સ્કંદાસન

स्कंदासन की सही विधि से करें अपने पैरों के दर्द की शिकायत दूर,जाने,,

बता रहें हैं,महायोगी स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी,,,

मुख्य बात:-

सबसे पहले अपना स्वर जांच ले, जिस नांक का स्वर चल रहा हो,उसी हिस्से का पैर को इस आसन में सीधे रखना है और दूसरे पैर को मोड़ना है,,

 

अब विधि जाने ऐसे करें –

अपने योग मेट पर सीधे खड़े हो जाएं और फिर दोनों पैरों के बीच २-३ फुट का गैप यानी दूरी देकर सीधे खड़े हो जाएं। अब चल रहे स्वर वाले पैर को सीधा रखते हुए,दूसरे पैर के घुटने को मोड़ते हुए पिंडली से कुछ दूरी रखते हुए बैठें। ओर 10 सेकेंड वही पोजिशन में रुकते हुए वापस सीधे खड़े हो जाये और ऐसे ही अभी जो पैर मोड़कर बैठे थे,उसे तो सीधा रखें और पहले जो सीधा रखा था वो पैर को घुटने से मोड़ते हुए उसी पैर की पिंडली से थोड़ा अंतर रखते हुए बैठ जाये,10 सेकेंड तक उसी पोजिशन में रुके ओर 5 से 10 बार तक गहरा सांस ले और धीरे से छोड़े ओर वापस उठकर सीधे खड़े हो जाये।
यदि इस मुद्रा में आपका संतुलन बिगड़े तो हथेलियों को जमीन पर टिकाएं ,संतुलन सही रहे तो अपनी हाथों की हथेलियों की नमस्कार मुद्रा बना पीछे बताई मुद्रा में बने रह सकते हैं।
इसे हाफ स्क्वैट पोज या साइड लंज भी कहते हैं। जांघों को मजबूती देने के साथ यह आसन कूल्हों-पंजों की ताकत बढ़ाता है। अधिक वजन वाले ऐसे व्यक्ति जिनकी जांघों वाले भाग में अधिक चर्बी हो, वे इसका बहुत नीचे की ओर नहीं बैठते हुए जितना सम्भव हो उतना बैठक में रुकने का अभ्यास कर सकते हैं।
मेरे अनुसार सभी आसनों को दोनों साइड से मिलकर एक एक बार ही करना चाहिए,बस इन सब योग मुद्राओं में समय और सांस की गति पर अधिकार करते हुए सहन शक्ति बढ़ाते हुए अपने ध्यान की शक्ति को बढ़ाना ही आसन के अर्थ स्थिरता को सार्थक करना चाहये,तभी सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति के साथ स्ट्रेंथ ओर स्टेमिना की व्रद्धि होने से चित्त की एकाग्रता और मानसिक और शारारिक स्वास्थ शक्ति की प्राप्ति होती है।
घुटने के ऑपरेशन वाले कुछ ठीक होने पर ही इस आसन को करें। पेट और कुहे का
फेट बर्न चर्बी घटती है,कूल्हे ओर हिप्स का साइज सही और सुंदर होता है,जांघे सही और बलशाली बनती है।पिंडलियों का आकार बहतरीन बनता है,पंजो की शक्ति बढ़ती है कमर के साइज घटता है।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
महायोगी स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

 

 

 

स्कंदासन की सही विधि से करें अपने पैरों के दर्द की शिकायत दूर,जाने,, बता रहें हैं,महायोगी स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी,

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સ્કંદાસન

સ્કંદાસન

 

સ્કંદાસનની સાચી રીતથી તમારા પગની પીડાની ફરિયાદ દૂર કરો, જાને,,

કહો છો,महायोगी स्वामी सत्येन्द्र सत्य साहिब जी,,,

મુખ્ય વાત:-

સૌથી પહેલા તમારી સ્વર તપાસ લે, જે નાનકનો સ્વર ચાલતો હોય, ઉસી ભાગનું પગ આસનમાં તપાસો અને બીજા પગને મોઢે રાખો.

