अन्य देशों जैसा हमारे यहाँ शारीरिक तन्दुरूस्ती पर खास ध्यान नहीं दिया जाता। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारे देशों में जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को अपना जीवन यापन करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। पर हम आगे देखेंगे यह ज़रूरी नहीं है कि कड़ी मेहनत से शारीरिक तंदरुस्ती सुनिश्चित हो जाए। शारीरिक कसरत से ताकत भी बढ़ती है और तनाव और थकान को झेलने की क्षमता भी। इससे कुछ स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव होता है, स्वास्थ्य में सुधार होता है और कई एक बीमारियॉं ठीक भी हो जाती हैं। इस अध्याय में शारीरिक तन्दुरूस्ती क्या है इसके बारे में हम जानेंगे और कुछ एक कसरतों के मुख्य अवयवों के बारे में भी।

शहरोंमें और आरामदेह जिंदगी के कारण मानवमात्र का स्वास्थ्य कुछ मायनोंमें बिगडा है। सही रहन सहन और भोजन तथा नियमित मेहनत से शरीर स्वस्थ होता है और कार्यशक्ती बढती है। सिवाय श्रमिक लोग के सबको नियमित रूप से व्यायाम करना जरुरी है। इसका स्वास्थ्य विज्ञान और कला भी समझ लेना चाहिये। इससे मधुमेह, अतिरक्तचाप, जोडोंका दर्द, हृदयविकार, अवसाद आदि अनेक रोग टल सकते है। उचित व्यायाम से आयु बढती है और जीवन का आनंद भी।यहाँ व्यायाम के संबंध में कुछ मूलतत्त्व हम समझेंगे।

 

कसरत के लाभ

स्वास्थ्य शिक्षा के प्रति एक रास्ता, बीच-बीच की आपातकालीन जानकारी देने से ज़्यादा महत्वपूर्ण है।

  • लगातार कसरत करने से दिल की पेशियॉं मज़बूत होती हैं।
  • ज्यादा देर तक कोई काम चलाना पेशियों को सक्षम बनाता है
  • इससे रक्त चाप और शरीर की चर्बी कम होती है और खून में उपयोगी वसा का स्तर बढ़ता है।
  • नियमित कसरत से पेशियॉं, जोड़ और अस्थिबंधों में लचीलापन आती है।
  • इससे वसा के जमने से बचाव होता है और पेशियॉं मज़बूत होती हैं।
  • इससे पाचन और पेट साफ होने में मदद मिलती है।
  • इससे दिमाग को आराम मिलता है और उम्र बढ़ती है।

 

