वृक्षासन यानी पेड़ के समान। यह आसन करने से मनुष्य की आकृति पेड़ के समान हो जाती है। यही कारण है कि इसे वृक्षासन कहते हैं। इस आसन से न सिर्फ शारीरिक रूप से हमें लाभ पहुंचाता है वरन इसके करने से हमें मानसिक सुकून भी मिलता है। जहां एक ओर वृक्षासन से हमारे शरीर के विभिन्न अंग विशेषों को लाभ पहुंचता है, वहीं दूसरी मानसिक तनाव को भी यह आसन दूर रखता है। कहने का मतलब यह कि मानसिक सुकून चाहिए तो वृक्षासन कीजिए। इस आसन के लाभ वृक्षासन के असंख्य लाभ है बशर्ते इसे नियमानुसार किया जाए। साथ ही इसकी सावधानियां भी बरती जाएं। योग विशेषज्ञों की मानें तो वृक्षासन सुबह उठकर किया जाए तो इसका हमें फायदा पहुंचता है। इसके नियमित करते से बेडौल शरीर सुडौल बनता है। जिन्हें घुटने के दर्द की शिकायत है, वृक्षासन करने से उन्हें घुटनों के दर्द से मुक्ति मिलती है। यह आसन उन लोगों के लिए खासकर लाभकर है जिन्हें चलने का काम ज्यादा करना पड़ता है। मसलन यदि आप सेल्स पर्सन हैं या किसी कूरिअर कंपनी में काम करते हैं तो इस आसन को अवश्य करें। इसकी एक वजह यह है कि वृक्षासन हमारे पैरों को मजबूती प्रदान करता है। इतने में ही वृक्षासन की खूबी खत्म नहीं होती।
नियमित वृक्षासन करने से हमारी एकाग्र क्षमता बढ़ती है। एकाग्र क्षमता जो कि हमारे याद्दाश्त की बेहतर होने की निशानी है। यह कहने की जरूरत नहीं है कि मौजूदा दौर में बेहतर कॅरिअर, बेहतर सम्बंध आदि के लिए बेहतर याद्दाश्त कितनी जरूरी है। यह आसन सिर्फ पुरुष करें, ऐसा जरूरी नहीं है। इस आसन में घर की महिलाएं और बच्चों को भी भाग लेना चाहिए। वृक्षासन पैरों को मजबूत तो बनाता ही है। साथ ही यह स्नायुमण्डल का विकास कर पैरों को स्थिरता प्रदान करता है। यह कमर और कूल्हों के आसपास जमीं अतिरिक्त चर्बी को हटाता है। मतलब यह है कि अगर आपका वजन ज्यादा है यानी आप मोटे हैं तो यह आसन आपको विशेष रूप से लाभ पहुंचा सकता है। चर्बी घटाने के बाद यह आसन शरीर को कमजोर नहीं करता वरन मजबूती देता है। अगर आप अपनी बढ़ती तोंद से परेशान हैं तो इस आसन को अवश्य करें। कैसे करें यह आसन सावधान मुद्रा में खड़े हो जाएं। अब दोनों पैरों के बीच कुछ दूरी बनाकर खड़े रहें। फिर हाथों को सिर के ऊपर उठाते हुए सीधा कर हथेलियों को मिला दें। अब दाहिने पैर को मोड़ते हुए उसके तलवे को बाईं जांघ पर टिका दें। बाएं पैर पर संतुलन बनाते हुए हथेलियां, सिर और कंधे एक ही सीध में हों। जब तक संभव हो ऐसे रहें। कुछ देर बाद अन्य पैर से भी यह दोहराएं। बरतें सावधानी हमेशा यह ध्यान रखें कि आसन करने से पहले किसी विशेषज्ञ की राय अवश्य लें। यदि आप स्वयं वृक्षासन कर रहें हैं तो आपको अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ सकती है। इसकी एक वजह यह है कि अगर आप वृक्षासन सही से नहीं करेंगे तो हो सकता है कि आसन को सकारात्मक असर की बजाय नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। इसे नियम, समय और सही तरीके का हमेशा ख्याल रखें। यूं तो वृक्षासन सबके लिए हितकर है। लेकिन यह जानना आवश्यक है कि वृक्षासन से किन लोगों को दूरी बनाए रखनी चाहिए। अगर आपको नींद से सम्बंधित कोई शिकायत है या अनिद्रा का रोग है तो इस आसन को न करें। सिरदर्द भी इसे न करने की एक ठोस वजह है। नियमित सिरदर्द की शिकायत वालों को यह आसन तनावमुक्त करने की बजाय तनाव से भर देगा। ब्लड प्रेशर के मरीजों को भी वृक्षासन नहीं करना चाहिए।
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- वृक्षासन
Tree pose or Vrksasana originally comes from the Sanskrit words vriksa or vriksha meaning “tree” and asana meaning “pose” or posture. Once you perform your Vrksasana standing in front of a mirror, your body should look like a human tree, beautiful, balanced and strong. This yoga pose will need a bit of focus and patient, and a smile if you lose your balance!
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