योग अनेक प्रकार के होते हैं। राजयोग , कर्मयोग ,हठयोग , लययोग , सांख्ययोग , ब्रह्मयोग , ज्ञान योग ,भक्ति योग , ध्यान योग , क्रिया योग , विवेक योग ,विभूति योग व प्रकृति - पुरुष योग , मंत्र योग , पुरुषोत्तमयोग , मोक्ष योग , राजाधिराज योग आदि। मगरयाज्ञवल्क्य ने जीवात्मा और परमात्मा के मेल को ही योगकहा है। वास्तव में योग एक ही प्रकार का होता है , दो याअनेक प्रकार का नहीं

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चित्त की सभी वृत्तियों को रोकने का नाम योग है