સુપ્ત पादांगुष्ठासन

सुप्त पादांगुष्ठासन (Supta Padangusthasana), संस्कृत भाषा का शब्द है। ये चार शब्दों से मिलकर बना है। पहले शब्द सुप्त का अर्थ है लेटा हुआ या Reclined। दूसरा शब्द है पाद, इसका अर्थ है पैर यानी Legs या Feet। 

तीसरे शब्द अंगुष्ठ का अर्थ है अंगूठा या Big Toe। आसन, किसी विशेष स्थिति में खड़े होने, लेटने या बैठने को कहा जाता है। अंग्रेजी भाषा में इसे पोज या Pose कहा जाता है। 

सुप्त पादांगुष्ठासन को अंग्रेजी में Reclined Hand to Big Toe Pose भी कहा जाता है। इस योगासन की रचना का श्रेय महान योग गुरु आचार्य बीकेएस आयंगर (B. K. S. Iyengar) को जाता है। 

आचार्य आयंगर ने साल 1966 में लाइट ऑन योग (Light on Yoga) नाम की प्रसिद्ध पुस्तक लिखी थी। सुप्त पादांगुष्ठासन का वर्णन सर्वप्रथम इसी पुस्तक में मिलता है। 

सुप्त पादांगुष्ठासन, आयंगर योग (Iyengar Yoga) और हठ योग (Hath Yoga) की मिश्रित शैली वाला, साधारण कठिनाई या बेसिक लेवल का आसन है। इस आसन को एक बार में एक टांग से 30 सेकेंड तक करने की सलाह दी जाती है। दोहराव करते हुए इसे दूसरी टांग से करना चाहिए।

सुप्त पादांगुष्ठासन के अभ्यास से, 

लोअर बैक 
पैर और एड़ियां
हैमस्ट्रिंग
पेल्विक
क्वाड्रिसेप्स 
आदि मांसपेशियां मजबूत होती हैं और उनमें खिंचाव आता है।

 

सुप्त पादांगुष्ठासन करने के फायदे

सभी योगासनों को करने से शरीर और मन को कुछ फायदे मिलते हैं। खासतौर पर, अगर उन्हें सांसों की गति और शरीर के सही तालमेल के साथ किया जाए। सुप्त पादांगुष्ठासन के साथ भी ऐसा ही है, ये शरीर और मन को हील करके उन्हें मजबूत बनाता है।

  • प्रजनन प्रणाली या रीप्रोडक्टिव​ सिस्टम को मजबूत बनाता है।
  • पैरों में रक्त का प्रवाह तेज करता है।
  • शरीर में हार्मोन बैलेंस को बेहतर करता है।
  • मलाशय को हेल्दी बनाए रखने में मदद करता है।
  • बवासीर की समस्या में बहुत राहत देता है। 
  • मूत्राशय को फिट और साफ-सुथरा रखता है। 
  • अंडवृद्धि या हाइड्रोसील की समस्या नहीं होने देता है।
  • शरीर में चेतना का विकास करता है। 
  • क्वाड्रिसेप्स की मसल्स को मजबूत बनाता है। 
  • हैमस्टिंग की मसल्स की क्षमता को बढ़ाता है।
  • टांगों को टोन करने में मदद करता है। 
  • एथलीट्स और रनर्स को स्ट्रेचिंग में मदद करता है। 
  • दौड़ने के बाद होने वाली थकान को कम करता है।
  • साइटिका और वेरिकोस वेन की समस्या को दूर करता है।
  • ब्लड प्रेशर, नपुंसकता और कब्ज की समस्या को दूर करता है।
  • सिक्स पैक एब्स बनाने में मदद करता है।
  • कोर मसल्स को सख्त बनाकर मजबूत करता है।
  • हाथों और कंधों को अच्छी स्ट्रेचिंग देता है।
  • कठिन योगासनों के लिए टांगों को लचीला बनाता है।
  • सुप्त पादांगुष्ठासन का अभ्यास सुबह के वक्त ही किया जाना चाहिए।
  • अगर शाम को आसन कर रहे हैं तो, भोजन 4 से 6 घंटे पहले करना जरूरी है।
  • आसन से पहले आपने शौच कर लिया हो और पेट एकदम खाली हो।
  • हाई ब्लड प्रेशर के मरीज सुप्त पादांगुष्ठासन का अभ्यास न करें। 
  • डायरिया की शिकायत होने पर कभी भी ये आसन नहीं करना चाहिए।
  • घुटनों में समस्या या आर्थराइटिस होने पर सुप्त पादांगुष्ठासन नहीं करना चाहिए। 
  • अगर गर्दन में दर्द की समस्या है तो आसन करते समय गर्दन न मोड़ें। 
  • शुरुआत में सुप्त पादांगुष्ठासन को योग ट्रेनर की देखरेख में ही करें।
  • संतुलन बनने पर आप खुद भी ये आसन कर सकते हैं।
  • सुप्त पादांगुष्ठासन का अभ्यास शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
     

