उत्थित-पद्मासन

लोलासन करने के लिए सबसे पहले पद्मासन में आइए फिर हथेलियों को जांघों के बराबर में ज़मीन पर रखिए। हाथों पर पूरे शरीर का वजन लेते हुए साधते हुए ज़मीन से अपने को ऊपर उठा लीजिए,कुछ देर इस स्थिति को बनाए रखिए, कुछ दिन अभ्यास के बाद आप इसमे अपने को आगे पीछे झुला भी सकते हैं। 2-4 बार दोराह सकते हैं। साँस- शरीर को ऊपर उठाते समय साँस भरेंगे, नीचे लाते समय साँस निकाल देंगे। एकाग्रता साँसों पर बनाए रखेंगे। लोलसन से  हाथों, कलाइयों और कंधों की मासपेशियों को मजबूत करता है। आँतों की कमज़ोरी, कव्ज में भी लाभदायक है।

उत्थित-पद्मासन करने की विधि : 

  1. सबसे पहले पद्मासन में आइए फिर हथेलियों को जांघों के बराबर में ज़मीन पर रखिए।
  2. हाथों पर पूरे शरीर का बजन लेते हुए साधते हुए ज़मीन से अपने को उपर उठा लीजिए,कुछ देर इस स्थिति को बनाए रखिए,
  3. कुछ दिन अभ्यास के बाद आप इसमे अपने को आगे पीछे झुला भी सकते हैं ।
  4. 2-4 बार दोराह सकते है।
  5. साँस- शरीर को उपर उठाते समय साँस भरेंगे ,नीचे लाते समय साँस निकाल देंगे।
  6. एकाग्रता साँसों पर बनाए रखेंगे।

उत्थित-पद्मासन करने की लाभ : 

  1. हाथों,कलाईयों व कंधों की मासपेशियों को मजबूत करता है।
  2. आँतों की कमज़ोरी, कव्ज में भी लाभदायक है।

Comments

नमस्ते मित्रों आप सभीको फिर से स्वागत है । हमारे युट्युब चैनल योग साधना में आज हमने इस भिडियो में उत्थित पद्मासन क्या है ? कैसे करना चाहिए ? इसको करने के सही तरिके अौर उत्थित पद्मासन अच्छे से करने से होने वाले फायदे अौर गलत तरिके से करने के बेफाएदे अौर किस किस को करना चाहिए इस विषय को प्रस्ट किया है । देखिए अच्छा लगा तो भिडियो को लाईक कमेन्ट शेयर करना ना भुलें । अौर चैनल को सब्स्क्राइब करना ना भी ना भुलें ।
 धन्यवाद ।

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লোলাসন

उत्थित-पद्मासन

লোলাসন : যোগশাস্ত্রে বর্ণিত আসন বিশেষ। লোল শব্দের অনেক অর্থের ভিতর একটি অর্থ হলো- চালিত। হাতের উপর ভর করে শরীর দোলায়িত করার ভঙ্গিমা থেকে এর নামকরণ করা হয়েছে লোলাসন (লোল + আসন)।

পদ্ধতি

  1. ১. কোন সমতল স্থানে পা ভাঁজ করে আরাম করে বসুন।
  2. ২. এবার দুই হাতের তালু প্রসারিত করে দেহের দুই পাশে স্থাপন করুন।
  3. ৩. এবার কনুই দুটো সোজা করে, দুই হাতের উপর ভর করে, নিতম্বকে মাটি থেকে উত্তোলন করুন। এই সময় হাতের সাথে শরীর যেন দৃঢ়ভাবে সংযুক্ত অবস্থায় না থাকে, সেদিকে নজর রাখবেন। এবার দুই হাতে ভর করে সামনে পিছনে ধীরে ধীরে দুলাতে থাকুন। এই সময় শ্বাস-প্রশ্বাস স্বাভাবিক রাখুন। এই অবস্থায় ২০ সেকেণ্ড থেকে আসন ত্যাগ করে, পা বদল করে আবার আসনটি করুন।
  4. ৪. এরপর ৪০ সেকেণ্ড শবাসনে বিশ্রাম নিন। এরপর আরও দুই বার আসনটি করুন।

উপকারিতা

  1. ১. হাতের আঙুল, কব্জি, বাহু সবল হবে।
  2. ২. তলপেটের পেশী সবল হবে।
  3. ৩. যৌনাঙ্গ সতেজ হবে এবং যৌনক্ষমতা বৃদ্ধি পাবে।

लोलासन करने के लिए सबसे पहले पद्मासन में आइए फिर हथेलियों को जांघों के बराबर में ज़मीन पर रखिए। हाथों पर पूरे शरीर का वजन लेते हुए साधते हुए ज़मीन से अपने को ऊपर उठा लीजिए,कुछ देर इस स्थिति को बनाए रखिए, कुछ दिन अभ्यास के बाद आप इसमे अपने को आगे पीछे झुला भी सकते हैं। 2-4 बार दोराह सकते हैं। साँस- शरीर को ऊपर उठाते समय साँस भरेंगे, नीचे लाते समय साँस निकाल देंगे। एकाग्रता साँसों पर बनाए रखेंगे। लोलसन से  हाथों, कलाइयों और कंधों की मासपेशियों को मजबूत करता है। आँतों की कमज़ोरी, कव्ज में भी लाभदायक है।

