पादहस्तासन

पादहस्तासन के फायदे -
पादहस्तासन के अनेक फायदे होते हैं। यह दिखने में तो एक सरल सा आसन लगता है किंतु यह आपके शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित करता है।
1.    मस्तिष्क को शांत करता है और तनाव व हल्के डिप्रेशन में राहत देने में मदद करता है।
2.    जिगर और गुर्दों के बेहतर कार्य पद्धति में मदद करता है।
3.    हैमस्ट्रिंग, पिंडली, और कूल्हों में ज़रूरी खिचाव पैदा करता है।
4.    जांघों को मज़बूत करता है।
5.    पाचन में सुधार लाता है।
6.    रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के लक्षण को कम करने में मदद करता है।
7.    थकान और चिंता कम करता है। (और पढ़ें – थकान मिटाने के उपाय)
8.    सिरदर्द और अनिद्रा से छुटकारा दिलाता है। (और पढ़ें – सिर दर्द का देसी इलाज)
9.    दमा, हाई बीपी, बांझपन, ऑस्टियोपोरोसिस, और साइनस के लिए चिकित्सीय है। 

 

पादहस्तासन करने का तरीका -

पादहस्तासन करने की विधि हम यहाँ विस्तार से दे रहे हैं, इसे ध्यानपूर्वक पढ़ें।
1.    सीधे खड़े हों और अपने हाथ अपने शरीर के साइड में रखें। साँस छोड़ते हुए कूल्हे के जोड़ों से झुकें — ध्यान रहे कि कमर के जोड़ों से नहीं झुकना है। नीचे झुकते समय साँस छोड़ें।
2.    याद रहे कि सभी आगे झुकने वाले आसनों की तरह पादहस्तासन में उदेश्य धड़ को लंबा करना होता है।
3.    नीचे झुक कर अपने हाथों को पैरों के नीचे दबा लें। उंगलियाँ पूरी तरह से पैरों के नीचे होनी चाहिए। फिर सिर और धड़ उपर करते हुए साँस अंदर लें (नीचे चित्र देखें)।
4.    साँस पूरी तरह अंदर लेने के बाद साँस छोड़ते हुए सिर और धड़ को नीचे झुकाएं। जितना मुमकिन हो, उतना धड़ को टाँगों के करीब ले जायें (नीचे चित्र देखें)।
5.    आसान में रहते हुए श्वास बिल्कुल ना रोकें। जब साँस अंदर लें, तब धड़ को थोड़ा सा उठायें और लंबा करने की कोशिश करें। जब साँस को छोड़ें, तब आगे की तरफ और गहराई से झुकने की कोशिश करें।
6.    कुल मिला कर पाँच बार साँस अंदर लें और बाहर छोड़ें ताकि आप आसन में 30 से 60 सेकेंड तक रह सकें। धीरे धीरे जैसे आपके शरीर में ताक़त और लचीलापन बढ़ने लगे, आप समय बढ़ा सकते हैं — 90 सेकेंड से ज़्यादा ना करें।
7.    कोशिश करें की आपकी पीठ सीधी रहे। टाँगों को सीधा रखें।
8.    अपने सिर को आराम से लटकने दें ताकि आपके गर्दन की मांसपेशियों पर ज़ोर ना पड़े।
9.    धड़ को ऊपर लाते समय साँस अंदर लें। ध्यान रहे कि आप अपनी पीठ को सीधा ही रखें और अपने कूल्हे के जोड़ों से ही वापिस उपर आयें।
 

Aasan

  • पादहस्तासन

    पादहस्तासन

    पादहस्तासन संस्कृत भाषा का शब्द है। इसका शाब्दिक अर्थ होता है, पैरों को हाथों से छूने वाला आसन। इस आसन के अभ्यास से शरीर को कुछ गजब के फायदे होते हैं। ये आसन न सिर्फ आपके शरीर को हील करता है बल्कि नई जिंदगी भी देता है।