सुप्त पादांगुष्ठासन करने मे ध्यान देने योग्य बात 

  • सुप्त पादांगुष्ठासन करने के लिए धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं।
  • असुविधा होने पर इस आसन का अभ्यास न करें। 
  • कभी भी कंधे या घुटनों पर दबाव न डालें। 
  • आसन से पहले वॉर्मअप करें ताकि कोर मसल्स एक्टिव हो जाएं।
  • किसी भी असुविधा या दर्द महसूस होने पर आसन का अभ्यास बंद कर दें।
  • पहली बार ये आसन कर रहे हैं तो किसी योग गुरु की देखरेख में करें।
     

सुप्त पादांगुष्ठासन करने की विधि

  • योग मैट पर शवासन (Shavasana) में लेट जाएं।
  • धीरे-धीरे टांगों और पंजों को स्ट्रेच करें। 
  • एड़ियों के जरिए पैरों को दबाएं।  
  • सांस को छोड़ते हुए, दाएं घुटने को सीने तक लेकर आएं। 
  • दाएं तलवे की खाली जगह पर एक स्ट्रैप फंसा दें। 
  • यदि संभव हो तो, पैर के अंगूठे को दो अंगुलियों से पकड़ लें। 
  • अब दाएं पैर को छत की तरफ सीधा करने की कोशिश करें। 
  • हाथ सीधे रहेंगे और कंधे फर्श पर दबाव देंगे। 
  • बाएं पैर को दबाव देकर आगे की तरफ फैलाएं। 
  • बाईं जांघ के ऊपरी हिस्से को बाएं हाथ से दबा सकते हैं। 
  • दाएं टांग के खिंचाव से टांग के पिछले हिस्से पर ज्यादा दबाव न डालें। 
  • आसन को कठिन बनाने के लिए टांग को दाईं तरफ झुका या मोड़ भी सकते हैं। 
  • टांग को मोड़ने पर बाएं पैर से 90 डिग्री का कोण बनेगा। 
  • बायां नितंब इस दौरान पूरी तरह से जमीन के संपर्क में रहना चाहिए। 
  • 30 सेकेंड बाद स्ट्रेप को ढीला करें और पैर को जमीन पर ले आएं। 

Aasan

  • সুপ্তপদাঙ্গুষ্ঠাসন

    সুপ্তপদাঙ্গুষ্ঠাসন : যোগশাস্ত্রে বর্ণিত আসন বিশেষ। শায়িত অবস্থায় পদাঙ্গুষ্ঠান করা হয় বলে এর এরূপ নামকরণ করা হয়েছে।

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સુપ્ત पादांगुष्ठासन

સુપ્ત पादांगुष्ठासन

 

सुप्त पादांगुष्ठासन (સુપ્ત પાદંગુસ્થાસન), संस्कृत भाषा का शब्द है. આ ચાર શબ્દોથી મળીકર બનાવો. પહેલો शब्द सुप्त का अर्थ है लेटा हुआ या Reclined. બીજો શબ્દ છે પાદ, શબ્દોનો અર્થ છે પગ અથવા પગ.

तृतीय शब्द अंगुष्ठ का अर्थ है अंगूठा या बिग टो. આસન, કોઈ વિશેષ સ્થિતિ ઊભી થઈ, લેટને અથવા બેસીને કહ્યું. અંગ્રેજી ભાષામાં તે પોજ અથવા પોઝ કહે છે.

सुप्त पादांगुष्ठासन को अंग्रेजी में Reclined Hand to Big Toe Pose भी कहा जाता है। इस योगासन की रचना का श्रेय महान योग गुरु आचार्य बीकेएस आयंगर (B. K. S. આયંગર) को जाता है।

आचार्य आयंगर ने साल 1966 માં લાઇટ ऑन योग (લાઇટ ઓન યોગ) નામની પ્રખ્યાત પુસ્તક લખી હતી. સુપ્ત પાદગુષ્ઠાસનનું વર્ણન નીચે પ્રમાણે પુસ્તકમાં મેળવે છે.

सुप्त पादांगुष्ठासन, आयंगर योग (આયંગર યોગ) અને હઠ યોગ (હઠ યોગ) ની મિશ્રિત શૈલી वाला, साधारण कठिनाई या बेसिक लेवल का आसन है. इस आसन को एक बार में एक टांग से 30 सेकेंड तक की सलाह दी जाती है. સતતવ તે કરવા માટે બીજી ટૅંગ થી કરવું જોઈએ.

सुप्त पादांगुष्ठासन के अभ्यास से,

લોઅર બેક
પગ અને એંડીઓ
હેમસ્ટ્રિંગ
પેલ્વિક
ક્વોડ્રિસેપ્સ
વગેરે માંસપેશીઓ મજબુત હતા અને હવે ખિંચાવ છે.