 

હવે રીત જા

તમારા યોગ મેટ પર ઉભા રહો अब चल रहे हैं स्वर वाले पैर को सीधा, दूसरे पैर के घुटने को मोड़ते हुए पिंडली से कुछ देख रहे हैं। ઓર 10 सेकेंड वही पोजिशन में रुकते हुए वापस बैठे हो जाये और अभी भी जो पैर मोड़कर बैठे थे, उसे तो सीधा रहो और पहले जो सीधा याद था वो पैर को घुटने से मोड़ते हुए समान की पिंडली से थोड़ा अंतर बैठ गया જાઓ, 10 સેકંડ સુધી સમાન પોજીશનમાં રૂકે 5 થી 10 વાર સુધી ગहरा सांस ले धीरे से छोड़े ओर वापस उठकर उठे खड़े हो जाये.
જો આ મુદ્રામાં તમારા બૅલન્સ બિગડે તો હથેલની જમીન પર ટિકાઓ, સંતુલન સાચા તેના હાથો કે હેથેલિયન્સની મુદ્રાઓ પાછળની મુદ્રામાં રહી શકે છે.
તે હાફ સ્ક્વેટ પોજ અથવા લંજ પણ કહે છે. જાંघों को मजबूती देने के साथ यह आसन कूलहों-पंजों की ताकत बढती है. વધુ વજનવાળા વ્યક્તિઓ જેમની જીનકી જાંઘોવાળા ભાગ માં વધુ ચર્બી હો, તેઓ નીચેની તરફ નથી बसते जितना उचित हो उतना बैठक में रुकने का अध्ययन कर सकते हैं.
મારા અનુસાર બધાં જ બંનેનાં સદસ્યો એક જ વાર મેળવશે, બસ ઇન સબ શક્તિ આસના સમયે અને સાંસની ગતિ પર અધિકાર કરે છે તે શક્તિમાં વધારો કરે છે તમારા ધ્યાનને વધવું જ આસનનો અર્થ સ્થિરતા માટે સાર્થક કરવું જોઈએ. ,तभी सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति के साथ स्ट्रेंथ ओर स्टेमिना की वृद्धी से चित्त की एकग्रता और मानसिक और शारिक स्वास्थ शक्ति की प्राप्ति होती है।
घुटने के कार्य करने वाले कुछ ठीक होने पर भी इस आसन को पूरा करें. પેટ અને કુહે કા
ફેટ બર્ન ચર્બી ઘટતી છે, કૂલહે ઓર હિપ્સ કા સાઈજ સાચી અને સુંદર છે, જાંગે સાચું અને બલશાલી બનેતી છે.

जय ॐ सिद्धायै नमः
महायोगी स्वामी सत्येन्द्र सत्य साहिब जी
www.satyasmeemission.org

સ્કંદાસનની સાચી રીતથી તમારા પગની પીડાની ફરિયાદ દૂર કરો,જાને,,કહો છો,महायोगी स्वामी सत्येन्द्र सत्य साहिब जी,

 


स्कंदासन की सही विधि से करें अपने पैरों के दर्द की शिकायत दूर,जाने,,

बता रहें हैं,महायोगी स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी,,,

मुख्य बात:-

सबसे पहले अपना स्वर जांच ले, जिस नांक का स्वर चल रहा हो,उसी हिस्से का पैर को इस आसन में सीधे रखना है और दूसरे पैर को मोड़ना है,,

 

अब विधि जाने ऐसे करें –

अपने योग मेट पर सीधे खड़े हो जाएं और फिर दोनों पैरों के बीच २-३ फुट का गैप यानी दूरी देकर सीधे खड़े हो जाएं। अब चल रहे स्वर वाले पैर को सीधा रखते हुए,दूसरे पैर के घुटने को मोड़ते हुए पिंडली से कुछ दूरी रखते हुए बैठें। ओर 10 सेकेंड वही पोजिशन में रुकते हुए वापस सीधे खड़े हो जाये और ऐसे ही अभी जो पैर मोड़कर बैठे थे,उसे तो सीधा रखें और पहले जो सीधा रखा था वो पैर को घुटने से मोड़ते हुए उसी पैर की पिंडली से थोड़ा अंतर रखते हुए बैठ जाये,10 सेकेंड तक उसी पोजिशन में रुके ओर 5 से 10 बार तक गहरा सांस ले और धीरे से छोड़े ओर वापस उठकर सीधे खड़े हो जाये।
यदि इस मुद्रा में आपका संतुलन बिगड़े तो हथेलियों को जमीन पर टिकाएं ,संतुलन सही रहे तो अपनी हाथों की हथेलियों की नमस्कार मुद्रा बना पीछे बताई मुद्रा में बने रह सकते हैं।
इसे हाफ स्क्वैट पोज या साइड लंज भी कहते हैं। जांघों को मजबूती देने के साथ यह आसन कूल्हों-पंजों की ताकत बढ़ाता है। अधिक वजन वाले ऐसे व्यक्ति जिनकी जांघों वाले भाग में अधिक चर्बी हो, वे इसका बहुत नीचे की ओर नहीं बैठते हुए जितना सम्भव हो उतना बैठक में रुकने का अभ्यास कर सकते हैं।
मेरे अनुसार सभी आसनों को दोनों साइड से मिलकर एक एक बार ही करना चाहिए,बस इन सब योग मुद्राओं में समय और सांस की गति पर अधिकार करते हुए सहन शक्ति बढ़ाते हुए अपने ध्यान की शक्ति को बढ़ाना ही आसन के अर्थ स्थिरता को सार्थक करना चाहये,तभी सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति के साथ स्ट्रेंथ ओर स्टेमिना की व्रद्धि होने से चित्त की एकाग्रता और मानसिक और शारारिक स्वास्थ शक्ति की प्राप्ति होती है।
घुटने के ऑपरेशन वाले कुछ ठीक होने पर ही इस आसन को करें। पेट और कुहे का
फेट बर्न चर्बी घटती है,कूल्हे ओर हिप्स का साइज सही और सुंदर होता है,जांघे सही और बलशाली बनती है।पिंडलियों का आकार बहतरीन बनता है,पंजो की शक्ति बढ़ती है कमर के साइज घटता है।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
महायोगी स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
Www.satyasmeemission.org