Yogasan for page

उत्तानासन

पादहस्तासन

पादहस्तासन के फायदे -
पादहस्तासन के अनेक फायदे होते हैं। यह दिखने में तो एक सरल सा आसन लगता है किंतु यह आपके शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित करता है।
1.    मस्तिष्क को शांत करता है और तनाव व हल्के डिप्रेशन में राहत देने में मदद करता है।
2.    जिगर और गुर्दों के बेहतर कार्य पद्धति में मदद करता है।
3.    हैमस्ट्रिंग, पिंडली, और कूल्हों में ज़रूरी खिचाव पैदा करता है।
4.    जांघों को मज़बूत करता है।
5.    पाचन में सुधार लाता है।
6.    रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के लक्षण को कम करने में मदद करता है।
7.    थकान और चिंता कम करता है। (और पढ़ें – थकान मिटाने के उपाय)
8.    सिरदर्द और अनिद्रा से छुटकारा दिलाता है। (और पढ़ें – सिर दर्द का देसी इलाज)
9.    दमा, हाई बीपी, बांझपन, ऑस्टियोपोरोसिस, और साइनस के लिए चिकित्सीय है। 

 

पादहस्तासन करने का तरीका -

पादहस्तासन करने की विधि हम यहाँ विस्तार से दे रहे हैं, इसे ध्यानपूर्वक पढ़ें।
1.    सीधे खड़े हों और अपने हाथ अपने शरीर के साइड में रखें। साँस छोड़ते हुए कूल्हे के जोड़ों से झुकें — ध्यान रहे कि कमर के जोड़ों से नहीं झुकना है। नीचे झुकते समय साँस छोड़ें।
2.    याद रहे कि सभी आगे झुकने वाले आसनों की तरह पादहस्तासन में उदेश्य धड़ को लंबा करना होता है।
3.    नीचे झुक कर अपने हाथों को पैरों के नीचे दबा लें। उंगलियाँ पूरी तरह से पैरों के नीचे होनी चाहिए। फिर सिर और धड़ उपर करते हुए साँस अंदर लें (नीचे चित्र देखें)।
4.    साँस पूरी तरह अंदर लेने के बाद साँस छोड़ते हुए सिर और धड़ को नीचे झुकाएं। जितना मुमकिन हो, उतना धड़ को टाँगों के करीब ले जायें (नीचे चित्र देखें)।
5.    आसान में रहते हुए श्वास बिल्कुल ना रोकें। जब साँस अंदर लें, तब धड़ को थोड़ा सा उठायें और लंबा करने की कोशिश करें। जब साँस को छोड़ें, तब आगे की तरफ और गहराई से झुकने की कोशिश करें।
6.    कुल मिला कर पाँच बार साँस अंदर लें और बाहर छोड़ें ताकि आप आसन में 30 से 60 सेकेंड तक रह सकें। धीरे धीरे जैसे आपके शरीर में ताक़त और लचीलापन बढ़ने लगे, आप समय बढ़ा सकते हैं — 90 सेकेंड से ज़्यादा ना करें।
7.    कोशिश करें की आपकी पीठ सीधी रहे। टाँगों को सीधा रखें।
8.    अपने सिर को आराम से लटकने दें ताकि आपके गर्दन की मांसपेशियों पर ज़ोर ना पड़े।
9.    धड़ को ऊपर लाते समय साँस अंदर लें। ध्यान रहे कि आप अपनी पीठ को सीधा ही रखें और अपने कूल्हे के जोड़ों से ही वापिस उपर आयें।
 

Aasan

Padahastasana

पादहस्तासन

Padahasthasana is important for your health as it invigorates the nervous system. The stretching of the muscles in the back of the leg and lower back (lumbar region) relives stiffness and improves blood supply. Regular practice of this asana stimulates digestion enhancing the functions of various digestive organs thereby getting things moving effectively inside the digestive tract. This asana is best to eliminate excess belly fat.

How to do Padahastasana? 

