हमारे शरीर में जितनेही चेष्टाएँ होती है उन सभी का प्राण से प्रत्यक्ष सम्बन्ध है। प्रणायाम से इन्द्रियों एवं मन के दोष्  दूर होते है।
आसन  से योगी को रजोगुण,प्राणयाम से पापनिवृति और पत्याहार से मानसिक विकार दूर रहते है। स्थूल रूप से प्राणायाम श्वास-प्रश्वास के व्यायाम की एक पद्धति है,जिस से फेफड़े मजबूत ,दीर्घ आयु का लाभ मिलता है। विभिन रोगो का निवारण प्राण-वायु का प्राणायाम द्वारा नियमन करने से सहजतापूर्वक किया जा सकता है। प्राणायाम द्वारा उद्वेग,चिंता,क्रोध,निराशा ,भय और कामुकता आदि मनोविकार का समाधान सरलतापूर्वक किया जा सकता है। प्राणायाम से मसितष्क  की क्षमता बढाकर स्मरण-शक्ति,सुझबूझ,कुशग्रता ,दूरदर्शिता,धारणा ,मेघा आदि मानसिक विशेषताओ प्राप्त किया जा सकता है।
भगवान की और से हमें जो जीवन मिला है ;उसमे प्राण श्वास गिनकर मिलते है। जिसके जैसे कर्म होते है उसी के अनुसार उसको अगला जन्म मिलता है।

प्राणायाम को प्रतिदिन अभ्यास करने से व्यक्ति को जो मुख़्य लाभ होते है ,इस प्रकार से है।

  • १.      हदय,फेफड़े व् मसितष्क सम्बन्धी रोग दूर होते है।
  • २.     मोटापा,कोलेस्ट्रोल ,मधुमेह,कब्ज,गैस,श्वास रोग,एलर्जी,माइग्रेन,रक्तचाप,किडनी के रोग,पुरुष व्  स्त्रियों के समस्त यौन रोग आदि सामान्य रोगों से लेकर सभी साध्य-असाध्य रोग दूर होते है।
  • ३.      मन अत्यंत स्थिर,शान्त व् प्रशन्न तथा उत्साहित तथा डिप्रेशन आदि रोगो से लाभ मिलता है।
  • 4.      वात,पित्त व् कफ में लाभ दाई है।
  • ५.     वंशानुगत सायबिटीज,हदयरोग से बचा सकता है।
  • ६.      पाचनतंत्र स्वस्थ हो जाता है और उदर रोग दूर हो जाते है।
  • ७.     समस्त रोग काम,क्रोध,लोभ,मोह व् अहंकार दोष नष्ट हो जाते है।
  • ८.      बालों का जड़ना,सफ़ेद होना,चहरे पे झुरिया पड़ना आदि से बच सकता है।
  • ९.      बुढ़ापा देर से आएगा तथा आयु बढ़ेगी।
  • १०.     प्राणायाम का अभ्यास करनेवाले व्यक्ति सदा सकारत्मक विचार,चिंतन व् उत्साह से भरा हुवा  रहता है

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प्राणायाम के लाभ एवं महत्व