স্বস্তিকাসন
স্বস্তিকাসন : যোগশাস্ত্রে বর্ণিত এক প্রকার এক প্রকার আসন। পদ্মাসনের একটি প্রকরণ।
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স্বস্তিকাসন : যোগশাস্ত্রে বর্ণিত এক প্রকার এক প্রকার আসন। পদ্মাসনের একটি প্রকরণ।
સ્વસ્તિકનો અર્થ શુભ છે. આ ધ્યાન માટે એક ઉમદા આસન છે. बहुत सारे शारीक एवं मानसिक परेशानियों से आपको बचाता है. તે તન અને મનમાં સંતુલન બનાવવા માટે ખૂબ જ ભૂમિકા નિભાતા છે. स्वस्तિકાસન જેમ સૌથી વધુ કિંમતની આ વાતથી સમજાવી શકાય છે કે યોગગ્રંથ હઠયોગ પ્રદીપિકા, घेरण्ड सिंता में बैठकर किये जाने वाले आसो का अगर जिक्र किया तो पहले स्वस्तिकासन का ही नाम है. ભગવાન आदि ને જીન ચાર આસનો સર્વોત્તમ નાથ છે ઉનામે થી એક સ્વસ્તિકાસન પણ છે.
સ્વસ્થિકાસન વિધી
स्वस्तिक का अर्थ होता है शुभ। यह ध्यान के लिए एक उम्दा आसन है। इसके बहुत सारे शारीरक एवं मानसिक परेशानियों से आपको बचाता है। यह तन एवं मन में संतुलन बनाने में बड़ी भूमिका निभाता है। स्वस्तिकासन का महत्त्व इस बात से समझा जा सकता है कि योगग्रंथ जैसे हठयोग प्रदीपिका,घेरण्ड सहिंता में बैठकर किये जाने वाले आसनो का अगर जिक्र किया जाये तो सबसे पहले स्वस्तिकासन का ही नाम आता है। भगवान आदिनाथ ने जिन चार आसनो को सबसे महत्त्वपूर्ण बताया है उनमे से एक स्वस्तिकासन भी है।
സുഖാസനം പഠിച്ചു കഴിഞ്ഞാല് സ്വസ്തികാസനം പഠിക്കാം.
കാലുകള് നീട്ടി നട്ടെല്ല് നിവര്ത്തി ഇരിക്കുക.
വലതുകാല് മടക്കി , പാദം ഇടത്തേ തുടയോടു ചേര്ത്ത് പതിച്ചു വയ്ക്കുക.
കാല് വെള്ള തുടയുടെയും കാല് വണ്ണയുടേയും ഇടയിലായിരിക്കും ഇരിക്കുക.
ഇടതുകാല് മടക്കി പാദം വലത്തേ തുടയില് ഇതേപോലെ ചേര്ത്തു വയ്ക്കുക.
രണ്ടു കാലുകളുടേയും വിരലുകള് കാല് വണ്ണയുടെയും തുടയുടെയും ഇടയിലായതു കൊണ്ട് അവ പുറമെ കാണില്ല.
കാല് മുട്ടുകള് നിലത്തു മുട്ടിയിരിക്കണം.
നട്ടെല്ലു നിവര്ന്നിരിക്കണം. നട്ടെല്ലും, കഴുത്തും, തലയും നേര് രേഖയില് വരണം.
The Padangusthasana is an asana of the Ashtanga yoga tradition that is done while standing. The pose is very good for stretching many muscles of the body and ideal for people with flat feet. The name Padangusthasana is derived from the Sanskrit pada which means foot, angustha which means thumb and asana which means pose. It is also known as the big toe pose in English.
पादंगुष्ठासन को मूल योग आसन कहा जाता है क्योंकि यह मुद्रा सिर से पैर तक रीढ़ और सभी मांसपेशियों को फैलाती है और रक्तचाप को नियंत्रण में रखती है। यह आसन पीछे और आगे झुकने के बीच सही संतुलन है, यह गुरुत्वाकर्षण के खिंचाव और धक्का का उपयोग करता है। इस आसन का अभ्यास करने से मस्तिष्क में रक्त परिसंचरण बढ़ता है और जांघ की मांसपेशियों, हैमस्ट्रिंग, पिंडलियों की मांसपेशियों और पीठ के निचले हिस्से और दोनों भुजाओं में खिंचाव होता है। पादंगुष्ठासन यकृत और प्लीहा की मालिश करता है और घुटनों को ताकत देता है।