थायरॉइड मानव शरीर का एक प्रमुख एंडोक्राइन ग्लैंड यानी अंत:स्रावी ग्रंथि है। यह गर्दन के निचले हिस्से में होती है। छोटी-सी यह ग्रंथि शरीर में हार्मोन का निर्माण करती है और मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित रखती है। थायरॉइड ग्रंथि के सही तरीके से काम करने से आशय है कि शरीर  का मेटाबॉलिज्म यानी भोजन को ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया भी सुचारू रूप से काम कर रही है। पर जैसे ही यह ग्रंथि घटनी और बढ़नी शुरू होती है तो मानव जीवन के लिए परेशानियां शुरू हो जाती हैं। इस ग्रंथि का असर हृदय, मांसपेशियों, हड्डियों और कोलेस्ट्रॉल के स्तर पर भी पड़ता है।

यह बहुत जरुरी होता है कि हमें जैसे ही अपने थायरायड के बढने और घटने का पता चले तो हम उसका जल्‍द इलाज करवा लें। जब आपका थायरायड हाई हो जाता है तो आपके शरीर में थकान और दर्द महसूस होने लगता है। इसके अलावा बिना खाये ही वजन में बढौत्‍तरी होने लगती है। तनाव भी एक बडा कारण है। 

थायरॉइड के प्रकार 
हाइपोथायरॉइड: इस स्थिति में थायरॉइड ग्रंथि की प्रक्रिया सुस्त हो जाती है, जिस वजह से आवश्यक टी थ्री व टी फोर हार्मोन का निर्माण नहीं हो पाता और अनावश्यक रूप से वजन बढ़ने लगता है। किसी भी काम में मन नहीं लगता, कब्ज रहने लगता है और ठंड भी बहुत लगती है। कई लोगों की आंखों में सूजन, महिलाओं में माहवारी चक्र का अनियमित होना, त्वचा का सूखा और बेजान होना, पैरों के जोड़ों में सूजन व ऐंठन रहना आदि लक्षण दिखने  लगते हैं।

 लक्षण: 

- आवाज भारी होना

- गर्दन में गांठ या सूजन व गर्दन के निचले हिस्से में दर्द

- लगातार सिरदर्द होना

- बोलने व सांस लेने में कठिनाई व  सांस तेजी से चलना (सांस फूलना) 

- थोड़े से शारीरिक श्रम में थकान महसूस करना 

- अवसाद के साथ-साथ अधिक नींद आना या अनिद्रा की समस्या देखने को मिलती है। 

कारण

- थायरॉइड का एक कारण तनाव है। रोजमर्रा की परेशानियां जब नियमित तनाव का कारण बन जाती हैं तो इसका सबसे पहला असर थायरॉइड ग्रंथि पर पड़ता है। यह ग्रंथि हार्मोन के स्राव को बढ़ा देती है। 

- कई बार कुछ दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव से भी थायरॉइड होता है। 

- भोजन में आयोडीन की कमी या फिर नमक का ज्यादा इस्तेमाल भी थायरॉइड की समस्या पैदा कर सकता है।

- परिवार के किसी सदस्य को थायरॉइड होने पर इसके होने की आशंका और अधिक बढ़ जाती है।  

- ग्रेव्स रोग थायरॉइड का बड़ा कारण है। इसमें थायरॉइड ग्रंथि से थायरॉइड हार्मोन का स्राव बहुत अधिक बढ़ जाता है। ग्रेव्स रोग ज्यादातर 20 और 40 की उम्र के बीच की महिलाओं को प्रभावित करता है। 

- लगातार ऊंचा तकिया लगा कर सोने, पढ़ने व टीवी देखने से भी थायरॉइड की समस्या हो सकती है। 

योग, शरीर की ग्रन्थियों को स्‍वस्‍थ और मेटाबॉल्जिम को मजबूत बनाता है। योग के कई शारीरिक और मानसिक लाभ होते हैं जो शरीर के कई रोगों को दूर कर देते हैं। यह, हाईपो या हाइपरथायराडिज्‍म को कम करने में भी मददगार साबित होते हैं।

