थायराइड मानव शरीर मे पाए जाने वाले एंडोक्राइन ग्लैंड में से एक है। थायरायड ग्रंथि गर्दन में श्वास नली के ऊपर एवं स्वर यन्त्र के दोनों ओर दो भागों में बनी होती है। और इसका आकार तितली जैसा होता है। यह थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है जिससे शरीर के ऊर्जा क्षय, प्रोटीन उत्पादन एवं अन्य हार्मोन के प्रति होने वाली संवेदनशीलता नियंत्रित होती है।

* यह ग्रंथि शरीर के मेटाबॉल्जिम को नियंत्रण करती है यानि जो भोजन हम खाते हैं यह उसे उर्जा में बदलने का काम करती है। इसके अलावा यह हृदय, मांसपेशियों, हड्डियों व कोलेस्ट्रोल को भी प्रभावित करती है।

* आमतौर पर शुरुआती दौर में थायराइड के किसी भी लक्षण का पता आसानी से नहीं चल पाता, क्योंकि गर्दन में छोटी सी गांठ सामान्य ही मान ली जाती है। और जब तक इसे गंभीरता से लिया जाता है, तब तक यह भयानक रूप ले लेता है।

थायराइड होने के  कारण 

* थायरायडिस- यह सिर्फ एक बढ़ा हुआ थायराइड ग्रंथि (घेंघा) है, जिसमें थायराइड हार्मोन बनाने की क्षमता कम हो जाती है।

* इसोफ्लावोन गहन सोया प्रोटीन, कैप्सूल, और पाउडर के रूप में सोया उत्पादों का जरूरत से ज्यादा प्रयोग भी थायराइड होने के कारण हो सकते है।

* कई बार कुछ दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव भी थायराइड की वजह होते हैं।

* थायराइट की समस्या पिट्यूटरी ग्रंथि के कारण भी होती है क्यों कि यह थायरायड ग्रंथि हार्मोन को उत्पादन करने के संकेत नहीं दे पाती।

* भोजन में आयोडीन की कमी या ज्यादा इस्तेमाल भी थायराइड की समस्या पैदा करता है।

* सिर, गर्दन और चेस्ट की विकिरण थैरेपी के कारण या टोंसिल्स, लिम्फ नोड्स, थाइमस ग्रंथि की समस्या या मुंहासे के लिए विकिरण उपचार के कारण।

* जब तनाव का स्तर बढ़ता है तो इसका सबसे ज्यादा असर हमारी थायरायड ग्रंथि पर पड़ता है। यह ग्रंथि हार्मोन के स्राव को बढ़ा देती है।

* यदि आप के परिवार में किसी को थायराइड की समस्या है तो आपको थायराइड होने की संभावना ज्यादा रहती है। यह थायराइड का सबसे अहम कारण है।

* हाइपोथायराइड के लक्षणों में अनावश्यक वजन बढ़ना, आवाज भारी होना, थकान, अधिक नींद आना, गर्दन का दर्द, सिरदर्द, पेट का अफारा, भूख कम हो जाना, बच्चों में ऊँचाई की जगह चौड़ाई बढ़ना, चेहरे और आँखों पर सूजन रहना, ठंड का अधिक अनुभव करना, सूखी त्वचा, कब्जियत, जोड़ों में दर्द आदि लक्षणों को व्यक्ति तब अनुभव करता है, जब उसकी थायराइड ग्रंथि का थायरोक्सीन संप्रेरक (हार्मोन) कम बनने लगता है। यह समस्या स्त्री-पुरुषों में एक समान आती है, परंतु महिलाओं में अधिक पाई जाती है। इसका कोलेस्ट्रॉल, मासिक रक्तस्राव, हृदय की धड़कन आदि पर भी प्रभाव पड़ता है।

* थाइराडड की दूसरी समस्या है हायपरथायराइड अर्थात थायराइड ग्रंथि के अधिक कार्य करने की प्रवृत्ति। यह जीवन के लिए अधिक खतरनाक होती है। थायराइड ग्रंथि की अधिक संप्रेरक (हर्मोन) निर्माण करने की स्‍थिति से चयापचय (बीएमआर) बढ़ने से भूख लगती है। व्यक्ति भोजन भी भरपूर करता है फिर भी वजन घटता ही जाता है। व्यक्ति का भावनात्मक या मानसिक तनाव ही प्रमुख कारण होता है।

* कोलेष्ट्रॉल की मात्र रक्त में कम हो जाती है। हृदय की धड़कनें बढ़कर एकांत में सुनाई पड़ती है। पसीना अधिक आना, आँखों का चौड़ापन, गहराई बढ़ना, नाड़ी स्पंदन 70 से 140 तक बढ़ जाता है।

* थायराइड ग्रंथि के साथ ही पैराथायराइड ग्रंथि होती है। यह थायराइड के पास उससे आकार में छोटी और सटी होती है और इसकी सक्रियता से दाँतों और हड्डियों को बनाने में मदद मिलती है। भोजन में कैल्शियम और विटामिन डी का उपयोग करने में यह ग्रंथि अपना सहयोग देती है। इसके द्वारा प्रदत्त संप्रेरक की कमी से रक्त के कैल्शियम बढ़कर गुर्दों में जमा होने की आशंका होती है।

