સ્વસ્તિકાસન

स्वस्तिक का अर्थ होता है  शुभ। यह ध्यान के लिए एक उम्दा आसन है। इसके बहुत सारे शारीरक एवं मानसिक परेशानियों से आपको बचाता है।  यह तन एवं मन में संतुलन बनाने में बड़ी भूमिका निभाता है। स्वस्तिकासन का महत्त्व इस बात से समझा जा सकता है कि योगग्रंथ जैसे हठयोग प्रदीपिका,घेरण्ड सहिंता में बैठकर किये जाने वाले आसनो का अगर जिक्र किया जाये तो सबसे पहले स्वस्तिकासन का ही नाम आता है।  भगवान आदिनाथ ने जिन चार आसनो को सबसे महत्त्वपूर्ण बताया है उनमे  से एक स्वस्तिकासन भी है।

स्वस्तिकासन विधि 

  1. स्वस्तिकासन करना बहुत आसान है। इसके सरल तरीके का विपरण नीचे दिया जा रहा है।
  2.  सबसे पहले पांव आगे फैलाकर जमीन पर बैठ जाएं।
  3. अब आप बाएं पैर को भीतरी दाईं जांघ पर टिकाएं और दाएं पांव को भीतरी बाईं जांघ पर टिकाएं।
  4. रीढ़  की हड्डी को सीधा रखें।
  5. अगर ज्ञानमुद्रा में बैठते हैं तो और भी अच्छी बात है।
  6. ध्यान रहे आपके घुटने जमीन से स्पंर्श  करे।
  7. आपका का संपूर्ण शरीर, कमर तथा पीठ एक सीध में होनी चाहिए।
     

 
स्वस्तिकासन के लाभ

  1. यह आसन आपके जीवन को आनंदमय बनाता है।
  2. यह आसन ध्यान के लिए एक अतिउत्तम योगाभ्यास है।
  3. इसके अभ्यास से तनाव एवं चिंता में बहुत सकारत्मक प्रभाव पड़ता है।
  4. अगर आपको बहुत पसीना आता है तो इस आसन के करने से बहुत लाभ मिलेगा।
  5. जिनके पांव सर्दियों में बहुत ठंडे रहता है उसके लिए यह योगाभ्यास लाभकारी है
  6. यह वायुरोग को दूर करता है।
  7. जब पसीने से पैरों में बदबू आती हो तो इसका अभ्यास प्रतिदिन करें।
  8. अगर आपको मानसिक एकाग्रता बढ़ानी हो तो इस योग का अभ्यास जरूर करें।
  9. लिंग तथा योनि के रोगों को दूर करने में सहायक है।
  10. अगर इसको सही तरीके से किया जाए तो कमर दर्द कम करने में भी सफलता मिलती है।
  11. इसके अभ्यास से सोचने एवम समझने की शक्ति बढ़ जाती है।
  12. इसके करने से शरीर की सभी व्याधियाँ विनष्ट हो जाती है शरीर को स्थिर करने में सहायक है।
     

स्वस्तिकासन के सावधानी

  1. साइटिका से पीड़ित व्यक्ति को इस आसन का अभ्यास नहीं करनी चाहिए।
  2. रीढ़ से सम्बंधित परेशानी होने पर इस आसन का अभ्यास न करें|
  3. यह आसन उनको नहीं करनी चाहिए जिनके घुटने में दर्द हो।
     

Aasan

  • स्वस्तिकासन

    स्वस्तिक का अर्थ होता है  शुभ। यह ध्यान के लिए एक उम्दा आसन है। इसके बहुत सारे शारीरक एवं मानसिक परेशानियों से आपको बचाता है।  यह तन एवं मन में संतुलन बनाने में बड़ी भूमिका निभाता है। स्वस्तिकासन का महत्त्व इस बात से समझा जा सकता है कि योगग्रंथ जैसे हठयोग प्रदीपिका,घेरण्ड सहिंता में बैठकर किये जाने वाले आसनो का अगर जिक्र किया जाये तो सबसे पहले स्वस्तिकासन का ही नाम आता है।  भगवान आदिनाथ ने जिन चार आसनो को सबसे महत्त्वपूर्ण बताया है उनमे  से एक स्वस्तिकासन भी है।