 

સુપ્ત पादांगुष्ठासन करने के फायदे

બધા યોગાસનોને શરીર અને મનના કેટલાક ફાયદા મળે છે. ખાસતૌર પર, જો તેઓ સંતોની ગતિ અને શરીર માટે યોગ્ય તાલમેલ સાથે જોડાયા. સુત પાદાંગુષ્ઠાસન સાથે પણ તે જ છે, આ શરીર અને મનને હીલ કરવાથી તેઓ મજબૂત બને છે.

પ્રજનન સિસ્ટમ અથવા રીપ્રોડક્ટિવ​ સિસ્ટમને મજબૂત બનાવે છે. બાળકાશય કો ફિટ અને સાફ-સુથારા છે. અંડવૃદ્ધિ યાહાઈડ્રસીલની સમસ્યા નથી મળતી. ક્વોડ્રિસેપ્સની મસલ્સને મજબૂત બનાવે છે. હેમસ્ટિંગની મસલ્સની ક્ષમતામાં વધારો થાય છે.ટાંગોને ટોન કરવામાં મદદ કરે છે. એથલીટ્સ અને રૅનર્સ સ્ટ્રેચિંગમાં મદદ કરે છે. દોડને કારણે થાકી જવાનું ઓછું થાય છે.સાઇટિકા અને વેરિકોસ વેણને દૂર કરે છે.બ્લડ પ્રેશર, નપુંસકતા અને કબ્જની સમસ્યા દૂર કરે છે.સિક્સ પૅક એબ્સ મદદરૂપ બને છે. છે.हाथों और कंधों को कुओं को स्ट्रेचिंग देता है।कठिन योगासन के लिए टांगों को ही संपादित करते हैं।सुप्तांगुष्ठासन का अध्ययन सुबह के वक्त जाना चाहिए।अगर शाम को आसन कर रहे तो, भोजन 4 થી 6 કલાક પહેલા કરવું जरूरी है।आसन से पहले आपको शौच कर लो और पेट खाली हो। ડાયરિયાની ફરિયાદ પર कभी भी ये आसन नहीं करना चाहिए। જો ગર્દનમાં દર્દની સમસ્યા થાય છે તો આસન તે સમયે ગર્દન ન મોડશે. शुरुआती में सुप्त पादांगुष्ठासन को योग ट्रेनर की देखरेख में भी देखें।સંતુલન બનવા પર તમે પોતે પણ આસન કરી શકો છો।
 

સુત पादांगुष्ठासन में ध्यान देना उचित बात

સુપ્ત पादांगुष्ठासन करने के लिए धीरे-धीरे अध्ययन बढ़ाएं। कभी भी कंधे या घुटनों पर दबाव न दें. આસન થી પહેલા વોર્મઅપ કરો અને કોર મસલ્સ એકટીવ હો.કીસી પણ અસુવિધા અથવા પીડા અનુભવતી વખતે આસનનો અભ્યાસ બંધ કરો.
 

सुप्त पादांगुष्ठासन की विधि

योग मैट पर शवासन (શવાસન) માં લેટ પર જાઓ।धीरे-धीरे टांगों और पंजों को स्ट्रेच करें. ઍડિયન્સ જોરિયે પગોને દબાવો. સાંસ કો છોડીને, દાંડે ઘુટને સીને સુધી પહોંચે છે. દાંતર તળવેની નીચે સ્થાન પર એક સ્ટ્રેપ ફંસા નોંધ. જો શક્ય હોય તો, પગના અંગૂઠાને બે અંગુલીઓથી પકડો. अब दाएं पैर को छत की तरफ सीधा करने की कोशिश करें. હાથ સેટિંગ અને કાંઠે ફર્શ પર દબાણ હું. બાંય પગ માટે દબાણ આપો આગળ કેતરફ ફેલાવો. જાંઘને ઉપરની બાજુએ આવે છે અને હાથ દબાવી શકે છે. દાંડો ટૉંગ કે ખિંચાવ થી ટૉંગ છેલ્લા ઘણા બધા પર વધુ ભારપૂર્વક જણાવો. આસનને મુશ્કેલ બનાવવા માટે ટાંગ કો દાઈં તોફ ઝુકા અથવા મોડ પણ કરી શકો છો. टांग को मोड़ने पर बाएं पैर से 90 डिग्री का कोई बनेगा। બાય નિતંબ આ દરમિયાન સંપૂર્ણ રીતે જમીનના સંપર્કમાં રહેવાની જરૂર છે. 30 સેકંડ પછી સ્ટ્રેપને આગળ કરો અને પગની જમીન પર લે आएं.

