भारतीय धरोहर योग का परिचय

योग की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘युज’ से हुई है जिसका अर्थ जोड़ना है। योग शब्द के दो अर्थ हैं और दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। पहला है- जोड़ और दूसरा है समाधि। जब तक हम स्वयं से नहीं जुड़ते, समाधि तक पहुंचना असंभव होगा। योग का अर्थ परमात्मा से मिलन है।

आयुर्वेद एक समग्र चिकित्सा पध्दति

आयुर्वेद अतिप्राचीन चिकित्सा पथ्दति है जिसे आज संपूर्ण विश्व मै मान्यता प्राप्त है आयुर्वेद मात्र औषधि चिकित्सा न होकर एक संपूर्ण स्वस्थ जीवन शैली हॅ । आयुर्वेदानुसार प्राकृतिक जीवन शैली अपनाने से शरीरगत् सप्तधातुआदि के पोषण एवं वात, पित्त, कफादि के समन्वय् से
शरीर उत्तम् स्वास्थ को प्राप्त करता है । इसके विपरित अप्राकृतिक जीवन शैलो का अनुसरण् करने से धातुगत छीणता एवं वात , पित्त, कफ मै बिषमता उत्पन्न होती है ।अधिक काल तक इन बिषमताओ के बने रहने से इनके शारिरिक व मानसिक

गर्म पानी पीने में भले ही अच्‍छा न लगे

गर्म पानी पीने में भले ही अच्‍छा न लगे लेकिन इसके हेल्‍थ बेनिफिट्स आपको जरूर इसे पीने पर मजबूर कर देंगे. यूं तो 8 से 10 ग्‍लास पानी पीना शरीर के लिए बहुत जरूरी होता है लेकिन अगर दिन में तीन बार गर्म पानी पीने की आदत डाल ली जाए तो शरीर को बीमारियों से आसानी से बचाया जा सकता है.

विपरीत करनी आसन

विपरीत करनी करने की विधि 

  •  दीवाल से करीब 3 इंच की दूरी पर कम्बल फैलाएं.
  • पैरों को दीवाल की ओर फैलाकर कम्बल पर बैठ जाएं.
  •  शरीर के ऊपरी भाग को पीछे की ओर झुकाकर कम्बल पर लेट जाएं. इस अवस्था में दोनों पैर दीवाल से ऊपर की ओर होने चाहिए.
  •  बांहों को शरीर से कुछ दूरी पर ज़मीन से लगाकर रखें.

शीर्षासन

सिर के बल किए जाने की वजह से इसे शीर्षासन कहते हैं। शीर्षासन एक ऐसा आसन है जिसके अभ्यास से हम सदैव कई बड़ी-बड़ी बीमारियों से दूर रहते हैं। हालांकि यह आसन काफी मुश्किल है। यह हर व्यक्ति के लिए सहज नहीं है। शीर्षासन से हमारा पाचनतंत्र अच्छा रहता है, रक्त संचार सुचारू रहता है। शरीर को बल प्राप्त होता है।

उत्थित-पद्मासन(लोलासन)

लोलासन करने के लिए सबसे पहले पद्मासन में आइए फिर हथेलियों को जांघों के बराबर में ज़मीन पर रखिए। हाथों पर पूरे शरीर का वजन लेते हुए साधते हुए ज़मीन से अपने को ऊपर उठा लीजिए,कुछ देर इस स्थिति को बनाए रखिए, कुछ दिन अभ्यास के बाद आप इसमे अपने को आगे पीछे झुला भी सकते हैं। 2-4 बार दोराह सकते हैं। साँस- शरीर को ऊपर उठाते समय साँस भरेंगे, नीचे लाते समय साँस निकाल देंगे। एकाग्रता साँसों पर बनाए रखेंगे। लोलसन से  हाथों, कलाइयों और कंधों की मासपेशियों को मजबूत करता है। आँतों की कमज़ोरी, कव्ज में भी लाभदायक है।

सेतुबंधासन

भूमि पर सीधे लेट जाइए। दोनों घुटनों को मोड़कर रखिए। कटिप्रदेश को ऊपर उठा कर दोनों हाथो को कोहनी के बल खड़े करके कमर के नीचे लगाइये। अब कटि को ऊपर स्थिति रखते हुए पैरों को सीधा किजिए। कंधे व सिर भूमि पर टिके रहें। इस स्थिति में 6-8 सेंकण्ड रहें। वापस आते समय नितम्ब एवं पैरों को धीरे-धीरे जमीन पर टेकिए। हाथो को एकदम कमर से नहीं हटाना चाहिये। शवासन में कुछ देर विश्राम करके पुनः अभ्यास को 4-6 बार दोहराएं।

शलभासन

शलभासन करने की विधि :

  1. सर्वप्रथम पेट के बल लेट जाएँगे । 
  2. पैरो को पास रखेंगे और हाथों की मुत्ठियाँ बनाकर जांघों के नीचे रखेंगे। 
  3. अब दोनो पैरो को साँस लेते हुए उपर उठाइए ।
  4. धीरे से वापिस लाइए ।
  5. 5 बार इसी  तरह दोहरायें ।
  6. ध्यान रखिएगा पैरो को उपर ले जाते समय घुटने से सीधा रखेंगे।

शलभासन करने की साबधानियाँ :

हर्निया ,आँतों की गंभीर समस्या व हृदय रोगी इस अभ्यास को न करें।

भुजंग आसन

भुजंगासन को कोबरा पोज़ भी कहा जाता है क्योंकि इसमें शरीर के अगले भाग को कोबरा के फन के तरह उठाया जाता है। भुजंगासन की जितनी भी फायदे गिनाए जाएं कम है। भुजंगासन का महत्व कुछ ज्यादा ही है क्योंकि यह सिर से लेकर पैर की अंगुलियों तक फायदा पहुंचाता है। अगर आप इसके विधि को जान जाएं तो आप सोच भी नही सकते यह शरीर को कितना फायदा पहुँचा सकता है।  

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