 

 

 

स्कंदासन की सही विधि से करें अपने पैरों के दर्द की शिकायत दूर,जाने,, बता रहें हैं,महायोगी स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी,

स्कंदासन

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स्कंदासन की सही विधि से करें अपने पैरों के दर्द की शिकायत दूर,जाने,,

बता रहें हैं,महायोगी स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी,,,

मुख्य बात:-

सबसे पहले अपना स्वर जांच ले, जिस नांक का स्वर चल रहा हो,उसी हिस्से का पैर को इस आसन में सीधे रखना है और दूसरे पैर को मोड़ना है,,

 

अब विधि जाने ऐसे करें –

अपने योग मेट पर सीधे खड़े हो जाएं और फिर दोनों पैरों के बीच २-३ फुट का गैप यानी दूरी देकर सीधे खड़े हो जाएं। अब चल रहे स्वर वाले पैर को सीधा रखते हुए,दूसरे पैर के घुटने को मोड़ते हुए पिंडली से कुछ दूरी रखते हुए बैठें। ओर 10 सेकेंड वही पोजिशन में रुकते हुए वापस सीधे खड़े हो जाये और ऐसे ही अभी जो पैर मोड़कर बैठे थे,उसे तो सीधा रखें और पहले जो सीधा रखा था वो पैर को घुटने से मोड़ते हुए उसी पैर की पिंडली से थोड़ा अंतर रखते हुए बैठ जाये,10 सेकेंड तक उसी पोजिशन में रुके ओर 5 से 10 बार तक गहरा सांस ले और धीरे से छोड़े ओर वापस उठकर सीधे खड़े हो जाये।
यदि इस मुद्रा में आपका संतुलन बिगड़े तो हथेलियों को जमीन पर टिकाएं ,संतुलन सही रहे तो अपनी हाथों की हथेलियों की नमस्कार मुद्रा बना पीछे बताई मुद्रा में बने रह सकते हैं।
इसे हाफ स्क्वैट पोज या साइड लंज भी कहते हैं। जांघों को मजबूती देने के साथ यह आसन कूल्हों-पंजों की ताकत बढ़ाता है। अधिक वजन वाले ऐसे व्यक्ति जिनकी जांघों वाले भाग में अधिक चर्बी हो, वे इसका बहुत नीचे की ओर नहीं बैठते हुए जितना सम्भव हो उतना बैठक में रुकने का अभ्यास कर सकते हैं।
मेरे अनुसार सभी आसनों को दोनों साइड से मिलकर एक एक बार ही करना चाहिए,बस इन सब योग मुद्राओं में समय और सांस की गति पर अधिकार करते हुए सहन शक्ति बढ़ाते हुए अपने ध्यान की शक्ति को बढ़ाना ही आसन के अर्थ स्थिरता को सार्थक करना चाहये,तभी सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति के साथ स्ट्रेंथ ओर स्टेमिना की व्रद्धि होने से चित्त की एकाग्रता और मानसिक और शारारिक स्वास्थ शक्ति की प्राप्ति होती है।
घुटने के ऑपरेशन वाले कुछ ठीक होने पर ही इस आसन को करें। पेट और कुहे का
फेट बर्न चर्बी घटती है,कूल्हे ओर हिप्स का साइज सही और सुंदर होता है,जांघे सही और बलशाली बनती है।पिंडलियों का आकार बहतरीन बनता है,पंजो की शक्ति बढ़ती है कमर के साइज घटता है।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
महायोगी स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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स्कंदासन की सही विधि से करें अपने पैरों के दर्द की शिकायत दूर,जाने,, बता रहें हैं,महायोगी स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी,