लासन संस्कृत का शब्द है जहां बाल का अर्थ बच्चा (child) और आसन का अर्थ मुद्रा (pose) है। बालासन के फायदे अनेक है, यह आसन कई विभिन्न आसनों से मिलता-जुलता रूप है और इसका अभ्यास शीर्षासन से पहले और बाद में किया जा सकता है। इस आसन को करते समय जमीन पर लेटे बच्चे की तरह आकृति बनती है और कूल्हे जमीन से ऊपर उठे हुए एवं घुटने जमीन से चिपके होते हैं इसलिए इस आसन को बालासन पोज कहा जाता है। इस आसन को गर्भाशन (Garbhasana) या शशांकासन (Shashankasana) भी कहा जाता है। सभी तरह के योगासन की कुंजी (key) श्वास होता है। इसलिए इस आसन का अभ्यास करते समय सांस लेने औऱ छोड़ने की पूरी प्रक्रिया पर अधिक ध्यान देना चाहिए। बालासन का अभ्यास सही तरीके से करने से यह शरीर के कई विकारों को दूर करने में मदद करता है।

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बालासन करने का तरीका, फायदे और सावधानियां