 


सुप्त पादांगुष्ठासन (Supta Padangusthasana), संस्कृत भाषा का शब्द है। ये चार शब्दों से मिलकर बना है। पहले शब्द सुप्त का अर्थ है लेटा हुआ या Reclined। दूसरा शब्द है पाद, इसका अर्थ है पैर यानी Legs या Feet। 

तीसरे शब्द अंगुष्ठ का अर्थ है अंगूठा या Big Toe। आसन, किसी विशेष स्थिति में खड़े होने, लेटने या बैठने को कहा जाता है। अंग्रेजी भाषा में इसे पोज या Pose कहा जाता है। 

सुप्त पादांगुष्ठासन को अंग्रेजी में Reclined Hand to Big Toe Pose भी कहा जाता है। इस योगासन की रचना का श्रेय महान योग गुरु आचार्य बीकेएस आयंगर (B. K. S. Iyengar) को जाता है। 

आचार्य आयंगर ने साल 1966 में लाइट ऑन योग (Light on Yoga) नाम की प्रसिद्ध पुस्तक लिखी थी। सुप्त पादांगुष्ठासन का वर्णन सर्वप्रथम इसी पुस्तक में मिलता है। 

सुप्त पादांगुष्ठासन, आयंगर योग (Iyengar Yoga) और हठ योग (Hath Yoga) की मिश्रित शैली वाला, साधारण कठिनाई या बेसिक लेवल का आसन है। इस आसन को एक बार में एक टांग से 30 सेकेंड तक करने की सलाह दी जाती है। दोहराव करते हुए इसे दूसरी टांग से करना चाहिए।

सुप्त पादांगुष्ठासन के अभ्यास से, 

लोअर बैक 
पैर और एड़ियां
हैमस्ट्रिंग
पेल्विक
क्वाड्रिसेप्स 
आदि मांसपेशियां मजबूत होती हैं और उनमें खिंचाव आता है।

 

सुप्त पादांगुष्ठासन करने के फायदे

सभी योगासनों को करने से शरीर और मन को कुछ फायदे मिलते हैं। खासतौर पर, अगर उन्हें सांसों की गति और शरीर के सही तालमेल के साथ किया जाए। सुप्त पादांगुष्ठासन के साथ भी ऐसा ही है, ये शरीर और मन को हील करके उन्हें मजबूत बनाता है।

  • प्रजनन प्रणाली या रीप्रोडक्टिव​ सिस्टम को मजबूत बनाता है।
  • पैरों में रक्त का प्रवाह तेज करता है।
  • शरीर में हार्मोन बैलेंस को बेहतर करता है।
  • मलाशय को हेल्दी बनाए रखने में मदद करता है।
  • बवासीर की समस्या में बहुत राहत देता है। 
  • मूत्राशय को फिट और साफ-सुथरा रखता है। 
  • अंडवृद्धि या हाइड्रोसील की समस्या नहीं होने देता है।
  • शरीर में चेतना का विकास करता है। 
  • क्वाड्रिसेप्स की मसल्स को मजबूत बनाता है। 
  • हैमस्टिंग की मसल्स की क्षमता को बढ़ाता है।
  • टांगों को टोन करने में मदद करता है। 
  • एथलीट्स और रनर्स को स्ट्रेचिंग में मदद करता है। 
  • दौड़ने के बाद होने वाली थकान को कम करता है।
  • साइटिका और वेरिकोस वेन की समस्या को दूर करता है।
  • ब्लड प्रेशर, नपुंसकता और कब्ज की समस्या को दूर करता है।
  • सिक्स पैक एब्स बनाने में मदद करता है।
  • कोर मसल्स को सख्त बनाकर मजबूत करता है।
  • हाथों और कंधों को अच्छी स्ट्रेचिंग देता है।
  • कठिन योगासनों के लिए टांगों को लचीला बनाता है।
  • सुप्त पादांगुष्ठासन का अभ्यास सुबह के वक्त ही किया जाना चाहिए।
  • अगर शाम को आसन कर रहे हैं तो, भोजन 4 से 6 घंटे पहले करना जरूरी है।
  • आसन से पहले आपने शौच कर लिया हो और पेट एकदम खाली हो।
  • हाई ब्लड प्रेशर के मरीज सुप्त पादांगुष्ठासन का अभ्यास न करें। 
  • डायरिया की शिकायत होने पर कभी भी ये आसन नहीं करना चाहिए।
  • घुटनों में समस्या या आर्थराइटिस होने पर सुप्त पादांगुष्ठासन नहीं करना चाहिए। 
  • अगर गर्दन में दर्द की समस्या है तो आसन करते समय गर्दन न मोड़ें। 
  • शुरुआत में सुप्त पादांगुष्ठासन को योग ट्रेनर की देखरेख में ही करें।
  • संतुलन बनने पर आप खुद भी ये आसन कर सकते हैं।
  • सुप्त पादांगुष्ठासन का अभ्यास शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
     

