हेयर योगा- उम्र से पहले बालों का सफेद होना एक आम समस्या है और इससे निजात पाने के लिए कारगर है- ग्रे हेयर योगा। इस योगा में हाथों के नाखूनों को आपस में रगड़ा जाता है। आप एक हाथ के नेल्स को दूसरे हाथ के नेल्स से रब करें। इसे एक दिन पांच मिनट के लिए 5 बार करें। अगर आप इसे योग को छह महीने के लिए नियमित तौर पर करते हैं तो बालों के असमय सफेद होने की समस्या से निजात पायी जा सकती है।

 

सर्वांगासन 
इस आसन में पहले पीठ के बल सीधा लेट जाएं फिर दोनों पैरों को मिलाएं, हाथों की हथेलियों को दोनों ओर जमीन से सटाकर रखें। अब सांस अन्दर भरते हुए आवश्यकतानुसार हाथों की सहायता से पैरों को धीरे-धीरे 30 डिग्री, फिर 60 डिग्री और अन्त में 90 डिग्री तक उठाएं। इससे आपकी पाचन शक्ति ठीक रहती है और रक्त का शुद्धिकरण होता है। 
शीर्षासन
दोनों घुटने जमीन पर टिकाते हुए फिर हाथों की कोहनियां जमीन पर टिकाएं। फिर हाथों की अंगुलियों को आपस में मिलाकर ग्रिप बनाएं, तब सिर को ग्रिप बनी हथेलियों को भूमि पर टिका दें। ‍इससे सिर को सहारा मिलेगा। फिर घुटने को जमीन से ऊपर उठाकर पैरों को लंबा कर दें। फिर धीरे-धीरे पंजे टिकायें और  दोनों पैरों को पंजों के बल चलते हुए शरीर के करीब अर्थात सिर के नजदीक ले आते हैं और फिर पैरों को घुटनों से मोड़ते हुए उन्हें धीरे से ऊपर उठाते हुए सीधा कर देते हैं तथा पूर्ण रूप से सिर के बल शरीर को टिका लेते हैं। इससे ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है साथ ही हृदय गति सामान्य रहती है।

पवनमुक्तासन- पवन मुक्तासन से शरीर की दूषित वायु बाहर निकल जाती है। यह आसन पीठ के बल लेटकर किया जाता है। पहले शवासन में लेट जाएं। दोनों पैरों को एक-दूसरे से मिला लें फिर हाथों को कमर से मिलाएं। उसके बाद घुटनों को मोड़कर पंजों को जमीन से टिकाएं। इसके बाद धीरे-धीरे दोनों घुटनों को छाती पर रखें। अपने दोनों हाथों से घुटनों को पकड़ें।

व्रजासन- किसी समतल जगह पर दर्री बिछाकर पैर मोड़कर बैठ जाएं। इसके बाद पैरों की एड़ी-पंजे को दूर कर फर्श से टेक लें, किंतु दोनों घुटने मिले हुए होने चाहिए। इस आसन से आपकी पाचन शक्ति ठीक रहती है और बालों की झड़ने की समस्या में पाचन शक्ति का अहम रोल होता है।

अनुलोम-विलोम- अनुलोम-विलोम करने के लिए दरी या चटाई बिछाकर बैठ जाएं और बाएं पैर को मोड़कर दाईं जांघ पर और दाएं पैर को मोड़कर बाई जांघ पर रखें। अब दाहिने हाथ के अंगूठे से नाक के दाएं छिद्र को बंद कर लें और नाक के बाएं छिद्र से 5 तक की गिनती में सांस को भरे और फिर बायीं नाक को अंगूठे के बगल वाली दो अंगुलियों से बंद कर दें। उसके बाद दाहिनी नाक से अंगूठे को हटा दें और दायीं नाक से सांस को बाहर निकालें।

कपालभाति- सुखासन या पदसन में बैठकर दोनों हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रखकर सांस को बल के साथ बाहर की ओर फेंके। सांस बाहर आएगी, तो पेट तेजी से अंदर की ओर जाएगा। बार-बार बल के साथ सांस को बाहर निकालते रहें। इससे श्वास अपने आप ही अंदर की तरफ जाएगी। इस क्रिया को शुरू में २० से ३० बार करके आखिर में सारी सांस बाहर निकाल दें। इस प्रोसेस को धीरे-धीरे बढ़ाते जाएं। रोज तीन बार इसकी प्रैक्टिस करें।

