साइनोसाइटिस गालों एवं ललाट की हड्डियों के साइनस (गड्ढों) में जलन या सूजन की स्थिति को कहते हैं। जब किसी कारणवश साइनस के संकरे प्रवेश मार्ग में रुकावट आ जाती है तो सिर दर्द, भारीपन, गालों एवं ललाट पर सूजन तथा आंखों में दर्द जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। यौगिक क्रियाओं के नियमित अभ्यास से इससे मुक्ति पाई जा सकती है।

साइनोसाइटिस की समस्या का मूल कारण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यूनसिस्टम) का कमजोर होना माना जाता है, किन्तु योग इस समस्या का मूल कारण मानसिक तनाव तथा भावनात्मक असंतुलन को मानता है। यौगिक क्रियाओं के अभ्यास से प्रतिरक्षा प्रणाली को सशक्त करने तथा मानसिक एवं भावनात्मक असंतुलन को व्यवस्थित करने में मदद मिलती है। इसके लिए निम्न क्रियाओं का अभ्यास करें।

आसन
शुरुआत पवनमुक्तासन, वज्रासन, शशांकासन जैसे आसनों से करनी चाहिए। उसके बाद अभ्यास में सूर्य नमस्कार, पश्चिमोत्तासन, भुजंगासन, धनुरासन, आकर्ण धनुरासन आदि को जोड़ा जा सकता है। रोग की स्थिति में शीर्षासन, सर्वागासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। 

आकर्ण धनुरासन की अभ्यास विधि
दोनों पैरों को सामने की ओर फैला कर बैठ जाएं। रीढ़, गला व सिर को सीधा रखें। दोनों हाथों को नितम्बों की बगल में जमीन पर रखें।
दाएं पैर को घुटने से मोड़ कर इसके पंजे को दाएं हाथ से पकड़ कर सिर की ओर खींचें, किन्तु ध्यान रखें कि रीढ़ सीधी रखनी है।
बाएं हाथ से बाएं पैर के अंगूठे को पकड़ें। इस स्थिति में आरामदायक समय तक रुक कर वापस पूर्व स्थिति में आएं। यही क्रिया दूसरी ओर भी करें।
यह आकर्णधनुरासन की एक आवृत्ति है। इसकी तीन आवृत्तियों का अभ्यास करें।

प्राणायाम
बुखार एवं रोग की तीव्र अवस्था में प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए। आराम की स्थिति में कपालभाति प्राणायाम के 5 से 7 चक्रों का अभ्यास रोग को जड़ से दूर करने में मददगार सिद्ध होता है। प्रत्येक चक्र में पचास श्वास रखना चाहिए।

भस्त्रिका की अभ्यास विधि
ध्यान के किसी भी आसन जैसे पद्मासन, सिद्धासन, सुकासन या कुर्सी पर रीढ़, गला व सिर को सीधा कर बैठ जाएं। हाथों को घुटनों पर रख कर आंखों को ढीला बन्द कर लीजिए। अब नासिका द्वारा हल्के झटके से श्वास अन्दर और बाहर कीजिए। यह क्रिया 50 बार लगातार तथा जल्दी-जल्दी करें। यह एक चक्र है। प्रारम्भ तीन चक्रों से करें, धीरे-धीरे, 5-7 तक बढ़ाएं।

सीमा
उच्चरक्तचाप तथा हृदय रोगी इसका अभ्यास न करें।

षटक्रियाएं
बुखार न होने की स्थिति में जलनेति सबसे अधिक लाभप्रद होती है। इससे साइनस की सफाई होती है। अभ्यास योग्य मार्गदर्शन में ही करें।

योगनिद्रा
इस रोग का प्रमुख कारण तनाव है। अतएव, योगनिद्रा का अभ्यास इस रोग से स्थायी निदान देने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

आहार
शाकाहारी आहार लेना चाहिए। नमक, चावल, मैदा तथा दूध से बनी चीजों का सेवन न करें। फल- हरी सब्जियों का अधिक सेवन करें।

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