चित्त की सभी वृत्तियों को रोकने का नाम योग है

योग अनेक प्रकार के होते हैं। राजयोग , कर्मयोग ,हठयोग , लययोग , सांख्ययोग , ब्रह्मयोग , ज्ञान योग ,भक्ति योग , ध्यान योग , क्रिया योग , विवेक योग ,विभूति योग व प्रकृति - पुरुष योग , मंत्र योग , पुरुषोत्तमयोग , मोक्ष योग , राजाधिराज योग आदि। मगरयाज्ञवल्क्य ने जीवात्मा और परमात्मा के मेल को ही योगकहा है।

दर्शन में योग का महत्व

भारतीय धर्म और दर्शन में योग का अत्यधिक महत्व है। आध्या‍त्मिक उन्नत‍ि या शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग की आवश्यकता व महत्व को प्राय: सभी दर्शनों एवं भारतीय धार्मिक सम्प्रदायों ने एकमत व मुक्तकंठ से स्वीकार किया है।

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