कई लोग बिना ठंड के भी ठंडे हो जाते हैं। फिर इस समय तो वाकई ठंड का मौसम है। दार्शनिकों ने कहा है कि असली मौसम तो मनुष्य के भीतर होता है। बाहर तो केवल नज़ारा है। आइए, इस गहरी बात को जीवन से जोड़कर देखते हैं। मोटे तौर पर हम मनुष्यों के जीवन में तीन मौसम प्रभावी होते हैं और तीनों में हमारी जीवनशैली बदलने लगती है। बाहर से तो अपनी सुविधा से हम मौसम के अनुसार खुद को बदल लेते हैं लेकिन, भीतर हुए बदलाव को नहीं पकड़ पाते और परेशान हो जाते हैं।
बारिश के मौसम में क्रोध और चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है। गरमी में मनुष्य बेचैन होने लगता है और ठंड में एक अजीब-सी उदासी छा जाती है। विज्ञान की दृष्टि से देखेें तो पाएंगे चूंकि दिन छोटे हो रहे हैं, रातें थोड़ी बड़ी होंगीं। इसका सीधा असर पड़ेगा आपकी बॉडी क्लॉक पर। इसीलिए ज्यादातर लोग ठंड में सुबह उठने में परेशानी महसूस करते हैं। और जब सही समय पर उठ नहीं पा रहे हों तो एक अजीब-सी उदासी घेर लेती है। इसे सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर कहेंगे। इसका एक ही तरीका है। योग के आठ चरण को हर मौसम से जोड़ दें। योग में आठ चरण बनाए ही इसलिए गए हैं कि हर मौसम में जो कमी हमारे भीतर आ रही है, ये उसकी पूर्ति कर दें। ठंड का आनंद लीजिए, अपनी उदासी मिटाइए। खुश रहना हो तो केवल गरम कपड़े पहन लेने से काम नहीं चलेगा। इसके लिए एक आंतरिक क्रिया करनी पड़ेगी जिसका नाम है योग।

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ठंड में घेरने वाली उदासी योग से दूर भगाएं