अग्निसार क्रिया प्राणायाम का एक प्रकार है। "अग्निसार क्रिया" से शरीर के अन्दर अग्नि उत्पन होती है, जो कि शरीर के अन्दर के रोगाणु को भस्म कर देती है। इसे प्लाविनी क्रिया भी कहते हैं।

अग्निसार पेट की चर्बी कम करने के लिए बहुत ही प्रभावी योगाभ्यास है। खास कर गर्भावस्था के बाद महिलाएं अच्छा खास वजन धारण कर लेती हैं। यह क्रिया वैसे महिलाओं के लिए बहुत ही सटीक योगाभ्यास है। ध्यान रहे ऐसी महिलाओं को इस योग का प्रैक्टिस किसी विशेषज्ञ के निरीक्षण में  ही करनी चाहिए। इसका नियमित रूप से अभ्यास करने  पर सिर्फ पेट की चर्बी ही कम नहीं होता बल्कि आप अपने वजन को भी कम कर सकतें हैं।

अग्निसार को वह्निसार भी कहते हैं। वहिन का मतलब होता है अग्नि और सार का अर्थ होता है मूल तत्व। अग्निसार एक ऐसी क्लींजिंग योग है जो आपके पाचन तंत्र को साफ एवं स्वस्थ रखते हुए पूरे शरीर को बीमारियों से बचाता है। मूलतः अग्निसार नाभि से सम्बंधित एक योगाभ्यास है जिसका ज़्यादा से ज़्यादा असर नाभि के क्षेत्र पर होता है। यह आप के पेट को ठीक रखते हुए पाचन में मदद करता है और साथ ही साथ पाचन रस के स्राव में बड़ी भूमिका निभाता है।

अग्निसार क्रिया की विधि

इस प्राणायाम का अभ्यास खड़े होकर, बैठकर या लेटकर तीनों तरह से किया जा सकता है। बैठ कर की जाने वाले अभ्यास में इसे सिद्धासन में बैठकर दोनों हाथ को दोनों घुटनों पर रखकर किया जा सकता हे

  1. सबसे पहले आप खड़े हो जाए और अपने पैरों के बीच मैं आधा फूट का अंतर रखें।
  2. अब आप अपने शरीर के ऊपरी भाग को 60 डिग्री पर झुकाएं तथा हाथों को घुटने पर रखें।
  3. सांस लें और सांस छोड़े।
  4. अब आप लंबी गहरी सांस छोड़े और सांस को रोकें।
  5. सांस को रोकते हुए आप अपने पेट को आगे पीछे करें।
  6. पेट को आप इस तरह से आगे पीछे करते हैं कि पेट की मांसपेशियों में दर्द होने लगे।
  7. जब आप सांस रोक न पाये तो रुक जाएं आराम करें।
  8. फिर से इसी क्रिया को दुहरायें।
  9. इस तरह से आप शुरुवाती दौड़ में 10 से 15 बार करें।
  10. अग्निसार को आप बैठ कर भी कर सकते हैं। आप किसी भी ध्यान मुद्रा में बैठ जायें। अगर ध्यान मुद्रा में बैठने में परेशानी हो तो आप अपने हिसाब से बैठे। इसमें आप को आगे झुकने की जरूरत नहीं है, आप सीधा रहें और ऊपर बताये गए विधि का अनुसरण करें।

     

अग्निसार क्रिया के लाभ

यह क्रिया पाचन ‍प्रक्रिया को गति‍शील कर उसे मजबूत बनाती है। शरीर के सभी तरह के रोगाणुओं को भस्म कर शरीर को स्वस्थ करती है। यह क्रिया पेट की चर्बी घटाकर मोटापे को दूर करती है तथा यह कब्ज में भी लाभदायाक है। इसके निम्न तत्व-

  1. अग्निसार पेट की चर्बी कम करने के लिए:  अग्निसार पेट की चर्बी कम करने के लिए बहुत ही प्रभावी योगाभ्यास है। खास कर गर्भावस्था के बाद महिलाएं अच्छा खास वजन धारण कर लेती हैं। यह क्रिया वैसे महिलाओं के लिए बहुत ही सटीक योगाभ्यास है। ध्यान रहे ऐसी महिलाओं को इस योग का प्रैक्टिस किसी विशेषज्ञ के निरीक्षण में  ही करनी चाहिए। इसका नियमित रूप से अभ्यास करने  पर सिर्फ पेट की चर्बी ही कम नहीं होता बल्कि आप अपने वजन को भी कम कर सकतें हैं।
  2. अग्निसार से पाचन में सुधार: इस क्रिया प्राणायाम का नियमित रूप में अभ्यास करने से सही मात्रा में पेट में एंजाइम्स का स्राव होने लगता है जो पाचन क्रिया को मजबूत बनाता है। यह आपके पेट के मांसपेशियों को भी मजबूत बनाता है।
  3. अग्निसार डायबिटीज के लिए: इस क्रिया प्राणायाम का अभ्यास करने से पैंक्रियाज ठीक तरह से इन्सुलिन का उत्पादन करने लगता है जो खून में शुगर की मात्रा को कम करने के लिए बड़ी भूमिका निभाता है।
  4. अग्निसार प्राणायाम कब्ज के लिए:  यह भोजन के पचाने में मदद करता है और कब्ज की शिकायत को दूर करने में सहायता करता है।
  5. अग्निसार एसिडिटी के लिए: चूंकि इस क्रिया के नियमित अभ्यास से एंजाइम्स का स्राव सही मात्रा में होने लगता है। अनपच और कब्ज जैसी शिकायत को दूर करने में बहुत मदद करता है।
  6. शरीर को सक्रिय बनाना: यह हमारे जीवनशैली को सक्रिय बनाता है तथा शरीर के अंग, उत्तक, एवं कोशिकाएं अच्छी तरह से काम करने लगता है।
  7. लिवर को सक्रिय बनाना: यह लिवर के साथ साथ आंत, किडनी एवं पैंक्रियाज को सक्रिय बनाता है और भोजन को पचाते हुए अवशोषण में मदद करता है।
  8. शरीर ऊर्जा को बढ़ाना: यह शरीर में ऊर्जा बढ़ाने में मदद करता है तथा सुस्ती को दूर करता है।
  9. विषैले पदार्थ को बहार निकालना: यह एक ऐसी योग क्रिया है जो शरीर से हानिकारक पदार्थ को निकालने में मदद करता है और शरीर को साफ सुथरा रखते हुए आपके अंदर हमेशा तरोताज़गी बनाये रखता है।
  10. अग्निसार पेट के रोग के लिए: अग्निसार पेट के समस्त रोगों के लिए रामबाण है।  इसका नियमित अभ्यास से आप पेट दर्द, कब्ज, एसिडिटी, जलन इत्यादि  से हमेशा हमेशा के लिए छुटकारा पा सकते हैं।

 

अग्निसार की सावधानियां

प्राणायाम का अभ्यास स्वच्छ व साफ वातावरण में दरी या चटाई बिछाकर करना चाहिए। यदि पेट संबंधी किसी भी प्रकार का कोई गंभीर रोग हो तो यह क्रिया नहीं करना चाहिए।

  1. पेट में दर्द होने पर अग्निसार नहीं करनी चाहिए।
  2. यह क्रिया हमेशा खाली पेट ही करनी चाहिए।
  3. अगर अल्सर या और कोई बीमारी हो तो इसका अभ्यास किसी विशेषज्ञ के निगरानी में करनी चाहिए।
  4.  अगर आपको कमर दर्द हो  इसको करने से बचें।