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સ્વસ્તિકાસન

સ્વસ્તિકાસન

સ્વસ્તિકનો અર્થ શુભ છે. આ ધ્યાન માટે એક ઉમદા આસન છે. बहुत सारे शारीक एवं मानसिक परेशानियों से आपको बचाता है. તે તન અને મનમાં સંતુલન બનાવવા માટે ખૂબ જ ભૂમિકા નિભાતા છે. स्वस्तિકાસન જેમ સૌથી વધુ કિંમતની આ વાતથી સમજાવી શકાય છે કે યોગગ્રંથ હઠયોગ પ્રદીપિકા, घेरण्ड सिंता में बैठकर किये जाने वाले आसो का अगर जिक्र किया तो पहले स्वस्तिकासन का ही नाम है. ભગવાન आदि ને જીન ચાર આસનો સર્વોત્તમ નાથ છે ઉનામે થી એક સ્વસ્તિકાસન પણ છે.

સ્વસ્થિકાસન વિધી

स्वस्तिकासन करना ખૂબ જ સરળ છે. તેની સરળ પદ્ધતિ કા વિપરણ નીચે આપી રહી છે. સૌથી પહેલા પાંવ આગળ ફેલાકર જમીન પર બેસી જાઓ.અબ તમે બાં પગ કોની અંદર દાઈં જાંઘ પર ટિકાઓ અને દાંવ કોની અંદર જાંઘ પર ટિકાઓ. आप का संपूर्ण शरीर, कमर तथा पीठ एक सीध में होनी चाहिए.
 


સ્વસ્થિકાસનનો લાભ

यह आसन आपके जीवन को आनंदमय है। આ આસન ધ્યાન માટે એક अतिउत्तम योगभ्यास है।इसके अध्ययन से तनाव और चिंता में बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।अगर आपको बहुत पसीना है अब तो इस आसन के लिए बहुत लाभदायक है। આરામ કરવા માટે તે ખૂબ જ સ્થિર છે તેના માટે તે યોગાસનો લાભકારી છે અને વાયુરોગ દૂર કરે છે. આ રોગને દૂર કરવા માટે સહાયક છે.અગર આની સાચી રીતથી તે પણ કમર પીડામાં સફળતા મેળવે છે. તેને સ્થિર કરવામાં સહાયક છે.
 

સ્વસ્થિકાસન કે સાવચેતી

साइटिका से पीड़ित व्यक्ति को इस आसन का अध्ययन नहीं करना चाहिए। रीढ़ से सम्बंधित परेशानी होगी इस आसन का अध्ययन न करें | यह आसन उसकी नहीं करना चाहिए जिनके घुटने में दर्द हो।

 

 

 


स्वस्तिक का अर्थ होता है  शुभ। यह ध्यान के लिए एक उम्दा आसन है। इसके बहुत सारे शारीरक एवं मानसिक परेशानियों से आपको बचाता है।  यह तन एवं मन में संतुलन बनाने में बड़ी भूमिका निभाता है। स्वस्तिकासन का महत्त्व इस बात से समझा जा सकता है कि योगग्रंथ जैसे हठयोग प्रदीपिका,घेरण्ड सहिंता में बैठकर किये जाने वाले आसनो का अगर जिक्र किया जाये तो सबसे पहले स्वस्तिकासन का ही नाम आता है।  भगवान आदिनाथ ने जिन चार आसनो को सबसे महत्त्वपूर्ण बताया है उनमे  से एक स्वस्तिकासन भी है।

स्वस्तिकासन विधि 

  1. स्वस्तिकासन करना बहुत आसान है। इसके सरल तरीके का विपरण नीचे दिया जा रहा है।
  2.  सबसे पहले पांव आगे फैलाकर जमीन पर बैठ जाएं।
  3. अब आप बाएं पैर को भीतरी दाईं जांघ पर टिकाएं और दाएं पांव को भीतरी बाईं जांघ पर टिकाएं।
  4. रीढ़  की हड्डी को सीधा रखें।
  5. अगर ज्ञानमुद्रा में बैठते हैं तो और भी अच्छी बात है।
  6. ध्यान रहे आपके घुटने जमीन से स्पंर्श  करे।
  7. आपका का संपूर्ण शरीर, कमर तथा पीठ एक सीध में होनी चाहिए।
     