* ग्रेव्स रोग थायराइड का सबसे बड़ा कारण है। इसमें थायरायड ग्रंथि से थायरायड हार्मोन का स्राव बहुत अधिक बढ़ जाता है। ग्रेव्स रोग ज्यादातर 20और 40 की उम्र के बीच की महिलाओं को प्रभावित करता है, क्योंकि ग्रेव्स रोग आनुवंशिक कारकों से संबंधित वंशानुगत विकार है, इसलिए थाइराइड रोग एक ही परिवार में कई लोगों को प्रभावित कर सकता है।

* थायराइड का अगला कारण है गर्भावस्था, जिसमें प्रसवोत्तर अवधि भी शामिल है। गर्भावस्था एक स्त्री के जीवन में ऐसा समय होता है जब उसके पूरे शरीर में बड़े पैमाने पर परिवर्तन होता है, और वह तनाव ग्रस्त रहती है।

* रजोनिवृत्ति भी थायराइड का कारण है क्योंकि रजोनिवृत्ति के समय एक महिला में कई प्रकार के हार्मोनल परिवर्तन होते है। जो कई बार थायराइड की वजह बनती है।

* गर्दन के सामने वाले हिस्से में  स्थित तितली के आकार की अन्तःस्रावी ग्रंथि थायराइड ग्रंथि के नाम से जानी जाती है I इस ग्रंथि की खासबात यह है की यह एक हार्मोन  को उत्पन्न करती है जिससे हमारे शरीर  के मेटाबोलिज्म (चयापचय ) की क्रिया नियंत्रित होती है I चयापचय की क्रिया द्वारा ही हमारे शरीर को ऊर्जा को  खपत करने में मदद मिलती है I थायराइड ही एक ऐसी ग्रंथि है जो चयापचय की क्रिया को धीमी या तेज कर सकती है , इन सबके लिए इस ग्रंथि से निकलने वाला हार्मोन  “थायरोक्सिन”  जिम्मेदार होता है I इस  हार्मोन्स  के घटने और बढ़ने के कारण  अनेक लक्षण उत्पन्न होने लगते है I

*यदि आपके वजन में अचानक घटने या बढ़ने जैसा परिवर्तन सामने आ रहा हो तो यह थायराइड ग्रंथि से समबन्धित समस्या की और आपका ध्यान दिला सकता है I वजन का अचानक बढ़ जाना“थायरोक्सिन" हार्मोन  की कमी (हायपो-थायराईडिज्म) के कारण उत्पन्न हो सकता है,इसके विपरीत यदि "थायरोक्सिन" की आवश्यक मात्रा से अधिक  उत्पत्ति होने से (हायपर-थायराईडिज्म ) की स्थिति उत्पन्न हो जाती है जिसमें अचानक वजन कम होने लग जाता है Iइन दोनों ही स्थितियों में  से हायपो-थायराईडिज्म एक आम समस्या के रूप में  सामने आता है I

* गर्दन के सामनेवाले हिस्से में अचानक सूजन उत्पन्न हो जाना भी आपको थायराइड से सम्बंधित समस्या की और इंगित करता है Iहायपो या  हायपर-थायराईडिज्म दोनों ही स्थितियों में गोएटर (घेघा )बन सकता है I हाँ, कभी-कभी गर्दन में सूजन का कारण थायराइड कैंसर या नोड्यूल्स अथवा ग्रंथि के अन्दर  किसी  लम्प  के बन जाने के कारण भी हो सकता है , कभी-कभी इसका थायराइड ग्रंथि से कोई सम्बन्ध नहीं होता है I

* हृदय गति में अचानक आया परिवर्तन भी थायराइड ग्रंथि से सम्बंधित समस्या के कारण उत्पन्न हो सकता है I हायपो -थायराईडिज्म से पीड़ित व्यक्ति अक्सर धीमी हृदयगति होने की शिकायत करते हैं जबकि इसके विपरीत हायपर-थायराईडिज्म से पीड़ित तीव्र हृदयगति से पीड़ित होते हैं I तीव्र हृदयगति के कारण अचानक रक्तचाप बढ़ जाता है तथा रोगी धड़कन (पाल्पीटेशन ) बढ़ने की समस्या से जूझता है I

* थायराइड ग्रंथि का प्रभाव शरीर के लगभग सभी अंगों पर होता है जिससे व्यक्ति का एनर्जी -लेवल एवं मूड प्रभावित होता है I हायपो-थायराईडिज्म से पीड़ित व्यक्ति अक्सर थकान,आलस्य,जोड़ों में दर्द ,सूजन एवं अवसाद जैसे लक्षणों से पीड़ित होता है जबकि हायपर-थायराईडिज्म से पीड़ित व्यक्ति  घबराहट,बैचैनी,अनिद्रा एवं उत्तेजित रहने जैसे लक्षणों से दो-चार होता है I

