हनुमानासन

हनुमानासन को मंकी पोज (Monkey pose) भी कहते हैं। इस योग मुद्रा में बजरंगबली की मुद्रा में शरीर को मोड़ा जाता है। इस आसन की प्रारंभिक मुद्रा थोड़ी चुनौतीपूर्ण होती है क्योंकि इसमें शरीर को लचीला भी करना होता है। यह आसन जमीन पर आराम से बैठकर किया जाता है और लगातार सांस लेने और छोड़ने का भी अभ्यास किया जाता है। महिलाओं के लिए यह आसन बेहद लाभकारी होता है।

यूं करें हनुमानासन

सबसे पहले जमीन पर बैठ जाएं। अपने दोनों पैरों को आगे-पीछे (दो अलग दिशाओं) फैलाकर बैठें। दोनों पैर के घुटने एक-दूसरे से अलग हों। दाहिना पैर आगे की ओर रखें एवं बायां पैर पीछे की ओर फैलाएं। अब गहरी सांस लें। सांस छोड़ें और अपने धड़ को आगे की तरफ झुकाएं। इस दौरान आपकी उंगलियां जमीन से छूनी चाहिए। अब अपने बाएं घुटने को इस तरह से पीछे की ओर रखें कि आपका दाहिना पैर आगे की ओर जमीन को छुए। इस मुद्रा में आने के बाद अपनी भुजाओं को अपने सिर से ऊपर उठाएं। दोनों हथेलियों को जोड़ें। अपनी भुजाओं को जितना संभव हो ऊपर की ओर ले जाएं। हल्का सा धड़ और हथेलियों को पीछे की ओर झुकाएं। इस दौरान सामान्य रूप से सांस लेते रहें। जितनी देर तक आप इस मुद्रा में सहज तरीके से रह सकते हैं, रहने की कोशिश करें। फिर पहले की अवस्था में आ जाएं।

हनुमानासन के फायदे

  • प्रतिदिन हनुमानासन करने से शरीर के अंदर जमा हानिकारक पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। पेट की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। पाचन क्रिया दुरुस्त होता है।
  • प्रेगनेंसी में इसे करना फायदेमंद है। यह प्रसव के दौरान होने वाले दर्द को कम करता है। इससे बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया आसान हो जाती है। गर्भावस्था के पहली तिमाही में इसका अभ्यास करने से बच्चे को जन्म देने में अधिक परेशानी नहीं होती है।
  • इसके नियमित अभ्यास से साइटिका के दर्द से राहत मिलती है। यह आसन कूल्हों की मांसपेशियों को भी मजबूत बनाता है।

वजन कम करने के लिए रोज करें ये 3 आसन

  • रात में नींद नहीं आती तो इसका अभ्यास नियमित रूप से करें। इसे करने के दौरान सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया से स्ट्रेस और चिंता कम होती है। मस्तिष्क को राहत प्रदान करता है इसलिए नींद की समस्या दूर करने में यह आसन कारगर है।
  • इससे शरीर में रक्त प्रवाह बढ़ता है। पैरों और कूल्हों में भी खून का प्रवाह बेहतर होता है। जिन लोगों के शरीर में खून का प्रवाह सही से नहीं होता, उन्हें इसका अभ्यास जरूर करना चाहिए।
  • इसे करने से शरीर के ऊपरी हिस्से की एक्सरसाइज होती है। यह पेट की मांसपेशियों को टाइट बनाता है। अतिरिक्त चर्बी को घटाता है। पेट, नितंबों और जांघों के फैट को कम करने में यह आसन बहुत फायदेमंद है।

Yogasan for page

હનુમાનાસન

हनुमानासन

કબજિયાતને દૂર કરનારા યોગાસનો

મારા મતે કબજિયાત એ અગણિત બીમારીઓનું કારણ છે. 90% બીમારીઓ કબજિયાતના કારણે થાય છે. અંગત રીતે કબજિયાતના ઘણા દર્દીઓને મળી છું જેઓ યોગ માટે આવે છે પછી યોગ નિયમિત રીતે કરવાથી રાહત અનુભવે છે. ઘણાને ખરેખર તો કબજિયાત નથી હોતી પણ મળશુદ્ધિ ન થવાથી અને શરીરમાં ધીમે ધીમે ઝેર બનતું હોવાથી પીડાતા હોય છે. આપણા આંતરડાં ખરેખર તો ગંદકી વહી જનાર છે અને એ અગત્યનું છે કે તમામ પ્રકારનો ન પચેલો ખોરાક અને કચરો તેમાંથી પસાર થાય જેનો નિકાલ થવો જ જોઈએ, નહીંતર રહેલો ઝેરી પદાર્થ પાછો શરીરમાં જઈને, લોહીમાં શોષાઈને આંતરડાની દીવાલોમાં રહી જાય છે. આવો રહી ગયેલ પદાર્થ એ નીકળી ગયેલ પદાર્થ કરતાં વધુ અગત્ય માગી લે છે .

