सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन में बैठें। सीकुडे हुवे गले से सास को अन्दर लेना है।

उज्जायी प्राणायाम करने के लाभ

  1. थायराँइड की शिकायत से आराम मिलता है।
  2. तुतलाना, हकलाना, ये शिकायत भी दूर होती है।
  3. अनिद्रा, मानसिक तनाव भी कम करता है।
  4. टी•बी•(क्षय) को मिटाने में मदद होती है।
  5. गुंगे बच्चे भी बोलने लगेंगे|

उज्जायी प्राणायाम क्या है

‘उज्जायी’ शब्द का अर्थ होता है- विजयी या जीतने वाला. इस प्राणायाम के अभ्यास से वायु को जीता जाता है. अथार्त उज्जयी प्राणायाम से हम अपनी सांसो पर विजय पा सकते हैं और इसलिए इस प्राणायाम को अंग्रेजी में विक्टोरियस ब्रेथ कहा जाता हैं. जब इस प्राणायाम को किया जाता है तो शरीर में गर्म वायु प्रवेश करती है और दूषित वायु निकलती है. उज्जायी प्राणायाम को करते समय समुद्र के समान ध्वनि आती है इसलिए इसे ओसियन ब्रीथ के नाम से भी जाना जाता है. इस प्राणायाम  का अभ्यास शर्दी को दूर करने के लिए किया जाता है. इसका अभ्यास तीन प्रकार से किया जा सकता है- खड़े होकर, लेटकर तथा बैठकर.

खड़े होकर करने की विधि

  1. सबसे पहले सावधान कि अवस्था में खड़े हो जाएँ. ध्यान रहे की एड़ी मिली हो और दोनों पंजे फैले हुए हों.
  2. अब अपनी जीभ को नाली की तरह बनाकर होटों के बीच से हल्का सा बाहर निकालें .
  3. अब बाहर नीकली हुई जीभ से अन्दर की वायु को बहार निकालें .
  4. अब अपनी दोनों नासिकायों से धीरे- धीरे व् गहरी स्वास लें .
  5. अब स्वांस को जितना हो सके इतनी देर तक अंदर रखें .
  6. फिर अपने शरीर को थोडा ढीला छोड़कर श्वास को धीरे -धीरे बहार निकाल दें .
  7. ऐसे ही इस क्रिया को 7-8 बार तक दोहरायें .
  8. ध्यान रहे की इसका अभ्यास 24 घंटे में एक ही बार करें .

बैठकर करने की विधि

  1. सबसे पहले किसी समतल और स्वच्छ  जमीन पर चटाई बिछाकर उस पर पद्मासन, सुखासन की अवस्था में बैठ जाएं.
  2. अब अपनी दोनों नासिका छिद्रों से साँस को अंदर की ओर खीचें इतना खींचे की हवा फेफड़ों में भर जाये.
  3. फिर वायु को जितना हो सके अंदर रोके .
  4. फिर नाक के दायें छिद्र को बंद करके, बायें छिद्र से साँस को बहार निकाले.
  5. वायु को अंदर खींचते और बाहर छोड़ते समय कंठ को संकुचित करते हुए ध्वनि करेंगे, जैसे हलके घर्राटों की तरह या समुद्र के पास जो एक ध्वनि आती है.
  6. इसका अभ्यास कम से कम 10 मिनट तक करें.

लेटकर करने की विधि

  1. सबसे पहले किसी समतल जमीन पर दरी बिछाकर उस पर सीधे लेट जाए. अपने दोनों पैरों को सटाकर रखें .
  2. अब अपने पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें .
  3. अब धीरे–धीरे लम्बी व गहरी श्वास लें .
  4. अब श्वास को जितना हो सके इतनी देर तक अंदर रखें .
  5. फिर अपने शरीर को थोडा ढीला छोड़कर श्वास को धीरे -धीरे बहार निकाल दें .
  6. इसी क्रिया को कम से कम 7-8 बार दोहोरायें .

उज्जायी प्राणायाम करने के सावधानी

  • इस प्राणायाम को करते समय कंठ में अंदर खुजलाहट एवं खांसी हो सकती है, बलगम निकल सकता है, लेकिन यदि इससे अधिक कोई समस्या हो तो इस प्राणायाम को न करें.

उज्जायी प्राणायाम करने के लाभ

  • श्वास नलिका, थॉयराइड, पेराथायराइड, स्वर तंत्र आदि को स्वस्थ व संतुलित करती है. कुंडलिनी का पंचम सोपान है. जल तत्व पर नियंत्रण लाती है.