सुप्त पादांगुष्ठासन करने मे ध्यान देने योग्य बात 

  • सुप्त पादांगुष्ठासन करने के लिए धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं।
  • असुविधा होने पर इस आसन का अभ्यास न करें। 
  • कभी भी कंधे या घुटनों पर दबाव न डालें। 
  • आसन से पहले वॉर्मअप करें ताकि कोर मसल्स एक्टिव हो जाएं।
  • किसी भी असुविधा या दर्द महसूस होने पर आसन का अभ्यास बंद कर दें।
  • पहली बार ये आसन कर रहे हैं तो किसी योग गुरु की देखरेख में करें।
     

सुप्त पादांगुष्ठासन करने की विधि

  • योग मैट पर शवासन (Shavasana) में लेट जाएं।
  • धीरे-धीरे टांगों और पंजों को स्ट्रेच करें। 
  • एड़ियों के जरिए पैरों को दबाएं।  
  • सांस को छोड़ते हुए, दाएं घुटने को सीने तक लेकर आएं। 
  • दाएं तलवे की खाली जगह पर एक स्ट्रैप फंसा दें। 
  • यदि संभव हो तो, पैर के अंगूठे को दो अंगुलियों से पकड़ लें। 
  • अब दाएं पैर को छत की तरफ सीधा करने की कोशिश करें। 
  • हाथ सीधे रहेंगे और कंधे फर्श पर दबाव देंगे। 
  • बाएं पैर को दबाव देकर आगे की तरफ फैलाएं। 
  • बाईं जांघ के ऊपरी हिस्से को बाएं हाथ से दबा सकते हैं। 
  • दाएं टांग के खिंचाव से टांग के पिछले हिस्से पर ज्यादा दबाव न डालें। 
  • आसन को कठिन बनाने के लिए टांग को दाईं तरफ झुका या मोड़ भी सकते हैं। 
  • टांग को मोड़ने पर बाएं पैर से 90 डिग्री का कोण बनेगा। 
  • बायां नितंब इस दौरान पूरी तरह से जमीन के संपर्क में रहना चाहिए। 
  • 30 सेकेंड बाद स्ट्रेप को ढीला करें और पैर को जमीन पर ले आएं। 

Aasan

  • সুপ্তপদাঙ্গুষ্ঠাসন

    সুপ্তপদাঙ্গুষ্ঠাসন : যোগশাস্ত্রে বর্ণিত আসন বিশেষ। শায়িত অবস্থায় পদাঙ্গুষ্ঠান করা হয় বলে এর এরূপ নামকরণ করা হয়েছে।

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সুপ্তপদাঙ্গুষ্ঠাসন

સુપ્ત पादांगुष्ठासन

সুপ্তপদাঙ্গুষ্ঠাসন : যোগশাস্ত্রে বর্ণিত আসন বিশেষ। শায়িত অবস্থায় পদাঙ্গুষ্ঠান করা হয় বলে এর এরূপ নামকরণ করা হয়েছে।

পদ্ধতি

  1. ১. প্রথমে কোন সমতল স্থানে চিত্ হয়ে এবং পা ছড়িয়ে শুয়ে পড়ুন।
  2. ২. এবার বাম পা-কে ধীরে ধীরে উপরে উঠিয়ে উলম্ব অবস্থানে  আনুন। এরপর ওই  পা-কে সোজা করে ক্রমে ক্রমে মাথার দিকে  আনতে থাকুন।
  3. ৩. পায়ের বুড়ো  আঙুল  আপনার নাক বরাবর এলে, দুই হাত দিয়ে পায়ের পাতা জড়িয়ে ধরুন।
  4. ৪. এই অবস্থায় অপর পা, শরীর, মাথা একই সমতলে থাকবে। উত্থিত পায়ে কোন ভাঁজ পড়বে না। এখন স্বাভাবিকভাবে শ্বাস-প্রশ্বাস চালাতে চালাতে ২০ সেকেণ্ড অপেক্ষা করুন। এরপর পা পাল্টিয়ে ২০ সেকেণ্ড  আসনটি  আবার করুন।
  5. ৫. এরপর  আসন ত্যাগ করে ২০ সেকেণ্ড শবাসনে বিশ্রাম নিন। এরপর এই  আসনটি  আরও দুইবার করুন।

উপকারিতা

  1. ১. মেরুদণ্ড ও পায়ের পেশী সবল হয়।
  2. ২. পেটের মেদ কমে।
  3. ৩. অনিদ্রা দূর হয়।

सुप्त पादांगुष्ठासन (Supta Padangusthasana), संस्कृत भाषा का शब्द है। ये चार शब्दों से मिलकर बना है। पहले शब्द सुप्त का अर्थ है लेटा हुआ या Reclined। दूसरा शब्द है पाद, इसका अर्थ है पैर यानी Legs या Feet। 

