योग अपने आप में एक अनोखा व शक्तिशाली विज्ञान है। यह आज के भौतिक विज्ञान से कई गुना अधिक प्रभावशाली तथा रहस्यमय है। आज के अणु- परमाणु की शक्तियों से कहीं ज्यादा शक्तियाँ इस विज्ञान में समायी हैं। आज से लाखों वर्षों पूर्व हमारे ऋषि- मनीषि इस विज्ञान से, उसकी सम्यक् प्रयोग विधियों से परिचित थे। आज धर्मशास्त्र का जो विशाल ढाँचा देखने को मिलता है, वह इसी विज्ञान की व्याख्या- विवेचन मात्र है। वेद, उपनिषद् आदि तमाम आर्ष साहित्य इसी विज्ञान के विकास- विस्तार हैं। इस विज्ञान को साधने, उसकी शक्तियों को हस्तगत करने के लिए कठिन साधनाएँ करनी पड़ती हैं। इसकी एक- एक शक्ति को प्राप्त करने लिए वर्षों ही नहीं

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गूढ़ यौगिक विधियों