  • Stand erect with your feet kept close together.
  • Inhale deeply and slowly.
  • Stretch both your arms straight above your head.
  • Keep your body erect and feel it stretch upwards.
  • Exhale. Bend forward and down with your arms outstretched.
  • Keep your knees straight and your head close to your knees.
  • Grip the back of your lower legs (your calves) with your hands.
  • Breathe evenly. Maintain the position for up to a minute. 

पादहस्तासन के फायदे -
पादहस्तासन के अनेक फायदे होते हैं। यह दिखने में तो एक सरल सा आसन लगता है किंतु यह आपके शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित करता है।
1.    मस्तिष्क को शांत करता है और तनाव व हल्के डिप्रेशन में राहत देने में मदद करता है।
2.    जिगर और गुर्दों के बेहतर कार्य पद्धति में मदद करता है।
3.    हैमस्ट्रिंग, पिंडली, और कूल्हों में ज़रूरी खिचाव पैदा करता है।
4.    जांघों को मज़बूत करता है।
5.    पाचन में सुधार लाता है।
6.    रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के लक्षण को कम करने में मदद करता है।
7.    थकान और चिंता कम करता है। (और पढ़ें – थकान मिटाने के उपाय)
8.    सिरदर्द और अनिद्रा से छुटकारा दिलाता है। (और पढ़ें – सिर दर्द का देसी इलाज)
9.    दमा, हाई बीपी, बांझपन, ऑस्टियोपोरोसिस, और साइनस के लिए चिकित्सीय है। 

 

पादहस्तासन करने का तरीका -

पादहस्तासन करने की विधि हम यहाँ विस्तार से दे रहे हैं, इसे ध्यानपूर्वक पढ़ें।
1.    सीधे खड़े हों और अपने हाथ अपने शरीर के साइड में रखें। साँस छोड़ते हुए कूल्हे के जोड़ों से झुकें — ध्यान रहे कि कमर के जोड़ों से नहीं झुकना है। नीचे झुकते समय साँस छोड़ें।
2.    याद रहे कि सभी आगे झुकने वाले आसनों की तरह पादहस्तासन में उदेश्य धड़ को लंबा करना होता है।
3.    नीचे झुक कर अपने हाथों को पैरों के नीचे दबा लें। उंगलियाँ पूरी तरह से पैरों के नीचे होनी चाहिए। फिर सिर और धड़ उपर करते हुए साँस अंदर लें (नीचे चित्र देखें)।
4.    साँस पूरी तरह अंदर लेने के बाद साँस छोड़ते हुए सिर और धड़ को नीचे झुकाएं। जितना मुमकिन हो, उतना धड़ को टाँगों के करीब ले जायें (नीचे चित्र देखें)।
5.    आसान में रहते हुए श्वास बिल्कुल ना रोकें। जब साँस अंदर लें, तब धड़ को थोड़ा सा उठायें और लंबा करने की कोशिश करें। जब साँस को छोड़ें, तब आगे की तरफ और गहराई से झुकने की कोशिश करें।
6.    कुल मिला कर पाँच बार साँस अंदर लें और बाहर छोड़ें ताकि आप आसन में 30 से 60 सेकेंड तक रह सकें। धीरे धीरे जैसे आपके शरीर में ताक़त और लचीलापन बढ़ने लगे, आप समय बढ़ा सकते हैं — 90 सेकेंड से ज़्यादा ना करें।
7.    कोशिश करें की आपकी पीठ सीधी रहे। टाँगों को सीधा रखें।
8.    अपने सिर को आराम से लटकने दें ताकि आपके गर्दन की मांसपेशियों पर ज़ोर ना पड़े।
9.    धड़ को ऊपर लाते समय साँस अंदर लें। ध्यान रहे कि आप अपनी पीठ को सीधा ही रखें और अपने कूल्हे के जोड़ों से ही वापिस उपर आयें।
 

Aasan

  • Uttanasana

    पादहस्तासन

    Padahasthasana is important for your health as it invigorates the nervous system. The stretching of the muscles in the back of the leg and lower back (lumbar region) relives stiffness and improves blood supply. Regular practice of this asana stimulates digestion enhancing the functions of various digestive organs thereby getting things moving effectively inside the digestive tract. This asana is best to eliminate excess belly fat.