तीसरे शब्द अंगुष्ठ का अर्थ है अंगूठा या Big Toe। आसन, किसी विशेष स्थिति में खड़े होने, लेटने या बैठने को कहा जाता है। अंग्रेजी भाषा में इसे पोज या Pose कहा जाता है। 

सुप्त पादांगुष्ठासन को अंग्रेजी में Reclined Hand to Big Toe Pose भी कहा जाता है। इस योगासन की रचना का श्रेय महान योग गुरु आचार्य बीकेएस आयंगर (B. K. S. Iyengar) को जाता है। 

आचार्य आयंगर ने साल 1966 में लाइट ऑन योग (Light on Yoga) नाम की प्रसिद्ध पुस्तक लिखी थी। सुप्त पादांगुष्ठासन का वर्णन सर्वप्रथम इसी पुस्तक में मिलता है। 

सुप्त पादांगुष्ठासन, आयंगर योग (Iyengar Yoga) और हठ योग (Hath Yoga) की मिश्रित शैली वाला, साधारण कठिनाई या बेसिक लेवल का आसन है। इस आसन को एक बार में एक टांग से 30 सेकेंड तक करने की सलाह दी जाती है। दोहराव करते हुए इसे दूसरी टांग से करना चाहिए।

सुप्त पादांगुष्ठासन के अभ्यास से, 

लोअर बैक 
पैर और एड़ियां
हैमस्ट्रिंग
पेल्विक
क्वाड्रिसेप्स 
आदि मांसपेशियां मजबूत होती हैं और उनमें खिंचाव आता है।

 

सुप्त पादांगुष्ठासन करने के फायदे

सभी योगासनों को करने से शरीर और मन को कुछ फायदे मिलते हैं। खासतौर पर, अगर उन्हें सांसों की गति और शरीर के सही तालमेल के साथ किया जाए। सुप्त पादांगुष्ठासन के साथ भी ऐसा ही है, ये शरीर और मन को हील करके उन्हें मजबूत बनाता है।

  • प्रजनन प्रणाली या रीप्रोडक्टिव​ सिस्टम को मजबूत बनाता है।
  • पैरों में रक्त का प्रवाह तेज करता है।
  • शरीर में हार्मोन बैलेंस को बेहतर करता है।
  • मलाशय को हेल्दी बनाए रखने में मदद करता है।
  • बवासीर की समस्या में बहुत राहत देता है। 
  • मूत्राशय को फिट और साफ-सुथरा रखता है। 
  • अंडवृद्धि या हाइड्रोसील की समस्या नहीं होने देता है।
  • शरीर में चेतना का विकास करता है। 
  • क्वाड्रिसेप्स की मसल्स को मजबूत बनाता है। 
  • हैमस्टिंग की मसल्स की क्षमता को बढ़ाता है।
  • टांगों को टोन करने में मदद करता है। 
  • एथलीट्स और रनर्स को स्ट्रेचिंग में मदद करता है। 
  • दौड़ने के बाद होने वाली थकान को कम करता है।
  • साइटिका और वेरिकोस वेन की समस्या को दूर करता है।
  • ब्लड प्रेशर, नपुंसकता और कब्ज की समस्या को दूर करता है।
  • सिक्स पैक एब्स बनाने में मदद करता है।
  • कोर मसल्स को सख्त बनाकर मजबूत करता है।
  • हाथों और कंधों को अच्छी स्ट्रेचिंग देता है।
  • कठिन योगासनों के लिए टांगों को लचीला बनाता है।
  • सुप्त पादांगुष्ठासन का अभ्यास सुबह के वक्त ही किया जाना चाहिए।
  • अगर शाम को आसन कर रहे हैं तो, भोजन 4 से 6 घंटे पहले करना जरूरी है।
  • आसन से पहले आपने शौच कर लिया हो और पेट एकदम खाली हो।
  • हाई ब्लड प्रेशर के मरीज सुप्त पादांगुष्ठासन का अभ्यास न करें। 
  • डायरिया की शिकायत होने पर कभी भी ये आसन नहीं करना चाहिए।
  • घुटनों में समस्या या आर्थराइटिस होने पर सुप्त पादांगुष्ठासन नहीं करना चाहिए। 
  • अगर गर्दन में दर्द की समस्या है तो आसन करते समय गर्दन न मोड़ें। 
  • शुरुआत में सुप्त पादांगुष्ठासन को योग ट्रेनर की देखरेख में ही करें।
  • संतुलन बनने पर आप खुद भी ये आसन कर सकते हैं।
  • सुप्त पादांगुष्ठासन का अभ्यास शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
     

