प्रत्येक वह व्यक्ति ज्ञान योगी है जो सोचना सीख गया है, विचार तो सबके भीतर होते हैं, लेकिन उन विचारों को एक दिशा देना हर किसी के बस की बात नहीं, दूसरी बात कि आपके भीतर विचार कौन से हैं? क्या कचरा किताबों के विचार? खुद के विचार या उधार के विचार? सोचता तो हर कोई है, लेकिन जो नये ढंग से सोचकर उसे कार्य रूप में परिणित कर देता है, विजेता वही कहलाता है।

 

ज्ञान योग को हम संसार का प्रथम योग मान सकते हैं, संपूर्ण धर्म, दर्शन, विज्ञान, समाज, नीति-नियम की बातें ज्ञान योग का ही अविष्कार है, ज्ञान योग नहीं होता तो अन्य योग भी नहीं होते, धरती पर आज जितना भी विकास और विध्वंस हुआ है और हो रहा है वह ज्ञान का ही परिणाम है, अच्छा ज्ञान अच्छा करेगा और बुरा ज्ञान बुरा।

 

व्यक्ति स्वयं के ज्ञान के बल पर ही सब कुछ पा सकता है, ज्ञान से ही व्यक्ति सफल और असफल होता है, योग में कहा भी कहा है कि व्यक्ति को दुखों से ज्ञान ही बचाता है और दुख में ज्ञान ही डालता है, इसीलिये विज्ञान मस्तिष्क की शक्ति को मानता है, मस्तिष्क की गति हजारों सुपरकंप्यूटर्स से भी तेज मानी गयीं हैं, मस्तिष्क की क्षमता की सीमा को विज्ञान आज भी जान नहीं पाया।

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ज्ञान योग की परिभाषा, ज्ञान योग के प्रकार