उत्थित-पद्मासन करने की विधि : 

  1. सबसे पहले पद्मासन में आइए फिर हथेलियों को जांघों के बराबर में ज़मीन पर रखिए।
  2. हाथों पर पूरे शरीर का बजन लेते हुए साधते हुए ज़मीन से अपने को उपर उठा लीजिए,कुछ देर इस स्थिति को बनाए रखिए,
  3. कुछ दिन अभ्यास के बाद आप इसमे अपने को आगे पीछे झुला भी सकते हैं ।
  4. 2-4 बार दोराह सकते है।
  5. साँस- शरीर को उपर उठाते समय साँस भरेंगे ,नीचे लाते समय साँस निकाल देंगे।
  6. एकाग्रता साँसों पर बनाए रखेंगे।

उत्थित-पद्मासन करने की लाभ : 

  1. हाथों,कलाईयों व कंधों की मासपेशियों को मजबूत करता है।
  2. आँतों की कमज़ोरी, कव्ज में भी लाभदायक है।

Aasan

  • লোলাসন

    লোলাসন : যোগশাস্ত্রে বর্ণিত আসন বিশেষ। লোল শব্দের অনেক অর্থের ভিতর একটি অর্থ হলো- চালিত। হাতের উপর ভর করে শরীর দোলায়িত করার ভঙ্গিমা থেকে এর নামকরণ করা হয়েছে লোলাসন (লোল + আসন)।

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લોલાસન

उत्थित-पद्मासन

સંસ્કૃત શબ્દ દોલ એટલે ઝૂલવું અથવા લોલકની માફક લટકવું. એટલે આ આસનને સ્વિંગિગ પોઝ-ઝૂલાસન કે પેન્ડ્યુલમ પોઝ કહે છે.

રીત:

  • પગ પર ટટ્ટાર ઊભા રહો. બે પગ વચ્ચે લગભગ 1 મીટર જગ્યા રાખો.
  • હાથ ઊંચા કરો અને આંગળીઓ ગરદન પાછળ ભિડાવો.
  • કોણીઓ બાજુએ પોઇંટ રહે તેમ રાખો.
  • શરીરનો ઉપલો ભાગ જમણી તરફ ટ્વિસ્ટ કરો, પગ જમીન પર સ્થિર રાખવા.
  • આગળની તરફ ઝૂકો અને માથાનો જમણા ઢીંચણને સ્પર્શ કરાવો.
  • એ જ રીતે ઝૂકેલા રહીને તમારું માથું હલાવો અને ડાબા ઢીંચણને સ્પર્શ કરાવવાનો પ્રયાસ કરો.
  • તે પછી ફરી જમણા ઢીંચણ તરફ માથું હલાવો.
  • આ રીતે 3 વાર દરેક બાજુ ધીમે ધીમે અને હળવેથી માથું ઝૂલાવતા રહો.
  • તે પછી ઊભી સ્થિતિમાં પાછા આવો. આ એક રાઉન્ડ થયો.

શ્વસન અને સાવધાનીઃ

  • જ્યારે આગળની તરફ વાંકા વળો ત્યારે ઉચ્છવાસ કાઢો અને જ્યારે ઉપર આવો ત્યારે શ્વાસ લેવો. જ્યારે સ્વિંગિંગ ચાલે ત્યારે શ્વાસ પર ધ્યાન આપો.
  • રાઉન્ડની સંખ્યા ત્રણ રાઉન્ડ કરતાં વધારે કરવા નહીં.

ફાયદાઃ

  • આ આસન તમારા કમરના ભાગનેરિલેક્સ કરે છે.
  • આખીય નર્વઝ સિસ્ટમ ટોન અપ થાય છે.
  • આખાય શરીરના સ્નાયુઓને અને સાંધાઓને લચીલા કરે છે.
  • એ ફોરવર્ડ બેન્ડિંગ આસનો માટે પ્રિપેરેટરી આસન છે.
  • એ સ્ટિફનેસથી લોઅર બેક-કમર-ને રિલેક્સ કરે છે.

