുക്കുക.
  • ഇപ്പോൾ തോളിലായിരിക്കും നിൽക്കുന്നത്. താടി നെഞ്ചോടു മുട്ടിയിരിക്കും.
  • സാധാരണ ശ്വാസമായിരിക്കണം.
  • പറ്റാവുന്നത്ര സമയം നിൽക്കുകക.
  • പറ്റാതാവുമ്പോൾ ശ്വാസം വിട്ടുകൊണ്ട് കൈകൾ അരക്കെട്ടിന്റെ ഭാഗത്തേക്ക് മാറ്റുക.
  • പതുക്കെ കൈകൾ തറയിൽ വയ്ക്കുക. കാലുകൾ തറയിൽ വയ്ക്കുക.
  • ശവാസനത്തിൽ വിശ്രമിക്കുക.
കുറിപ്പ്: കാലുകൾ ഉയര്ത്തു മ്പോൾ തല ഉയരാതെ ശ്രദ്ധിക്കണം. സർവാംഗാസനത്തിനു ശേഷം മത്സ്യാസനം ചെയ്യണം.

ഗുണം

ശരീരത്തിനു മുഴുവനായുള്ള ആസനമാണ്.

തൈറോയ്ഡ് ഗ്രന്ഥിയെ പുഷ്ഠിപ്പെടുത്തുന്നു.

ഓർമ്മ ശക്തി കൂട്ടുന്നു.

ഏകാഗ്രത കൂട്ടുന്നു.

സ്ത്രീകളിലെ ഗർഭാശയ രോഗങ്ങൾ മാറും.

 



सर्वांगासन करने की विधि-

  • सर्वप्रथम सीधे पीठ के बल लेट जायें । 
  • दोनो हाथों को शरीर के बराबर,हथेलियाँ ज़मीन पर ,
  • अब दोनो पैरो को 30 डिग्री पर उठाइए, हाथों को कमर पर रख कर सहारा दीजिए और दोनो पैरो को 90 डिग्री के कोण बनाते हुए सीधा कर लीजिए । 
  • कोहनियाँ फर्श पर लगी रहेंगी ।  
  • ठुड्डी को सीने से सटा लीजिए।
  • कुछ देर इसी स्थिति में (5-10 सेकेंड ) रुकिये। 
  • बहुत धीरे से वापिस आइए ।

 अब आराम के लिए सीधे शवासन मे  आ जाइए।
 

सर्वांगासन करने की सावधानियाँ- 

  • कमर दर्द, गर्दन दर्द ,हृदय रोगी, हाई बीपी  व स्लिप डिस्क के रोगी न करें।

सर्वांगासन करने की लाभ-

  • जैसा की इस आसन का नाम है सर्वांगसन -यह पूरे शरीर अर्थात सभी अंगों को स्वस्थ रखता हैं ।
  • पाचन तंत्र को मजबूत करता है। पैरो की मासपेशयों  में रक्त संचार तेज करता है ।
  • मस्तिष्क व  बालों में भी रक्त संचार तेज करता है ।
  • महिलाओं की मासिक गड़बड़ी को ठीक करता है।

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सर्वांगासन का अर्थ होता है सर्व अंग और आसन जो पूरा मिलकर बनता है सर्वांगासन| यह संस्कृत का शब्द है जिसमें सर्व = पूरा अंग अथार्त सरीर क्र अंग और आसन = बैठने की मुद्रा होता है | इस आसन को करने से सभी अंगों को व्यायाम मिलता है इसीलिए इसे सर्वांगासन कहते हैं। तथा पूरे सरीर को मजबूत करता है | अंग्रेजी भाषा में इस आसन को Shoulder Stand Pose के नाम से जाना जाता है। इसको करने से हमारी कई बीमारियाँ ठीक हो जाती है जैसे मोटापा, सुगर, घुटनों. की बीमारी इत्यादि |

सर्वांगासन की विधि :-
पहली स्थिति – सबसे पहले पीठ के बल सीधा लेट जाएँ। पैर मिले हुए, हाथों को दोनों ओर बगल में सटाकर हथेलियाँ जमीन की ओर करके रखें |

दूसरी स्थिति – अब अपने दोनों पैरों को सांस लेते हुए आराम-आराम से बिना मोड़े उपर की तरफ उठाएं। और साथ ही कमर को भी उपर की तरफ उठाएं।


 
तीसरी स्थिति :- अब अपने दोनों पैरों को 90 डिग्री तक उठायें ये फिर ऊपर लें जाएँ|


 
चौथी स्थिति :- 90 डिग्री तक पैरों को न उठा पाएँ तो 120 डिग्री पर पैर ले जाकर व हाथों को उठाकर कमर के पीछे लगाएँ।

पांचवी स्थिति :- यह योग करते समय मुख उपर आकाश की तरफ होना चाहिए। और कुहनियां जमीन से टिकी हुई हों।

छटवी स्थिति :- 30-40 सेकंड या उससे अधिक के लिए मुद्रा को बनाए रखने के लिए प्रयास करें।

सातवी स्थिति:- वापस पहले जैसे अवस्था मैं आते समय पैरों को सीधा रखते हुए पीछे की ओर थोड़ा झुकाएँ। दोनों हाथों को कमर से हटाकर भूमि पर सीधा कर दें। अब हथेलियों से भूमि को दबाते हुए जिस क्रम से उठे थे उसी क्रम से धीरे-धीरे पहले पीठ और फिर पैरों को भूमि पर सीधा करें। इस तरह से आप 5-7 चक्र करें।

