वीरभद्रासन

वीरभद्रासन जिसको वॉरईयर पोज़ (Warrior Pose) के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन का नाम भगवान शिव के अवतार, वीरभद्र, एक अभय योद्धा के नाम पर रखा गया। योद्धा वीरभद्र की कहानी, उपनिषद की अन्य कहानियों की तरह, जीवन में प्रेरणा प्रदान करती है। यह आसन हाथों, कंधो ,जांघो एवं कमर की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है।

 

वीरभद्रासन कैसे करें 

  1. वीरभद्रासन सबसे  सुदृढ़ योग मुद्राओं में से एक है, यह योग के अभ्यास में सुदृढ़ता और सम्पूर्णता प्रदान करता है।
  2. पैरों को ३ से ४ फुट की दूरी पर फैला कर सीधे खड़े हो जाएँ।
  3. दाहिने पैर को ९०° और बाएँ पैर को १५° तक घुमाएँ।
  4. जाँच करें- दाहिना एड़ी बाएँ पैर के सीध में रखें।
  5. दोनों हाथों को कंधो तक ऊपर उठाएं, हथेलिया आसमान की तरफ खुले होने चाहिए ।
  6. जाँच करें- हाँथ जमीन के समांतर हो।
  7. साँस छोड़ते हुए दाहिने घुटने को मोड़े।
  8. जाँच करें- दाहिना घुटना एवं दाहिना टखना एक सीध में होना चाहिए। घुटना टखने से आगे नहीं जाना चाहिए।
  9. सर को घुमाएँ और अपनी दाहिनी ओर देखें।
  10. आसन में स्थिर हो कर हाथों को थोड़ा और खीचें।
  11. धीरे से श्रोणि(पेल्विस) को नीचे करें. एक योद्धा की तरह इस आसन में स्थिर रहें और मुस्कुराते रहें। नीचे जाने तक साँस लेते और छोड़ते रहें।
  12. साँस लेते हुए ऊपर उठें।
  13. साँस छोड़ते वक्त दोनों हाथों को बाजू से नीचे लाए।
  14. बाएँ तरफ से इसे दोहराएं.( बाएँ पैर को ९०° एवं दाये को १५° तक घुमाये)
  15. वीरभद्रासन से लाभ |
  16. हाथ, पैर और कमर को मजबूती प्रदान करता है।
  17. शरीर में संतुलन बढाता है, सहनशीलता बढती है।
  18. बैठ कर कार्य करने वालों के लिए अत्यंत लाभदायक है।
  19. कंधो के जकड़न में अत्यंत प्रभावशाली है।
  20. कंधो के तनाव में तुरंत मुक्त करता है।
  21. में साहस, कृपा एवं शांति की वृद्धि करता है।

वीरभद्रासन की सावधानियाँ 

  1. अगर आप रीढ की हड्डी के विकारों से पीड़ित है य किसी पुरानी बीमारी से पीड़ित हैं तो चिकित्सक से परामर्श ले कर ही ये आसन करें।
  2. उच्च रक्तचाप वाले मरीज़ यह आसन न करें।
  3. वीरभद्रासन गर्भवती महिलाओ के लिए दुसरे और तीसरे तिमाही में अत्यन्त लाभदायक है। आप इस आसन को करते समय दीवार का सहारा लें। इस आसन को करने से पहले चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
  4. अगर आप दस्तग्र्स्त हैं य हाल में ही इससे पीड़ित थे तो ये आसन न करें।
  5. अगर आप को घुटनों में दर्द है य गठिया की बीमारी है तो घुटनों के पास सहारे का उपयोग करें।

Yogasan for page

Virabhadrasana

वीरभद्रासन

There are three variations of the Warrior pose. These are named for a famous warrior, Virabhdra. Some people are confused by this because they believe that yogis follow a path of passivism.

They are right in thinking that, but we should also remember that the Bhagavad-Gita was the dialog used by two warriors – Arjuna and Krishna. They were facing off on the battlefield, so the title of the pose is a lot more relevant than you might realize.

These days, the war being waged is a spiritual one. The idea is that we are spiritual warriors fighting the battle against self-ignorance.

 

Step by Step

 

Step 1

Start in Mountain Pose (Tadasana). Keeping your right foot where it is, step your left foot back about 40 inches. Lift your arms so that they are parallel to one another and turn your chest to face forward toward the top of the mat (a slight twist from the spine)

Make sure that you stretch out with the sides of your body, lifting your shoulder blades up halfway to use the strength of your scapula. 

 

Step 2

Angle the left foot between 45 and 60 degrees out to the right. Your right foot points forward. The heels are somewhere hip-width distance apart. On the exhale, turn your upper body to the right and try to line up the pelvis with your mat’s edge.

Lengthen your spine and arch the upper body slightly.