    How to do Padahastasana? 

    • Stand erect with your feet kept close together.
    • Inhale deeply and slowly.
    • Stretch both your arms straight above your head.
    • Keep your body erect and feel it stretch upwards.
    • Exhale. Bend forward and down with your arms outstretched.
    • Keep your knees straight and your head close to your knees.
    • Grip the back of your lower legs (your calves) with your hands.
    • Breathe evenly. Maintain the position for up to a minute. 

ఉత్తానాసనం

पादहस्तासन

ఉత్తానాసనం
వికీపీడియా నుండి
 

Uttanasana
Standing Forward Bend
ఉత్తానాసనం యోగాలో ఒక విధమైన ఆసనం.

విధానం
రెండు కాళ్లూ దగ్గరగా ఉంచి నిలబడాలి. చేతులతో సీసాని పట్టుకుని వంగి తలని మోకాళ్ల దగ్గరకు తీసుకురావడానికి ప్రయత్నించాలి. ఇప్పుడు రెండు చేతులూ ఆసనాన్ని బ్యాలెన్స్‌ చేయడానికి ముందుకు వస్తాయి. ఇలా అరనిమిషం ఉన్న తర్వాత మళ్లీ చేయాలి. ఈ ఆసనంతో పొట్టా, చేతుల్లో ఉన్న కొవ్వు సులువుగా కరుగుతుంది.[


पादहस्तासन के फायदे -
पादहस्तासन के अनेक फायदे होते हैं। यह दिखने में तो एक सरल सा आसन लगता है किंतु यह आपके शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित करता है।
1.    मस्तिष्क को शांत करता है और तनाव व हल्के डिप्रेशन में राहत देने में मदद करता है।
2.    जिगर और गुर्दों के बेहतर कार्य पद्धति में मदद करता है।
3.    हैमस्ट्रिंग, पिंडली, और कूल्हों में ज़रूरी खिचाव पैदा करता है।
4.    जांघों को मज़बूत करता है।
5.    पाचन में सुधार लाता है।
6.    रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के लक्षण को कम करने में मदद करता है।
7.    थकान और चिंता कम करता है। (और पढ़ें – थकान मिटाने के उपाय)
8.    सिरदर्द और अनिद्रा से छुटकारा दिलाता है। (और पढ़ें – सिर दर्द का देसी इलाज)
9.    दमा, हाई बीपी, बांझपन, ऑस्टियोपोरोसिस, और साइनस के लिए चिकित्सीय है। 

 

पादहस्तासन करने का तरीका -

पादहस्तासन करने की विधि हम यहाँ विस्तार से दे रहे हैं, इसे ध्यानपूर्वक पढ़ें।
1.    सीधे खड़े हों और अपने हाथ अपने शरीर के साइड में रखें। साँस छोड़ते हुए कूल्हे के जोड़ों से झुकें — ध्यान रहे कि कमर के जोड़ों से नहीं झुकना है। नीचे झुकते समय साँस छोड़ें।
2.    याद रहे कि सभी आगे झुकने वाले आसनों की तरह पादहस्तासन में उदेश्य धड़ को लंबा करना होता है।
3.    नीचे झुक कर अपने हाथों को पैरों के नीचे दबा लें। उंगलियाँ पूरी तरह से पैरों के नीचे होनी चाहिए। फिर सिर और धड़ उपर करते हुए साँस अंदर लें (नीचे चित्र देखें)।
4.    साँस पूरी तरह अंदर लेने के बाद साँस छोड़ते हुए सिर और धड़ को नीचे झुकाएं। जितना मुमकिन हो, उतना धड़ को टाँगों के करीब ले जायें (नीचे चित्र देखें)।
5.    आसान में रहते हुए श्वास बिल्कुल ना रोकें। जब साँस अंदर लें, तब धड़ को थोड़ा सा उठायें और लंबा करने की कोशिश करें। जब साँस को छोड़ें, तब आगे की तरफ और गहराई से झुकने की कोशिश करें।
6.    कुल मिला कर पाँच बार साँस अंदर लें और बाहर छोड़ें ताकि आप आसन में 30 से 60 सेकेंड तक रह सकें। धीरे धीरे जैसे आपके शरीर में ताक़त और लचीलापन बढ़ने लगे, आप समय बढ़ा सकते हैं — 90 सेकेंड से ज़्यादा ना करें।
7.    कोशिश करें की आपकी पीठ सीधी रहे। टाँगों को सीधा रखें।
8.    अपने सिर को आराम से लटकने दें ताकि आपके गर्दन की मांसपेशियों पर ज़ोर ना पड़े।
9.    धड़ को ऊपर लाते समय साँस अंदर लें। ध्यान रहे कि आप अपनी पीठ को सीधा ही रखें और अपने कूल्हे के जोड़ों से ही वापिस उपर आयें।
 

