यदि मल सख्त हो और रोज न आये तो उसे कब्ज़ कहेंगे। बहुत अधिक समय से इस समस्या के होने के कारण इसको पुराना कब्ज़ कहते हैं। इसमें मल बहुत सख्त हो जाता है तथा मल को बाहर करने के लिये जोर लगाना पड़ता है। मल को नर्म करने के लिये आवश्यक है कि उस में पानी की मात्रा अधिक हो।  विभिन्न प्रकार के आसनों को नियमित रूप से करने पर हर प्रकार के कब्ज़ से राहत मिलती है। 

कब्ज़ दूर करने के लिये योगआसन 

कपालभाति : 

  • हवा जोर लगाकर बाहर फेँके (पेट अन्दर जायेगा). दिल की बिमारी या कमजोर लोग धीर धीरे करे
  • इस प्रक्रिया तो ३० से ५० बार करें।  
  • इससे पेट की तमाम बिमारिया खासतौर पर कब्ज में विशेष लाभ मिलेगा।  

अग्निसार क्रिया :

  • ठुडी को गले से लगा दे, पेट के नीचे बन्द लगा दे
  • साँस बाहर छोडकर पेट को एक लहर की तरह रीढ की हड्डी के पास तक ले ज़ाये
  • इसे २-५ बार करे

पवनमुक्तासन : 

  • पीठ के बल जमीन पर लेट कर, बाएं पैर को घुटने से मोड़ें।
  • इस घुटने को दोनों हाथों से पकड़ कर छाती की ओर लाएं, सिर को जमीन से ऊपर उठा कर घुटने को नाक से छुएं।
  • इस स्थिति में सामान्य रूप से रुक कर वापस पूर्व स्थिति में आ जाएं।
  • यही क्रिया दूसरे पैर से भी करें। इसके बाद इस क्रिया को दोनों पैरों से एक साथ करें।
  • यह पवनमुक्तासन का  एक पूर्ण चक्र है।
  • इसी प्रकार तीन-चार चक्र करें, इसके बाद इसे बढ़ा कर 10 चक्रों तक ले जाएं।    

धनुरासन : 

  • धनुरासन करने के लिए चटाई पर पेट के बल लेट जाएं।
  • ठुड्डी ज़मीन पर टिकाएँ। पैरों को घुटनों से मोड़ें कर कर दोनों हाथों से पैरों केपंजो को पकड़ें।
  • फिर सांस भर लीजिए और बाजू सीधे रखते हुए सिर, कंधे, छाती को जमीन से ऊपर उठाएं।
  • इस स्थिति में सांस सामान्य रखें और चार-पाँच सेकेंड के बाद सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे पहले छाती, कंधे और ठुड्डी को जमीन की ओर लाएं।
  • पंजों को छोड़ दें और कुछ देर विश्राम करें। इस प्रक्रिया को कम से कम तीन बार दोहराएं।

भुजंगासन :

  • पेट के बल लेट कर, दोनों पैरों, एड़ियों और पंजों को आपस में मिलते हुए  पूरी तरह जमीन के साथ चिपका लीजिए।
  • शरीर को नाभि से लेकर पैरों की उँगलियों तक के भाग को जमीन से लगाइए।
  • अब हाथों को कंधो के समांतर जमीन पर रखिए।
  • दोनों हाथ कंधे के आगे पीछे नहीं होने चाहिएं।
  • हाथों के बल नाभि के ऊपरी भाग को ऊपर की ओर जितना सम्भव हो उतना उठाइये  ।
  • हर्निया के रोगी को यह आसन नहीं करना चाहिए। गर्भवती स्त्रियों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
    कोई भी आसन तीन से चार बार कर सकते हैं। योग अपनी शक्ति और सार्मथ्य के हिसाब से ही करना चाहिए, जबरन नहीं।

    दो-तीन दिन में एक बार गुनगुने पानी का एनीमा अवश्य लें।

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कब्ज़ से मुक्ति पाने के लिये करें योगआसन