 

કબજિયાત માટેના આસનો અને યોગિક મેનેજમેન્ટ

  1. સુપ્ત વજ્રાસન, પૂર્વોત્તાનાસન અને બેક બેન્ડિંગ જેવાં આસનો જ્યારે કરવામાં આવે ત્યારે તેનાથી ગેસ્ટ્રિક એરિયામાં હેલ્ધી બ્લડ સર્ક્યુલેશનને મદદ કરે છે. .
  2. તમામ બેક બેન્ડિંગ આસનોમાં વેગસ નર્વઝનું સ્ટ્રેચ એ અગત્યનું મેકેનિઝમ છે, જે લોહીનો પ્રવાહ ઘટાડે છે. ભૂખ પણ એમાં ઘટી જાય છે.
  3. સેતુબંધ, સર્વાંગાસન, વિપરીત કરણી આસન બહુ સારા છે કેમ કે એ જઠરાગ્ની પ્રદીપ્ત કરે છે, જે પાચનમાં મદદ કરે છે અને નાભિની ઉપર મણીપુર ચક્રમાં આવેલ છે.
  4. આસનોથી મોટી ઉંમરે એસિડનો પ્રવાહ જળવાય છે જે પેથોલોજીકલ તત્વોથી પેટ પર થતું આક્રમણ રોકે છે.
  5. પવનમુક્તાસન, હલાસન, પૂર્ણ શલભાસન અને ધનુરાસન જેવા આસન કબજિયાત દૂર કરવા માટે બહુ જ અસરકારક છે.

 

કબજિયાત થવાના ખરેખરાં કારણો ક્યાં છે ?

  • કબજિયાત ક્યારેક સાઈકોલોજીલ કારણોસર થાય છે જેમ કે એક સ્ત્રી, જેને હું જાણું છું તેને કબજિયાત એટલે થઇ હતી કે તે જ્યાં રહેતી હતી ત્યાં તેને બાથરૂમ બીજા સાથે શેર કરવાનો રહેતો. જરૂર કરતાં ઓછુ ખાવાથી પણ કે વધુ ખાવાથી પણ થાય. ઓછી કસરત કરવાથી કે ભય અને ટેન્શનથી પણ થાય છે. .
  • દવાઓનો વધુ પડતો ઉપયોગ
  • ખોરાકમાં રેસાઓ એટલે કે ફાઈબરનો ઉપયોગ સાવ ઓછો.
  • વધુ પડતું મદ્યપાન કે ધૂમ્રપાન પણ કબજિયાત કરે છે.

 

કબજિયાત અને યોગિક ક્રિયાઓ:

  • મહીને એક વાર વમન(ઊલટી) જેવી અને દર ત્રણ મહીને એક વાર શંખપ્રક્ષાલન જેવી યોગિક ક્રિયાથી આંતરડું સાફ કરી લેવું જોઈએ. જો કે એનો આધાર તમારી કબજિયાતની ગંભીરતા પર છે.

 

ટીચર્સ ટીપ્સ:

યોગીઓએ આપણા પેટના અંગોનું એક સરસ વિચારણીય ડીલ આપ્યું છે. તમે જુઓ કે આપણી રમતો કે સ્પોર્ટ્સમાં ક્યાંય શરીરના વચલા ભાગનો હિસ્સો આવતો નથી. તો પણ આપણે પશ્ચિમની નકલ ઉતારીએ છીએ એટલે મોટા ભાગના ઘરોમાં પાશ્ચાત્ય શૈલીના ટોઇલેટ જોવા મળે છે. મારા મતે જો શક્ય હોય તો તમારા ઘરમાં એક ટોઇલેટ ઇન્ડિયન હોવું અત્યંત જરૂરી છે. જૂના જમાનામાં કબજિયાતના પ્રશ્નો આટલા ફાલ્યા નહોતા. કેમ કે ભારતીય શૈલીના ટોઇલેટ શૌચ સારી રીતે નીકળે તે માટે પેટના અંગો પર સારું દબાણ મૂકી શકતા હતા. જમ્યા પછી સ્ક્વેટીંગ પદ્ધતિએ બેસવાનો પ્રયાસ કરો, એનાથી પણ ઘણી મદદ મળશે. યોગ કરતા બીજી કોઈ પદ્ધતિ સરળ અને વધુ અસરકારક હોય તો તેની મને ખબર નથી.

