आर्थिक दृष्टि से योग

प्रत्यक्ष रूप से देखने पर योग का आर्थिक दृष्टि से महत्व गॉड नजर आता है लेकिन रूप में रूप से देखने पर ज्ञात होता है कि मानव जीवन में आर्थिक स्तर और योग विद्या का सीधा संबंध है शास्त्रों में वर्णित पहला सुख निरोगी काया बाद में इसके धन और माया के आधार पर योग विशेषज्ञों ने पहला धन निरोगी शरीर को माना है एक स्वस्थ व्यक्ति जहां अपने आय के साधनों का विकास कर सकता है वही अधिक परिश्रम से व्यक्ति अपनी प्रति व्यक्ति आय को भी बढ़ा सकता है जबकि दूसरी तरफ शरीर में किसी प्रकार का रोग ना होने के कारण व्यक्ति का औषधियों व उपचार पर होने वाला व्यय भी नहीं होता है योगाभ्यास से व्यक्ति में एकाग्रता की वृद्धि होने के साथ-साथ उसके कार्य क्षमता का भी विकास होता है आजकल तो योगाभ्यास के अंतर्गत आने वाले साधन आसन प्राणायाम ध्यान द्वारा बड़े-बड़े उद्योगपति व फिल्म जगत के प्रसिद्ध लोग अपनी कार्यक्षमता को बढ़ाते हुए देखे जा सकते हैं योग जहां एक ओर इस प्रकार से आर्थिक दृष्टि से अपना एक विशेष महत्व रखता है वहीं दूसरी ओर योर क्षेत्र में काम करने वाले योग प्रशिक्षक भी योग विद्या से धन लाभ अर्जित कर रहे हैं आज देश में ही नहीं विदेशों में भी अनेक योग केंद्र चल रहे हैं जिसमें शुल्क लेकर योग सिखाया जा रहा है साथ ही साथ प्रत्येक वर्ष विदेशों से सैकड़ों सैलानी भारत आकर योग प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं जिससे आर्थिक जगत को विशेष लाभ पहुंच रहा है