Yogasan for page

പവനമുക്താസനം

पवन-मुक्त आसन

മലര്‍ന്നു കിടക്കുക. കൈകള്‍ ശരീരത്തിനിരു വശവുമായി കമിഴ്ത്തി വയ്ക്കുക.കാലുകള്‍ മടക്കി പൃഷ്ഠത്തോടടുപ്പിച്ചു വയ്ക്കുക.കോര്‍ത്തു പിടിച്ച കൈകള്‍ കൊണ്ട് കാല്‍മുട്ടുകളെ വട്ടം പിടിച്ച്, മുട്ടും തുടയും നെഞ്ചിനോടടുപ്പിക്കുക.എന്നിട്ട് ശ്വാസം എടുത്ത് അല്പനേരം നിര്‍ത്തിയ ശെഷം ശ്വാസം വിടുന്നതോടൊപ്പം നെഞ്ചും തലയും തോളും പൊക്കികൊണ്ടൂ വന്ന് കാല്‍ മുട്ടുകളുടെ നടുവില്‍ മൂക്കു/താടി മുട്ടിക്കുക.സാവധാനം ശ്വാസം എടുത്ത് തലയും കാലുകളും പൂര്‍വസ്ഥിതിയിലേക്കു കൊണ്ടു വരിക. ശ്വാസം വിടുക.ഗുണംവയറിലും, പൃഷ്ഠത്തിലുമുള്ള പേശികളെ ബലപ്പെടുത്തും. കഴുത്തിലെയും തൊണ്‍റ്റയിലേയും പേശികള്‍ക്കും വ്യായാമം നല്‍കുന്നു.കരള്‍, പ്ലീഹ, ഉദരം, വൃക്ക, ആഗ്നേയ ഗ്രന്ഥി എന്നിവയുടെ പ്രവര്‍ത്തനം മെച്ചപ്പെടുത്തുന്നു.മലശോധന മെച്ചപ്പെടുത്തുന്നു. അര്‍ശസ് , പ്രമേഹം എന്നിവ ശമിപ്പിക്കുന്നു.


पवन मुक्तासन एक योग है और तीन शब्दों से मिलकर बना है पवन + मुक्त + आसन = पवन मुक्तासन जिसमें पवन = वायु , मुक्त = छुटकारा और आसन = मुद्रा अथार्त इस योग की क्रिया द्वारा दूषित वायु को शरीर से मुक्त किया जाता है। इसी कारण इसे पवन मुक्तासन योग कहते हैं | ह आसन पीठ के बल लेटकर किया जाता है | और अंग्रेजी मैं इसे Gas Release pose भी कहा जाता है | आयें जानते हैं इसके लाभ और इसे कैसे किया जाए |

दूषित वायु को शरीर से निष्कासित करता है।

पवन-मुक्त आसन करने की विधि :

  1. सर्वप्रथम चित लेट जायें (शवासन में)। 
  2. पैरो को पास ,हाथों को शरीर के बराबर में  ज़मीन पर रख लें ,धीरे से दायें पैर को घुटने से मोड़कर ,
  3. दोनो हाथो की उंगलियों को आपस में फसांते हुए दाएँ घुटने के नीचे से पैर को थामिये अब ठोड़ी को घुटने से लगाइए 
  4. फिर सिर को वापिस पीछे रखते हुए पैर को भी सीधा कर लीजिए।
  5. ठीक इसी तरह बायें पैर से भी दोहराईए। 4-5 बार दोनो तरफ से दोहराएँगे।
  6. साँस निर्देश-  साँस लेते हुए पैर को  थामिये और साँस को निकलते हुए ठोड़ी को घुटने से लगाइए।
  7. इसी आसन को दोनो पैरों से ठीक इसी तरह दोहराएँगे।

पवन-मुक्त आसन करने की सावधा‍नी :

  • कमर दर्द के रोगी गर्दन को नही उठाएँगे ,केवल पैर को ही पेट से लगाएँगे।

पवन-मुक्त आसन करने की लाभ :

  • क़ब्ज़ के लिए लाभदायक ।
  • वायु विकार में चमत्कारिक लाभ।
  • पाचन तंत्र को मजबूत करता है ।
  • पेट की चर्बी को कम करता है ।
  • घुटनो में लाभ देता है।
  • स्त्री रोगों में  भी लाभप्रद।

Pavanamuktasana

पवन-मुक्त आसन

Relieves constipation & flatulence. Invigorates the reproductive system and improves its health.

How to do Pavanamuktasana? 

  • Lie down flat on your back. Keep your legs and feet close together.
  • Breathe evenly. Exhale. Raise your legs off the floor.
  • Bend your raised legs at the knees. Ensure that your legs are still close together.
  • With your hands, grasp the parts of your legs right below the knees.
  • Pull your knees back towards your head.
  • Now, lift your head off the floor and move it forward till your forehead touches your knees.
  • Breathe evenly and maintain the posture for a few seconds.
  • To unwind, straighten your legs out slowly and let your head rest back on the floor.