1. सर्वांगसन: थॉयराइड ग्रन्थियों के लिए सबसे प्रभावी आसन, सर्वांगसन होता है जिसमें कंधों को उठाना होता है। ऐसा करने से पॉवरफुल पॉश्‍चर के कारण ग्रन्थि पर दबाव पड़ता है। थॉयराइड, सबसे बड़ी रक्‍त आपूर्तिकर्ता ग्रन्थि होती है और इस आसन को करने से रक्‍त के परिसंचरण में सुधार होता है।

2. मत्‍स्‍यासन: सर्वांगसन के अलावा, आप मत्‍स्‍यासन भी कर सकते हैं इसमें आपको मछली की तरह पोज़ देना होता है यानि मछली की तरह बन जाएं। इस आसन को करने से गले में खिंचाव पड़ता है और थॉयराइड ग्रन्थि पर दबाव बनता है।

3. हलासन: सर्वांगसन और मस्‍त्‍यासन करने के बाद हलासन करने से थॉयराइड ग्रन्थि के लिए किऐ जाने वाले आसनों का एक पैकेज पूरा हो जाता है। ये तीन आसन सबसे प्रमुख होते हैं। इस आसन में आपको इस तरीके से करना होता है जैसे हल चलाकर रहे हों। ऐसा करने से आपकी गर्दन पर जोर पड़ता है और थॉयराइड ग्रन्थि पर दबाव पड़ता है।

4. विपरीतकरनी: विपरीत का अर्थ होता है उल्‍टा और करनी का अर्थ होता है किसके द्वारा। विपरीतकरनी नाम का यह आसन, थॉयराइड ग्रन्थि के लिए रामबाण होता है और इसमें सकारात्‍मक सुधार ला देता है। अगर आप ऊपर दिए गए तीन क्रमबद्ध आसनों को करने में सक्षम नहीं है तो इस आसन को करें, अवश्‍य लाभ मिलेगा।

5. ऊष्‍ट्रासन: इस आसन में ऊंट की समान अपनी गर्दन हो करना होता है।
6. भुजंगासन: इस आसन से गर्दन पर काफी खिंचाव आता है और थॉरूराइड गन्थि पर दबाव पड़ता है।

7. सेतुबंध सर्वांगसन (ब्रिज फार्मेशन पोज़): यह आसन, थॉयराइड डिस्‍ऑर्डर के लिए सबसे महत्‍वपूर्ण आसन होता है। अगर कोई भी इस आसन को सही प्रकार से करना सीख लें, तो उसे थॉयराइड की समस्‍या से आसानी से छुटकारा मिल सकता है

8. शीर्षसान (हेडस्‍टैंड पोज़): शीर्षसान, थॉयराइड ग्रन्थि को मैनेज करने के लिए सबसे अच्‍छा योगासन होता है। इसे करने से मेटाबोलिक फंक्‍शन, संतुलित रहता है और शरीर में ताजगी व अलर्टनेस रहती है। ऐसा ही नहीं, बल्कि अन्‍य रोगों में भी यह लाभकारी होता है।

9. धर्नुसन (बो पोज़): धनुष बाण की तरह से यह पोज़ दिया जाता है जिससे गले पर खिंचाव पड़ता है। इसे करने से हारमोन्‍स नियंत्रण में रहते हैं, साथ ही गले में तनाव के कारण ग्रन्थि पर भी दबाव पड़ता रहता है

10.उज्‍जयाई प्राणायाम थॉयराइड की समस्‍या होने पर उज्‍जयाई प्राणायाम सबसे अच्‍छा रहता है। इससे शरीर को आराम मिलता है साथ ही गले सम्‍बंधी सभी रोगों में राहत मिलती है

url

Article Category

Image
ये 10 योगासन करने से दूर होती है थायरायड की बीमारी