 
स्वस्तिकासन के लाभ

  1. यह आसन आपके जीवन को आनंदमय बनाता है।
  2. यह आसन ध्यान के लिए एक अतिउत्तम योगाभ्यास है।
  3. इसके अभ्यास से तनाव एवं चिंता में बहुत सकारत्मक प्रभाव पड़ता है।
  4. अगर आपको बहुत पसीना आता है तो इस आसन के करने से बहुत लाभ मिलेगा।
  5. जिनके पांव सर्दियों में बहुत ठंडे रहता है उसके लिए यह योगाभ्यास लाभकारी है
  6. यह वायुरोग को दूर करता है।
  7. जब पसीने से पैरों में बदबू आती हो तो इसका अभ्यास प्रतिदिन करें।
  8. अगर आपको मानसिक एकाग्रता बढ़ानी हो तो इस योग का अभ्यास जरूर करें।
  9. लिंग तथा योनि के रोगों को दूर करने में सहायक है।
  10. अगर इसको सही तरीके से किया जाए तो कमर दर्द कम करने में भी सफलता मिलती है।
  11. इसके अभ्यास से सोचने एवम समझने की शक्ति बढ़ जाती है।
  12. इसके करने से शरीर की सभी व्याधियाँ विनष्ट हो जाती है शरीर को स्थिर करने में सहायक है।
     

स्वस्तिकासन के सावधानी

  1. साइटिका से पीड़ित व्यक्ति को इस आसन का अभ्यास नहीं करनी चाहिए।
  2. रीढ़ से सम्बंधित परेशानी होने पर इस आसन का अभ्यास न करें|
  3. यह आसन उनको नहीं करनी चाहिए जिनके घुटने में दर्द हो।
     

Aasan

  • स्वस्तिकासन

    स्वस्तिक का अर्थ होता है  शुभ। यह ध्यान के लिए एक उम्दा आसन है। इसके बहुत सारे शारीरक एवं मानसिक परेशानियों से आपको बचाता है।  यह तन एवं मन में संतुलन बनाने में बड़ी भूमिका निभाता है। स्वस्तिकासन का महत्त्व इस बात से समझा जा सकता है कि योगग्रंथ जैसे हठयोग प्रदीपिका,घेरण्ड सहिंता में बैठकर किये जाने वाले आसनो का अगर जिक्र किया जाये तो सबसे पहले स्वस्तिकासन का ही नाम आता है।  भगवान आदिनाथ ने जिन चार आसनो को सबसे महत्त्वपूर्ण बताया है उनमे  से एक स्वस्तिकासन भी है।

સ્વસ્તિકાસન

स्वस्तिक का अर्थ होता है  शुभ। यह ध्यान के लिए एक उम्दा आसन है। इसके बहुत सारे शारीरक एवं मानसिक परेशानियों से आपको बचाता है।  यह तन एवं मन में संतुलन बनाने में बड़ी भूमिका निभाता है। स्वस्तिकासन का महत्त्व इस बात से समझा जा सकता है कि योगग्रंथ जैसे हठयोग प्रदीपिका,घेरण्ड सहिंता में बैठकर किये जाने वाले आसनो का अगर जिक्र किया जाये तो सबसे पहले स्वस्तिकासन का ही नाम आता है।  भगवान आदिनाथ ने जिन चार आसनो को सबसे महत्त्वपूर्ण बताया है उनमे  से एक स्वस्तिकासन भी है।

