योनि मुद्रा पुराने समय में लोगों के जीवन का एक हिस्सा एवं दिनचर्या में शामिल थी। भारत में प्राचीन काल से ही योग और मुद्राओं का अभ्यास किया जा रहा है। मान्यताओं के अनुसार योनि मुद्रा को उस समय का स्वर्णिम काल माना जाता था। यही कारण है कि उन दिनों स्वास्थ्य प्रणाली इतनी मजबूत थी। उन दिनों जानलेवा बीमारियां जैसे कैंसर एवं एड्स नहीं था और ना ही लोग इतनी मात्रा में दवाओं का सेवन करते थे। योनि मुद्रा का अभ्यास करके लोग अपने अंदर के चक्र की कल्पना करते थे और आंतरिक आवाज को सुनते थे। इस मुद्रा का अभ्यास करने वाले लोग मानते हैं कि दांये हाथ का अधिक इस्तेमाल करने वाले लोगों को दाहिने कान से आंतरिक आवाज और बाएं हाथ का इस्तेमाल करने वाले लोगों को बाएं कान से आवाज सुनायी देती है।

 

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योनि मुद्रा करने का तरीका एवं फायदे