सूर्य मुद्रा करने के लाभ कोलेस्ट्रोल कम करें

कोलेस्ट्रोल को कम करने के लिए सूर्य मुद्रा बहुत ही अच्छी मुद्रा मानी जाती हैं,  यह आपके शरीर में चयापचय (Metabolism) को तेज करती है। जिससे कोलेस्ट्रोल को कम करने मदद मिलती हैं यह वसा को भी कम कर देती हैं।

योनि मुद्रा क्या है

योनि मुद्रा को इस तरीके से परिभाषित किया जा सकता है कि यह मुद्रा एक ऐसी मुद्रा है जो किसी व्यक्ति को बाहरी दुनिया के शोरगुल या उथल पुथल से अलग कर देती है। योनि संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ कोख (womb) या गर्भाशय (uterus) होता है। इस मुद्रा को योनि मुद्रा इसलिए कहा जाता है क्योंकि जो व्यक्ति नियमित रुप से इस मुद्रा का अभ्यास करता है उसका बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं रहता है और वह गर्भाशय में एक बच्चे की तरह खुद को महसूस करता है। योनि मुद्रा को भ्रमरी प्राणायाम (Bhramari pranayama) और शंमुखी मुद्रा (Shanmukhi mudra) भी कहा जाता है। भ्रमरी का अर्थ मधुमक्खी की तरह आवाज निकालना। वास्तव में इस

लिंग मुद्रा करते समय बरतें सावधानियां

इस मुद्रा का अभ्यास आप चाहे किसी भी समय करें लेकिन यह ध्यान रखें कि अधिक देर तक अभ्यास करने से अत्यधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है।

पित्त दोष से ग्रसित लोगों को लिंग मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
उच्च रक्तचाप से से पीड़ित लोगों को यह मुद्रा नहीं करनी चाहिए।
अगर किसी व्यक्ति के पेट में ट्यूमर हो तो उसे लिंग मुद्रा नहीं करनी चाहिए।
लिंग मुद्रा का अभ्यास करते समय हमेशा बायां अंगूठा ऊपर उठाना चाहिए।
 

विषाक्त पदार्थों को दूर करने के लिए लिंग मुद्रा के फायदे

एक अध्ययन में पाया गया है कि नियमित रुप से लिंग मुद्रा का अभ्यास करने से शरीर में जमा विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और व्यक्ति के शरीर पर अतिरिक्त चर्बी नहीं जमा होती है। इसके अलावा यह मुद्रा शरीर को टोन करने का भी कार्य करती है और शरीर को शुद्ध रखती है।

शरीर की ऊर्जा बढ़ाने के लिए लिंग मुद्रा के फायदे

जब शरीर और मन काम करते हुए थक जाता है और व्यक्ति को आत्मविश्वास में कमी महसूस होने लगती है, ऐसे समय में लिंग मुद्रा का अभ्यास करने से शरीर को तुरंत एनर्जी मिलती है और खोया हुआ आत्मविश्वास वापस लौट आता है। यह मुद्रा शरीर एवं आत्मा दोनों को ऊर्जा प्रदान करने के साथ ही शुद्ध करने का भी कार्य करती है।

लिंग मुद्रा के फायदे ब्लड प्रेशर में

उम्र बढ़ने के साथ ही रक्तचाप की समस्या से भी व्यक्ति ग्रसित होने लगता है। ऐसी स्थिति में लिंग मुद्रा का नियमित रुप से अभ्यास करना बेहद फायदेमंद होता है। यह मुद्रा करने से रक्तचाप नियंत्रित रहता है और हृदय से जुड़ी बीमारियों का खतरा नहीं रहता है और व्यक्ति की सेहत अच्छी होती है।

लिंग मुद्रा के फायदे वजन घटाने के लिए

बढ़ते वजन को नियंत्रित करने के लिए भी यह मुद्रा काफी फायदेमंद है। हालांकि वजन घटाने के लिए लिंग मुद्रा को दिन में तीन बार 15 मिनट तक करने की आवश्यकता पड़ती है। इसके अलावा वजन घटाने के लिए लिंग मुद्रा की शुरूआत करने पर कम से कम दिन में आठ गिलास पानी पीना चाहिए और ठंडा भोजन जैसे दही, चावल, केला और खट्टे फलों का सेवन करना चाहिए। इसके नियमित अभ्यास से अतिरिक्त कैलोरी बर्न होती हैं। यह शरीर की अतिरिक्त कैलौरी को घटाने का कार्य करती है और मोटापे की समस्या से मुक्ति दिलाती है।

लिंग मुद्रा के फायदे सर्दी से निपटने के लिए

इस मुद्रा का उपयोग आम सर्दी से निपटने के लिए कर सकते हैं। यह मुद्रा शरीर में गर्मी पैदा करती है और सर्दियों में भी पसीना पैदा कर सकती है। यह सर्दी, अस्थमा, खांसी, साइनस और सूखे कफ को नियंत्रित करने में मदद करती है। यह मुद्रा आपके गले में कफ को ढीला कर इससे राहत दे सकती है। यदि आपको पुरानी खांसी या सर्दी है, तो यह मुद्रा आपकी मदद कर सकती है। इसको करने से सर्दी से होने वाले बुखार से राहत मिलती है।

लिंग मुद्रा के फायदे अस्थमा के इलाज में

सेहत के लिए लिंग मुद्रा बहुत फायदेमंद मानी जाती है। यह मौसम में बदलाव से उत्पन्न बीमारियों एवं कंपकंती को दूर करने में उपयोगी साबित होती है। इसके अलावा यह सांस से संबंधित रोगों एवं अस्थमा के अटैक को ठीक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लिंग मुद्रा का अभ्यास करने से गले में कफ जमा नहीं होता और खांसी की समस्या से भी छुटकारा मिलता है। पुरुषों में यौन शिथिलता को दूर करने में भी यह मुद्रा काफी लाभदायक है।

लिंग मुद्रा के फायदे

अन्य योग क्रियाओं एवं मुद्राओं की तरह लिंग मुद्रा भी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है। विशेषरुप से यह श्वसन से जुड़े विकारों को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कफ, बलगम एवं गले की खराश दूर करने सहित लिंग मुद्रा के अनेकों फायदे हैं। आइये जानते हैं कुछ मुख्य फायदे के बारे में।

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