स्वस्तिकासन विधि 

  1. स्वस्तिकासन करना बहुत आसान है। इसके सरल तरीके का विपरण नीचे दिया जा रहा है।
  2.  सबसे पहले पांव आगे फैलाकर जमीन पर बैठ जाएं।
  3. अब आप बाएं पैर को भीतरी दाईं जांघ पर टिकाएं और दाएं पांव को भीतरी बाईं जांघ पर टिकाएं।
  4. रीढ़  की हड्डी को सीधा रखें।
  5. अगर ज्ञानमुद्रा में बैठते हैं तो और भी अच्छी बात है।
  6. ध्यान रहे आपके घुटने जमीन से स्पंर्श  करे।
  7. आपका का संपूर्ण शरीर, कमर तथा पीठ एक सीध में होनी चाहिए।
     

 
स्वस्तिकासन के लाभ

  1. यह आसन आपके जीवन को आनंदमय बनाता है।
  2. यह आसन ध्यान के लिए एक अतिउत्तम योगाभ्यास है।
  3. इसके अभ्यास से तनाव एवं चिंता में बहुत सकारत्मक प्रभाव पड़ता है।
  4. अगर आपको बहुत पसीना आता है तो इस आसन के करने से बहुत लाभ मिलेगा।
  5. जिनके पांव सर्दियों में बहुत ठंडे रहता है उसके लिए यह योगाभ्यास लाभकारी है
  6. यह वायुरोग को दूर करता है।
  7. जब पसीने से पैरों में बदबू आती हो तो इसका अभ्यास प्रतिदिन करें।
  8. अगर आपको मानसिक एकाग्रता बढ़ानी हो तो इस योग का अभ्यास जरूर करें।
  9. लिंग तथा योनि के रोगों को दूर करने में सहायक है।
  10. अगर इसको सही तरीके से किया जाए तो कमर दर्द कम करने में भी सफलता मिलती है।
  11. इसके अभ्यास से सोचने एवम समझने की शक्ति बढ़ जाती है।
  12. इसके करने से शरीर की सभी व्याधियाँ विनष्ट हो जाती है शरीर को स्थिर करने में सहायक है।
     

स्वस्तिकासन के सावधानी

  1. साइटिका से पीड़ित व्यक्ति को इस आसन का अभ्यास नहीं करनी चाहिए।
  2. रीढ़ से सम्बंधित परेशानी होने पर इस आसन का अभ्यास न करें|
  3. यह आसन उनको नहीं करनी चाहिए जिनके घुटने में दर्द हो।
     

Aasan

  • स्वस्तिकासन

    स्वस्तिक का अर्थ होता है  शुभ। यह ध्यान के लिए एक उम्दा आसन है। इसके बहुत सारे शारीरक एवं मानसिक परेशानियों से आपको बचाता है।  यह तन एवं मन में संतुलन बनाने में बड़ी भूमिका निभाता है। स्वस्तिकासन का महत्त्व इस बात से समझा जा सकता है कि योगग्रंथ जैसे हठयोग प्रदीपिका,घेरण्ड सहिंता में बैठकर किये जाने वाले आसनो का अगर जिक्र किया जाये तो सबसे पहले स्वस्तिकासन का ही नाम आता है।  भगवान आदिनाथ ने जिन चार आसनो को सबसे महत्त्वपूर्ण बताया है उनमे  से एक स्वस्तिकासन भी है।

