सबसे पहले दोनों पैरों को मोड़कर जमीन पर बिल्कुल आराम से बैठ जाएं। रीढ़ की हड्डी एकदम सीधी (erect) रखें और कंधों को भी आराम की मुद्रा में रखें और अधिक तनाव न दें और दोनों आंखों को बंद करके बैठें।
इसके बाद अपने बायीं हथेली को बाएं जांघ (thigh) के ऊपर रखें। हथेली ऊपर की ओर खुली रखें और अंगूठे और तर्जनी उंगली के पोरों को एक दूसरे से सटाकर रखें।
इसके बाद अपनी दाएं हाथ की तर्जनी और मध्यमा उंगली (middle finger) को माथे पर दोनों भौंहों (eyebrows) के बीच में रखें और अनामिका उंगली (ring finger) और छोटी उंगली (little finger ) को बाएं नाक की नासिका द्वार पर रखें और अंगूठे को दायीं नासिकाद्वार पर रखें। छोटी उंगली और अनामिका उंगली का उपयोग बायीं नासिका द्वार को खोलने और बंद करने एवं अंगूठे का इस्तेमाल दायीं नासिका (nostril) द्वार के लिए किया जाता है।
अब अपने अंगूठे से दायीं नासिकाद्वार को बंद करें और बायीं नासिका से धीरे-धीरे श्वास लें।
कुछ देर तक सांस को रोके रखें और फिर आराम से दायीं नासिका (nostril) से श्वास छोड़ दें।
अब बायीं नासिका को अंगूठे से दबाएं और दायीं नासिका से धीरे-धीरे गहरी श्वास लें और कुछ देर तक श्वास को रोककर रखने के बाद बायीं नासिका से श्वास छोड़ें।
पहले राउंड में एक बार बायीं नासिका से और एक बार दायीं नासिका से श्वास लेने (breath in) और छोड़ने का अभ्यास करें और फिर आराम की मुद्रा में आ जाएं।
इसके बाद बारी-बारी से (alternate) दायीं और बायीं नासिका से श्वास लेने और छोड़ने का अभ्यास करें। कम से कम 9 राउंड में यह क्रिया पूरी करें लेकिन अगली बार उसी नासिका से श्वास लें जिससे कि आपने श्वास छोड़ा।
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![नाड़ी शोधन प्राणायाम की विधि नाड़ी शोधन प्राणायाम की विधि](/sites/swamiyoga.in/files/article/%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A5%80%20%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%A7%E0%A4%A8%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AE%20%E0%A4%95%E0%A5%80%20%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A7%E0%A4%BF%20.jpg)