त्राटक शब्द का उत्पत्ति ‘त्रा’ से हुआ है, जिसका अर्थ है मुक्त करना। यह क्रिया आँखों को साफ करने एवम नेत्रों की रोशनी बढ़ाने के लिए की जाती है। इस क्रिया में आप नेत्रों को सामान्य रूप से किसी निश्चित वस्तु पर केंद्रित करते हैं जो दीपक या जलती हुई मोमबत्ती की लौ हो सकती है। चुनी हुई वस्तु को तब तक देखते रहें जब तक आंखों में पानी नहीं आ जाए या आपके आँख दर्द न करने लगे। जब पानी आ जाए या दर्द करने लगे तो आँखों को बंद करे और फिर सामान्य स्थिति में आकर इसे खोलें। अगर सही माने में देखा जाए तो आँखों को सेहतमंद रखने के लिए यह एक उम्दा योगाभ्यास है। आज हम आपको षट्कर्म की  त्राटक क्रिया से सम्बंधित उपयोगी बाते बताने जा रहे है| जो आपके स्वस्थ्य के लिए तो बेहतर है ही साथ ही यह आपके भविष्य को ओर उज्जवल बनने में भी सहायक होगा|  

त्राटक मैडिटेशन त्राटक योगाभ्यास का एक उच्चतर स्तर है। यहाँ पर भी आप बेशक किसी निश्चित बिंदु पर अपना ध्यान को केंद्रित करते हैं। दुनिया की चीजों को अपने तन मन से निकाल कर आप सिर्फ एवं सिर्फ उस खास बिंदु को फोकस करते हैं। आप अपने शरीर के मांसपेशियों तथा नसों को आराम कराते हुए उस खास बिंदु पर अपने ध्यान को ज़माने की कोशिश करते है और धीरे धीरे इस प्रक्रिया की गहराई पर जाने की कोशिश करते हैं। त्राटक मैडिटेशन से आप सिर्फ अपने आँखों को ही ठीक नहीं करते बल्कि पुरे शरीर को बीमारियों से दूर रखते हैं।

ये क्रियाएँ हैं:-

  1. त्राटक
  2. नेती.
  3. कपालभाती
  4. धौती
  5. बस्ती और
  6. नौली।

त्राटक क्रिया योग की विधि इस प्रकार 

त्राटक साधना लगातार तीन महीने तक करने के बाद उसके प्रभावों का अनुभव साधक को मिलने लगता है। इस साधना में उपासक की असीम श्रद्धा, धैर्य के अतिरिक्त उसकी पवित्रता भी आवश्यक है। शरीर को स्वस्थ्य और शुद्ध करने के लिए
त्राटक साधना करने के लिए आपको खुद को कुछ दिनों के लिए नियमों में बांधना होगा। यह साधना आप उगते सूर्य, मोमबत्ती, दीया, किसी यंत्र, दीवार या कागज पर बने बिंदू आदि में से किसी को देखकर ही कर सकते हैं।
त्राटक साधना में रखें ये सावधानियां - इस साधना के समय आपके आसपास शांति हो। इस साधना का सबसे अच्छा समय है आधी रात या फिर ब्रह्म मुहूर्त यानी सुबह 3 से 5 के बीच। यह सिद्धि रात्रि में अथवा किसी अँधेरे वाले स्थान पर करना चाहिए। प्रतिदिन लगभग एक निश्चित समय पर 30 मिनट तक करना चाहिए। स्थान शांत एकांत ही रहना चाहिए। साधना करते समय किसी प्रकार का व्यवधान नहीं आए, इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। शारीरिक शुद्धि व स्वच्छ ढीले कपड़े पहनकर किसी आसन पर बैठ जाइए। इस प्रकार 

  • सबसे पहले आप सिर, गर्दन एवं पीठ को सीधा रखते हुए किसी अंधेरे कमरे में ध्यान की मुद्रा में बैठें और आँखों को बंद कर लें।
  • जिस वस्तु पर ध्यान केंद्रित करना हो उसे नेत्रों के समांतर ऊंचाई पर रखा होना चाहिए। आप मिट्टी के दीपक में घी से जली ज्योति को प्रकाश ऊर्जा के स्रोत के रूप में प्रयोग कर सकते हैं।
  • जलती हुई मोमबत्ती अथवा जलते हुए मिट्टी के दीपक को आंखों से लगभग डेढ़ गज अथवा ढाई फुट की दूरी पर आंखों के ही समांतर ऊंचाई पर रखीं होनी चाहिए।
    अब आप बंद आखों को खोलें और जलते हुए मिट्टी के दीपक की ज्योति को तब तक देखते रहे जब तक आंखें थक नहीं जातीं या आंसू नहीं निकल आते। अब आंखें बंद कर लें और विश्राम करें।
  • इस क्रिया को 3 या 4 बार दोहराएं, जब तक कि व्यक्ति बिना पलक झपकाए 10 या 15 मिनट के लिए दृष्टि जमाने का अभ्यस्त नहीं हो जाता।
  • ध्यान रहे जब आप ज्योति को देखते हैं तो पलक को नहीं झपकनी चाहिए।

त्राटक क्रिया के लाभ यह 

  • त्राटक क्रिया आँखों के लिए तो लाभदायक है साथ ही यह आपकी एकाग्रता को बढ़ाने में भी सहायक है।
  • इसका नियमित अभ्यास कर मानसिक शां‍ति और निर्भिकता का आनंद लिया जा सकता है।
  • इससे आँख के रोग दूर जाते हैं। साथ ही मानसिक शांति और आनंद की प्राप्ति होती है
  • नेत्र विकारों की चिकित्सा में यह उपयोगी है।
  • यह आंख की सुस्ती दूर करने में मददगार है।
  • यह आध्यात्मिक शक्तियों का विकास करती है एवं मस्तिष्क के विकास में लाभकारी होती है।
  • यह आंतरिक ज्योति को प्रज्वलित करती है।
  • यह स्मृति एवं एकाग्रता बढ़ाती है।
  • इसके अभ्यास से अल्फा तरंगें बढ़ती हैं, जो मस्तिष्क के विश्रामावस्था में होने का संकेत हैं। इस अवस्था में मस्तिष्क के निश्चित भाग काम करना बंद कर देते हैं तथा मस्तिष्क की प्रक्रियाएं रुक जाती हैं, इस प्रकार मस्तिष्क को अत्यावश्यक विश्राम प्राप्त होता है।

त्राटक क्रिया में रखें सावधानियां

  • ध्यान रहे इस योग की अभ्यास किसी योग्य योग शिक्षक के निर्देशन में की जानी चाहिए।
  • इस क्रिया के लिए अंधेरे एवं शांत कमरे को चुनना चाहिए।
  • जिन्हें आंख की समस्या हो वैसे व्यक्तियों को इसके अभ्यास से पूर्व चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए।
  • ज्योति स्थिर होनी चाहिए और उसे फड़फड़ाना नहीं चाहिए।

आज आपने त्राटक क्रिया से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी, इस क्रिया के अनेक लाभ है जो हम आपको बता चुके है| लेकिन आपको इसे करते समय कुछ सावधानिया भी बरतनी चाहिए| आँखों में किसी भी प्रकार का दर्द या जलन हो तो इस क्रिया को न करें| इसके अलावा पहले किसी जानकर से इस क्रिया का प्रशिक्षण लें, उसके बाद इसका अभ्यास घर पर करें|