സ്വസ്തികാസനം

સ્વસ્તિકાસન

സുഖാസനം പഠിച്ചു കഴിഞ്ഞാല്‍ സ്വസ്തികാസനം പഠിക്കാം.
കാലുകള്‍ നീട്ടി നട്ടെല്ല് നിവര്‍ത്തി ഇരിക്കുക.
വലതുകാല്‍ മടക്കി , പാദം ഇടത്തേ തുടയോടു ചേര്‍ത്ത് പതിച്ചു വയ്ക്കുക.
കാല്‍ വെള്ള തുടയുടെയും കാല്‍ വണ്ണയുടേയും ഇടയിലായിരിക്കും ഇരിക്കുക.
ഇടതുകാല്‍ മടക്കി പാദം വലത്തേ തുടയില്‍ ഇതേപോലെ ചേര്‍ത്തു വയ്ക്കുക.
രണ്‍ടു കാലുകളുടേയും വിരലുകള്‍ കാല്‍ വണ്ണയുടെയും തുടയുടെയും ഇടയിലായതു കൊണ്ട് അവ പുറമെ കാണില്ല.
കാല്‍ മുട്ടുകള്‍ നിലത്തു മുട്ടിയിരിക്കണം.
നട്ടെല്ലു നിവര്‍ന്നിരിക്കണം. നട്ടെല്ലും, കഴുത്തും, തലയും നേര്‍ രേഖയില്‍ വരണം.
കൈകള്‍ നീട്ടി കാല്‍ മുട്ടഉകളില്‍ കമിഴ്ത്തി വയ്ക്കാം; അല്ലെങ്കില്‍ ഏതെങ്കിലും ധ്യാന മുദ്ര സ്വീകരിക്കാം.
കണ്ണുകള്‍ അട്ച്ച് ശ്വാസോച്ഛ്വാസത്തില്‍ ശ്രദ്ധ കേന്ദ്രീകരിക്കുകരണ്‍റ്റു മിനിറ്റ് അങ്ങനെ തന്നെ ഇരിക്കുക.

ഗുണങ്ങള്‍
ധ്യാനത്തിനും മനശ്ശാന്തിക്കും പറ്റിയ ആസനം
മനശ്ശാന്തിക്കും പറ്റിയ ആസനംപ്രാണായാമത്തിന്‌ പറ്റിയ ആസനം.
നട്ടെല്ലിനും, ഇടുപ്പുകള്‍ക്കും നല്ല വ്യായാമം ലഭിക്കുന്നു.
 


स्वस्तिक का अर्थ होता है  शुभ। यह ध्यान के लिए एक उम्दा आसन है। इसके बहुत सारे शारीरक एवं मानसिक परेशानियों से आपको बचाता है।  यह तन एवं मन में संतुलन बनाने में बड़ी भूमिका निभाता है। स्वस्तिकासन का महत्त्व इस बात से समझा जा सकता है कि योगग्रंथ जैसे हठयोग प्रदीपिका,घेरण्ड सहिंता में बैठकर किये जाने वाले आसनो का अगर जिक्र किया जाये तो सबसे पहले स्वस्तिकासन का ही नाम आता है।  भगवान आदिनाथ ने जिन चार आसनो को सबसे महत्त्वपूर्ण बताया है उनमे  से एक स्वस्तिकासन भी है।

स्वस्तिकासन विधि 

  1. स्वस्तिकासन करना बहुत आसान है। इसके सरल तरीके का विपरण नीचे दिया जा रहा है।
  2.  सबसे पहले पांव आगे फैलाकर जमीन पर बैठ जाएं।
  3. अब आप बाएं पैर को भीतरी दाईं जांघ पर टिकाएं और दाएं पांव को भीतरी बाईं जांघ पर टिकाएं।
  4. रीढ़  की हड्डी को सीधा रखें।
  5. अगर ज्ञानमुद्रा में बैठते हैं तो और भी अच्छी बात है।
  6. ध्यान रहे आपके घुटने जमीन से स्पंर्श  करे।
  7. आपका का संपूर्ण शरीर, कमर तथा पीठ एक सीध में होनी चाहिए।
     

 
स्वस्तिकासन के लाभ

  1. यह आसन आपके जीवन को आनंदमय बनाता है।
  2. यह आसन ध्यान के लिए एक अतिउत्तम योगाभ्यास है।
  3. इसके अभ्यास से तनाव एवं चिंता में बहुत सकारत्मक प्रभाव पड़ता है।
  4. अगर आपको बहुत पसीना आता है तो इस आसन के करने से बहुत लाभ मिलेगा।
  5. जिनके पांव सर्दियों में बहुत ठंडे रहता है उसके लिए यह योगाभ्यास लाभकारी है
  6. यह वायुरोग को दूर करता है।
  7. जब पसीने से पैरों में बदबू आती हो तो इसका अभ्यास प्रतिदिन करें।
  8. अगर आपको मानसिक एकाग्रता बढ़ानी हो तो इस योग का अभ्यास जरूर करें।
  9. लिंग तथा योनि के रोगों को दूर करने में सहायक है।
  10. अगर इसको सही तरीके से किया जाए तो कमर दर्द कम करने में भी सफलता मिलती है।
  11. इसके अभ्यास से सोचने एवम समझने की शक्ति बढ़ जाती है।
  12. इसके करने से शरीर की सभी व्याधियाँ विनष्ट हो जाती है शरीर को स्थिर करने में सहायक है।
     

