सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन में बैठें। साँस को पूरी तरह बाहर निकालने के बाद साँस बाहर ही रोके रखने के बाद तीन बन्ध लगाते हैं।

१) जालंधर बन्ध :- गले को पूरा सिकोड कर ठोडी को छाती से सटा कर रखना है।

२) उड़ड्यान बन्ध :- पेट को पूरी तरह अन्दर पीठ की तरफ खींचना है।

३) मूल बन्ध :- हमारी मल विसर्जन करने की जगह को पूरी तरह ऊपर की तरफ खींचना है।

 

बाह्य प्राणायाम करने के लाभ्

  1. कब्ज, ऐसिडिटी, गैस जैसी पेट की सभी समस्याएें मिट जाती हैं।
  2. हर्निया पूरी तरह ठीक हो जाता है।
  3. धातु, और पेशाब से संबंधित सभी समस्याएँ मिट जाती हैं।
  4. मन की एकाग्रता बढ़ती है।
  5. व्यंधत्व (संतान हीनता) से छुटकारा मिलने में भी सहायक है।