यह एक बुनियादी, सबसे ज्यादा जाना-जाने वाला और व्यापक रूप से अभ्यास किया जाने वाला आसन है। सूर्य नमस्कार का अर्थ है-'सूरज का अभिवादन' या 'वंदन करना'। इसमें 12 योग मुद्राओं का मिश्रण होता है, जो कि शरीर के विभिन्न भागों को केंद्रित करता है। इसकी यही खासियत इसे पूरे शरीर के लिए फायदेमंद बनाती है। उदाहरण के लिए प्रार्थना की मूल मुद्रा, आगे की ओर मुड़ना और फिर भुजांगासन।

वीर भद्रासन या योद्धा मुद्रा
इस आसन की मुद्रा पहाड़ों पर जाने वाली मुद्रा के सामान होती है। अपने एक पैर को पीछे की ओर खींचकर, दूसरे पैर को आगे कूदने की मुद्रा में बना लें, जिसमें घुटने 90 डिग्री मुद्रा में हो और हाथों को जोड़कर सिर के ऊपर तक ले जाएं।

वीरभद्रासन-2 के लिए आप इस मुद्रा को आगे ले जा सकते हैं, जिसमें अपने हाथ छाती के सामने ले जाएं और खींचे हुए पैरों को सीधा कर लें (बाहर की और निकलती हुई), वहीं दूसरे पैर को अभी भी 90 डिग्री पर ही रखें और अपने दोनों हाथों को खींचकर बाहर की तरफ फैला लें। यह योद्धा मुद्रा आपके पैर, जांघ, पीठ और हाथ पर काम करती है। यही नहीं, यह रक्त प्रवाह सही करने में भी मदद करती है।

त्रिकोणासन
यह आसन करने के लिए पैरों को फैला लें, जिसमें सीधा पैर बाहर निकाल लें। अब अपने हाथों को बाहर की ओर खोल लें और सीधे हाथ को धीरे-धीरे नीचे की तरफ सीधे पैर की ओर ले जाएं। सीधी कमर के साथ नीचे की ओर देखें।

अपनी सीधी हथेली को जमीन पर रखें (इसे सीधे पैर के आगे या पीछे भी रखा जा सकता है) और अपने उल्टे हाथ को ऊपर की ओर ले जाएं। इसी प्रक्रिया को दूसरी साइड से भी दोहराएं। यह आसन शरीर की साइडों, हाथों और जांघों पर काम करता है।

पूर्वोत्तनासन
इसकी शुरुआत करने में शायद थोड़ी मुश्किल लगे, लेकिन इसका असर आपको खुश कर देगा। यह आपकी पीठ, कंधों, हाथ, रीढ़ की हड्डी, कलाई और जंग लगी मांसपेशियों पर काम करता है। यह श्वसन प्रणाली को सही रूप से चलाने के लिए भी बहुत अच्छा आसन है। यही नहीं, यह शरीर की मुख्य ताकत को बढ़ाने में भी मदद करता है। यह आपके पैरों, जांघों की अंदरूनी मांसपेशियां और हिप्स पर भी असर डालता है।

बोट मुद्रा

पीठ के बल लेट जाएं और अपने शरीर को ‘वी’ आकार, जो कि नांव (बोट) से मिलता-जुलता है, ऐसा बनाएं। मुद्रा को दस सेकंड तक बनाएं रखें। इस दौरान आपको लगेगा कि आपकी मांसपेशियां उछल रही हैं, लेकिन यकीन मानो यह आपके बैली फैट को बिल्कुल खत्म कर देगा।

ब्रिज मुद्रा

पीठ के बल लेट जाएं और हाथ बगल में फैला लें। अब घुटनों को मोड़कर, उन्हें बाहर की तरफ फैला लें। पेट वाले हिस्से से शरीर को ऊपर की ओर उठाएं, अपने हाथों से सहारा देकर, मुद्रा को कुछ देर तक बनाएं रखें। यह मुद्रा आपके हिप्स, जांघ, पेट और पीठ पर काम करेगी।

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