उर्ध्वोत्तानासन

आसन परिचय : उर्ध्व का अर्थ होता है ऊपर और तान का अर्थ तानना अर्थात शरीर को ऊपर की और तानना ही उर्ध्वोत्तानासन है। अनजाने में ही व्यक्ति कभी-कभी आलसवश दोनों हाथ ऊपर करके शरीर तान देता है। शरीर को ऊपर की ओर तानते हुए त्रिबंध की स्थिति में स्थिर रहना चाहिए।

आसन विधि :
*सबसे पहले सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाएं। रीढ़ व गर्दन एक सीध में रखें। इस दौरान श्वास-प्रश्वास की गति सामान्य बनाए रखें। 

* इसके बाद श्वास भरते हुए कंधों को पीछे कर हाथों को बगल से धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। कंधे की सीध में आने पर हथेली की दिशा आसमान की ओर करते हुए हाथों को कान से लगा दें।

लंबाई बढ़ाए उर्ध्वोत्तानासन योगासन

उर्ध्वोत्तानासन को रीढ़ विकृतियों में, कमजोर पैरों की स्थिति में, मोटापे में, ड्रॉपिंग शोल्डर व नैरो चेस्ट की स्थिति में योग चिकित्सक की सलाह अनुसार करना चाहिए तो लाभ मिलेगा। यह अति उत्तम और सरल आसन आपको स्फूर्तिवान और प्रसन्नचित्त बनाए रखने में सक्षम है।

आसन परिचय : उर्ध्व का अर्थ होता है ऊपर और तान का अर्थ तानना अर्थात शरीर को ऊपर की और तानना ही उर्ध्वोत्तानासन है। अनजाने में ही व्यक्ति कभी-कभी आलसवश दोनों हाथ ऊपर करके शरीर तान देता है। शरीर को ऊपर की ओर तानते हुए त्रिबंध की स्थिति में स्थिर रहना चाहिए।

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