सबसे पहले जमीन पर चटाई बिछाएं और पदमासन या फिर किसी अन्य ध्यान मुद्रा में बैठ जाएं।
अपनी पीठ की मांसपेशियों को एकदम सीधे रखें और पेट एवं पीठ को किसी भी तरह से लचीला ना करें।
मन को शांत रखें और दोनों आंखों को बंद कर लें।
इसके बाद अपने दोनों अंगूठे को दोनों कान पर रखें और तर्जनी उंगली को आंख की पलकों पर टिकाएं।
मध्यमा उंगली को नासिका के ऊपर रखें।
रिंग फिंगर को होठों के ऊपर और छोटी ऊंगली को होठों के नीचे रखें।
इसके बाद यह सुनिश्चित करें कि आपकी कोहनी आपके कंधे के एकदम बराबर एवं सीधी रेखा में हो।
अब गहरी सांस लें और अपनी मध्यमा उंगली से नासिका को बंद कर लें।
कुछ क्षण के लिए रुकें और नासिका को आधा बंद रखकर दबाव को थोड़ा कम करें और धीरे धीरे मधुमक्खी की आवाज के साथ सांस को छोड़ें।
सांस छोड़ते समय आपके चेहरे के विभिन्न हिस्सों में कंपन होना चाहिए, विशेषरुप से जहां आपने अपनी उंगलियों को रखा है।
एक बार सांस छोड़ने के बाद दोबारा से सांस खींचने के लिए थोड़ी देर प्रतीक्षा करें। इस अवधि के दौरान एकदम शांत रहें और अपने शरीर की सभी संवेदनाओं एवं भावनाओं को महसूस करें।
इस मुद्रा को नियमित रुप से करें और यदि संभव हो तो सुबह के समय करें। दिन में भी इसे किया जा सकता है।
लेकिन आप जितना अधिक शांत वातावरण में बैठकर इस मुद्रा का अभ्यास करेंगे, आपको उतना ही अधिक फायदा भी होगा।

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योनि मुद्रा करने का तरीका