सूत्र नेति का अर्थ और करने का तरीका 

सूत्र नेति क्रिया में आप अपने शरीर का अगर आप शुद्धिकरण करना चाहते हो, तो उसका सबसे आसन तरीका होता है सूत्र नेति। इस मानव रूपी यंत्र को क्रियाशील बनाये रखने के लिए इसकी सफाई और शोधन की आवश्कता होती है। मनुष्य के शरीर रूपी यंत्र का बाह्य शोधन आसन के जरिये हो जाता है। शोधन करने के लिए हमें अनेक प्रकार की क्रिया को करना पड़ता है। नासिका के द्वारा सांस ली जाती है, जो हमारे प्राणों के लिए बहुत ही आवश्क है। मानव को प्रणायाम के बाद क्रियाओ को भी करना सीखना चाहिए, ये क्रिया थोड़ी कठिन आवश्य होती है, लेकिन जब हम नियमित रूप से करते हैं, तो इसे धीरे-धीरे सीख जाते हैं। यह एक प्राण मार्ग होता है और इसके शोधन के लिए निति नमक क्रिया करना पडती है। जब हम इसका अभ्यास नियमित रूप से करते हैं, तो इसको करने से हमें सर्दी-जुकाम, कफ, अनिद्रा और साथ में मस्तिष्क में जाने वाले रक्त में ऑक्सीजन के प्रभाव को ठीक करता है। इस क्रिया को करने से हम अपने मन पर आसानी से नियंत्रण रख सकते हैं। आसन, प्राणायाम के बाद हमें क्रिया को करना चाहिए। जब हम इस क्रिया को करते हैं तो हमें बहुत ही जल्दी लाभ मिलता है। योग में प्रमुखत: छह क्रियाएं होती है त्राटक, नेती, कपालभाती, धौती, बस्ती, नौली।

सूत्र नेति क्रिया की विधि इस प्रकार 

प्रथम पंजों के बल बैठ जायें ।अब सूत्र का एक सिरा दाईं नासिका द्वारा अंदर की ओर डालें। इसे नासिका में धीरे 2 अंदर की ओर धकेलें।  जब गले में सूत्र का सिरा महसूस होने लगे तब दायें हाथ की तर्जनी और अंगूठे से सिरे को पकड़ लें और धीरे से सूत्र को खीचें ।ध्यान रखना है की नाक वाला सिरा पकड़े रहेंगे। अब दोनो सिरों को पकड़ कर धीरे 2 मर्दन करें अर्थात आगे पीछे खिसकाइए जिससे नासिका मार्ग की सफाई हो सके। तत्पस्चात सूत्र को नासिका से ही निकाल लीजिए ।
अब इसे बाई तरफ से दोहराईए।

1. इस क्रिया को करने के लिए थोड़ा मोटा लेकिन कोमल धागा लें जिसकी लम्बाई बारह इंच या डेढ़ फुट के आसपास हो और इस बात का ख्याल रखें कि वो आपकी नासिका के छिद्र में आसनी से जा सकें।
2. अब इस धागे को गुनगुने पानी में भिगो लें और इसका एक छोर नासिका छिद्र में डालकर मुंह से बाहर निकालें।
3. यह प्रकिया बहुत ही ध्यान से करें। फिर मुंह और नाक के डोरे को पकड़ कर धीरे-धीरे दो या चार बार ऊपर नीचे खीचना चाहिए।
4. इसके बाद इसी प्रकार दूसरे नाक के छेद से भी करना चाहिए।
5. इस क्रिया को एक दिन छोड़ कर करना चाहिए।

 

सूत्र नेति क्रिया करने के लाभ व फायदे

नेति दो प्रकार की होती है जल नेति ओर सूत्र नेति। इन दोनों नेतीयो के द्वारा नासिका को स्वच्छ बनाया जाता है और सांस को सुचारू किया जाता है, इसको करने से हमारे शरीर को बहुत से लाभ होते हैं जो इस प्रकार से है इस क्रिया के अभ्यास से नासिका मार्ग की सफाई होती ही है।  टॉन्सिल्स व नाक की एलार्जी में बहुत लाभदायक।जल्दी जल्दी जुकाम होना या अत्यधिक छीकें आना बंद हो जाता है। साथ ही कान, नाक, दाँत, गले आदि के कोई रोग नहीं हो पाते और आँख की दृष्टि भी तेज होती है। इसे करते रहने से सर्दी और खाँसी की शिकायत नहीं रहती।

  • जब हम इस क्रिया को करते हैं तब हमारे दिमाग का भारीपन और तनाव दूर हो जाता है, जिससे हमारा दिमाग शांत, हल्का और सेहतमंद रहता है।
  • जब हम इस क्रिया को करते हैं, तो हमारी नासिका मार्ग की सफाई तो होती है साथ में हमारे कान, नाक, दांत, गले आदि के रोगों का सामना नही करना पड़ता।
  • इसको करने से हमारी आखों की दृष्टि तेज होती है।
  • जब हम इस क्रिया को लगातार करते हैं, तो हमें सर्दी, जुकाम और खांसी की शिकायत नहीं रहती।
  • यह क्रिया हमारे सम्पूर्ण शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होती है।

 

सूत्र नेति क्रिया में सावधानियांं इस प्रकार 

 विशेष रूप से हाथों की उंगलियों के नाख़ून कटे हों ,अन्यथा गले में चोट लग सकती है। गर्भावस्था में महिलायें न करें।हृदय रोगी या स्लिप डिस्क के रोगी भी न करें।नाक से संबंधित गंभीर रोगों में न करें ।योग शिक्षक के निर्देशन में करें।
इस क्रिया को करना कठिन होता है, इसलिए जब भी हम इसे करते हैं तो सबसे पहले इसका अभ्यास हमें रबड़ द्वारा बनी हुई नेति के साथ करना चाहिए। जब भी हम इसे कर रहे हो, तो इस क्रिया में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। क्योंकि इसे जल्दबाजी के साथ करने से हमारी नासिका को हानि का सामना करना पड़ सकता है। जब भी हमने इस क्रिया को करना हो तो रात को शुद्द देसी घी की कुछ बूंदे नाक में डाल लेनी चाहिए।

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