सुप्त पादांगुष्ठासन करने मे ध्यान देने योग्य बात 

  • सुप्त पादांगुष्ठासन करने के लिए धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं।
  • असुविधा होने पर इस आसन का अभ्यास न करें। 
  • कभी भी कंधे या घुटनों पर दबाव न डालें। 
  • आसन से पहले वॉर्मअप करें ताकि कोर मसल्स एक्टिव हो जाएं।
  • किसी भी असुविधा या दर्द महसूस होने पर आसन का अभ्यास बंद कर दें।
  • पहली बार ये आसन कर रहे हैं तो किसी योग गुरु की देखरेख में करें।
     

सुप्त पादांगुष्ठासन करने की विधि

  • योग मैट पर शवासन (Shavasana) में लेट जाएं।
  • धीरे-धीरे टांगों और पंजों को स्ट्रेच करें। 
  • एड़ियों के जरिए पैरों को दबाएं।  
  • सांस को छोड़ते हुए, दाएं घुटने को सीने तक लेकर आएं। 
  • दाएं तलवे की खाली जगह पर एक स्ट्रैप फंसा दें। 
  • यदि संभव हो तो, पैर के अंगूठे को दो अंगुलियों से पकड़ लें। 
  • अब दाएं पैर को छत की तरफ सीधा करने की कोशिश करें। 
  • हाथ सीधे रहेंगे और कंधे फर्श पर दबाव देंगे। 
  • बाएं पैर को दबाव देकर आगे की तरफ फैलाएं। 
  • बाईं जांघ के ऊपरी हिस्से को बाएं हाथ से दबा सकते हैं। 
  • दाएं टांग के खिंचाव से टांग के पिछले हिस्से पर ज्यादा दबाव न डालें। 
  • आसन को कठिन बनाने के लिए टांग को दाईं तरफ झुका या मोड़ भी सकते हैं। 
  • टांग को मोड़ने पर बाएं पैर से 90 डिग्री का कोण बनेगा। 
  • बायां नितंब इस दौरान पूरी तरह से जमीन के संपर्क में रहना चाहिए। 
  • 30 सेकेंड बाद स्ट्रेप को ढीला करें और पैर को जमीन पर ले आएं। 

Aasan

  • সুপ্তপদাঙ্গুষ্ঠাসন

    সুপ্তপদাঙ্গুষ্ঠাসন : যোগশাস্ত্রে বর্ণিত আসন বিশেষ। শায়িত অবস্থায় পদাঙ্গুষ্ঠান করা হয় বলে এর এরূপ নামকরণ করা হয়েছে।

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सुप्त पादांगुष्ठासन

સુપ્ત पादांगुष्ठासन

सुप्त पादांगुष्ठासन (Supta Padangusthasana), संस्कृत भाषा का शब्द है। ये चार शब्दों से मिलकर बना है। पहले शब्द सुप्त का अर्थ है लेटा हुआ या Reclined। दूसरा शब्द है पाद, इसका अर्थ है पैर यानी Legs या Feet। 

तीसरे शब्द अंगुष्ठ का अर्थ है अंगूठा या Big Toe। आसन, किसी विशेष स्थिति में खड़े होने, लेटने या बैठने को कहा जाता है। अंग्रेजी भाषा में इसे पोज या Pose कहा जाता है। 

सुप्त पादांगुष्ठासन को अंग्रेजी में Reclined Hand to Big Toe Pose भी कहा जाता है। इस योगासन की रचना का श्रेय महान योग गुरु आचार्य बीकेएस आयंगर (B. K. S. Iyengar) को जाता है। 

आचार्य आयंगर ने साल 1966 में लाइट ऑन योग (Light on Yoga) नाम की प्रसिद्ध पुस्तक लिखी थी। सुप्त पादांगुष्ठासन का वर्णन सर्वप्रथम इसी पुस्तक में मिलता है। 

सुप्त पादांगुष्ठासन, आयंगर योग (Iyengar Yoga) और हठ योग (Hath Yoga) की मिश्रित शैली वाला, साधारण कठिनाई या बेसिक लेवल का आसन है। इस आसन को एक बार में एक टांग से 30 सेकेंड तक करने की सलाह दी जाती है। दोहराव करते हुए इसे दूसरी टांग से करना चाहिए।

सुप्त पादांगुष्ठासन के अभ्यास से, 

लोअर बैक 
पैर और एड़ियां
हैमस्ट्रिंग
पेल्विक
क्वाड्रिसेप्स 
आदि मांसपेशियां मजबूत होती हैं और उनमें खिंचाव आता है।

 

सुप्त पादांगुष्ठासन करने के फायदे

सभी योगासनों को करने से शरीर और मन को कुछ फायदे मिलते हैं। खासतौर पर, अगर उन्हें सांसों की गति और शरीर के सही तालमेल के साथ किया जाए। सुप्त पादांगुष्ठासन के साथ भी ऐसा ही है, ये शरीर और मन को हील करके उन्हें मजबूत बनाता है।