Aasan

પાદહસ્તાસન

पादहस्तासन

પાદહસ્તાસન : પાદહસ્તાસન એ ઊભા રહીને કરવાનું આસન છે. આ આસનમાં પગ અને હાથ મળતા હોવાથી તેને પાદહસ્તાસન કહેવામાં આવે છે.

મૂળ સ્થિતિ : બંને પગ ભેગા, બંને હાથ સીધા શરીરને અડેલા, નજર સામે રાખો, હાથની આંગળીઓ શરીરને અડેલી

પદ્ધતિ :

  • શ્વાસ લેતાં લેતાં બંને હાથને આકાશ તરફ, કાન સાથે અડકેલા તેમજ સીધા ખેંચેલા રાખીને ઉપર તરફ લઈ જાઓ.
  • ધીરે ધીરે શ્વાસ બહાર કાઢી પેટ અંદર ખેંચીને તેમજ પગ કડક અને સીધા રાખી, શરીરને કમરમાંથી આગળની તરફ નમાવો.
  • હાથ સીધા રાખી, ડાબા હાથની હથેળી ડાબા પગના પંજાની બાજુમાં તેમજ જમણા હાથની હથેળી જમણા પગના પંજાની બાજુમાં જમીન પર મૂકો. પગ ઘૂંટણમાંથી સીધા રાખો.
  • કપાળને બે ઘૂંટણની વચ્ચે લઈ જાઓ. દાઢી છાતીને અડેલી રાખવી. એ સમયે ધ્યાન નાભિ સ્થાન પર રાખવું. અનુકૂળ સમય સુધી, સામાન્ય શ્વાસોશ્વાસ સાથે આ સ્થિતિ જાળવો.
  • થોડી વાર આ સ્થિતિમાં રહ્યા પછી કપાળ ઘૂંટણમાંથી દૂર કરવું.
  • બંને હાથ ધીમે ધીમે ઉપર લાવવા. કમરથી ઉપરનું શરીર જમીનને સમાંતર, હથેળી જમીન તરફ રાખવી.
  • ત્યાર બાદ બંને હાથ ઉપર તરફ અડેલા.
  • બંને હાથ નીચે લાવવા.

 

ધ્યાનમાં રાખવાની બાબતો :

  • પેટની તકલીફ હોય તેવા લોકોએ આ આસન ન કરવું.
  • હૃદયની તકલીફ હોય તેવી વ્યક્તિએ માર્ગદર્શકની સલાહ મુજબ કરવું.
  • બંને પગના ઘૂંટણને વાળવા નહિ, સીધા રાખવા.
  • આસન દરમિયાન શ્વાસોશ્વાસ સામાન્ય રાખો.
  • આંચકા સિવાય ધીરે ધીરે આસન કરવું અને ધીરે ધીરે મૂળ સ્થિતિમાં આવવું.

