छ या मट्ठा से सभी परिचित हैं ।यह स्वादिष्ट एवं पाचक् होता है। अच्छी तरह जमाए दही मैं एक चौथाई जल मिलाकर मथानी से मथकर मक्खन प्रथक कर देने से छाछ या मट्ठा प्राप्त होता है । यह स्वयं तो शीघ्र पचता है अन्य
द्रव्यो को भी पचाने मैं समर्थ होता है इसी कारण इसका अनुपान
पथ्य् एवं औषधि तीनों रूप मैं होता है।
पेट दर्द की अवस्था मैं जब हाथ पैरों मैं सूजन कब्ज , सूखी खासी पेट मैं गुड़ गुड़ की आवाज आदि सहायक लक्षण हो तब छाछ मैं पीपल व सेन्धा नमक मिलाकर पीने से पेट दर्द ठीक होता है ।
जब पेट मैं दर्द के साथ हाथ पैरों मैं जलन,चक्कर, अधिक प्यास ,छूने पर शरीर गर्म हो तब छाछ मैं शक्ल मिलाकर देना चाहिए ।
पेट दर्द के साथ हाथ पैर मे जकड़न युक्त दर्द
शरीर मैं चमक हो , भूख प्यास कम लगे,सास लेने मैं परेशानी हो
तब छाछ मैं अजवायन,सेन्धा नमक, जीरा,सोठ, पीपल, काली मिर्च मिलाकर देने से आराम होता है।
इसके अतिरिक्त बवासीर, भगंदर,प्रमेह, पाण्डू( रक्त की कमी) ,अग्निमान्य, अरूचि,रक्त आव, पथरी ,कुष्ठ
रोग,कृमि, नेत्र रोग, आमवात मैं छाछ बहुत फायदा करता है ।
उपरोक्त रोगों मैं मुख्य रोगों के साथ हाथ पैर मैं सूजन, कब्ज, स्थान बदल बदल कर दर्द होना,वमन की इच्छा ,हो तब छाछ मैं सेन्धा नमक मिलाकर देना चाहिए ।
यदि उपरोक्त मुख्य रोग के साथ छुने पर शरीर गर्म हो, प्यास अधिक लगती हो,हाथ पैरों में जलन हो ,आखे लाल हो ,नींद न आती हो,पिण्डलियो मैं फाटन हो तब छाछ मैं शक्कर मिलाकर देना चाहिए ।
यदि उपरोक्त मुख्य रोगों के साथ जोडो मैं जकड़न युक्त दर्द, नींद अधिक आती हो,भूख प्यास न लगना,सास लेने मैं परेशानी हो तब छाछ मैं सोठ, पीपल, काली मिर्च, सेन्धानमक मिलाकर देना चाहिए ।
खून की कमी मैं चित्रक चूर्ण छाछ मैं मिलाकर देना चाहिए ।
पेशाब मैजलन या रूक रूक कर पेशाब आने पर छाछ मैं शक्कर मिलाकर देना चाहिए ।

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