 

Step 3

Make sure that your left heel is flat on the floor. On the exhale, bend the right knee until the shin is at a ninety-degree angle to the floor.

 

Step 4

Reach using your arms, ensuring that the ribcage lifts off the pelvis. If you can, put the palms together. Make sure that your head remains in a neutral position and look forward.

 

Step 5

Hold this position for up to a minute. On the inhale, press your back heel down and straighten your knee. Return your feet to the starting position and let your arms relax. Repeat the pose using the other foot. When you’re done, return to the Mountain Pose.

 

 

Modifications of the Virabhadrasana I

It might be challenging to keep your back heel flat against the floor or to lengthen out your lower back when you’re beginning. You can modify this pose to make it easier by lifting your back heel to close the gap.

 

Preparatory Poses

  • Parivrtta Parsvakonasana

  • Gomukhasana

  • Parivrtta Trikonasana

  • Prasarita Padottanasana

  • Adho Mukha Svanasana

  • Supta Virasana

  • Supta Padangusthasana

  • Supta Baddha Konasana

  • Utthita Parsvakonasana

  • Virasana

  • Virabhadrasana II

  • Vrksasana

 

Follow Up Poses

  • Virabhadrasana III

  • Backbends

 

Benefits of the Virabhadrasana I

This pose stretches out the following areas:

  • Lungs

  • Chest

  • Neck

  • Shoulders

  • Groin

  • Belly

  • Ankles

  • Calves

  • Thighs

It strengthens the following areas:

  • Back

  • Arms

  • Shoulders

  • Ankles

  • Calves

  • Thighs

 

Variations of the Virabhadrasana I

There are several variations based on the position of the arms. You’ll see our step by step walkthrough below. To vary the movement, perform steps 1, 2, and 3 as usual. Now that you’ve bent your knee swing your arms behind you and clasp your hands together.

You should stretch your hands away from your back, and raise your chest. You can squeeze together your shoulder blades, but you must also be sure to push them away from your spine. Bring your arms back to the start position, and then straighten up.

 

Pose Type

Standing

 

Beginner Tips

When performing this pose, be careful to ensure that your pelvis is not tipping forward, which will compress your lower back. When you’re moving into the knee bend, make sure that your pubis is lifted towards your navel and that your tailbone is lengthened. Also, keep an eye on the front knee from dipping in, Try to keep it over heel in the middle of the foot.


वीरभद्रासन जिसको वॉरईयर पोज़ (Warrior Pose) के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन का नाम भगवान शिव के अवतार, वीरभद्र, एक अभय योद्धा के नाम पर रखा गया। योद्धा वीरभद्र की कहानी, उपनिषद की अन्य कहानियों की तरह, जीवन में प्रेरणा प्रदान करती है। यह आसन हाथों, कंधो ,जांघो एवं कमर की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है।

 

वीरभद्रासन कैसे करें 

  1. वीरभद्रासन सबसे  सुदृढ़ योग मुद्राओं में से एक है, यह योग के अभ्यास में सुदृढ़ता और सम्पूर्णता प्रदान करता है।
  2. पैरों को ३ से ४ फुट की दूरी पर फैला कर सीधे खड़े हो जाएँ।
  3. दाहिने पैर को ९०° और बाएँ पैर को १५° तक घुमाएँ।
  4. जाँच करें- दाहिना एड़ी बाएँ पैर के सीध में रखें।
  5. दोनों हाथों को कंधो तक ऊपर उठाएं, हथेलिया आसमान की तरफ खुले होने चाहिए ।
  6. जाँच करें- हाँथ जमीन के समांतर हो।
  7. साँस छोड़ते हुए दाहिने घुटने को मोड़े।
  8. जाँच करें- दाहिना घुटना एवं दाहिना टखना एक सीध में होना चाहिए। घुटना टखने से आगे नहीं जाना चाहिए।
  9. सर को घुमाएँ और अपनी दाहिनी ओर देखें।
  10. आसन में स्थिर हो कर हाथों को थोड़ा और खीचें।
  11. धीरे से श्रोणि(पेल्विस) को नीचे करें. एक योद्धा की तरह इस आसन में स्थिर रहें और मुस्कुराते रहें। नीचे जाने तक साँस लेते और छोड़ते रहें।
  12. साँस लेते हुए ऊपर उठें।
  13. साँस छोड़ते वक्त दोनों हाथों को बाजू से नीचे लाए।
  14. बाएँ तरफ से इसे दोहराएं.( बाएँ पैर को ९०° एवं दाये को १५° तक घुमाये)
  15. वीरभद्रासन से लाभ |
  16. हाथ, पैर और कमर को मजबूती प्रदान करता है।
  17. शरीर में संतुलन बढाता है, सहनशीलता बढती है।
  18. बैठ कर कार्य करने वालों के लिए अत्यंत लाभदायक है।
  19. कंधो के जकड़न में अत्यंत प्रभावशाली है।
  20. कंधो के तनाव में तुरंत मुक्त करता है।
  21. में साहस, कृपा एवं शांति की वृद्धि करता है।

