वजन तोलते वक्त दोनों तराजू संतुलन में रहते हैं अर्थात तराजू का कांटा बीचोंबीच रहता है उसी तरह इस योगासन में भी शरीर का संपूर्ण भार नितंब पर आ जाता है और व्यक्ति की आकृति ताराजू जैसी लगती है इसीलिए इसे तोलांगुलासन कहते हैं।

आसन विधि : सर्वप्रथम दण्डासन में बैठ जाएं। फिर शरीर के भार को नितंबों पर संतुलित करते हुए श्वास अन्दर लें। अब थोड़ा-सा पीछे झुकते हुए हाथ-पैरों को भूमि पर से धीरे-धीरे ऊपर उठा दें। कुछ देर रुकने के बाद पुन: दण्डासन में लौट आएं।

दूसरी विधि : सर्वप्रथम दण्डासन में बैठ जाएं। अब शरीर के भार को हाथों पर संतुलित करते हुए श्वास अन्दर लेते हुए नितंब सहित पूरे पैरों को भूमि पर से ऊपर उठा लें और कुछ देर इसी अवस्‍था में संतुलन बनाकर रखें।

कुछ देर बाद श्वास छोड़ते हुए पुन: पहले वाली अवस्था में लौट आएं। 

इस आसन का लाभ : इस आसन की पहले वाली विधि से पेट की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है साथ ही तोंद घटती है। दूसरी विधि से हाथ एवं पैरों के स्नायुतंत्र मजबूत होते हैं जिससे उनमें अत्यधिक बल का संचार होता है।

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तोलांगुलासन