भारत के प्राचीन ऋषियों द्वारा यह कहा जाता है कि शरीर के विभिन्न भाग विभिन्न देवताओं (दिव्य संवेदनाओं या दिव्य प्रकाश) द्वारा नियंत्रित होते हैं। मणिपुर चक्र (नाभि के पीछे स्थित है जो मानव शरीर का केंद्र भी है) सूर्य से संबंधित होता है। सूर्य नमस्कार के निरंतर अभ्यास से मणिपुर चक्र विकसित होता है। जिसके कारण व्यक्ति की रचनात्मकता और अंतर्ज्ञान में वृद्धि होती है। यही कारण था कि प्राचीन ऋषियों ने सूर्य नमस्कार के अभ्यास पर इतना जोर दिया। अब तो आप समझ गए होगें कि हमें सूर्य नमस्कार क्यों करना चाहिए?

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