वीरभद्रासन की सावधानियाँ 

  1. अगर आप रीढ की हड्डी के विकारों से पीड़ित है य किसी पुरानी बीमारी से पीड़ित हैं तो चिकित्सक से परामर्श ले कर ही ये आसन करें।
  2. उच्च रक्तचाप वाले मरीज़ यह आसन न करें।
  3. वीरभद्रासन गर्भवती महिलाओ के लिए दुसरे और तीसरे तिमाही में अत्यन्त लाभदायक है। आप इस आसन को करते समय दीवार का सहारा लें। इस आसन को करने से पहले चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
  4. अगर आप दस्तग्र्स्त हैं य हाल में ही इससे पीड़ित थे तो ये आसन न करें।
  5. अगर आप को घुटनों में दर्द है य गठिया की बीमारी है तो घुटनों के पास सहारे का उपयोग करें।

Aasan

  • Virabhadrasana

    There are three variations of the Warrior pose. These are named for a famous warrior, Virabhdra. Some people are confused by this because they believe that yogis follow a path of passivism

वीरभद्रासन

वीरभद्रासन

वीरभद्रासन जिसको वॉरईयर पोज़ (Warrior Pose) के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन का नाम भगवान शिव के अवतार, वीरभद्र, एक अभय योद्धा के नाम पर रखा गया। योद्धा वीरभद्र की कहानी, उपनिषद की अन्य कहानियों की तरह, जीवन में प्रेरणा प्रदान करती है। यह आसन हाथों, कंधो ,जांघो एवं कमर की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है।

 

वीरभद्रासन कैसे करें 

  1. वीरभद्रासन सबसे  सुदृढ़ योग मुद्राओं में से एक है, यह योग के अभ्यास में सुदृढ़ता और सम्पूर्णता प्रदान करता है।
  2. पैरों को ३ से ४ फुट की दूरी पर फैला कर सीधे खड़े हो जाएँ।
  3. दाहिने पैर को ९०° और बाएँ पैर को १५° तक घुमाएँ।
  4. जाँच करें- दाहिना एड़ी बाएँ पैर के सीध में रखें।
  5. दोनों हाथों को कंधो तक ऊपर उठाएं, हथेलिया आसमान की तरफ खुले होने चाहिए ।
  6. जाँच करें- हाँथ जमीन के समांतर हो।
  7. साँस छोड़ते हुए दाहिने घुटने को मोड़े।
  8. जाँच करें- दाहिना घुटना एवं दाहिना टखना एक सीध में होना चाहिए। घुटना टखने से आगे नहीं जाना चाहिए।
  9. सर को घुमाएँ और अपनी दाहिनी ओर देखें।
  10. आसन में स्थिर हो कर हाथों को थोड़ा और खीचें।
  11. धीरे से श्रोणि(पेल्विस) को नीचे करें. एक योद्धा की तरह इस आसन में स्थिर रहें और मुस्कुराते रहें। नीचे जाने तक साँस लेते और छोड़ते रहें।
  12. साँस लेते हुए ऊपर उठें।
  13. साँस छोड़ते वक्त दोनों हाथों को बाजू से नीचे लाए।
  14. बाएँ तरफ से इसे दोहराएं.( बाएँ पैर को ९०° एवं दाये को १५° तक घुमाये)
  15. वीरभद्रासन से लाभ |
  16. हाथ, पैर और कमर को मजबूती प्रदान करता है।
  17. शरीर में संतुलन बढाता है, सहनशीलता बढती है।
  18. बैठ कर कार्य करने वालों के लिए अत्यंत लाभदायक है।
  19. कंधो के जकड़न में अत्यंत प्रभावशाली है।
  20. कंधो के तनाव में तुरंत मुक्त करता है।
  21. में साहस, कृपा एवं शांति की वृद्धि करता है।

वीरभद्रासन की सावधानियाँ 

  1. अगर आप रीढ की हड्डी के विकारों से पीड़ित है य किसी पुरानी बीमारी से पीड़ित हैं तो चिकित्सक से परामर्श ले कर ही ये आसन करें।
  2. उच्च रक्तचाप वाले मरीज़ यह आसन न करें।
  3. वीरभद्रासन गर्भवती महिलाओ के लिए दुसरे और तीसरे तिमाही में अत्यन्त लाभदायक है। आप इस आसन को करते समय दीवार का सहारा लें। इस आसन को करने से पहले चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
  4. अगर आप दस्तग्र्स्त हैं य हाल में ही इससे पीड़ित थे तो ये आसन न करें।
  5. अगर आप को घुटनों में दर्द है य गठिया की बीमारी है तो घुटनों के पास सहारे का उपयोग करें।