ફાયદા :

  • પાદહસ્તાસન આસનથી પેટની અને પેડુની ખોટી ચરબી દૂર થાય છે, જેથી શરીર હળવું બને છે અને સ્નાયુઓ મજબુત બને છે.
  • શરીર સુડોળ બને છે.
  • કરોડને સરસ માલિશ થાય છે.
  • કરોડની સ્થિતિસ્થાપકતામાં વધારો થાય છે અને ચેતાઓ સતેજ બને છે.
  • હાથ, પગ અને કમરના બધા અક્કડ સ્નાયુઓ ઢીલા થાય છે.
  • પગની તાકાત વધે છે.
  • સાયટિકાનું દર્દ મટે છે.
  • ઘૂંટણની કાર્યક્ષમતા ટકી રહે છે.
  • જ્ઞાનતંતુઓની કાર્યક્ષમતા વધે છે.
  • પાચનતંત્ર સતેજ થતાં અર્જીણ, પેટના દર્દો જેવા કે ગૅસ, ઍસિડિટી, કબજિયાત વગેરે નાબુદ થાય છે.
  • શરીર લચીલું, સૂર્તીવાળું અને સ્વસ્થ બને છે.
  • પ્રાણ, અપાન અને સમાનવાયુ સપ્રમાણ વહે છે.
  • ઊંચાઈ વધે છે અને શરીરમાં સ્ફૂર્તિ આવે છે.

पादहस्तासन के फायदे -
पादहस्तासन के अनेक फायदे होते हैं। यह दिखने में तो एक सरल सा आसन लगता है किंतु यह आपके शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित करता है।
1.    मस्तिष्क को शांत करता है और तनाव व हल्के डिप्रेशन में राहत देने में मदद करता है।
2.    जिगर और गुर्दों के बेहतर कार्य पद्धति में मदद करता है।
3.    हैमस्ट्रिंग, पिंडली, और कूल्हों में ज़रूरी खिचाव पैदा करता है।
4.    जांघों को मज़बूत करता है।
5.    पाचन में सुधार लाता है।
6.    रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के लक्षण को कम करने में मदद करता है।
7.    थकान और चिंता कम करता है। (और पढ़ें – थकान मिटाने के उपाय)
8.    सिरदर्द और अनिद्रा से छुटकारा दिलाता है। (और पढ़ें – सिर दर्द का देसी इलाज)
9.    दमा, हाई बीपी, बांझपन, ऑस्टियोपोरोसिस, और साइनस के लिए चिकित्सीय है। 

 

पादहस्तासन करने का तरीका -

पादहस्तासन करने की विधि हम यहाँ विस्तार से दे रहे हैं, इसे ध्यानपूर्वक पढ़ें।
1.    सीधे खड़े हों और अपने हाथ अपने शरीर के साइड में रखें। साँस छोड़ते हुए कूल्हे के जोड़ों से झुकें — ध्यान रहे कि कमर के जोड़ों से नहीं झुकना है। नीचे झुकते समय साँस छोड़ें।
2.    याद रहे कि सभी आगे झुकने वाले आसनों की तरह पादहस्तासन में उदेश्य धड़ को लंबा करना होता है।
3.    नीचे झुक कर अपने हाथों को पैरों के नीचे दबा लें। उंगलियाँ पूरी तरह से पैरों के नीचे होनी चाहिए। फिर सिर और धड़ उपर करते हुए साँस अंदर लें (नीचे चित्र देखें)।
4.    साँस पूरी तरह अंदर लेने के बाद साँस छोड़ते हुए सिर और धड़ को नीचे झुकाएं। जितना मुमकिन हो, उतना धड़ को टाँगों के करीब ले जायें (नीचे चित्र देखें)।
5.    आसान में रहते हुए श्वास बिल्कुल ना रोकें। जब साँस अंदर लें, तब धड़ को थोड़ा सा उठायें और लंबा करने की कोशिश करें। जब साँस को छोड़ें, तब आगे की तरफ और गहराई से झुकने की कोशिश करें।
6.    कुल मिला कर पाँच बार साँस अंदर लें और बाहर छोड़ें ताकि आप आसन में 30 से 60 सेकेंड तक रह सकें। धीरे धीरे जैसे आपके शरीर में ताक़त और लचीलापन बढ़ने लगे, आप समय बढ़ा सकते हैं — 90 सेकेंड से ज़्यादा ना करें।
7.    कोशिश करें की आपकी पीठ सीधी रहे। टाँगों को सीधा रखें।
8.    अपने सिर को आराम से लटकने दें ताकि आपके गर्दन की मांसपेशियों पर ज़ोर ना पड़े।
9.    धड़ को ऊपर लाते समय साँस अंदर लें। ध्यान रहे कि आप अपनी पीठ को सीधा ही रखें और अपने कूल्हे के जोड़ों से ही वापिस उपर आयें।
 