* बालों का अचानक झड़ना भी थायराइड हार्मोस के बेलेंस के बिगड़ने की और इंगित करता है,हायपो या हापर-थायराईडिज्म दोनों ही स्थितियों  में  बाल झड़ने की समस्या उत्पन्न होती है I

* थायराइड ग्रंथि से सम्बंधित समस्या का सीधा सम्बन्ध शरीर के तापक्रम को नियंत्रित करने से होता है I हायपो-थायराईडिज्म से पीड़ित रोगी को समान्य से अधिक ठण्ड लगती है जबकि हायपर-थायराईडिज्म से पीड़ित व्यक्ति को अधिक गर्मी लगती है साथ ही पसीना भी अधिक आता है Iइसके अलावा भी कुछ अन्य लक्षण हैं जिससे  हायपर-थायराईडिज्म को   पहचाना जा सकता है जैसे :त्वचा का रुक्ष होना,हाथों का सुन्न (NUMBNESS ) हो जाना या हाथ-पाँव में चुनचुनाहट (TINGLING )  होना आदि.

* इसी प्रकार हायपर-थायराईडिज्म को भी कुछ अतिरिक्त लक्षणों से पहचाना जा सकता है जैसे :मांसपेशियों का कमजोर पड़ना,कम्पन होना ,दस्त लग जाना,देखेने में  परेशानी होना और स्त्रियों में  मासिक-चक्र का अनियमित होना I

* कभी-कभी थायराइड ग्रंथि की गड़बड़ी के कारण  स्त्रियों में मासिक-चक्र बदल जाता है जिससे मेनोपाज का भ्रम उत्पन्न होता है अतः ऐसी स्थिति में रक्त के नमूने से की गयी थायराइड ग्रंथि की कार्यकुशलता की जांच इस भ्रम को दूर कर देती है I

योग चिकित्सा :-

उज्जायी प्राणायाम :-

* पद्मासन या सुखासन में बैठकर आँखें बंद कर लें | अपनी जिह्वा को तालू से सटा दें अब कंठ से श्वास को इस प्रकार खींचे कि गले से ध्वनि व् कम्पन उत्पन्न होने लगे | इस प्राणायाम को दस से बढाकर बीस बार तक प्रतिदिन करें |
 

नाड़ीशोधन प्राणायाम :-

* कमर-गर्दन सीधी रखकर एक नाक से धीरे-धीरे लंबी गहरी श्वास लेकर दूसरे स्वर से निकालें, फिर उसी स्वर से श्वास लेकर दूसरी नाक से छोड़ें। 10 बार यह प्रक्रिया करें।

ध्यान :-

* आँखें बंद कर मन को सामान्य श्वास-प्रश्वास पर ध्यान करते हुए मन में श्वास भीतर आने पर 'सो' और श्वास बाहर निकालते समय 'हम' का विचार 5 से 10 मिनट करें।

ब्रह्ममुद्रा :-

* वज्रासन में या कमर सीधी रखकर बैठें और गर्दन को 10 बार ऊपर-नीचे चलाएँ। दाएँ-बाएँ 10 बार चलाएँ और 10 बार सीधे-उल्टे घुमाएँ।

मांजरासन :-

* चौपाये की तरह होकर गर्दन, कमर ऊपर-नीचे 10 बार चलाना चाहिए।

उष्ट्रासन :-

* घुटनों पर खड़े होकर पीछे झुकते हुए एड़ियों को दोनों हाथों से पकड़कर गर्दन पीछे झुकाएँ और पेट को आगे की तरफ उठाएँ। 10-15 श्वास-प्रश्वास करें।

शशकासन :-

* वज्रासन में बैठकर सामने झुककर 10-15 बार श्वास -प्रश्वास करें।

मत्स्यासन :-

* वज्रासन या पद्मासन में बैठकर कोहनियों की मदद से पीछे झुककर गर्दन लटकाते हुए सिर के ऊपरी हिस्से को जमीन से स्पर्श करें और 10-15 श्वास-प्रश्वास करें।

सर्वांगासन :-

* पीठ के बल लेटकर हाथों की मदद से पैर उठाते हुए शरीर को काँधों पर रोकें। 10-15 श्वास-प्रश्वास करें।

भुजंगासन : -

* पीठ के बल लेटकर हथेलियाँ कंधों के नीचे जमाकर नाभि तक उठाकर 10- 15 श्वास-प्रश्वास करें।

धनुरासन : -
* पेट के बल लेटकर दोनों टखनों को पकड़कर गर्दन, सिर, छाती और घुटनों को ऊपर उठाकर 10-15 श्वास-प्रश्वास करें।

शवासन :-
* पीठ के बल लेटकर, शरीर ढीला छोड़कर 10-15 श्वास-प्रश्वास लंबी-गहरी श्वास लेकर छोड़ें तथा 30 साधारण श्वास करें और आँखें बंद रखें।

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थायराइड की समस्या और योग उपचार