ટિચર્સ ટીપ્સઃ

આપણે જન્મીએ ત્યારથી શ્વાસ લઇએ છીએ-ઉચ્છવાસ કાઢીએ છીએ અને પૃથ્વી પર જીવીએ છીએ ત્યાં સુધી એ ચાલતું રહેશે. અહીં વાત એ વધારે સારી રીતે કઈ રીતે થઈ શકે તે છે. જેમ દરેક વ્યક્તિ એકબીજાથી જુદી હોય છે તેમ આપણે બધાં જુદી રીતે વિચારીએ છીએ. જેમ કે ઘણાને નાની નાની બાબતે, કામમાં પર્ટિક્યુલર રહેવું ગમે છે. ઘણાને એવી નાની બાબતોમાં ચીકાશની ધીરજ હોતી નથી કે રસ નથી હોતો. શ્વસન પણ એ રીતે દરેક વ્યક્તિ માટે જુદું હોઈ શકે. જો તમે કેટલાક માણસોને મળશો તો તમને સારું લાગતું  હોય છે અને તેમને સાંભળવું, તેમની પાસે બેસવું ગમે છે તો કેટલાક પાસે એટલી નેગેટિવિટી લાગશે, એટલો તણાવ લાગશે કે તમારી ધીરજ, શાંતિ પણ દખલ પામી જશે. આ બધું પ્રાણને કારણે થતું હોય છે. એક વ્યક્તિ બીજી વ્યક્તિને પ્રાણથી અસર કરે છે. એટલે પ્રાણાયામ એ તમારા પોતાના શ્વાસ પર કંટ્રોલ માટે છે. જ્યારે મારો પ્રાણ મારા કંટ્રોલમાં છે, તો મારા જીવનની અન્ય પ્રવૃત્તિઓ મારા કંટ્રોલમાં આવે છે. અને એટલે શ્વસનક્રિયા એ બહુ જરૂરી માર્ગ છે અને નિયમિત રીતે યોગ્ય રીતે પ્રેક્ટિસ કરવાની બાબત છે.


लोलासन करने के लिए सबसे पहले पद्मासन में आइए फिर हथेलियों को जांघों के बराबर में ज़मीन पर रखिए। हाथों पर पूरे शरीर का वजन लेते हुए साधते हुए ज़मीन से अपने को ऊपर उठा लीजिए,कुछ देर इस स्थिति को बनाए रखिए, कुछ दिन अभ्यास के बाद आप इसमे अपने को आगे पीछे झुला भी सकते हैं। 2-4 बार दोराह सकते हैं। साँस- शरीर को ऊपर उठाते समय साँस भरेंगे, नीचे लाते समय साँस निकाल देंगे। एकाग्रता साँसों पर बनाए रखेंगे। लोलसन से  हाथों, कलाइयों और कंधों की मासपेशियों को मजबूत करता है। आँतों की कमज़ोरी, कव्ज में भी लाभदायक है।

उत्थित-पद्मासन करने की विधि : 

  1. सबसे पहले पद्मासन में आइए फिर हथेलियों को जांघों के बराबर में ज़मीन पर रखिए।
  2. हाथों पर पूरे शरीर का बजन लेते हुए साधते हुए ज़मीन से अपने को उपर उठा लीजिए,कुछ देर इस स्थिति को बनाए रखिए,
  3. कुछ दिन अभ्यास के बाद आप इसमे अपने को आगे पीछे झुला भी सकते हैं ।
  4. 2-4 बार दोराह सकते है।
  5. साँस- शरीर को उपर उठाते समय साँस भरेंगे ,नीचे लाते समय साँस निकाल देंगे।
  6. एकाग्रता साँसों पर बनाए रखेंगे।

उत्थित-पद्मासन करने की लाभ : 

  1. हाथों,कलाईयों व कंधों की मासपेशियों को मजबूत करता है।
  2. आँतों की कमज़ोरी, कव्ज में भी लाभदायक है।

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 धन्यवाद ।

उत्थित-पद्मासन(लोलासन)

उत्थित-पद्मासन

लोलासन करने के लिए सबसे पहले पद्मासन में आइए फिर हथेलियों को जांघों के बराबर में ज़मीन पर रखिए। हाथों पर पूरे शरीर का वजन लेते हुए साधते हुए ज़मीन से अपने को ऊपर उठा लीजिए,कुछ देर इस स्थिति को बनाए रखिए, कुछ दिन अभ्यास के बाद आप इसमे अपने को आगे पीछे झुला भी सकते हैं। 2-4 बार दोराह सकते हैं। साँस- शरीर को ऊपर उठाते समय साँस भरेंगे, नीचे लाते समय साँस निकाल देंगे। एकाग्रता साँसों पर बनाए रखेंगे। लोलसन से  हाथों, कलाइयों और कंधों की मासपेशियों को मजबूत करता है। आँतों की कमज़ोरी, कव्ज में भी लाभदायक है।

उत्थित-पद्मासन करने की विधि : 

  1. सबसे पहले पद्मासन में आइए फिर हथेलियों को जांघों के बराबर में ज़मीन पर रखिए।
  2. हाथों पर पूरे शरीर का बजन लेते हुए साधते हुए ज़मीन से अपने को उपर उठा लीजिए,कुछ देर इस स्थिति को बनाए रखिए,
  3. कुछ दिन अभ्यास के बाद आप इसमे अपने को आगे पीछे झुला भी सकते हैं ।
  4. 2-4 बार दोराह सकते है।
  5. साँस- शरीर को उपर उठाते समय साँस भरेंगे ,नीचे लाते समय साँस निकाल देंगे।
  6. एकाग्रता साँसों पर बनाए रखेंगे।

उत्थित-पद्मासन करने की लाभ : 

  1. हाथों,कलाईयों व कंधों की मासपेशियों को मजबूत करता है।
  2. आँतों की कमज़ोरी, कव्ज में भी लाभदायक है।

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 धन्यवाद ।