स्वस्तिकासन के सावधानी

  1. साइटिका से पीड़ित व्यक्ति को इस आसन का अभ्यास नहीं करनी चाहिए।
  2. रीढ़ से सम्बंधित परेशानी होने पर इस आसन का अभ्यास न करें|
  3. यह आसन उनको नहीं करनी चाहिए जिनके घुटने में दर्द हो।
     

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স্বস্তিকাসন

સ્વસ્તિકાસન

স্বস্তিকাসন : যোগশাস্ত্রে বর্ণিত এক প্রকার এক প্রকার আসন। পদ্মাসনের একটি প্রকরণ। 

পদ্ধতি

  • ১. প্রথমে দুই পা লম্বা করে সামনের দিকে ছড়িয়ে দিয়ে কোন সমতল স্থানে বসুন।
  • ২. এবার ডান পা টেনে এনে বাম পায়ের উপর এমনভাবে স্থাপন করুন, যেনো ডান পায়ের পাতা বাম উরুর কুচকি বরাবর স্থাপিত হয়। এবার বাম পা ভাঁজ করে ডান উরুর উপরে তুলে আনুন।
  • ৩. এবার মেরুদণ্ড সোজা করে দুটো হাত সোজা করে উভয় হাঁটুর পাশে রাখুন। পায়ের পাতা আলগা করে দিন। একই সাথে হাতের আঙুলগুলো কোনো হস্তমুদ্রা তৈরি করুন।
  • ৪. শ্বাস-প্রশ্বাস স্বাভাবিক রেখে এইভাবে ৩০ সেকেণ্ড স্থির থাকুন। তারপর পা বদল করে আসনটি আবার করুন। এরপর আসনটি শেষ করে ১ মিনিট শবাসনে বিশ্রাম নিন।
  • ৫. প্রাথমিক পর্যায়ে এই আসনে থাকাটা কষ্টকর মনে হলে সময়সীমা কমিয়ে দিতে পারেন। আবার অভ্যস্থ হয়ে গেলে, আসন সময় ৬০ সেকেণ্ড পর্যন্ত বৃদ্ধি করতে পারেন।

উপকারিতা

  • ১. হাটু, কোমরে বাত থাকলে নিরাময় হয়।
  • ২. পায়ের ও মেরুদণ্ডের আড়ষ্টতা দূর হয়।
  • ৩. স্মৃতি শক্তি ও মনের একাগ্রতা বৃদ্ধি পায়।
  • ৪. অনিদ্রাজনিত অসুবিধা থেকে মুক্তি পাওয়া যায়।

 


स्वस्तिक का अर्थ होता है  शुभ। यह ध्यान के लिए एक उम्दा आसन है। इसके बहुत सारे शारीरक एवं मानसिक परेशानियों से आपको बचाता है।  यह तन एवं मन में संतुलन बनाने में बड़ी भूमिका निभाता है। स्वस्तिकासन का महत्त्व इस बात से समझा जा सकता है कि योगग्रंथ जैसे हठयोग प्रदीपिका,घेरण्ड सहिंता में बैठकर किये जाने वाले आसनो का अगर जिक्र किया जाये तो सबसे पहले स्वस्तिकासन का ही नाम आता है।  भगवान आदिनाथ ने जिन चार आसनो को सबसे महत्त्वपूर्ण बताया है उनमे  से एक स्वस्तिकासन भी है।

Aasan

  • স্বস্তিকাসন

    স্বস্তিকাসন : যোগশাস্ত্রে বর্ণিত এক প্রকার এক প্রকার আসন। পদ্মাসনের একটি প্রকরণ।