पैदल चलने के बहोत सारे फायदे है।

ब्रेन स्ट्रोक – आपको जानकर आश्चर्य होगा की अगर एक सप्ताह में सिर्फ 2 घंटे भी पैदल चला जाये तो इससे ब्रेन स्ट्रोक का खतरा 30% तक कम हो जाता है।

दिल – क्या आपको पता है प्रतिदिन 30 से 60 मिनट तक पैदल चलने से दिल का दौरा पड़ने का खतरा काफी हद तक टल जाता है।

मधुमेह – अगर प्रतिदिन 30 से 40 मिनट भी पैदल चला जाये तो इससे मधुमेह का खतरा करीब 29% तक घट जाता है।

डिप्रेशन – आज के समय में डिप्रेशन एक आम बीमारी बनकर उभर रहा है लेकिन अगर प्रतिदिन 30 से 45 की वॉक की जाये तो डिप्रेशन का खतरा करीब 36% तक कम हो जाता है।

जिम जाने के क्या फायदे एवं नुकसान हैं?

मैं आजकल अपने एक दोस्त को ट्रेन कर रहा हूँ, मैं जिम जाने का कोई खास शौक़ीन नहीं हूँ पर उनको ट्रेन करने जाता हूँ और खुद बिना मशीन के अपने आप को ट्रेन करता हूँ.

मैं काफ़ी सालों बाद जिम गया पर मुझे कोई खास बदलाव नहीं नज़र आया, सब कुछ आज भी वैसे ही चल रहा है - वो ही आधी अधूरी जानकारी और गलत ढंग से कराई और की जा रही कसरत.

अगर आपको यह पोस्ट पूरा नहीं पढ़ना है, तो नीचे जाकर इसका सार पढ़ लीजिये.

मैं जब मेरे दोस्त को कार्डिओ ट्रेनिंग के लिए ट्रेडमिल पर चलाता और दौड़ाता हूँ, तब मैं वहां आये हुए लोगों को भी ध्यान से देखता हूँ.

बनाएं पतली कमर, घटाएं तोंद

आजकल मैदे और बेसन से बनी चीजें खाने का प्रचनल बढ़ गया है साथ ही कोक से भी पेट का कबाड़ा होते जा रहा है। इसके अलावा और भी कई कारण है जिससे पेट अब तोंद या कहे टैंक बन गया है।

फ्लैट स्टमक की इच्छा रखने वालों के लिए यहां कुछ योग टिप्स दिए जा रहे हैं। शरीर की अतिरिक्त चरबी घटाने में योग काफी मदद करता है, लेकिन इसके साथ आपको खानपान भी सुधारना होगा।

योगासन 
वैसे रोजाना आप नौकासन, उष्ट्रासन और त्रिकोणासन करके आप फ्लैट स्टमक बना सकते हैं। योगाभ्यास और सही डायट का कॉम्बिनेशन आपके पेट को तोंद से टोन कर सकता है।

शीर्षासन से ठीक रहता है ब्लड सर्कुलेशन

सिर के बल उल्टा हो जाने को शीर्षासन कहा जाता है। इसमें सिर या हाथों के बल अलग-अलग कोणों में शरीर को उल्टा किया जा सकता है। पूरे शरीर का संतुलन सिर या हाथों पर टिका होता है। योग शास्त्र में इसके कई फायदे बताए हैं।

लाभ 

ब्लड सर्कुलेशन ठीक होता है, मस्तिष्क में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ने से दिमाग सक्रिय होता है, ग्रंथियों की कार्य प्रणाली दुरूस्त होती है, पेट में स्थित अंगों जैसे आमाशय, लिवर, किडनी आदि एक्टिव होते हैं और पाचन तंत्र ठीक रहता है। ईसा पूर्व विख्यात ग्रीक फिजिशियन हिप्पोक्रेट्स भी रोगी को रस्सियों और पुली की सहायता से सीढियों पर उल्टा लटकाते थे।

प्रस्तावना

योग भारतीय संस्कृति का एक आधार स्तंभ है l जो प्राचीन काल से आधुनिक काल तक हमारे काल से जुड़ा हुआ है l इस योग का महत्व प्राचीन काल से भी था तथा आधुनिक काल में भी इसका महत्व और अधिक बढ़ा है l प्रिय पाठक योग एक ऐसी विद्या है जिसके द्वारा मन को अविद्या अस्मिता आदि देशों से बचाकर वृत्तियों से रहित कर परमात्मा में लीन करने का विज्ञान प्राप्त होता है एक सामान्य ज्ञान से लेकर उच्च कोटि के साधकों के लिए योग के अलग-अलग मार्गों का निर्देश अलग-अलग भागों में किया गया है इन सभी भागों में साधना एवं साधन की विधि अलग-अलग हो सकती है परंतु इन