व्यायाम के उद्देश

व्यायाम-मेहनत के लिये ७ प्रमुख उद्देश है।

  • मांस पेशी का बल - बलवर्धन के लिये मांसपेशीवाले तंतूओं की संख्या, चौडाई और संग्रहित उर्जा महत्त्वपूर्ण है। सूर्यनमस्कार, जोरबैठक, भार उठाना, आयसोमेट्रिक व्यायाम और कुस्तीजैसे खेलोंसे मांस पेशींका बल बढता है। कई खेलोंमें बल का महत्त्व होता है। मज़बूती और शक्ति कसरत से विकसित की जा सकती है। पर सिर्फ वही पेशियॉं मज़बूत हो पाती हैं जो कसरत में शामिल हों। जैसे कि बुहार के काम से केवल हाथ की पेशियॉं मज़बूत होती हैं।
  • हृदय और फेफडों की क्षमता - दमसांस के कसरत से हृदय और फेफडोंकी क्षमता बढती है। मॅराथॉन दौड इसका एक उदाहरण है। लेकिन हर कोई मॅराथॉन दौड नहीं सकता। हमको केवल ३० मिनिट दमसांस या एरोबिक व्यायाम पर्याप्त है। इसमें आखरी १० मिनिट उचित गतीसे व्यायाम करना जरुरी है।
  • लचीलापन - शरीर के कुछ भागों (खासकर पेशियों, जोड़ों और अस्थिबन्धों) को खींच पाने या मोड़ पाने की क्षमता को लचीलापन कहते हैं। तनावसहित व्यायाम से लचीलापन बढता है। बहुत सारे खेलों के पहले खिलाडियों को लचीलेपन के लिये कुछ खिंचाव-तनाव की क्रियाएँ करते हम देखते है। इससे खेलमें या कामकाजमें मोच या पेशी आहत होना हम टाल सकते है। योग शास्त्रमें मांसपेशी और स्नायूबंध तनना, लचीलापन और शिथिलीकरण पर ध्यान दिया जाता है। यह शरीर के पूरे स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण पहलू है। लचीलापन का एक उदाहरण है अपनी हाथों से पैर को छू लेना, लेकिन बिना घुटने मोडके। योग में इसे पश्चिमोत्तानासन कहा करते है।
  • मांस पेशीका संतुलन - इसका मतलब है शरीर के अलग अलग मांस पेशियों की संतुलित क्रिया। उदा, तीरंदाजी में या शूटिंग में शरीर की कुल मांस पेशियॉं संतुलित और स्थिर करने से ही सही निशाना होता है। ऐसे हर किसी खेल में मांस पेशियों की कुशलता, संतुलन खास प्रकार का होना जरुरी है। आजकल संतुलन के लिये योगविद्या अहम समझी जाती है।
  • मोटापा या वजन – शरीरमें मेहनत के लिये हमारे आहारसे उर्जा मिलती है। इसके लिये हमारी वसा और अन्य उर्जा स्त्रोत काम में लाये जाते है। लेकिन अलग अलग व्यायाम में उर्जा का इस्तेमाल भिन्न रीति से होता है।तेजी से चलना, दौडना, तैरना, पहाड चढना आदि क्रियाओंमें कुछ ज्यादा उर्जा इस्तेमाल होती है। कुछ व्यक्तियोंको मोटापन कम करने के लिये वसा कम करने की जरुरी होती है। ऐसे लोग ३० मिनिट के बाद भी व्यायाम को जारी रखे। ध्यान रखे की उर्जा के लिये वसा जलाने का सिलसिला लगभग ३० मिनिट के बाद शुरू होता है। वैसेही मोटापन कम करने के लिये ज्यादा उर्जा व्यय करनेवाले व्यायाम प्रकार लेने चाहिये, जैसे की पहाड चढना।
  • (दम खम) स्टैमिना - श्रम को ज्यादा समयतक करते रहने की क्षमता को कहते है स्टैमिना या दम खम। इसके लिये इस काम से जुडे हुए मांस पेशियोंमें ज्यादा क्षमता और उर्जा जरुरी है। सही प्रशिक्षण और भोजन से यह संभव होता है।
  • योग शास्त्र - अंदरुनी अंगोंके स्वास्थ्य रक्षण के लिये योग शास्त्र आदर्श है। यौगिक क्रियाओंसे शरीर के अंतर्गत खून का परिसंचरण बढता है। छाती, पेट, मेरुदंड और मस्तिष्क इन अंगोंके लिये योगशास्त्र विशेष उपयुक्त है।

 

दिल और फेफड़ों की क्षमता

शारीरिक कसरत से व्यक्ति की सॉंस की दर और दिल की धड़कन बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि दिल और फेफड़े सक्रिय पेशियों को ऑक्सीजन पहुँचाते हैं। कसरत से दिल और दिमाग की थकान सहने की क्षमता बढ़ जाती है। इससे शरीर के अंगों, खासकर दिल बीमार होने से बचाव होता है। इससे पूरे शरीर में खून के बहाव में बढ़ोतरी होती है। इसीलिए कसरत के बाद व्यक्ति अधिक चैतन्य महसूस करता है।

कोई व्यक्ति कितनी अच्छी तरह से कसरत कर रहा है इसका पता दिल की रफ्तार से लगाया जा सकता है। उपयुक्त कसरत के बाद दिल की धड़कन की गति बढ़ जाती है। दिल की धड़कन इतनी तक पहुँचा देनी चाहिए २२० में से व्यक्ति की उम्र घटाकर इसका 60 प्रतिशत। दूसरी बात कसरत के बाद दिल की धड़कन को सामान्य होने में पॉंच मिनट से ज़्यादा का समय नहीं लगना चाहिए। कुछ कसरत पसन्द लोगों में आराम के समय दिल की धड़कन अगर ५० या फिर ६० यह होता है और दिल स्वस्थ होने की निशानी है। कम उम्र से कसरत करने से दिल की धड़कन दिल की धड़कन धीमी हो सकती है। इसे ऍथलेटिक हार्ट याने कसरतमंद दिल कहते है।

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कसरत, योग और फ़िटनेस की आवश्यकता