Hanumanasana

हनुमानासन

 

Hanumanasana (Sanskrit: हनुमानासन) or Monkey Pose is a seated asana in modern yoga as exercise. It is the yoga version of the front splits.

Etymology and origins

The name comes from the Sanskrit words Hanuman (a divine entity in Hinduism who resembles a monkey) and asana (posture), and commemorates the giant leap made by Hanuman to reach the Lankan islands from the mainland of India.

The pose is not described in the medieval hatha yoga texts. It appears in the 20th century in diverse traditions of modern yoga, such as in Swami Yogesvarananda's 1970 First Steps to Higher Yoga (as Vikatasana), in the Ashtanga Vinyasa Yoga of Pattabhi Jois, in Swami Satyananda Saraswati's 2003 Asana Pranayama Mudra Bandha,[ and in B. K. S. Iyengar's 1966 Light on Yoga.

Description
Hanumanasana is an advanced pose (rated 36 out of 64 by B. K. S. Iyengar). The pose is approached from a kneeling position, stretching one leg forwards, the other straight back, supporting the body on the hands until the full pose is mastered. The hands may then be placed in prayer position (Anjali Mudra). Finally the arms may be stretched above the head, the palms together. Iyengar states that to reach the full pose, one must make "several attempts each day" and be prepared to work at it for "a long time".


हनुमानासन को मंकी पोज (Monkey pose) भी कहते हैं। इस योग मुद्रा में बजरंगबली की मुद्रा में शरीर को मोड़ा जाता है। इस आसन की प्रारंभिक मुद्रा थोड़ी चुनौतीपूर्ण होती है क्योंकि इसमें शरीर को लचीला भी करना होता है। यह आसन जमीन पर आराम से बैठकर किया जाता है और लगातार सांस लेने और छोड़ने का भी अभ्यास किया जाता है। महिलाओं के लिए यह आसन बेहद लाभकारी होता है।

यूं करें हनुमानासन

सबसे पहले जमीन पर बैठ जाएं। अपने दोनों पैरों को आगे-पीछे (दो अलग दिशाओं) फैलाकर बैठें। दोनों पैर के घुटने एक-दूसरे से अलग हों। दाहिना पैर आगे की ओर रखें एवं बायां पैर पीछे की ओर फैलाएं। अब गहरी सांस लें। सांस छोड़ें और अपने धड़ को आगे की तरफ झुकाएं। इस दौरान आपकी उंगलियां जमीन से छूनी चाहिए। अब अपने बाएं घुटने को इस तरह से पीछे की ओर रखें कि आपका दाहिना पैर आगे की ओर जमीन को छुए। इस मुद्रा में आने के बाद अपनी भुजाओं को अपने सिर से ऊपर उठाएं। दोनों हथेलियों को जोड़ें। अपनी भुजाओं को जितना संभव हो ऊपर की ओर ले जाएं। हल्का सा धड़ और हथेलियों को पीछे की ओर झुकाएं। इस दौरान सामान्य रूप से सांस लेते रहें। जितनी देर तक आप इस मुद्रा में सहज तरीके से रह सकते हैं, रहने की कोशिश करें। फिर पहले की अवस्था में आ जाएं।

हनुमानासन के फायदे

  • प्रतिदिन हनुमानासन करने से शरीर के अंदर जमा हानिकारक पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। पेट की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। पाचन क्रिया दुरुस्त होता है।
  • प्रेगनेंसी में इसे करना फायदेमंद है। यह प्रसव के दौरान होने वाले दर्द को कम करता है। इससे बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया आसान हो जाती है। गर्भावस्था के पहली तिमाही में इसका अभ्यास करने से बच्चे को जन्म देने में अधिक परेशानी नहीं होती है।
  • इसके नियमित अभ्यास से साइटिका के दर्द से राहत मिलती है। यह आसन कूल्हों की मांसपेशियों को भी मजबूत बनाता है।