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हठ प्रदीपिका एवं हिरण संहिता में योग अर्थात श्रीनाथ गुरु को प्रणाम करके योगी स्वर आत्माराम केवल राज रोक की प्राप्ति के लिए हट विद्या का उपदेश करते हैं हिरण संगीता में हठयोग के सप्त साधनों पर प्रकाश डालते हुए कहा गया अर्थात शोधन धैर्य लाग्यो प्रत्यक्ष और नैनीताल J7 शरीर सूती के साधन हैं जिन्हें सामान्य तथा प्रसाधन की संज्ञा दी जाती है इन सब साधनों के लाभों पर प्रकाश डालते हुए हिरण ऋषि कहते हैं 

पंचकर्म में छिपा है असाध्य रोगों का इलाज-

शरीर की शुद्घि की प्राचीन आयुर्वेदिक पद्घति है पंचकर्म। आयुर्वेद के अनुसार, चिकित्सा के दो प्रकार होते हैं- शोधन चिकित्सा एवं शमन चिकित्सा। जिन रोगों से मुक्ति औषधियों द्वारा संभव नहीं होती, उन रोगों के कारक दोषों को शरीर से बाहर कर देने की पद्घति शोधन कहलाती है। यही शोधन चिकित्सा पंचकर्म है। पंचकर्म चिकित्सा में केरल विश्वप्रसिद्घ है। अब भारत के बाकी राज्यों में भी इसका बोलबाला बढ़ रहा है।

ॐ (OM) उच्चारण के 11 शारीरिक लाभ

*ॐ (OM) उच्चारण के 11 शारीरिक लाभ -*

*ॐ*:- ओउम् तीन अक्षरों से बना है।
*अ उ म्*

*"अ"*का अर्थ है उत्पन्न होना..
*"उ"* का तात्पर्य है उठना, उड़ना अर्थात् विकास..
*"म्"*का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् "ब्रह्मलीन" हो जाना..

ॐ सम्पूर्ण ब्रह्मांड की उत्पत्ति और पूरी सृष्टि का द्योतक है।
ॐ का उच्चारण शारीरिक लाभ प्रदान करता है।

*जानिए कैसे??*

ॐ कैसे है स्वास्थ्यवर्द्धक और अपनाएं आरोग्य के लिए ॐ के उच्चारण का मार्ग...

● *उच्चारण की विधि*

आयुर्वेद-मूल अवधारणाएं

आयुर्वेद भारतीय उपमहाद्वीप की एक प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है। ऐसा माना जाता है कि यह प्रणाली भारत में 5000 साल पहले उत्पन्न हुई थी। शब्द आयुर्वेद दो संस्कृत शब्दों ‘आयुष’ जिसका अर्थ जीवन है तथा ‘वेद’ जिसका अर्थ 'विज्ञान' है, से मिलकर बना है’ अतः इसका शाब्दिक अर्थ है 'जीवन का विज्ञान'। अन्य औषधीय प्रणालियों के विपरीत, आयुर्वेद रोगों के उपचार के बजाय स्वस्थ जीवनशैली पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है। आयुर्वेद की मुख्य अवधारणा यह है कि वह उपचारित होने की प्रक्रिया को व्यक्तिगत बनाता है।

पाइल्स का क्या हैं? यौगिक क्रियाएँ से इलाज

क्या होते हैं पाइल्स
बवासीर या पाइल्स को मेडिकल भाषा में हेमरॉइड्स के नाम से जाना जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें गुदा (ऐनस) के अंदरूनी और बाहरी क्षेत्र और मलाशय (रेक्टम) के निचले हिस्से की शिराओं में सूजन आ जाती है। इसकी वजह से ऐनस के अंदर और बाहर या किसी एक जगह मस्से जैसी स्थिति बन जाती है, जो कभी अंदर रहते हैं और कभी बाहर भी आ जाते हैं। करीब 70 फीसदी लोगों को अपने जीवन में किसी न किसी वक्त पाइल्स की समस्या रही है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ पाइल्स की समस्या बढ़ सकती है। अगर परिवार में किसी को यह समस्या रही है तो इसके होने की आशंका बढ़ जाती है। आनुवांशिक समस्या है।

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