सर्वांगासन करने का समय :-
इसका अभ्यास हर रोज़ करेंगे तो आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। सुबह के समय और शाम के समय खाली पेट इस आसन का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं।सर्वांगासन कम से कम 5 मं तक करना चाहिए| और सुबह-सुबह खाली पेट करें|एक से पांच मिनट तक का एक सेट और कुल ऐसे दो से तीन सेट करें

सर्वांगासन के लाभ ( sarvangasana benefits ):-
1. थायरोइड समस्या से पीड़ित व्यक्ति के लिए :– थायरोइड समस्या से पीड़ित व्यक्ति को लाभ मिलता है और साथ ही आसन थाइरोइड ग्रंथि को गतिशील बनाता है। हाइपोथायराइडिज्म (Hypothyroidism) ऐसी मेडिकल कंडीशन है जिसमें थायराइड ग्रंथि में थायराइड हार्मोन कम मात्रा में बनने लगता है। भारत में करोडों लोग हाइपोथायराइडिज्म से ग्रस्त हैं।

2. पाचन क्रिया में फायदेमंद :- यह आसन पाचन क्रिया को ठीक रखने मैं मदद करता है ।अगर हमारी पाचन क्रिया ठीक है तो पेट संबंधी सभी रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है क्यूंकि हमारी ज्यादातर बीमारियाँ पेट से ही उत्पन्न होती हैं |और हम बीमारियों से बच सकते हैं|

3. शरीर मजबूत बनता है:- इस आसन के अभ्यास से शरीर मजबूत बनता है| हमारे शरीर को विटामिन, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट ही नहीं, थोड़ी मात्रा में ही सही, खनिज तत्वों की भी जरूरत पड़ती है। आयरन यानी लोहा ऐसा ही खनिज है, जिसके बिना शरीर का काम नहीं चलता। और ये सभी चींजें इस आसन में उपलब्ध होती हैं।

4. कब्ज व् एसिडिटी में फायदेमंद :- इस आसन के नियमित अभ्यास से कब्ज व् एसिडिटी से मुक्ति पायी जा सकती है। कब्ज, पाचन तंत्र की उस स्थिति को कहते हैं जिसमें कोई व्यक्ति (या जानवर) का मल बहुत कड़ा हो जाता है तथा मलत्याग में कठिनाई होती है। कब्ज अमाशय की स्वाभाविक परिवर्तन की वह अवस्था है, जिसमें मल निष्कासन की मात्रा कम हो जाती है।

5. उच्च रक्तचाप में फायदेमंद :- उच्च रक्तचाप को के रोगियों के लिए सर्वांगासन बहुत ही उपयोगी हैं।हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप, जिसे कभी कभी धमनी उच्च रक्तचाप भी कहते हैं, एक पुरानी चिकित्सीय स्थिति है जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है।-

6. बौद्धिक क्षमता बढती है:- जिन बच्चों की बुध्धि में विकास नही होता ही उन्हें यह आसन नियमित रूप से करना चाहिए। क्यूंकि ये बौद्धिक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। इंसान की बौद्धिक क्षमता के स्तर पर जीनों का प्रभाव पड़ता है।
7. स्वास्थ्य फिट रहता है:- इस आसन के अभ्यास से पूरा शरीर फिट और active रहता है और व्यक्ति काम से थकता भी नही है। स्वास्थ्य का अर्थ विभिन्न लोगों के लिए अलग-अलग होता है। लेकिन अगर हम एक सार्वभौमिक दृष्टिकोण की बात करें तो अपने आपको स्वस्थ कहने का यह अर्थ होता है कि हम अपने जीवन में आनेवाली सभी सामाजिक, शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियों का प्रबंधन करने में सफलतापूर्वक सक्षम हों।

8. मनोविकार दूर होतें हैं:- इस आसन के अभ्यास से सभी प्रकार के मनोविकार दूर होते हैं। इसलिए इस आसन का अभ्यस प्रतिदिन करना चाहिए। मनोविकार (Mental disorder) किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य की वह स्थिति है जिसे किसी स्वस्थ व्यक्ति से तुलना करने पर ‘सामान्य’ नहीं कहा जाता। स्वस्थ व्यक्तियों की तुलना में मनोरोगों से ग्रस्त व्यक्तियों का व्यवहार असामान्‍य अथवा दुरनुकूली (मैल एडेप्टिव) निर्धारित किया जाता है और जिसमें महत्‍वपूर्ण व्‍यथा अथवा असमर्थता अन्‍तर्ग्रस्‍त होती है। इन्हें मनोरोग, मानसिक रोग, मानसिक बीमारी अथवा मानसिक विकार भी कहते हैं।

9. चेहरे की झुर्रियां में फायदेमंद:- इस आसन के अभ्यास से चेहरे की झुर्रियां खत्म होकर चेहरा तरो ताजा दिखने लगता है झुर्रियां आना मतलब बुढ़ापे की दस्तक। हालांकि झुर्रियां आना बायोलॉजिकल प्रोसेस है लेकिन आजकल त्वचा की सही देखभाल न होने पर समय से पहले ही झुर्रियां नज़र आने लगती हैं। या फिर प्रदूषण, तनाव, गलत खानपान और जीवनशैली की समस्याओं का भी नतीजा हो सकती हैं।