Aasan

  • પાદહસ્તાસન

    पादहस्तासन

    આમાં આપણે બંને હાથથી પોતાના પગના અંગૂઠાને પકડીએ છીએ, પગની ટચલી આંગળી પણ પકડીએ છીએ. આ આસન હાથથી પગને પકડીને કરવામાં આવે છે, તેથી આને પાદહસ્તાસન કહેવાય છે.

    વિધિ : આ આસન ઉભા થઈને કરવામાં આવે છે. પહેલા ખભા અને કરોડરજ્જુના હાડકાં સીધા રાખતા સાવધાનની મુદ્રામાં ઉભા થઈ જાવ. પછી બંને હાથને ધીરે ધીરે ઉપર ઉઠાવવામાં આવે છે. હાથને ખભાથી સમાંતર લાવીને થોડા થોડા ખભાને આગળની તરફ દબાવતા પછી હાથોને માથા સુધી ઉપર ઉઠાવવામાં આવે છે. ધ્યાન રાખો કે ખભા કાનથી અડેલા હોવા જોઈએ. હવે ઘૂંટણને સીધા રાખ્યા પછી હાથની બંને હથેળીઓથી એડી-પંજા મળેલ બંને પગને ઘૂંટી પાસેથી પકડીને માથાને ઘૂંટણથી સ્પર્શ કરવાનો પ્રયત્ન કરવામાં આવે છે. આ સ્થિતિમાં શ્વાસ લેતા રહો. આ સ્થિતિને સૂર્ય નમસ્કારની ત્રીજી સ્થિતિ પણ કહી શકાય છે. તમારી અનુકૂળતા મુજબ 30-40 સેકંડ સુધી આ સ્થિતિમાં રહો. પાછા ફરવા માટે ધીરે-ધીરે આ સ્થિતિથી ઉપર ઉઠો અને ક્રમશ: ઉભી મુદ્રામાં આવીને હાથોને ફરી કમરથી અડાવ્યા પછી વિશ્રામની સ્થિતિમાં આવી જાવ. થોડી ક્ષણોનો વિરામ આપીને આ અભ્યાસ ફરી કરો. આ રીતે 5 થી 7 વાર કરવાથી આ આસન અસરકારક રહે છે. સાવધાની - કરોડરજ્જુના હાડકાંમાં કોઈ તકલીફ હોય અને સાથે સાથે પેટમાં કોઈ ગંભીર બીમારી હોય એવી સ્થિતિમાં આ આસન ન કરો.

    લાભ - આ આસન મૂત્ર-પ્રણાલી, ગર્ભાશય અને જનનેન્દ્રિય સ્ત્રાવોને માટે વિશેષ રૂપથી સારી છે. આનાથી કબજીયાતની તકલીફ દૂર થાય છે. આ પીઠ અને કરોડરજ્જુને મજબૂત અને લચીલુ બનાવે છે અને જંધાઓ અને પિંડળીઓની માંસપેશિઓને મજબૂત કરે છે. આંતરડાંને અને પેટ સંબંધી બધા વિકારો આ આસનને નિયમિત કરવાથી દૂર થાય છે. તેનાથી સુષન્મા નાડીનો ખેંચાવ થવાથી તેનુ બળ વધે છે.
     