पवन मुक्तासन एक योग है और तीन शब्दों से मिलकर बना है पवन + मुक्त + आसन = पवन मुक्तासन जिसमें पवन = वायु , मुक्त = छुटकारा और आसन = मुद्रा अथार्त इस योग की क्रिया द्वारा दूषित वायु को शरीर से मुक्त किया जाता है। इसी कारण इसे पवन मुक्तासन योग कहते हैं | ह आसन पीठ के बल लेटकर किया जाता है | और अंग्रेजी मैं इसे Gas Release pose भी कहा जाता है | आयें जानते हैं इसके लाभ और इसे कैसे किया जाए |

दूषित वायु को शरीर से निष्कासित करता है।

पवन-मुक्त आसन करने की विधि :

  1. सर्वप्रथम चित लेट जायें (शवासन में)। 
  2. पैरो को पास ,हाथों को शरीर के बराबर में  ज़मीन पर रख लें ,धीरे से दायें पैर को घुटने से मोड़कर ,
  3. दोनो हाथो की उंगलियों को आपस में फसांते हुए दाएँ घुटने के नीचे से पैर को थामिये अब ठोड़ी को घुटने से लगाइए 
  4. फिर सिर को वापिस पीछे रखते हुए पैर को भी सीधा कर लीजिए।
  5. ठीक इसी तरह बायें पैर से भी दोहराईए। 4-5 बार दोनो तरफ से दोहराएँगे।
  6. साँस निर्देश-  साँस लेते हुए पैर को  थामिये और साँस को निकलते हुए ठोड़ी को घुटने से लगाइए।
  7. इसी आसन को दोनो पैरों से ठीक इसी तरह दोहराएँगे।

पवन-मुक्त आसन करने की सावधा‍नी :

  • कमर दर्द के रोगी गर्दन को नही उठाएँगे ,केवल पैर को ही पेट से लगाएँगे।

पवन-मुक्त आसन करने की लाभ :

  • क़ब्ज़ के लिए लाभदायक ।
  • वायु विकार में चमत्कारिक लाभ।
  • पाचन तंत्र को मजबूत करता है ।
  • पेट की चर्बी को कम करता है ।
  • घुटनो में लाभ देता है।
  • स्त्री रोगों में  भी लाभप्रद।

पवन-मुक्त आसन

पवन-मुक्त आसन

पवन मुक्तासन एक योग है और तीन शब्दों से मिलकर बना है पवन + मुक्त + आसन = पवन मुक्तासन जिसमें पवन = वायु , मुक्त = छुटकारा और आसन = मुद्रा अथार्त इस योग की क्रिया द्वारा दूषित वायु को शरीर से मुक्त किया जाता है। इसी कारण इसे पवन मुक्तासन योग कहते हैं | ह आसन पीठ के बल लेटकर किया जाता है | और अंग्रेजी मैं इसे Gas Release pose भी कहा जाता है | आयें जानते हैं इसके लाभ और इसे कैसे किया जाए |

दूषित वायु को शरीर से निष्कासित करता है।

पवन-मुक्त आसन करने की विधि :

  1. सर्वप्रथम चित लेट जायें (शवासन में)। 
  2. पैरो को पास ,हाथों को शरीर के बराबर में  ज़मीन पर रख लें ,धीरे से दायें पैर को घुटने से मोड़कर ,
  3. दोनो हाथो की उंगलियों को आपस में फसांते हुए दाएँ घुटने के नीचे से पैर को थामिये अब ठोड़ी को घुटने से लगाइए 
  4. फिर सिर को वापिस पीछे रखते हुए पैर को भी सीधा कर लीजिए।
  5. ठीक इसी तरह बायें पैर से भी दोहराईए। 4-5 बार दोनो तरफ से दोहराएँगे।
  6. साँस निर्देश-  साँस लेते हुए पैर को  थामिये और साँस को निकलते हुए ठोड़ी को घुटने से लगाइए।
  7. इसी आसन को दोनो पैरों से ठीक इसी तरह दोहराएँगे।

पवन-मुक्त आसन करने की सावधा‍नी :

  • कमर दर्द के रोगी गर्दन को नही उठाएँगे ,केवल पैर को ही पेट से लगाएँगे।

पवन-मुक्त आसन करने की लाभ :

  • क़ब्ज़ के लिए लाभदायक ।
  • वायु विकार में चमत्कारिक लाभ।
  • पाचन तंत्र को मजबूत करता है ।
  • पेट की चर्बी को कम करता है ।
  • घुटनो में लाभ देता है।
  • स्त्री रोगों में  भी लाभप्रद।