बरसात में भीगना और बीमार होना आम बात है, ऎसे में इन दिनों योगासनों के जरिए रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर अधिक स्वस्थ रहा जा सकता है।
मानसून में बारिश की गिरती बूंदे अमृत के समान लगती हैं, लेकिन इन दिनों हमारी थोड़ी-सी लापरवाही कई बीमारियों का सबब बन जाती है। इन दिनों संक्रमण के कारण पेट दर्द, सर्दी, अस्थमा, त्वचा रोग, जोड़ो में दर्द आदि बीमारियों का खतरा बना रहता है। ऎसे में योग के जरिए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर इन बीमारियों से बचा जा सकता है।
हस्त उत्तानासन
पंजों को मिला कर खड़े हो जाएं, सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर उठाएं और कंधे के बराबर में फैलाकर गर्दन पीछे ले जाएं। सांस रोक कर रखें, अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए दोनों हाथों को नीचे ले आएं। इसे 10 बार करें।
फायदा
इससे रीढ़ की हड्डी समेत कंधों के जोड़ों में फैलाव होता है, श्वसन तंत्र ठीक रहता है और सुस्ती खत्म होती है।
धनुरासन
पेट के बल लेट जाएं। दोनों पांवों को घुटने से मोड़ कर शरीर के पास लाएं। हाथों से एडियों को पकड़ लें और सांस लेते हुए सिर को ऊपर उठाएं, अब सांस छोड़ते हुए नीचे आएं।
फायदा
यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। ऑक्सीजन की उचित आपूर्ति होने से उदर संबंधी रोगों में आराम मिलता है।
मत्स्यासन
पीठ के बल लेट जाएं। दोनों हाथों को कमर के पास रखें, अब हाथों का सहारा लेते हुए गर्दन को ऊपर उठाएं और सिर के ऊपरी भाग को जमीन पर रखें, जितना संभव हो, इस आसन में रूकें।
फायदा
बच्चों की गर्दन के नीचे स्थित थाइमस ग्रंथि प्रतिरोधी क्षमता देती है, खास बात यह है कि आठ साल की उम्र के बाद यह छोटी होने लगती है, इस आसन के जरिए ग्रंथि की सक्रियता को बढ़ाया जा सकता है।
योगिक ब्रीथिंग
इसे लेट कर या बैठ कर भी कर सकते हैं । पेट से सांस लें, अब पेट से सांस भरते हुए सात तक गिने, एक क्षण के लिए रूकें, फिर सात तक गिनते हुए सांस छोड़ें और पेट को अंदर की तरफ ले जाएं। एक क्षण के लिए रूकें और इस चक्र को दोहराएं। ऎसे सात चक्र करें।
फायदा
यह विधि हमारे शरीर में प्राण ऊर्जा का विस्तार करती है। इसके जरिए हम वातावरण से ऊर्जा को लेते हैं और इस ऊर्जा को हमारा शरीर अच्छे स्वास्थ्य के लिए इस्तेमाल करता है। इस श्वसन विधि से मानसिक शांति बढ़ती है।
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