सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन में बैठें। दोनो अंगूठों से कान पूरी तरह बन्द करके, दो उंगलिओं को माथे पर रख कर, छः उंगलियों को दोनो आँखो पर रख दे। और लंबी साँस लेते हुए कण्ठ से भवरें जैसा (म……) आवाज निकालना है ।

भ्रामरी प्राणायाम करने के लाभ

  • सायकीक पेंशेट्स को फायदा होता है।
  • मायग्रेन पेन, डीप्रेशन, और मस्तिष्क से सम्बधित सभी व्याधिओं को मिटाने के लिये।
  • मन और मस्तिषक की शांति मिलती है।
  • ब्रम्हानंद की प्राप्ति करने के लिये।
  • मन और मस्तिषक की एकाग्रता बढाने के लिये।