विपरीत करनी आसन

विपरीत करनी करने की विधि 

  •  दीवाल से करीब 3 इंच की दूरी पर कम्बल फैलाएं.
  • पैरों को दीवाल की ओर फैलाकर कम्बल पर बैठ जाएं.
  •  शरीर के ऊपरी भाग को पीछे की ओर झुकाकर कम्बल पर लेट जाएं. इस अवस्था में दोनों पैर दीवाल से ऊपर की ओर होने चाहिए.
  •  बांहों को शरीर से कुछ दूरी पर ज़मीन से लगाकर रखें. इस अवस्था में हथेलियां  ऊपर की ओर की होनी चाहिए.
  •  सांस छोड़ते हुए सिर, गर्दन और मेरूदंड को ज़मीन से लगायें
  •  इस मुद्रा में 5 से 15 मिनट तक बने रहें.
  •  घुटनों को मोड़ेते हुए दायीं ओर घूम जाएं और फिर सामान्य अवस्था में बैठ जाएं.

 विपरीत करनी करने की लाभ 

  • विपरीत करनी योग मुद्रा के अभ्यास से मानसिक तनाव दूर होता है.
  • पैरों में थकान एवं दर्द की स्थिति में इस योग से लाभ होता है.
  • यह आसन रक्त संचार को सुचारू बनाता है. अनिद्रा सम्बनधी रोग में इस आसन का अभ्यास लाभकारी होता है.
  • गर्दन और कंधों में मौजूद तनाव को दूर करने के लिए भी यह व्यायाम बहुत ही लाभकारी होता है.
  • पीठ दर्द में इस आसन से काफी राहत मिलती है.

 विपरीत करनी करने की सावधानियां

जब आपकी गर्दन और पीठ में किसी प्रकार की परेशानी हो उस समय इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए. अगर आप अभ्यास करते हैं तो किसी कुशल प्रशिक्षक से अवश्य सलाह ले लें. मासिक धर्म के समय महिलाओं को इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए. आंखों में तकलीफ की स्थिति में भी इस आसन अभ्यास नहीं करना चाहिए.

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विपरीत करनी आसन

विपरीत करनी आसन

विपरीत करनी करने की विधि 

  •  दीवाल से करीब 3 इंच की दूरी पर कम्बल फैलाएं.
  • पैरों को दीवाल की ओर फैलाकर कम्बल पर बैठ जाएं.
  •  शरीर के ऊपरी भाग को पीछे की ओर झुकाकर कम्बल पर लेट जाएं. इस अवस्था में दोनों पैर दीवाल से ऊपर की ओर होने चाहिए.
  •  बांहों को शरीर से कुछ दूरी पर ज़मीन से लगाकर रखें. इस अवस्था में हथेलियां  ऊपर की ओर की होनी चाहिए.
  •  सांस छोड़ते हुए सिर, गर्दन और मेरूदंड को ज़मीन से लगायें
  •  इस मुद्रा में 5 से 15 मिनट तक बने रहें.
  •  घुटनों को मोड़ेते हुए दायीं ओर घूम जाएं और फिर सामान्य अवस्था में बैठ जाएं.

 विपरीत करनी करने की लाभ 

  • विपरीत करनी योग मुद्रा के अभ्यास से मानसिक तनाव दूर होता है.
  • पैरों में थकान एवं दर्द की स्थिति में इस योग से लाभ होता है.
  • यह आसन रक्त संचार को सुचारू बनाता है. अनिद्रा सम्बनधी रोग में इस आसन का अभ्यास लाभकारी होता है.
  • गर्दन और कंधों में मौजूद तनाव को दूर करने के लिए भी यह व्यायाम बहुत ही लाभकारी होता है.
  • पीठ दर्द में इस आसन से काफी राहत मिलती है.

 विपरीत करनी करने की सावधानियां

जब आपकी गर्दन और पीठ में किसी प्रकार की परेशानी हो उस समय इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए. अगर आप अभ्यास करते हैं तो किसी कुशल प्रशिक्षक से अवश्य सलाह ले लें. मासिक धर्म के समय महिलाओं को इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए. आंखों में तकलीफ की स्थिति में भी इस आसन अभ्यास नहीं करना चाहिए.