माण्डुकी मुद्रा- इस मुद्रा के लिए किसी शांत एवं स्वच्छ वातावरण वाले स्थान का चयन करें। शांति में किसी भी सुविधाजनक आसन में बैठ जाएं। अब मुंह बंद करके जीभ को तालु में घुमाऍ और सहस्रार से टपकती हुई बुंदों का जीभ से पान करें। यह माण्डुकी मुद्रा है। इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से बाल झडऩा बंद हो जाता हैं।

इसके साथ-साथ प्रदूषण से बचें। यौगिक आहार को जानें। यह करने से बाल से जुड़ी सभी प्रॉब्लम से आपको धीरे- धीरे छुटकारा मिल जाएगा।

अनुलोम विलोम प्राणायाम 
अनुलोम –विलोम प्रणायाम में सांस लेने व छोड़ने की विधि को बार-बार दोहराया जाता है। इस प्राणायाम को 'नाड़ी शोधक प्राणायाम' भी कहते है। अनुलोम-विलोम को रोज करने से शरीर की सभी नाड़ियों स्वस्थ व निरोग रहती है। इस प्राणायाम को हर उम्र के लोग कर सकते हैं। वृद्धावस्था में अनुलोम-विलोम प्राणायाम योगा करने से गठिया, जोड़ों का दर्द व सूजन आदि शिकायतें दूर होती हैं। 

विधि

  • दरी व कंबल स्वच्छ जगह पर बिछाकर उस पर अपनी सुविधानुसार पद्मासन, सिद्धासन, स्वस्तिकासन अथवा सुखासन में बैठ जाएं।
  • फिर अपने दाहिने हाथ के अंगूठे से नासिका के दाएं छिद्र को बंद कर लें और नासिका के बाएं छिद्र से सांस अंदर की ओर भरे और फिर बायीं नासिका को अंगूठे के बगल वाली दो अंगुलियों से बंद कर दें। उसके बाद दाहिनी नासिका से अंगूठे को हटा दें और सांस को बाहर निकालें।
  • अब दायीं नासिका से ही सांस अंदर की ओर भरे और दायीं नाक को बंद करके बायीं नासिका खोलकर सांस को 8 की गिनती में बाहर निकालें।
  • इस क्रिया को पहले 3 मिनट तक और फिर धीरे-धीरे इसका अभ्यास बढ़ाते हुए 10 मिनट तक करें। 10 मिनट से अधिक समय तक इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।
  • इस प्रणायाम को सुबह-सुबह खुली हवा में बैठकर करें।

लाभ

  • इससे शरीर में वात, कफ, पित्त आदि के विकार दूर होते हैं।
  • रोजाना अनुलोम-विलोम करने से फेफड़े शक्तिशाली बनतेहैं।
  • इससे नाडियां शुद्ध होती हैं जिससे शरीर स्वस्थ, कांतिमय एवं शक्तिशाली बनता है।
  • इस प्रणायाम को रोज करने से शरीर में कॉलेस्ट्रोल का स्तर कम होता है।
  • अनुलोम-विलोम करने से सर्दी, जुकाम व दमा की शिकायतों में काफी आराम मिलता है।
  • अनुलोम-विलोम से हृदय को शक्ति मिलती है।
  • इस प्राणायाम के दौरान जब हम गहरी सांस लेते हैं तो शुद्ध वायु हमारे खून के दूषित तत्वों को बाहर निकाल देती है. शुद्ध रक्त शरीर के सभी अंगों में जाकर उन्हें पोषण प्रदान करता है.
  • अनुलोम-विलोम प्राणायाम सभी आयु वर्ग के लोग कर सकते हैं और सुविधानुसार इसकी अवधि तय की जा सकती है.

सावधानियां

  • कमजोर और एनीमिया से पीड़ित रोगियों को इस प्राणायाम के दौरान सांस भरने व छोड़ने में थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए।
  • कुछ लोग समय की कमी के चलते जल्दी-जल्दी सांस भरने और निकालने लगते हैं। इससे वातावरण में फैला धूल, धुआं, जीवाणु और वायरस, सांस नली में पहुंचकर अनेक प्रकार के संक्रमण को पैदा कर सकते है।
  • प्रणायाम के दौरान सांस की गति इतनी सहज होनी चाहिए। प्राणायाम करते समय स्वयं को भी सांस की आवाज नहीं सुनायी देनी चाहिए।

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