जलन्धर बन्ध के लाभ और विधि

सर्वप्रथम सुखासन में बैठेंगे। इस बँध में गले की मासपशियों का परिचालन होता है हमारे सिर में बहुत सी वात नाड़िया होती है हम यह भी कह सकते हैं कि उनका जाल होता है जिससे हमारे शरीर का संचालन होता है और ऐसे में इसका स्वस्थ रहना अति आवश्यक है जालन्धर बंध ऐसा बंध है जिसे सारे सिर का व्यायाम होता है इस बंध को करने से सोलह नाड़ियों पर प्रभाव पड़ता है वो नाडिया कुछ इस प्रकार से हैं

लिंग, नाभि, ह्रदय, पादांगुष्ठ, गुल्फ, घुटने, जंघा, सीवनी, नासिका, ग्रीवा, कण्ठ, लम्बिका, नासिका, भ्रू , कपाल, मूर्धा और ब्रह्मरंध्र  ये सभी स्थान जालन्धर बंध के प्रभाव क्षेत्र में आते हैं।

जालन्धर बंध का अर्थ होता है सांस की नली को सिकोड़ना। इसे चिन बंध के नाम से भी जाना जाता है माना जाता है कि इस बंध का आविष्कार जालन्धरिपाद नामक ऋषि में किया था। जिसके कारण इसे जालंधर बंध के नाम से जाना जाता है। इस बंध को करने से हम मौत के जाल को भी आसानी से काट सकते हैं क्योंकि इससे हमारे दिल, दिमाग और मेरुदंड की नाड़ियो में रक्त संचार सुचारू रूप से संचालित होता रहता है।

जालन्धर बंध करने  की विधि यह 

  1. जालन्धर बंध को करने के लिए सबसे पहले किसी समतल जमीन पर कंबल या दरी बिछा लें।
  2. फिर आप पद्मासन की स्तिथि में बैठ जाएं।
  3. अब आप अपने शरीर को एकदम से सीधा रखें ।
  4. अपनी गर्दन के भाग को इस तरह से झुकाए, जिससे आपका गला और ठोड़ी आपस में स्पर्श हो जाएं।
  5. इस क्रिया में अपनी ठोड़ी को नीचे लाने और फिर ऊपर उठाकर सीधा करने का क्रम चलाना चाहिए।
  6. अपनी सांस को भरने और निकालने का क्रम भी जारी रखना चाहिए।
  7. इस स्तिथि में जितनी देर हो सकें उतनी देर बैठे रहें।
  8. जब साँस की क्रिया सामान्य हो तो इसे दोबारा

जालंधर बंध के लाभ इस प्रकार है 

  1. इसके अभ्यास से प्राणों का संचरण सही तरीके के साथ होता है।
  2. इसको करने से कण्ठ की रुकावट दूर हो जाती है ।
  3. इसको करने से हमारी रीढ़ की हड्डियों में खिचाव पैदा हो जाता है जिसके कारण हमारा रक्त तेजी से बढ़ने लगता है।
  4. इस को नियमित रूप से करते रहने से हमारे सिर, मस्तिष्क, आँख, नाक आदि के संचालन नियंत्रित रहता है ।
  5. इसको करने से हम शरीर सभी अंगों का जाल और धमनियों आदि को स्वास्थ्य बनाकर रख सकते हैं।
  6. यह मुंद्रा कुंडलिय शक्ति को जगाने में मदद करती है।
  7. इसको रोज करने से गले के रोग दूर हो जाते हैं।
  8. इसको करने से आवाज सुरीली होती है।
  9. दिमागी परेशानी और गुस्से को कम करने के लिए यह बध बहुत लाभकारी होता है।

जालन्धर बंध सावधानियां

  1. जब भी आप इस क्रिया की शुरुआत करते है तो सामान्य श्वास ग्रहण करके जालन्धर बंध लगाना चाहिए।
  2. जब आप के गले में दर्द हो रही हो या फिर किसी प्रकार की तकलीफ हो तो इसे नहीं करना चाहिए।
  3. बल पूर्वक या जबरदस्ती इसको करके का प्रयास नहीं करना चाहिए ।
  4. जब भी आप को सर्दी जुकाम हुआ हो तब भी आप को इसे नहीं करना चाहिए।

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