कर्मयोग से तात्पर्य

“अनासक्त भाव से कर्म करना”। कर्म के सही स्वरूप का ज्ञान।

कर्मयोग दो शब्दों से मिलकर बना है – ‘कर्म’ तथा ‘योग’ ।

कर्मयोग के सन्दर्भ ग्रन्थ – गीता, योगवाशिष्ठ एवं अन्य।

1. कर्मों का मनोदैहिक वर्गीकरण –

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