भारत में वातायन नाम के एक महान योग भी हुआ करते थे, उनके नाम पर ही वातायनासन नाम का यह योग पड़ा है। हम आपको बता दें कि वातायन तप्स्या इसी आसन में करते थे। आइए आपको बताते हैं कि इस आसन से आपको क्या क्या फायदे हो सकते हैं। फायदों के साथ ही हम आपको इस आसन को करने की विधि और सावधानी के बारे में बताते हैं।

ভটনাসন

ভটনাসন

যোগশাস্ত্রে বর্ণিত আসন বিশেষ। এর বর্ধিত প্রকরণগুলো হলো― বদ্ধ পরিবৃত্ত-ভটনাসন, বদ্ধ ভটনাসন, সুপ্তভটনাসন।

পদ্ধতি
১. প্রথমে সোজা হয়ে দাঁড়ান।
২. এরপর ডান হাঁটু ভাজ করে, এর হাঁটু মাটিতে রাখুন বাম পাকে সামনের দিকে ভাঁজ করে এর পাতা মাটির উপর রাখুন।
৩. এবার ডান পায়ের উর্ধাংশ উপরের দিকে তুলে বাম পায়ের উরুর উপর রাখুন।
৪. এবার মেরুদণ্ড সোজা করে, দুই হাত বুকের কাছে তুলে নমস্কারের ভঙ্গিতে রেখে ২০ সেকেণ্ড স্থির হয়ে থাকুন এরপর পা বদল করে আসনটি আবার করুন।
৫. এরপর আসন ত্যাগ করে শবাসনে বিশ্রাম করুন

वातायनासन

इस आसन को करने के लिए सबसे पहले जमीन पर चटाई बिछा लें। अब चटाई में सीधे खड़े हो जाएं। दोनों पैरों के घुटनों को आपस में मिला लें। एड़िया, सिर का पिछला भाग और नितंब सीधा हो, अब अपने दाहिनी टांग को घुटने से मोड़ लें और इस टांग के पांव को बांई टांग के जंघा पर रख लें। अब दोनों हाथों से नमस्कार की मुद्रा बना लें। इसके बाद अपनी बाई टांग के घुटने को धीरे धीरे सामने की तरफ मोड़ लें और दाहिने घुटने को धीरे धीरे बाएं पैर की एड़ी के पास जमीन से सटा लें। इस आसन को करते समय श्वास को सामान गति में ही लेते रहें। आप इस मुद्रा में जितनी बार रूक सकें, उतना आपके लिए फायदा होगा। ठीक इसी तरह से दूसरे पैर से इस आसन को

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