वजन कम करने के लिए रोज करें ये 3 आसन

  • रात में नींद नहीं आती तो इसका अभ्यास नियमित रूप से करें। इसे करने के दौरान सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया से स्ट्रेस और चिंता कम होती है। मस्तिष्क को राहत प्रदान करता है इसलिए नींद की समस्या दूर करने में यह आसन कारगर है।
  • इससे शरीर में रक्त प्रवाह बढ़ता है। पैरों और कूल्हों में भी खून का प्रवाह बेहतर होता है। जिन लोगों के शरीर में खून का प्रवाह सही से नहीं होता, उन्हें इसका अभ्यास जरूर करना चाहिए।
  • इसे करने से शरीर के ऊपरी हिस्से की एक्सरसाइज होती है। यह पेट की मांसपेशियों को टाइट बनाता है। अतिरिक्त चर्बी को घटाता है। पेट, नितंबों और जांघों के फैट को कम करने में यह आसन बहुत फायदेमंद है।

हनुमानासन

हनुमानासन

हनुमानासन को मंकी पोज (Monkey pose) भी कहते हैं। इस योग मुद्रा में बजरंगबली की मुद्रा में शरीर को मोड़ा जाता है। इस आसन की प्रारंभिक मुद्रा थोड़ी चुनौतीपूर्ण होती है क्योंकि इसमें शरीर को लचीला भी करना होता है। यह आसन जमीन पर आराम से बैठकर किया जाता है और लगातार सांस लेने और छोड़ने का भी अभ्यास किया जाता है। महिलाओं के लिए यह आसन बेहद लाभकारी होता है।

यूं करें हनुमानासन

सबसे पहले जमीन पर बैठ जाएं। अपने दोनों पैरों को आगे-पीछे (दो अलग दिशाओं) फैलाकर बैठें। दोनों पैर के घुटने एक-दूसरे से अलग हों। दाहिना पैर आगे की ओर रखें एवं बायां पैर पीछे की ओर फैलाएं। अब गहरी सांस लें। सांस छोड़ें और अपने धड़ को आगे की तरफ झुकाएं। इस दौरान आपकी उंगलियां जमीन से छूनी चाहिए। अब अपने बाएं घुटने को इस तरह से पीछे की ओर रखें कि आपका दाहिना पैर आगे की ओर जमीन को छुए। इस मुद्रा में आने के बाद अपनी भुजाओं को अपने सिर से ऊपर उठाएं। दोनों हथेलियों को जोड़ें। अपनी भुजाओं को जितना संभव हो ऊपर की ओर ले जाएं। हल्का सा धड़ और हथेलियों को पीछे की ओर झुकाएं। इस दौरान सामान्य रूप से सांस लेते रहें। जितनी देर तक आप इस मुद्रा में सहज तरीके से रह सकते हैं, रहने की कोशिश करें। फिर पहले की अवस्था में आ जाएं।

हनुमानासन के फायदे

  • प्रतिदिन हनुमानासन करने से शरीर के अंदर जमा हानिकारक पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। पेट की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। पाचन क्रिया दुरुस्त होता है।
  • प्रेगनेंसी में इसे करना फायदेमंद है। यह प्रसव के दौरान होने वाले दर्द को कम करता है। इससे बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया आसान हो जाती है। गर्भावस्था के पहली तिमाही में इसका अभ्यास करने से बच्चे को जन्म देने में अधिक परेशानी नहीं होती है।
  • इसके नियमित अभ्यास से साइटिका के दर्द से राहत मिलती है। यह आसन कूल्हों की मांसपेशियों को भी मजबूत बनाता है।

वजन कम करने के लिए रोज करें ये 3 आसन

  • रात में नींद नहीं आती तो इसका अभ्यास नियमित रूप से करें। इसे करने के दौरान सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया से स्ट्रेस और चिंता कम होती है। मस्तिष्क को राहत प्रदान करता है इसलिए नींद की समस्या दूर करने में यह आसन कारगर है।
  • इससे शरीर में रक्त प्रवाह बढ़ता है। पैरों और कूल्हों में भी खून का प्रवाह बेहतर होता है। जिन लोगों के शरीर में खून का प्रवाह सही से नहीं होता, उन्हें इसका अभ्यास जरूर करना चाहिए।
  • इसे करने से शरीर के ऊपरी हिस्से की एक्सरसाइज होती है। यह पेट की मांसपेशियों को टाइट बनाता है। अतिरिक्त चर्बी को घटाता है। पेट, नितंबों और जांघों के फैट को कम करने में यह आसन बहुत फायदेमंद है।