ल्यूकोरिया (श्वेत प्रदर) की बीमारी महिलाओं की आम समस्या है। संकोच में इसे न बताना कई गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। थोड़ी सी सावधानी व उपचार के जरिए इसके घातक परिणामों से बचा जा सकता है। अन्यथा यह कैंसर का कारण बन सकती है। सामान्य तौर पर गर्भाशय में सूजन अथवा गर्भाशय के मुख में छाले होने से यह समस्या पैदा होती है। उपचार न कराने से पीडि़ता को कई तरह की मानसिक व शारीरिक समस्याओं का शिकार होना पड़ता है। इसलिए महिलाएं को श्वेत प्रदर की बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
स्त्री-योनि से असामान्य मात्रा में सफेद रंग का गाढा और बदबूदार पानी निकलता है और जिसके कारण स्त्रियां बहुत क्षीण तथा दुर्बल हो जाती है। महिलाओं में श्वेत प्रदर रोग आम बात है। ये गुप्तांगों से पानी जैसा बहने वाला स्त्राव होता है। यह खुद कोई रोग नहीं होता परंतु अन्य कई रोगों के कारण होता है। श्वेत प्रदर वास्तव में एक बीमारी नहीं है बल्कि किसी अन्य योनिगत या गर्भाशयगत व्याधि का लक्षण है; या सामान्यत: प्रजनन अंगों में सूजन का बोधक है।

कारण

  • अत्यधिक उपवास
  • उत्तेजक कल्पनाए
  • अश्लील वार्तालाप
  • सम्भोग में उल्टे आसनो का प्रयोग करना
  • सम्भोग काल में अत्यधिक घर्षण युक्त आघात
  • रोगग्रस्त पुरुष के साथ सहवास
  • सहवास के बाद योनि को स्वच्छ जल से न धोना व वैसे ही गन्दे बने रहना आदि इस रोग के प्रमुख कारण बनते हैं।
  • बार-बार गर्भपात कराना भी एक प्रमुख कारण है।
  • असामान्य योनिक स्राव से कैसे बचा जा सकता है?

योनि के स्राव से बचने के लिए

  • जननेन्द्रिय क्षेत्र को साफ और शुष्क रखना जरूरी है।
  • योनि को बहुत भिगोना नहीं चाहिए (जननेन्द्रिय पर पानी मारना) बहुत सी महिलाएं सोचती हैं कि माहवारी या सम्भोग के बाद योनि को भरपूर भिगोने से वे साफ महसूस करेंगी वस्तुत: इससे योनिक स्राव और भी बिगड़ जाता है क्योंकि उससे योनि पर छाये स्वस्थ बैक्टीरिया मर जाते हैं जो कि वस्तुत: उसे संक्रामक रोगों से बचाते हैं
  • दबाव से बचें।
  • यौन सम्बन्धों से लगने वाले रोगों से बचने और उन्हें फैलने से रोकने के लिए कंडोम का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए।
  • मधुमेह का रोग हो तो रक्त की शर्करा को नियंत्रण में रखाना चाहिए।

अधिकतर महिलाएं ल्यूकोरिया जैसे-श्वेतप्रदर, सफेद पानी जैसी बीमारियो से जुझती रहती हैं, लेकिन शर्म से किसी को बताती नहीं और इस बीमारी को पालती रहती हैं। यह रोग महिलाओं को काफी नुकसान पहुंचाता है। इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए पथ्य करने के साथ-साथ योगाभ्यास का नियमित अभ्यास रोगी को रोग से छुटकारा देने के साथ आकर्षक और सुन्दर भी बनाता है।

यौगिक क्रिया

प्राणायाम ओम प्राणायाम 21 बार, कपालभाति 5 मिनट, अणुलोम-विलोम 5 मिनट, भ्रामरी प्राणायाम 5 बार। 

आसन

वज्रासन, शशांकासन, भुजंगासन, अर्धशलमासन, धनुरासन, पश्चिमोत्तोनासन, कन्धरासन। 

बन्ध

मुलबन्ध का विशेषरूप से अभ्यास इस बीमारी में काफी लाभदायक होता है । 

मुद्रा

अश्विनी मुद्रा, सहजोली मुद्रा, विपरित करणी मुद्रा और क्रमवार से धीरे धीरे सूर्य नमस्कार का अभ्यास। 

अंतत

यथाशक्ति शारीरिक श्रम करें , दिन में सोना बंद करें, आसन, प्रणायाम और प्रात: खुली हवा में प्रत्येक दिन टहलने का दैनिक कार्यक्रम बनायें। क्रोध, चिन्ता, शोक, भय से दूर रहें। सदैव प्रफुल्लित रहें। 

अपथ्य

तेज मिर्च मसालेदार पदार्थ, तेल में तले पदार्थ, गुड़, खटाई, अरबी, बैगन, अधिक सहवास, रात में जागना, उत्तेजक साहित्य, चाय, काफी,अधिक टीवी, संगीत-मजाक से बचे। पथ्य का पालन करते हुए योगाभ्यास के नियमित अभ्यास से कुछ ही दिनों में रोग से तो छुटकारा मिलेगा ही साथ ही साथ आकर्षक और सुन्दर भी आप दिखेंगी।

आहार

सभी हरी शाक-सब्जियां, सूप, खिचड़ी, दलिया, चोकरयुक्त आंटे की रोटी, फल में केला, अंगूर , सेव, नारंगी, अनार, आवंला, पपीता, चीकू, मौसमी, पुराना शाली चावल, चावल का धोवन तथा मांड़, दूध, शक्कर, घी, मक्खन, छाछ, अरहर और मूंग की दाल, अंकुरित मूंग, मोठ आदि का समुचित प्रयोग करें। स्वच्छतापालन, ध्यान, सत्संग और स्वाध्याय का अभ्यास।

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श्वेत प्रदर(ल्यूकोरिया) में योग