  • प्रजनन प्रणाली या रीप्रोडक्टिव​ सिस्टम को मजबूत बनाता है।
  • पैरों में रक्त का प्रवाह तेज करता है।
  • शरीर में हार्मोन बैलेंस को बेहतर करता है।
  • मलाशय को हेल्दी बनाए रखने में मदद करता है।
  • बवासीर की समस्या में बहुत राहत देता है। 
  • मूत्राशय को फिट और साफ-सुथरा रखता है। 
  • अंडवृद्धि या हाइड्रोसील की समस्या नहीं होने देता है।
  • शरीर में चेतना का विकास करता है। 
  • क्वाड्रिसेप्स की मसल्स को मजबूत बनाता है। 
  • हैमस्टिंग की मसल्स की क्षमता को बढ़ाता है।
  • टांगों को टोन करने में मदद करता है। 
  • एथलीट्स और रनर्स को स्ट्रेचिंग में मदद करता है। 
  • दौड़ने के बाद होने वाली थकान को कम करता है।
  • साइटिका और वेरिकोस वेन की समस्या को दूर करता है।
  • ब्लड प्रेशर, नपुंसकता और कब्ज की समस्या को दूर करता है।
  • सिक्स पैक एब्स बनाने में मदद करता है।
  • कोर मसल्स को सख्त बनाकर मजबूत करता है।
  • हाथों और कंधों को अच्छी स्ट्रेचिंग देता है।
  • कठिन योगासनों के लिए टांगों को लचीला बनाता है।
  • सुप्त पादांगुष्ठासन का अभ्यास सुबह के वक्त ही किया जाना चाहिए।
  • अगर शाम को आसन कर रहे हैं तो, भोजन 4 से 6 घंटे पहले करना जरूरी है।
  • आसन से पहले आपने शौच कर लिया हो और पेट एकदम खाली हो।
  • हाई ब्लड प्रेशर के मरीज सुप्त पादांगुष्ठासन का अभ्यास न करें। 
  • डायरिया की शिकायत होने पर कभी भी ये आसन नहीं करना चाहिए।
  • घुटनों में समस्या या आर्थराइटिस होने पर सुप्त पादांगुष्ठासन नहीं करना चाहिए। 
  • अगर गर्दन में दर्द की समस्या है तो आसन करते समय गर्दन न मोड़ें। 
  • शुरुआत में सुप्त पादांगुष्ठासन को योग ट्रेनर की देखरेख में ही करें।
  • संतुलन बनने पर आप खुद भी ये आसन कर सकते हैं।
  • सुप्त पादांगुष्ठासन का अभ्यास शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
     

सुप्त पादांगुष्ठासन करने मे ध्यान देने योग्य बात 

  • सुप्त पादांगुष्ठासन करने के लिए धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं।
  • असुविधा होने पर इस आसन का अभ्यास न करें। 
  • कभी भी कंधे या घुटनों पर दबाव न डालें। 
  • आसन से पहले वॉर्मअप करें ताकि कोर मसल्स एक्टिव हो जाएं।
  • किसी भी असुविधा या दर्द महसूस होने पर आसन का अभ्यास बंद कर दें।
  • पहली बार ये आसन कर रहे हैं तो किसी योग गुरु की देखरेख में करें।
     

सुप्त पादांगुष्ठासन करने की विधि

  • योग मैट पर शवासन (Shavasana) में लेट जाएं।
  • धीरे-धीरे टांगों और पंजों को स्ट्रेच करें। 
  • एड़ियों के जरिए पैरों को दबाएं।  
  • सांस को छोड़ते हुए, दाएं घुटने को सीने तक लेकर आएं। 
  • दाएं तलवे की खाली जगह पर एक स्ट्रैप फंसा दें। 
  • यदि संभव हो तो, पैर के अंगूठे को दो अंगुलियों से पकड़ लें। 
  • अब दाएं पैर को छत की तरफ सीधा करने की कोशिश करें। 
  • हाथ सीधे रहेंगे और कंधे फर्श पर दबाव देंगे। 
  • बाएं पैर को दबाव देकर आगे की तरफ फैलाएं। 
  • बाईं जांघ के ऊपरी हिस्से को बाएं हाथ से दबा सकते हैं। 
  • दाएं टांग के खिंचाव से टांग के पिछले हिस्से पर ज्यादा दबाव न डालें। 
  • आसन को कठिन बनाने के लिए टांग को दाईं तरफ झुका या मोड़ भी सकते हैं। 
  • टांग को मोड़ने पर बाएं पैर से 90 डिग्री का कोण बनेगा। 
  • बायां नितंब इस दौरान पूरी तरह से जमीन के संपर्क में रहना चाहिए। 
  • 30 सेकेंड बाद स्ट्रेप को ढीला करें और पैर को जमीन पर ले आएं। 

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