पादहस्तासन

पादहस्तासन

पादहस्तासन के फायदे -
पादहस्तासन के अनेक फायदे होते हैं। यह दिखने में तो एक सरल सा आसन लगता है किंतु यह आपके शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित करता है।
1.    मस्तिष्क को शांत करता है और तनाव व हल्के डिप्रेशन में राहत देने में मदद करता है।
2.    जिगर और गुर्दों के बेहतर कार्य पद्धति में मदद करता है।
3.    हैमस्ट्रिंग, पिंडली, और कूल्हों में ज़रूरी खिचाव पैदा करता है।
4.    जांघों को मज़बूत करता है।
5.    पाचन में सुधार लाता है।
6.    रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के लक्षण को कम करने में मदद करता है।
7.    थकान और चिंता कम करता है। (और पढ़ें – थकान मिटाने के उपाय)
8.    सिरदर्द और अनिद्रा से छुटकारा दिलाता है। (और पढ़ें – सिर दर्द का देसी इलाज)
9.    दमा, हाई बीपी, बांझपन, ऑस्टियोपोरोसिस, और साइनस के लिए चिकित्सीय है। 

 

पादहस्तासन करने का तरीका -

पादहस्तासन करने की विधि हम यहाँ विस्तार से दे रहे हैं, इसे ध्यानपूर्वक पढ़ें।
1.    सीधे खड़े हों और अपने हाथ अपने शरीर के साइड में रखें। साँस छोड़ते हुए कूल्हे के जोड़ों से झुकें — ध्यान रहे कि कमर के जोड़ों से नहीं झुकना है। नीचे झुकते समय साँस छोड़ें।
2.    याद रहे कि सभी आगे झुकने वाले आसनों की तरह पादहस्तासन में उदेश्य धड़ को लंबा करना होता है।
3.    नीचे झुक कर अपने हाथों को पैरों के नीचे दबा लें। उंगलियाँ पूरी तरह से पैरों के नीचे होनी चाहिए। फिर सिर और धड़ उपर करते हुए साँस अंदर लें (नीचे चित्र देखें)।
4.    साँस पूरी तरह अंदर लेने के बाद साँस छोड़ते हुए सिर और धड़ को नीचे झुकाएं। जितना मुमकिन हो, उतना धड़ को टाँगों के करीब ले जायें (नीचे चित्र देखें)।
5.    आसान में रहते हुए श्वास बिल्कुल ना रोकें। जब साँस अंदर लें, तब धड़ को थोड़ा सा उठायें और लंबा करने की कोशिश करें। जब साँस को छोड़ें, तब आगे की तरफ और गहराई से झुकने की कोशिश करें।
6.    कुल मिला कर पाँच बार साँस अंदर लें और बाहर छोड़ें ताकि आप आसन में 30 से 60 सेकेंड तक रह सकें। धीरे धीरे जैसे आपके शरीर में ताक़त और लचीलापन बढ़ने लगे, आप समय बढ़ा सकते हैं — 90 सेकेंड से ज़्यादा ना करें।
7.    कोशिश करें की आपकी पीठ सीधी रहे। टाँगों को सीधा रखें।
8.    अपने सिर को आराम से लटकने दें ताकि आपके गर्दन की मांसपेशियों पर ज़ोर ना पड़े।
9.    धड़ को ऊपर लाते समय साँस अंदर लें। ध्यान रहे कि आप अपनी पीठ को सीधा ही रखें और अपने कूल्हे के जोड़ों से ही वापिस उपर आयें।
 

Aasan

  • पादहस्तासन

    पादहस्तासन

    पादहस्तासन संस्कृत भाषा का शब्द है। इसका शाब्दिक अर्थ होता है, पैरों को हाथों से छूने वाला आसन। इस आसन के अभ्यास से शरीर को कुछ गजब के फायदे होते हैं। ये आसन न सिर्फ आपके शरीर को हील करता है बल्कि नई जिंदगी भी देता है।